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समृद्धि साधना का अचूक विधान/मनौती का विज्ञानः अपना चढ़ाया प्रसाद न खायें/चिड़ियों को खाना खिलाकर वास

  • Writer: Chida nanda
    Chida nanda
  • Feb 10, 2019
  • 7 min read

आज का युग अर्थ का युग है. अर्थ की इस युग में धन की अपनी एक प्राथमिकता है. धन की कमी के कारण आपके बहुत से काम अटके रह जाते हैं. व्यक्ति आर्थिक तंगी के कारण बेबस हो जाता है. एनर्जी गुरु राकेश आचार्य जी ने आर्थिक संकट से मुक्त होकर समृद्धि की ओर बढ़ने के लिए एक बहुत ही सरल साधना का विधान बताया है. जिसमें आपका एक रुपया भी खर्च नहीं होगा. इसे करने के लिए आपको कहीं आने जाने की जरूरत नही होगी. जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, जिनके पास धन नहीं रुकता है, कर्ज जिनका पीछा नहीं छोड़ रहा है वे इसे जरूर करें.

साधना की सामग्री:- एक लोटा जल और शहद साधना की अवधि:- 40 दिन साधना का मंत्र:- ॐ शं शंकराय धनम् देहि देहि ॐ साधना का स्थान:- साधना के लिए अपने आसपास किसी एक शिव मंदिर को चुन लें.

साधना विधि 1.मंदिर में शिवलिंग के पास उत्तर की दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं. 2.जल से भरे हुई पात्र को अपने दाएं और रख लें उसमें थोड़ा शहद मिला ले. 3. भगवान शिव से कामना करें:- कहे हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूँ मुझ शिष्य पर दया करें. मैं आपको साक्षी बनाकर समृद्धि साधना करने जा रहा हूं. आप इसे स्वीकार करें साकार करें और मेरे जीवन में समृद्धि की स्थापना करें. आपका धन्यवाद है. 4. मंत्र से अनुरोध करें:- कहे हे दिव्य मंत्र ॐ शं शंकराय धनम् देहि देहि ॐ आप मेरी भावनाओं के साथ जुड़ जाएं मेरे तन मन मस्तिष्क आभामंडल ऊर्जा चक्रों में व्याप्त हो जायें. मेरे रोम रोम में बस जाएं. मैं आपका जाप करने जा रहा हूं. आप मेरे लिए सिद्ध हो जाएं. आपका धन्यवाद है 5. 20 मिनट मंत्र का लगातार जाप करें. 6. मंत्र संपूर्ण होने पर पास में रखे शहद मिश्रित जल को शिवलिंग पर चढ़ा दें. 7. भगवान शिव को 10 मिनट राम-राम सुनाएं. 8. भगवान शिव और एनर्जी गुरु जी को धन्यवाद दे.

सावधानियां:- 1. तांबे के लोटे का उपयोग बिल्कुल भी ना करें इसके अलावा किसी भी धातु के लोटे का उपयोग करें. तांबा दूध, दही व् मीठी चीजों के साथ रिएक्शन करके सल्फर उत्प्नन करता है. जो जहर सा होता है. 2. साधना के दौरान ना तो किसी से बातें करें ना मोबाइल अपने पास रखें. 3. 40 दिनों तक गुस्से और आलोचना से बचें. 4. मंत्र जाप रोज एक ही जगह पर और एक ही समय पर करें. एक ही समय और एक ही जगह पर की गई साधनाओं का फल कई गुना बढ़ जाता है. 5. साधना से पहले और बाद में 5 मिनट की एक्सरसाइज करें या हर हर महादेव का योग करें.

सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है

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मनौती या कामना कैसे पूरी हो?

मनौती या कामना कैसे पूरी हो, इस सटीक तरीके को जानने से पहले इसके विज्ञान को समझ लेते हैं. मनौती मांगना एक वैज्ञानिक क्रिया है. इसके द्वारा अपने Sup Conscious Mind यानि अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग की जाती है. Sup Conscious Mind ही कामनायें पूरी करता है. ये हमारा Personal God है. एक भगवान वो जो दुनिया चलाते हैं. एक भगवान ये जो सिर्फ हमारे लिये बना है. इसमें भी उन सभी शक्तियों का उपयोग करने की क्षमता होती है. जो दुनिया चलाने वाले में होती हैं. अगर भक्ति धारा में बात करें तो हमारे लिये इसका निर्माण दुनिया चलाने वाले भगवान ने ही किया है. उनके पास पूरा ब्रह्मांड चलाने की जिम्मेदारी है. एेसे में वे हर व्यक्ति के साथ नही रह सकते. इसलिये अपने प्रतिनिध के रूप में सबके लिये अवचेतन मन बनाया. ये हर क्षण हमारे साथ है, हम हर पल इसकी निगरानी में हैं. इसीलिये कहते हैं ऊपर वाला हरदम हम पर नजर रखता है. हम जो सोचते हैं ये उसी की रचना कर देता है. दुनिया चलाने वाले भगवान की तरह इससे निवेदन नही करना पड़ता बल्कि यह हमारा कमांड स्वीकार करके उसे पूरा करता है. जाकी रही भावना जैसी तिन पाया प्रभु मूरति तैसी. ये बात अवचेतन मन पर बिल्कुल खरी उतरती हैं. शिव सोचोगे तो जीवन में शिव पैदा कर देगा, विष्णु सोचोगे तो विष्णु पैदा कर देगा, देवी सोचेगे तो देवी पैदा कर देगा, अल्ला सोचोगे तो अल्ला पैदा कर देगा, जीजस सोचोगे तो जीजस पैदा कर देगा, भूत सोचोगे तो भूत पैदा कर देगा, चुडैल सोचोगे तो चुडैल पैदा कर देगा. किसी के द्वारा सोची गई बातों को पूरी करने के लिये अवचेतन मन ब्रह्मांड के उन सभी रहस्यों का उपयोग करता है जिससे दुनिया बनी. इसीलिये ये दुनिया की हर चीज पैदा करने में सक्षम है.

मनौती ;-

मनौती मानने का मतलब होता है अपने अवचेतन मन को कमांड देना. हर कामना को पूरी करने के लिये निर्धारित मात्रा में उर्जा की जरूरत होती है. ये उर्जा हमारे भीतर ही होनी चाहिये. हमारे भीतर उर्जा का स्टोर नाभि चक्र में होता है. नाभि चक्र उसे Sup Conscious Mind को भेजता है. उसी से कामनायें पूरी होती हैं. इसीलिये लाखों सालों से मनोकामना पूरी करने के लिये व्रत की तकनीक अपनाई जाती है. हर दिन खाना पचाने के लिये नाभि चक्र को काफी उर्जा खर्च करनी पड़ती है. व्रत में नाभि चक्र पर स्टोर उर्जा की खपत कम होती है. यही बची हुई उर्जा Sup Conscious Mind को जाकर कामनायें पूरी करती है. नाभि चक्र को स्वाधिष्ठान चक्र से बड़ी तादाद में उर्जा मिलती है. सेक्स के दौरान स्वाधिष्ठान चक्र की अधिकांश उर्जा खत्म हो जाती है. इसी कारण कामनाओं से जुड़े ज्यादातर अनुष्ठान व व्रत आदि के दौरान सेक्स की मनाही होती है. मनौती पूरी होने के लिये निर्धारित उर्जाओं का होना जितना जरूरी होता है. उससे भी अधिक जरूरी कामनाओं में रुकावट पैदा करने वाली नकारात्मक उर्जाओं को हटाना होता है. इसके लिये विभिन्न वस्तुओं का प्रसाद के रूप में इश्तेमाल किया जाता है. जब कोई व्यक्ति मनौती का संकल्प लेकर प्रसाद चढ़ाता है तो उसका अवचेतन मन रुकावटी उर्जा हटाने का कमांड ले लेता है. प्रसाद के लिये उपयोग कि जाने वाली वस्तुओं में वह रुकावटी नकारात्मक उर्जाओं को उड़ेल देता है. अवचेतन मन को भलीभांति पता होता है कि मांगी गई कामना के बीच किन किन उर्जाओं की रुकावट है. वे वस्तुवें प्रसाद के रूप में देव स्थान पर दे देने से इन उर्जाओं का निस्तारण हो जाता है. फिर वे उस व्यक्ति के पास वापस नही लौटतीं. एेसा देव स्थान की उर्जाओं के प्राकृतिक गुण के कारण होता है. इस क्रिया से कामनाओं की रुकावट हट जाती है. मगर प्रसाद के रूप में चढ़ायी गई वस्तुओं को चढ़ाने वाला खुद ग्रहण करे या अपने घर लेकर जाये तो निकाली गई नकारात्मक उर्जाओं की वापसी का खतरा रहता है. जिससे मनौती के पूरा होने में संदेह बना रहता है. एक बात जान लें कि आपके चढ़ाये एेसे प्रसाद में भगवान की कोई दिलचस्पी नहीं. न ही वे वस्तुओं की ख्वाहिश रखते हैं. उनकी ख्वाहिश तो आपकी खुशी है. आप खुश तो भगवान खुश. ये है सफल मनौती का वैज्ञानिक तरीका.... ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

घर में या कार्यस्थल में वास्तुदोष हो तो उन्नति, शांति सुख मुश्किल हो जाते हैं. धनाभाव, कर्ज, कलह, बीमारियां बार बार परेशान करती हैं. मेहनत, लगन, ईमानदारी, योग्यताा, क्षमता विफल होती नजर आती हैं. वास्तुदोष की नकारात्मक उर्जाओं का प्रहार ब्लैक मैजिक के प्रहार से कई गुना अधिक घातक होता है. क्योंकि ये उर्जायें घर के सभी लोगों को एक साथ प्रभावित करती हैं. सभी के आभांडल को एक साथ बिगाड़ती हैं. सभी के मन-मस्तिष्क को एक साथ विचलित करती हैं. खासतौर से ईशान में स्थित शौचालय, नैऋत्य में स्थित गेट या दक्षिण या पश्चिम मुखी मकान अधिक नकारात्मक उर्जाओं से भरे होते हैं. ये उर्जायें वहां रहने वालों की उर्जाओं को लगातार बीमार करती रहती हैं. संघर्ष कराती रहती हैं. इनसे बचने के लिये घर में तोड़ फोड़ कराना उचित नही होता. वास्तुदोष की खराब उर्जाओं का नियमित निष्कासन ही उचित उपाय है. एेसी स्थितियों से निपटने के लिये एक घरेलु उपाय बता रहा हूं. ध्यान से अपनायें. इसके लिये वास्तु देव के नाम से रोज भोजन निकालें और उसे घर से बाहर चिड़ियों के खाने के लिये रखें. साथ ही शंख में रखा पानी घर में रोज छिड़कें. नदियों के संगम की रेत घर में रखें.

*उपाय की विधि...* 1. उपाय की सफलता के लिये भगवान शिव को साक्षी बनायें. कहें- *हे देवों के देव महादेव आपको साक्षी बनाकर मै एनर्जी गुरू राकेश आचार्या जी द्वारा वर्णित विधि अनुसार वास्तु उर्जाओं को सकारात्मक बनाने हेतु उपाय अनुष्ठान कर रहा हूं. इसकी सफलता हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें.* 2. शाम को किसी शंख में पानी भरकर पूजा स्थल में रखें. शंख से सकारात्मकता की स्थापना का आग्रह करें. कहें- *हे दिव्य शंख इस पवित्र जल को मेरे घर में सुख शांति उन्नति स्थापित करने वाली उर्जाओं से उर्जित करें.* सुबह शंख के जल का घर में छिड़काव करें. 3. जहां दो या अधिक नदियां मिलती हैं. उसे संगम कहा जाता है. संगम की मिट्टी में वास्तु शोधन का प्राकृतिक गुण होता है. किसी संगम स्थल से लगभग दो किलो रेत लाकर घर के ब्रह्म स्थान पर स्थापित करें. घर के मध्य स्थान को ब्रह्म स्थान कहा जाता है. यदि ब्रह्म स्थान खाली हो तो गड्ढ़ा खोदकर रेत उसमें दबा दें. यदि ब्रह्म स्थान खाली न हो तो रेत को किसी चीज में पैक करके वहां स्थापित कर दें. स्थापित करने के समय रेत से वास्तु शोधन का आग्रह करें. कहें- *हे दिव्य रेत आप प्रकृति से वास्तु की सर्वोत्तम उर्जाों को ग्रहण करके उन्हें मेरे घर में स्थापित करें.* 4. घर में बने खाने से वास्तु देव का भोग लगायें. उनसे उन्नति और समृद्धि का आग्रह करें. कहें- *हे वास्तु देव आप प्रसाद ग्रहण करें. मेरे घर में शांति सुख समृद्धि स्थापित करें.* भोग लगा खाना लगभग एक घंटे तक घर में ही रखा रहने दें. उसके बाद किसी समय उस खाने को बाहर लेकर जाकर किसी पेड़ के नीचे पक्षी भोजन हेतु रख दें. ध्यान रहे ये खाना पक्षियों के लिये अपने घर की क्षत पर न रखें. न ही घर के बरामदे आदि में रखें. इस खाने के द्वारा अपने भीतर घर के बिगड़े वास्तु की दूषित उर्जाओं को खींच लिया जाता है. यदि उसे घर के कैम्पस में ही कहीं पक्षियों को खिलाया गया तो वे उर्जायें बाहर निकलने की बजाय दोबारा वहीं बिखर जाएंगी. घर से दूर खाना रखने पर पक्षी उस खाने को खाकर उसकी उर्जाओं को अपने भीतर ले लेते हैं. फिर जब वे हवा में उड़ते हैं. तो वास्तु की दूषित उर्जायें ऊपर बिखर जाती हैं. और लौटकर उस घर में नही आ पातीं. वास्तु शांति के लिये ये प्रयोग बड़ा ही प्रभावशाली सिद्ध होता आया है. *सबका जीवन सुखी हो, यही हमारी कामना है*.

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