top of page

Recent Posts

Archive

Tags

व्यापार बंधन मुक्ति के लिये गालियों का टोटका/घर में मंदिर: शंख और घंटा जरूर बजायें/पारिवारिक सुख के

  • Writer: Chida nanda
    Chida nanda
  • Feb 11, 2019
  • 8 min read

कुछ साल पहले मै किसी औघड़ बाबा के साथ हिमालय भ्रमण पर था. एक रात हम रुद्रप्रयाग में रुके. वहां बाबा का एक भक्त मिलने आया. उसका रेस्टोरेंट था. उसने बताया कि किसी ने उसका व्यापार बांध दिया है. जहां पहले रेस्टोरेंट में देर रात तक भीड़ लगी रहती थी. अब वहां इक्के दुक्के लोग ही आते हैं. नौबत एेसी आ गयी कि 4 महीने से रेस्टोरेंट का 7 लाख रुपये महीने का किराया चुकाने के लिये कर्ज लेना पड़ रहा है. उसका आरोप था कि पास के ही दूसरे रेस्टोरेंट वाले ने तंत्र मंत्र से उसका काम काज बांध दिया. जिससे सारे ग्रहक यहां से हटकर उसके रेस्टोरेंट में चले गये. औघड़ बाबा ने अपने भक्त को बड़ा ही विचित्र उपाय बताया. उपाय में जिस पर तंत्र का संदेह था उसे गाली देनी थी. उपाय सुनकर मै हैरान था. मैने औघड़ बाबा से पूछा आपने ये क्या बता दिया. जवाब में औघड़ बाबा मुस्कराये बड़ी ही कांफीडेंस के साथ कहा हफ्ते भर के भीतर देखने क्या परिणाम निकलता है इसका. उन्होंने अपने भक्त से कहा कि हफ्ते भर में फोन करके बताना कितना फर्क पड़ा. काल करने के लिये मेरा नम्बर दिया गया. औघड़ बाबा के पास मोबाइल नही रखते. हफ्ते भर बाद. उस समय हम नीलकंठ के सिद्ध क्षेत्र में साधना कर रहे थे. औघड़ बाबा के भक्त की काल आई. उसने बताया कि स्थितियां बदल चुकी हैं. अब उसके रेस्टोरेंट में पहले की तरह ही ग्राहकों की भीड़ आने लगी है. मै हैरान था. उर्जा के स्तर पर मैने टोटके की रिसर्च की. तो पाया कि उसके प्रयोग से औघड़ बाबा के भक्त के मन मस्तिष्क और आभामंडल की सफाई हुई है. उसकी अवचेतन शक्ति मजबूत हुई है. सभी जानते हैं काम काज की कामयाबी में अवचेतन शक्ति की बड़ी भूमिका होती है. औघड़ बाबा का टोटका नीचे देखें... रात में अपने पास भोजपत्र, दो हरे नीबूं, चाकू, फूल वाली चार लौंग, भोजपत्र और काली स्याही वाला पेन रखकर सोयें. सुबह सूर्वोदय से पहले उठ जायें. बिस्तर पर ही प्रयोग शुरू करें. जिस व्यक्ति पर व्यापार बांध देने का शक है उसे नफरत के साथ तीन गांलियां दें. फिर भोज पत्र पर काली स्याही वाले पेन से उसका नाम लिखें. भोजपत्र पर नाम लिखने के बाद उसे गाली कभी न दें और न ही उसके बारे में मन में शत्रुता रखें. नीबू को दो दो टुकड़ों में काट लें. हर टुकड़े में एक एक लौंग चुभो दें. फिर जरूरत लगे तो नित्य क्रिया से निवृत्त हो लें. उसके बाद सारा सामान लेकर शमशान जायें. वहां कहीं खड़े होकर नींबू के टुकड़े चारो दिशाओं में फेंक दें. उसके बाद नाम लिखा भोजपत्र किसी पीपरल की जड़ में गहरे दबा दें. वापस घर लौट आयें. आते समय शमशान के बाहर कुछ सिक्के गिरा दें. मैने इसे कई लोगों से कराया. इस प्रयोग को शत्रु भाव से क्रियायें करने वाले अन्य लोगों पर भी कराया. जिनको लगता था कि उनके घर पर तंत्र किया जा रहा है, जिनको लगता था कि उनकी दुकान पर तंत्र किया जा रहा है, जिनको लगता था कि उनकी फैक्ट्री पर तंत्र किया जा रहा है. टोटका प्रभावशाली निकला. इसके प्रभाव से शत्रुता को मित्रता में बदलते पाया. रिसर्च में मैने पाया कि टोटका उन लोगों पर सटीक काम कर गया जिनकी आशंका सही थी. यानि व्यापार बंधन के लिये जिन लोगों के नाम पर आशंका थी वे सही थे. टोटके से उनके साथ भुक्तभोगी का इथरिक लिंक कट गया. उसके आभामंडल की सफाई हो गई. विद्वेषण की उर्जा खत्म हो गयी. साफ हुए आभामंडल ने ग्रहकों को पुनः आकर्षित कर लिया.

;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

घर में मंदिर: शंख और घंटा जरूर बजायें

आज हम घर में मंदिर पर चर्चा करेंगे. वैसे तो घरों में देवस्थान की मर्यादा निभ पानी मुश्किल सी होती है. फिर भी जो लोग घर में मंदिर रखना चाहते हैं, कुछ बातों को जरूर निभायें.

1. मूर्तियों का चुनाव....

घर में शालिग्राम को रखना बहुत शुभकारी होते है. अब ये नोपाल की गंडकी नदी से लाये जाते हैं. हजारों साल तक नदी के प्रवाह में पड़े काले पत्थर घिसते घिसते शालिग्राम बल जाते हैं. पानी का बहाव विशाल उर्जा पैदा करता है. इसी कारण नदी के बहाव से शालिग्राम अत्यधिक उर्जावान हो जाते हैं. हजारों साल तक हर मौसम की उर्जाओं का संकलन उनमें होता रहता है. जिससे शालिग्राम की उर्जायें भगवान विष्णु की उर्जाओं के समान पोषण कारी हो जाती हैं. पद्म पुराण में इन्हें भगवान विषणु का ही रूप बताया गया है. जल प्रवाह के कारण शालिग्राम में सकारात्मक ब्रह्मांडीय उर्जायें स्वयं स्थापित होती हैं, इसलिये इनमें प्राण प्रतिष्ठा का कोई अनुष्ठान करने की आवश्यकता नही होती. इनकी विशाल उर्जाओं का लाभ उठाने के लिये अध्यात्म विज्ञान ने बड़ी ही सरल और घरेलू तकनीक दी है. आप भी यही अपनायें. एक साफ शंख में पानी लेकर उससे इन्हें स्नान करायें. फिर पंचामृत से स्नान करायें. पंचामृत या तुलसी के पत्ते के सम्पर्क में आते ही शालिग्राम हजारों साल से अपने भीतर समेटे साकारात्मक उर्जायें उनमें छोड़ देते हैं. विज्ञान की भाषा में इसे रासायनिक क्रिया और भक्तों की भाषा में इसे भगवान की कृपा कहते हैं. इसीलिये शालिग्राम पर सदैव तुलसी दल चढ़ाकर रखते हैं. ये तुलसी दल या शालिग्राम के स्नान से बना पंचामृत या चरणामृत प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. ये प्रसाद मणिपुर चक्र, मूलाधार चक्र, विशुद्धि चक्र और आज्ञा चक्र को एक साथ उपचारित करता है. साथ ही आभामंडल की रंगीन उर्जाओं को शक्ति प्रदान करता है. जिससे श्रद्धालुओं का आत्मबल बढ़ता है, भावनायें अनुशासित होती हैं, सफलतायें प्रबल होती है और रोग प्रतिरोधक शक्ति मजबूत होती है. प्रमाण के लिये किसी व्यक्ति का औरा चत्र लीजिये. फिर उसे 20 मिनट नर्मदेश्वर शिवलिंग के समक्ष बैठा दीजिये. उसके बाद दोबारा औरा फोटो लीजिये. फर्क उसी समय दिख जाएगा. शालिग्राम के समक्ष बैठने मात्र से श्रद्धालुओं की उर्जाओं में निखार आने लगता है. मगर शालिग्राम के आस पास रहने के दौरान गुस्सा या निंदा के भाव मन में बिल्कुल भी न आने पायें. इससे सकारात्मक उर्जायें भी नकारात्मकता में बदल जाती हैं.

इसी तरह नर्मदेश्वर शिवलिंग भी घर में उपयोगी होते हैं. नर्मदा नदी में हजारों साल तक बहते रहने के बाद कई पत्थर शिवलिंग का आकार ले लेते हैं. इनकी उर्जाओं में गजब की क्षमता होती है. ये श्रद्धालुओं की उर्जाओं से सभी तरह की नकारात्मकता खींच लेते हैं. उसी क्षण सकारात्मक उर्जायें देकर लगभग सभी उर्जा चक्रों को उर्जावान बनाते हैं. आभामंडल की लगभग सभी 49 पर्तों को एक साथ उपचारित करने की क्षमता इनके अलावा किसी और अध्यात्मिक उपकरण में दुर्लभ ही मिलती है. जल प्रवाह के कारण शालिग्राम में सकारात्मक ब्रह्मांडीय उर्जायें स्वयं स्थापित होती हैं, इसलिये इनमें प्राण प्रतिष्ठा का कोई अनुष्ठान करने की आवश्यकता नही होती. नर्मदेश्वर शिवलिंग की विशाल उर्जाओं के कारण ही इन्हें साक्षात् शिव माना जाता है. भगवान शिव की तरह ही ये भक्तों की समस्याग्रस्त उर्जाओं का जहर पी जाने में सक्षम होते हैं. शिव की तरह ही ये श्रद्धालुओं के जीवन में सुख उत्न्न करने वाली उर्जायें बिना मांगे ही देने में सक्षम होते हैं. चूंकि नर्मदेश्वर शिवलिंग सभी उर्जा चक्रों और आभामंडल की सभी पर्तों की सफाई और उर्जीकरण करते हैं इसलिये इनकी उर्जाओं में तन-मन-धन के सभी दुख हटाने और सुख स्थापित करने की क्षमता होती है. प्रमाण के लिये किसी व्यक्ति का औरा चत्र लीजिये. फिर उसे 20 मिनट नर्मदेश्वर शिवलिंग के समक्ष बैठा दीजिये. उसके बाद दोबारा औरा फोटो लीजिये. फर्क उसी समय दिख जाएगा. अध्यात्म विज्ञान ने नर्मदेश्वर शिवलिंग के उपयोग की तकनीक भी बहुत सरल और घरेलु दी है. इन पर जल चढ़ाने मात्र से ऊपर लिखे सभी लाभ देने वाली उर्जायें प्राप्त हो जाती हैं. मगर शिवलिंग से बहकर बाहर आने वाला निर्वाण जल दूषित होता है. इसका निस्तारण सावधानी से किया जाना चाहिये. वो जल इधर उधर न फैलने पाये और हाथ में न छूने पाये. उसे सीधे नाली में बहा दें. जैसा मंदिर में होता है. निर्वाण जल के निष्कासन की असुविधा के कारण ही कुछ विद्वान घरों में शिवलिंग न रखने की सलाह देते हैं. नर्मदेश्वर की शक्तियां प्राप्त करने के इच्छुक लोगों को तर्क नही करना चाहिये. इससे उर्जायें तेजी से नष्ट होती हैं. नर्मदेश्वर की तरह पारद शिवलिंग में भी श्रद्धालुओं की उर्जाओं की सफाई और उर्जन की बड़ी क्षमता होती है. इन पर रोज जल चढ़ाने की जरूरत नही होती. पारद शिवलिंग पर धूल बिल्कुल न जमने पाये इसका विशेष ध्यान रखें. पारद शिवलिंग में पारे की मात्र और शोधन निर्धारित से कम हो तो वो हितकारी नही होता. पारद शिवलिंग की शक्तियां प्राप्त करने के इच्छुक लोगों को तर्क नही करना चाहिये. इससे उर्जायें तेजी से नष्ट होती हैं.

2. घर में पत्थर की मूर्तियां न स्थापित करें. इससे इगो बढ़ता है.

3. तीर्थों से लायी मूर्तियां रखने से उर्जाओं में लीकेज होती है, जिससे कर्ज और कलह का खतरा होता है.

4. ग्रह पीड़ा और वास्तु पीड़ा निवारण के लिये घर में मूर्तियों की स्थापना करने से उर्जाओं में मिलावट होती है. उनकी जगह निर्धारित यंत्रों का उपयोग करें. मगर नियत समय में यंत्रों का जल प्रवाह कर दें. उन्हें स्थाई रूप से घर में न रखें. अन्यथा कलह और बीमारियों की उर्जायें उत्पन्न होती हैं.

5. घर में मंदिर बनाया है तो वहां हर दिन कम से कम 5 मिनट शंख और घंटा जरूर बजायें. इसी से घर की नकारात्मकता हटेगी. अन्यथा मंदिर की सकारात्मक भी नकारात्मकता की भेंट चढ़ती रहेंगी.

6. घर के मंदिर में बैठकर समस्याओं का चिंतन न करें. अन्यथा समस्यायें बढ़ती जाएंगी.

7. घर के मंदिर में किसी भी व्यक्ति का फोटो न रखें. इससे कलह और आर्थिक संकट बढ़ता है.

8. घर के मंदिर में 4 से अधिक फोटो या मूर्तियां न रखें. अन्यथा भटकाव उत्पन्न होगा.

9. घर में मंदिर में चढ़ाये फूल उसी दिन हटा दें. अन्यथा बेचैनी पैदा होगी.

10. आरती रोज करें. मगर एक से अधिक आरती न करें. अन्यथा उतार चढ़ाव परेशान करेंगा.

11. ये कभी किसी से न कहें कि भगवान आपकी प्रार्थना नही सुननते. इससे उसी क्षण देव शक्तियों से लिंक टूट जाता है. और प्रार्थनायें अधूरी रह जाती हैं. जो लोग घरों में मंदिर नही बनाते वे कई तरह के बंधनों से मुक्त रहते हैं. यदि घर में पर्याप्त जगह है तो प्रार्थना स्थल जरूर तय करें. जहां बैठकर भगवान को मन के मंदिर में आमंत्रित करें. मन के मंदिर से अधिक प्रभावशाली कोई मंदिर नही होता. क्योंकि यहां शिव तत्व का स्थायी वास होता है. मन में बुलाये भगवान के साथ अपनी बात शेयर करें. उनसे अपनी कामना कहें. जब तक खुशी का अहसास हो उतनी ही देर बैठें. भगवान से शेयर की बातें और उनसे कही कामनाओं की चर्चा किसी से न करें. ताकि उर्जाओं का गैरजरूरी बटवारा न होने पाये. जो कामना या प्रार्थना पूरी हो उसे भी भगवान को मन में बुलाकर उनके साथ शेयर करें. एेसा कभी न सोचें कि उन्हें तो सब पता है उनसे कहने की क्या जरूरत. उनके साथ शेयर करने से सफलताओं की एनर्जी को कई गुना बढ़ा देती है.

;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

पारिवारिक सुख के लिये कपूर पर लौंग जलायें* जलते कपूर में वायु तत्व और अगिन तत्व के शोधन का विशेष गुण होता है. जलती लौंग में पृथ्वी तत्व के शोधन का गुण होता है. घर में सुख समृद्धि के लिये वायु तत्व, अग्नि तत्व, पृथ्वी तत्व की उर्जाओं का विशेष महत्व होता है. जिन घरों इन तत्वों की उर्जायें बिगड़ी होती हैं, वहां सुख समृद्धि स्थापित नही हो पाती. खास तौर से पश्चिम और दक्षिण मुखी घरों की उर्जाओं में ये बिगाड़ अधिक देखने को मिलता है. घर की सुख समृद्धि के लिये एक सरल किंतु अत्यधिक प्रभावशाली उपाय बता रहा हूं. इसे सभी अपना सकते हैं. विधान.... यह प्रयोग सूर्यास्त के बाद करें. प्रयोग घर के पूजाघर या किचन में करें. चांदी के बर्तन (कटोरी, प्लेट या दीपक) में कपूर रखें. ध्यान रहे कपूर में अधिक मोम नही होना चाहिये. अन्यथा चिड़चिड़ापन उत्पन्न होगा. भीमसेनी कपूर का ही उपयोग करें. चांदी के बर्तन में रखे कपूर पर दो लौंग रखें. फिर उन्हें जला दें. अगले दिन जली लौंग कपूर की राख किसी पेड़ की जड़ में डाल दें. इससे घर की उर्जाओं में तेजी से सुधार होता है. लोगों को बड़े ही चमत्कारिक नतीजे मिलतें हैं.


Recent Posts

See All
सर्व सिद्धि साधना

यह साधना मेरी ही नहीं कई साधको की अनुभूत है !काफी उच कोटी के संतो से प्राप्त हुई है और फकीरो में की जाने वाली साधना है !इस के क्यी लाभ है...

 
 
 
पूर्णमासी..अमवस्या..अध्यात्म विज्ञान की सरल तकनीक /चीनी से बने शिवलिंग पर पूजा से घर में सुख समृद्

हमारे तिथि त्योहार महज किसी की याद में या शक्ति प्रदर्शन के लिये नही बनाये गये. उनके पीछे गहरा विज्ञान है. सभी तिथि-त्योहार अध्यात्म...

 
 
 
Single post: Blog_Single_Post_Widget
bottom of page