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क्या है मंत्र? क्या रोग निवारण में मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है?PART-01


क्या है मंत्र?;-

05 FACTS;-

1-मंत्र कोई साधारण शब्द नहीं है। यह दिव्यशक्ति का वाचक एवं बोधक होता है। यह देवतासे अभिन्न होते हुए भी उसके स्वरूप का बोध कराता है।'मननात् त्रायते इति मंत्र:' अर्थात मनन करने पर जो त्राण दे या रक्षा करे वही मंत्र है। धर्म, कर्म और मोक्ष की प्राप्ति हेतु प्रेरणा देने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं। तंत्रानुसार देवता के सूक्ष्म शरीर को या इष्टदेव की कृपा को मंत्र कहते हैं। मंत्र योग संहिता के अनुसार, मंत्र के अर्थ की भावना को जप कहते हैं। और अर्थज्ञान के बिना लाखों बार मंत्र की आवृत्ति करने पर भी सिद्धि नहीं मिलती क्योंकि सिद्धि मंत्र की आवृत्ति मात्र से नहीं मिलती। वह तो जप से मिलती है और जप में अर्थज्ञान होना अनिवार्य होता है।

2-ऊर्जा अविनाशिता के नियमानुसार ऊर्जा कभी भी नष्ट नहीं होती है, वरन्‌ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है। अतः जब हम मंत्रों का उच्चारण करते हैं तो उससे उत्पन्न ध्वनि एक ऊर्जा के रूप में ब्रह्मांड में प्रेषित होकर जब उसी प्रकार की ऊर्जा से संयोग करती है तब हमें उस ऊर्जा में छुपी शक्ति का आभास होने लगता है। जो मन का त्राण (दुःख) हरे उसे मंत्र कहते हैं.. मंत्रों में प्रयुक्त स्वर, व्यंजन, नाद व बिंदु देवताओं या शक्ति के विभिन्न रूप एवं गुणों को प्रदर्शित करते हैं.. मंत्राक्षरों, नाद, बिंदुओं में दैवीय शक्ति छुपी रहती है..मंत्र उच्चारण से ध्वनि उत्पन्न होती है, उत्पन्न ध्वनि का मंत्र के साथ विशेष प्रभाव होता है..

3-मंत्रों का प्रयोग मानव ने अपने कल्याण के साथ-साथ दैनिक जीवन की संपूर्ण समस्याओं के समाधान हेतु यथासमय किया है, और उसमें सफलता भी पाई है, परंतु आज के भौतिकवादी युग में यह विधा मात्र कुछ ही व्यक्तियों के प्रयोग की वस्तु बनकर रह गई है...मंत्रों में छुपी अलौकिक शक्ति का प्रयोग कर जीवन को सफल एवं सार्थक बनाया जा सकता है....

4-सबसे पहले प्रश्न यह उठता है, कि 'मंत्र' क्या है, इसे कैसे परिभाषित किया जा सकता है.. इस संदर्भ में यह कहना उचित होगा कि मंत्र का वास्तविक अर्थ असीमित है... किसी देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए प्रयुक्त शब्द समूह मंत्र कहलाता है... जो शब्द जिस देवता या शक्ति को प्रकट करता है, उसे उस देवता या शक्ति का मंत्र कहते हैं... मंत्र एक ऐसी गुप्त ऊर्जा है, जिसे हम जागृत कर इस अखिल ब्रह्मांड में पहले से ही उपस्थित इसी प्रकार की ऊर्जा से एकात्म कर उस ऊर्जा के लिए देवता (शक्ति) से सीधा साक्षात्कार कर सकते हैं... 5-मंत्रों में देवी-देवताओं के नाम भी संकेत मात्र से दर्शाए जाते हैं, जैसे राम के लिए 'रां', हनुमानजी के लिए 'हं', गणेशजी के लिए 'गं', दुर्गाजी के लिए 'दुं' का प्रयोग किया जाता है... इन बीजाक्षरों में जो अनुस्वार या अनुनासिक (जं) संकेत लगाए जाते हैं, उन्हें 'नाद' कहते हैं.. नाद द्वारा देवी-देवताओं की अप्रकट शक्ति को प्रकट किया जाता है... मंत्रार्थ के भेद:-

04 FACTS;-

1-मंत्र समस्त अर्थों का वाचक एवं बोधक होता है - ऐसा कोई अर्थ नहीं जो इसकी परिधि में न आता हो। किंतु जब एक समय में ये मंत्र किसी एक देवता से, उसके किसी संप्रदाय विशेष से और किसी अनुष्ठान/पुरश्चरण से जुड़ता है, तब वह कुछ निश्चित अर्थों का वाचक एवं बोधक बन जाता है। 2-मंत्र शास्त्र के अनुसार इन अर्थों को छः वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।तंत्र आगम में इन अर्थों के भेदों, उपभेदों एवं अवांतर भेदों की संख्या अपरिमित है। वस्तुतः ये वर्ग मंत्र के उन अर्थों को जानने की प्रक्रिया हैं। इस तरह मंत्रशास्त्र के मनीषियों ने मंत्र के छः प्रकार के अर्थ बतलाए हैं- 1. वाच्यार्थ, 2. भावार्थ, 3. लौकिकार्थ, 4. संप्रदायार्थ, 5. रहस्यार्थ एवं 6. तत्वार्थ।

3-लिंगों के अनुसार मंत्रों के तीन भेद होते हैं .. पुर्लिंग : जिन मंत्रों के अंत में हूं या फट लगा होता है.. स्त्रीलिंग : जिन मंत्रों के अंत में 'स्वाहा' का प्रयोग होता है... नपुंसक लिंग : जिन मंत्रों के अंत में 'नमः' प्रयुक्त होता है..

4-अतः आवश्यकतानुसार मंत्रों को चुनकर उनमें स्थित अक्षुण्ण ऊर्जा की तीव्र विस्फोटक एवं प्रभावकारी शक्ति को प्राप्त किया जा सकता है...

मंत्रों के प्रकार;-

02 FACTS;- मंत्र दो प्रकार के होते हैं ...

1-वैदिक मंत्र ;-

वैदिक संहिताओं की समस्त ऋचाएं वैदिक मंत्र कहलाती हैं।

2-तांत्रिक मंत्र;-

तंत्रागमों में प्रतिपादित मंत्र तांत्रिक मंत्र कहलाते हैं.. तांत्रिक मंत्र तीन प्रकार के होते हैं ..

2-1-बीज मंत्र;-=

बीज मंत्र दैवी या आध्यात्मिक शक्ति को अभिव्यक्ति देने वाला संकेताक्षर बीज कहलाता है.. इसकी शक्ति एवं रूप अनंत हैं..बीज मंत्र भी तीन प्रकार के होते हैं — मौलिक बीज, यौगिक बीज तथा कूट बीज..

2-2-नाम मंत्र ;-

बीज रहित मंत्रों को नाम मंत्र कहते हैं, जैसे- ‘ॐ नम: शिवाय’, ‘ॐ नमो नारायणाय’ एवं ‘..ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ आदि.. इन मंत्रों के शब्द उनके देवता, उनके रूप एवं उनकी शक्ति को अभिव्यक्ति देने में समर्थ होते हैं... इसलिए इन मंत्रों को भक्तिभाव से कभी भी सुमिरन किया जा सकता है.

2-3-माला मंत्र;-

तरह माला मंत्र दो प्रकार के होते हैं .. लघु माला मंत्र एवं बृहद माला मंत्र.. .माला मंत्र कुछ आचार्यो के अनुसार 20 अक्षरों से अधिक और अन्य आचार्यो के अनुसार 32 अक्षरों से अधिक अक्षर वाला मंत्र माला मंत्र कहलाता है, जैसे- ‘ऊँ क्लीं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते, देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:. मंत्रों के शास्त्रोक्त प्रकार :-

1. वैदिक, 2. पौराणिक और 3. शाबर। कुछ विद्वान इसके प्रकार अलग बताते हैं :-

1. वैदिक, 2. तांत्रिक और 3. शाबर। वैदिक मंत्र के प्रकार :-

1. सात्विक और 2. तांत्रिक। वैदिक मंत्रों के जप के प्रकार :-

1. वैखरी, 2. मध्यमा, 3. पश्यंती और 4. परा। 1- वैखरी :-

उच्च स्वर से जो जप किया जाता है, उसे वैखरी मंत्र जप कहते हैं। 2- मध्यमा :-

इसमें होंठ भी नहीं हिलते व दूसरा कोई व्यक्ति मंत्र को सुन भी नहीं सकता। 3- पश्यंती :-

जिस जप में जिह्वा भी नहीं हिलती, हृदयपूर्वक जप होता है और जप के अर्थ में हमारा चित्त तल्लीन होता जाता है, उसे पश्यंती मंत्र जाप कहते हैं। 4- परा :-

मंत्र के अर्थ में हमारी वृत्ति स्थिर होने की तैयारी हो, मंत्र जप करते-करते आनंद आने लगे तथा बुद्धि परमात्मा में स्थिर होने लगे, उसे परा मंत्र जप कहते हैं। जप का प्रभाव :-

वैखरी से भी 10 गुना ज्यादा प्रभाव मध्यमा में होता है। मध्यमा से 10 गुना प्रभाव पश्यंती में तथा पश्यंती से भी 10 गुना ज्यादा प्रभाव परा में होता है। इस प्रकार परा में स्थित होकर जप करें तो वैखरी का हजार गुना प्रभाव हो जाएगा। पौराणिक मंत्र के प्रकार : पौराणिक मंत्र जप के प्रकार : 1. वाचिक, 2. उपांशु और 3. मानसिक। 1. वाचिक :-

जिस मंत्र का जप करते समय दूसरा सुन ले, उसको वाचिक जप कहते हैं। 2. उपांशु :-

जो मंत्र हृदय में जपा जाता है, उसे उपांशु जप कहते हैं। 3. मानसिक :-

जिसका मौन रहकर जप करें, उसे मानसिक जप कहते हैं।

मंत्रोच्चारण का रहस्य ;-

07 FACTS;- 1-वैज्ञानिकों का भी मानना है कि ध्वनि तरंगें ऊर्जा का ही एक रूप हैं। मंत्र में निहित बीजाक्षरों में उच्चारित ध्वनियों से शक्तिशाली विद्युत तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो चमत्कारी प्रभाव डालती हैं। 2-सकारात्मक ध्वनियां शरीर के तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं जबकि नकारात्मक ध्वनियां शरीर की ऊर्जा तक का ह्रास कर देती हैं। मंत्र और कुछ नहीं, बल्कि सकारात्मक ध्वनियों का समूह है, जो विभिन्न शब्दों के संयोग से पैदा होते हैं। 3-मंत्रों की ध्वनि से हमारे स्थूल और सूक्ष्म शरीर दोनों सकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। स्थूल शरीर जहां स्वस्थ होने लगता हैं, वहीं जब सूक्ष्म शरीर प्रभावित होता है तो हम में या तो सिद्धियों का उद्भव होने लगता है या हमारा संबंध ईथर माध्यम से हो जाता है और इस तरह हमारे मन व मस्तिष्क से निकली इच्छाएं फलित होने लगती हैं। 4-निश्चित क्रम में संग्रहीत विशेष वर्ण जिनका विशेष प्रकार से उच्चारण करने पर एक निश्चित अर्थ निकलता है। अंत: मंत्रों के उच्चारण में अधिक शुद्धता का ध्यान रखा जाता है। अशुद्ध उच्चारण से इसका दुष्प्रभाव भी हो सकता है। 5-रामचरित मानस में मंत्र जप को भक्ति का 5वां प्रकार माना गया है। मंत्र जप से उत्पन्न शब्द शक्ति संकल्प बल तथा श्रद्धा बल से और अधिक शक्तिशाली होकर अंतरिक्ष में व्याप्त ईश्वरीय चेतना के संपर्क में आती है जिसके फलस्वरूप मंत्र का चमत्कारिक प्रभाव साधक को सिद्धियों के रूप में मिलता है। 6-शाप और वरदान इसी मंत्र शक्ति और शब्द शक्ति के मिश्रित परिणाम हैं। साधक का मंत्र उच्चारण जितना अधिक स्पष्ट होगा, मंत्र बल उतना ही प्रचंड होता जाएगा। 7-मंत्रों में अनेक प्रकार की शक्तियां निहित होती हैं जिसके प्रभाव से देवी-देवताओं की शक्तियों का अनुग्रह प्राप्त किया जा सकता है। मंत्र एक ऐसा साधन है, जो मनुष्य की सोई हुई सुसुप्त शक्तियों को सक्रिय कर देता है।

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रोग निवारण में मंत्र का प्रयोग ;-

05 FACTS;-

1-मंत्र, साधक व ईश्वर को मिलाने में मध्यस्थ का कार्य करता है... मंत्र की साधना करने से पूर्व मंत्र पर पूर्ण श्रद्धा, भाव, विश्वास होना आवश्यक है, तथा मंत्र का सही उच्चारण अति आवश्यक है...मंत्र लय, नादयोग के अंतर्गत आता है...मंत्रों के प्रयोग सेआर्थिक,सामाजिक, दैहिक, दैनिक, भौतिक तापों से उत्पन्न व्याधियों से छुटकारा पाया जा सकता है...रोग निवारण में मंत्र का प्रयोग रामबाण औषधि का कार्य करता है...मानव शरीर में 108 जैविकीय केंद्र (साइकिक सेंटर) होते हैं जिसके कारण मस्तिष्क से 108 तरंग (वेवलेंथ) उत्सर्जित करता है... 2-शायद इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने मंत्रों की साधना के लिए 108 मनकों की माला तथा मंत्रों के जाप की आकृति निश्चित की है.. मंत्रों के बीज मंत्र उच्चारण की 125 विधियाँ हैं... मंत्रोच्चारण से या जाप करने से शरीर के 6 प्रमुख जैविकीय ऊर्जा केंद्रों से 6250 की संख्या में विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा तरंगें उत्सर्जित होती हैं, जो इस प्रकार हैं :-

2-1-मूलाधार चक्र>>> 4x125=500

2-2-स्वधिष्ठान चक्र >>>6x125=750

2-3-मणिपुर चक्र>>> 10x125=1250

2-3-हृदय चक्र>>> 13x125=1500

2-4-विशुद्धि चक्र>>> 16x125=2000

2-5-आज्ञा चक्र>>> 2x125=250

कुल योग 6250 (विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा तरंगों की संख्या)...

3-भारतीय कुंडलिनी विज्ञान के अनुसार मानव के स्थूल शरीर के साथ-साथ 6 अन्य सूक्ष्म शरीर भी होते हैं... विशेष पद्धति से सूक्ष्म शरीर के फोटोग्राफ लेने से वर्तमान तथा भविष्य में होने वाली बीमारियों या रोग के बारे में पता लगाया जा सकता है.. सूक्ष्म शरीर के ज्ञान के बारे में जानकारी न होने पर मंत्र शास्त्र को जानना अत्यंत कठिन होगा...मानव, जीव-जंतु, वनस्पतियों पर प्रयोगों द्वारा ध्वनि परिवर्तन (मंत्रों) से सूक्ष्म ऊर्जा तरंगों के उत्पन्न होने को प्रमाणित कर लिया गया है.. मानव शरीर से 64 तरह की सूक्ष्म ऊर्जा तरंगें उत्सर्जित होती हैं, जिन्हें 'धी' ऊर्जा कहते हैं.. जब धी का क्षरण होता है तो शरीर में व्याधि एकत्र हो जाती है..मंत्रों का प्रभाव वनस्पतियों पर भी पड़ता है...

4-जैसा कि बताया गया है कि चारों वेदों में कुल मिलाकर 20 हजार 389 मंत्र हैं, प्रत्येक वेद का अधिष्ठाता देवता है.. ऋग्वेद का अधिष्ठाता ग्रह गुरु है। यजुर्वेद का देवता ग्रह शुक्र, सामवेद का मंगल तथा अथर्ववेद का अधिपति ग्रह बुध है... मंत्रों का प्रयोग ज्योतिषीय संदर्भ में अशुभ ग्रहों द्वारा उत्पन्न अशुभ फलों के निवारणार्थ किया जाता है...ज्योतिष वेदों का अंग माना गया है। इसे वेदों का नेत्र कहा गया है.. भूत ग्रहों से उत्पन्न अशुभ फलों के शमनार्थ वेदमंत्रों, स्तोत्रों का प्रयोग अत्यन्त प्रभावशाली माना गया है..उदाहरणार्थ आदित्य हृदयस्तोत्र सूर्य के लिए, दुर्गास्तोत्र चंद्रमा के लिए, रामायण पाठ गुरु के लिए, ग्राम देवता स्तोत्र राहु के लिए, विष्णु सहस्रनाम, गायत्री मंत्रजाप, महामृत्युंजय जाप, क्रमशः बुध, शनि एवं केतु के लिए, लक्ष्मीस्तोत्र शुक्र के लिए और मंगलस्रोत मंगल के लिए... मंत्रों का चयन प्राचीन ऐतिहासिक ग्रंथों से किया गया है..

5-वैज्ञानिक रूप से यह प्रमाणित हो चुका है, कि ध्वनि उत्पन्न करने में नाड़ी संस्थान की 72 नसें आवश्यक रूप से क्रियाशील रहती हैं... अतः मंत्रों के उच्चारण से सभी नाड़ी संस्थान क्रियाशील रहते हैं...मंत्र विज्ञान मंत्र एक गूढ़ ज्ञान है। मन को एकाग्र कर जब इसको जान लिया जाता है, तब यह साधक की सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है.. मंत्रागम के अनुसार दैवी शक्तियों का गूढ़ रहस्य मंत्र में अंतर्निहित है... व्यक्ति की प्रसुप्त या विलुप्त शक्ति को जगाकर उसका दैवीशक्ति से सामंजस्य कराने वाला गूढ़ ज्ञान मंत्र कहलाता है... यह ऐसी गूढ़ विद्या है, जो साधकों को दु:खों से मुक्त कर न केवल उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है, बल्कि उनको परम आनंद तक ले जाती है.. मंत्र विद्या विश्व के सभी देशों, मानवजाति, धर्मों एवं संप्रदायों में हजारों-लाखों वर्षो से आस्था एवं विश्वास के साथ प्रचलित है..

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जप करने से पूर्व माला को प्रणाम कर के मंत्र बोलें

ॐ ऐं श्री अक्ष मालाय नमः

Om aim shree aksh maalaay namah

NOTE;-Before mala jap, recite the following mantra offering obeisances to the mala.

महत्त्वपूर्ण बीजमंत्र (BEEJ MANTRA);-

03 FACTS;-

1-कार्य-सिद्धि के लिए मंत्र;-

“ॐ गं गणपतये नमः”

Om gam ganpatay Namah

NOTE;-हर कार्य शुरु करने से पहले इस मंत्र का 108 बार जप करें, कार्य सिद्ध होगा |

2-युद्ध में विजय ;(MANTRA FOR VICTORY );-

आदित्य हृदय का तीन बार जप

Chant Aditya Hridya Stotra 3 Times facing east direction.

3-MANTRA FOR MEMORY & INTELLECT;- ‘ऐं’ बीजमंत्र मस्तिषक को प्रभावित करता है। इससे बुद्धि, धारणाशक्ति व स्मृति का आश्चर्यकारक विकास होता है।इसके विधिवत जप से कोमा में गये हुए रुग्ण भी होश में आ जाते हैं।अनेक रुग्णों ने इसका प्रत्यक्ष अनुभव किया है।

4-MANTRA FOR SOUND SLEEP;-

ॐ शुद्धे शुद्धे महायोगिनी महानिद्रे स्वाहा

Shuddhe shuddhe mahaayogini mahaanidre swaahaa

The japa of this mantra before going to bed ends the harrowing streak of your sleepless nights and ushers a propitious era of sound and refreshing sleep into your life.

5-MANTRA FOR ACCIDENT FREE JOURNEY;-

ॐ हौं जूँ सः | ॐ भूर्भुवः स्वः | ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ॐ | स्वः भुवः भूः ॐ | सः जूँ हौं ॐ | Om haum joom saha | Om bhoorbhuvaha svaha | Om trayambakam yajaamahe sugandhim pushtivardhnam urvvarukamiva bandhanaanmrityormuksheeya maamrataat om | Svaha bhuvaha bhooh om | saha joom haum om | NOTE;-

Chant this Mahamrityunjay mantra once before starting your journey. 6- MANTRA FOR PROBLEM FREE JOURNEY; ॐ नमो भगवते वासुदेवाय Om namo bhagvate vaasudevaay NOTE;-Chant one mala of above mantra before starting your journey.

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MANTRA FOR HEALTH ( स्वास्थ्य लाभ के लिए मन्त्र );–

18 FACTS;-

1-निरोगी व श्री सम्पन्न होने के लिये ;-

ॐ हुं विष्णवे नमः ।

निरोगी व श्री सम्पन्न होने के लिये इस मन्त्र की एक माला रोज जप करें, तो आरोग्यता और सम्पदा आती हैं।

महामंत्र;-“ॐ हूं विष्णवे नम:”इस महामंत्र का जाप नियमित रूप से करना इंसान को निरोगी रखता है।यह उपाय है विष्णु भगवान की प्रार्थना का।

विधान;-

03 FACTS;-

1-मंत्र जाप के साथ-साथ मंत्र करने का तरीका और विधान भी बहुत मायने रखता है। जानकारों के अनुसार सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद इस मंत्र की एक माला पूर्ण कर लें।ऐसा नियमित रूप से करने से आपके असाध्य रोग दूर हो जाएंगे और अगर शरीर में कोई व्याधि या कमी है तो वो दूर हो जाएंगी, वो भी बिना किसी दवाई के।अगर आप रोग से मुक्त होना चाहते हैं या हमेशा निरोगी रहते हुए स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो आपको जल्द से जल्द इस मंत्र का जाप करना प्रारंभ कर देना चाहिए।

2-मंत्र जाप के साथ-साथ उसे करने का तरीका और विधान भी बहुत मायने रखता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद इस मंत्र की एक माला पूर्ण कर लें।ऐसा नियमित रूप से करने से आपके शरीर का हर जटिल से जटिल रोग समाप्त हो जाएगा। यदि कोई व्यक्ति वाकई किसी असाध्य रोग से पीड़ित है, उसे वाकई हर दवाई, हर तरीके का इलाज निराश कर चुका है तो 11 माला एक उपाय है जिसके जरिए वह अपने दुख से पार पा सकता है।अगर आप प्रतिदिन इस मन्त्र का जाप करते हैं तो आप श्री संपन्न (धन संपन्न) व निरोग हो जाएंगे.

3-मन्त्र की शक्तियां और मन्त्र का मूल जो खोजता है उसको ऋषि बोलते है, ऋषि तू मन्त्र द्रष्टार | मन्त्र जपने के पहले ये संकल्प होता है |भगवत परख जो मन्त्र होता है उसकी छंद गायित्री होती है |

विनियोग;-अस्य महामंत्र.. गायित्री छंद.. वशिष्ठ ऋषि.... नारायण देवता.. हूं बीजं॥ महाविष्णवे दर्शन ..सदबुद्धि प्राप्ति अर्थे.. इश्वर प्राप्ति अर्थे आत्मसाक्षातकार अर्थे जपे विनियोग | 2-स्वास्थ्यप्राप्ति के लिए सिर पर हाथ रखकर मंत्र का 108 बार उच्चारण करें। अच्युतानन्त गोविन्द नामोचारणभेषजात्। नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।। हे अच्युत! हे अनन्त! हे गोविन्द! – इस नामोच्चारणरूप औषध से तमाम रोग नष्ट हो जाते हैं, यह मैं सत्य कहता हूँ…… सत्य कहता हूँ।

स्वास्थ्य;- 3-ॐ हंसं हंसः Om hansam hansaha रोज सुबह-शाम श्रद्धापूर्वक इस मंत्र की १-१ माला करने से शीघ्रता से स्वास्थ्य लाभ होता है

4-MANTRA FOR DIGESTION;-

अगस्त्यम कुम्भकर्णं च शनिंच बडवानलं | आहार परिपाकार्थ स्मरेद भीमं च पंचमं || Agastyam kumbhakarnam cha shanim cha badavaanalam Aahaara paripaakaartham smared bhimam cha panchakam NOTE;-Chant this mantra while caressing your stomach with your left hand in the anti clock wise direction after having your meal. It helps in quick digestion.

5-MANTRA TO CURE ALL TYPES OF DISEASES;-

Dharmarajavrata (mantra mahodadhi) Eliminates all diseases:

Even if you are suffering from incurable diseases wake up early in the morning, ॐ क्रौं ह्रीं आं वैवस्वताय धर्मराजाय भक्तानुग्रहक्रते नमः । aum kraum hrim a am vaivasvataya dharmarajaya bhaktanugrahakrite namah

NOTE;-Do constant jap of this mantra. It will help cure all your Diseases and deliver you from all sins and afflictions. 6-''कं ''-मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त विकृति में। Relieves one from the fear of death; is useful in skin diseases and blood disorders. 7-''ह्रीं'' -मधुमेह, हृदय की धड़कन में। Is beneficial in diabetes mellitus and palpitation. 8-''घं'' – स्वपनदोष व प्रदररोग में। Helps in nocturnal emissions and leucorrhoea. 9-''भं ''-बुखार दूर करने के लिए। Relief from fever. 10-''क्लीं'' -पागलपन में। Is useful in mental disorders. 11-''सं'' -बवासीर मिटाने के लिए। – Cures piles. 12-''वं'' -भूख-प्यास रोकने के लिए। Prevents hunger and thirst. 13-''लं'' -थकान दूर करने के लिए। Relieves fatigue and exhaustion.

14-Health Protection Mantra;-

ॐ हंसं हंसः |

Om hansam hansaha|

NOTE;-रोज सुबह-शाम को श्रद्धापूर्वक इस मंत्र की १-१ माला करने से शीघ्रता से स्वास्थ्य लाभ होता है |

15-MANTRA FOR DIGESTION ;-

अगस्त्यम कुम्भकर्णं च शनिं च बडवानलं | आहार परिपाकार्थ स्मरेद भीमं च पंचमं ||

Agastyam kumbhakarnam cha shanim cha badavaanalam

Aahaara paripaakaartham smared bhimam cha panchakam

NOTE;-Chant this mantra while caressing your stomach with your left hand in the anti clock wise direction after having your meal. It helps in quick digestion.

16-MANTRA FOR LIVER & BRAIN RELATED PROBLEMS;- ‘खं’ बीजमंत्र लीवर, हृदय व मस्तिषक को शक्ति प्रदान करता है। लीवर के रोगों में इस मंत्र की माला करने से अवश्य लाभ मिलता है। ‘हिपेटायटिस-बी’ जैसे असाध्य माने गये रोग भी इस मंत्र के प्रभाव से ठीक होते देखे गये हैं ब्रोन्कायटिस में भी ‘खं’ मंत्र बहुत लाभ पहुँचाता है।

17-भोजन पचाने का सर्वश्रेष्ठ मंत्र

भगवत गीता के अध्याय 15 का श्लोक 14

''अहं वैश्वानर; भूत्वा प्राणिनाम देहम आश्रितः ।

प्राणापानसमायुक्तः पचामि अन्नं चतुर्विधम्‌ ''॥

भावार्थ :-

मैं ही सब प्राणियों के शरीर में स्थित रहने वाला प्राण और अपान से संयुक्त वैश्वानर अग्नि रूप होकर चार (भक्ष्य, भोज्य, लेह्य और चोष्य, ऐसे चार प्रकार के अन्न होते हैं, उनमें जो चबाकर खाया जाता है, वह 'भक्ष्य' है- जैसे रोटी आदि। जो निगला जाता है, वह 'भोज्य' है- जैसे दूध आदि तथा जो चाटा जाता है, वह 'लेह्य' है- जैसे चटनी आदि और जो चूसा जाता है, वह 'चोष्य' है- जैसे ईख आदि) प्रकार के अन्न को पचाता हूँ॥14॥

18-MANTRA FOR MONTHLY PERIODIC PROBLEMS OF WOMEN ;- ‘थं’ मंत्र मासिक धर्म को सुनिश्चित करता है। इससे अनियमित तथा अधिक मासिक स्राव में राहत मिलती है।

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MANTRA FOR WEALTH;-

04 FACTS;-

1-निरोगी व श्री सम्पन्न होने के लिये ;- ॐ हुं विष्णवे नमः ।

NOTE;-निरोगी व श्री सम्पन्न होने के लिये इस मन्त्र की एक माला रोज जप करें, तो आरोग्यता और सम्पदा आती हैं

2- To Attain Wealth;-

ॐ नमः भाग्यलक्ष्मी च विद्महे |अष्टलक्ष्मी च धीमहि | तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात |

Om namah bhagyalakshmi cha vidmahe|ashtalakshmi cha dheemahi | tanno lakshmi prachodayaat |

NOTE;-People practise several methods to acquire Lakshmi (wealth) at the time of Dipawali. Following is a very simple 3-day method for this purpose:

Starting from the day of Diwali till the day of Bhai Dooj (for 3 days), light Dhoop, Deep & Agarbatti in a clean room early in the morning, wear yellow colored clothes, put the Tilak of Kesar (saffron) on the forehead, then do 2 mala of the following mantra on a mala with beeds of Sfatik. Deepawali is the birthday of Lakshmi ji. Lakshmi ji had appeared at the time of the Samudra-Manthan from the Kshir-Sagar. Therefore Lakshmi ji bestows her blessings to the person who does this sadhna with the desire that Laksmi stays in his/her home, poverty gets removed & one is able to earn daily bread & butter easily.

3-लक्ष्मी बरकत मन्त्र (Lakshmi Barkat Mantra);-

मंत्र है -ॐ अच्युताय नमः Om Achyutaaya Namah

MEANING;-''जिसका पद कभी च्युत नहीं होता, इन्द्र पद भी च्युत हो जाता है, ब्रह्माजी का पद भी च्युत हो जाता है, लेकिन फिर भी, जो च्युत नहीं होते, अपने स्वभाव से, अपने आप से, वह परमेश्वर अच्युत को हम नमस्कार करते हैं... " NOTE;-

ॐ अच्युताय नमः - गुरूवार से गुरूवार तक ११ मालायें(एक लाख ) जप करे - कुछ ही दिनों में यह मंत्र सिद्ध हो जायेगा, फिर, फिर 21बार जप करके पानी में देखो, और, बाँया नथुना चले, बाँया स्वर चले, दाँया नथुना बन्द करके वह पानी पी लिया करे|ऐसे भी कोई पेय वस्तु अगर दाँया नथुना चले ,तब पीते हैं, तो धातु कमज़ोर रहता है; अगर दाँया नथुना बंद करके बाँये नथुने से श्वास चलाकर पीते हैं, तो धातु मजबूत रहता है, और ओज बल बढ़ता है |

4-ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै श्रीं श्रीं ॐ नम:।

शुक्रवार के दिन शाम को देवी लक्ष्मी की उपासना के पहले स्नान कर यथासंभव लाल वस्त्र पहन लक्ष्मी मंदिर या घर में लाल आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी का ध्यान अक्षत और लाल फूल हाथ में लेकर नीचे लिखे मंत्र से करें - महालक्ष्मी च विद्महे, विष्णुपत्नी च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्। - माता के चरणों में फूल-अक्षत करने के साथ लाल चंदन, अक्षत, लाल वस्त्र, गुलाव के फूलों की माला माला से नीचे लिखे विशेष लक्ष्मी मंत्र का जप करें - ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै श्रीं श्रीं ॐ नम:। - पूजा व मंत्र जप के बाद माता को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। - घी के पांच बत्तियों वाले दीप से आरती कर देवी से सुख-वैभव की कामना करें।

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NOTE;- Japa this mantra whenever anti-brahmcharya thoughts comes in mind, Do japa for 21 times before going to sleep to avoid wet dreams. 2-ॐ नमो भगवते महाबले पराक्रमाय मनोभिलाषितमं मनः स्तम्भ कुरु कुरु स्वाहा |

NOTE;-Take some milk in a cup. While gazing at the milk, repeat the following mantra twenty-one times and thereafter drink the milk. This is an excellent aid to Brahmacharya. This Mantra is worth remembering by heart.

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MANTRA FOR PROBLEMS ;-

06 FACTS;-

1-FOR ACCIDENT FREE JOURNEY;-

ॐ हौं जूँ सः | ॐ भूर्भुवः स्वः | ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ॐ | स्वः भुवः भूः ॐ | सः जूँ हौं ॐ |

Om haum joom saha | om bhoorbhuvaha svaha | om trayambakam yajaamahe sugandhim pushtivardhnam urvvarukamiva bandhanaanmrityormuksheeya maamrataat om | svaha bhuvaha bhooh om | saha joom haum om |

NOTE;-Chant this Mahamrityunjay mantra once before starting your journey.

2-FOR PROBLEM FREE JOURNEY;-

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

Om namo bhagvate vaasudevaay

NOTE;-Chant one mala of above mantra before starting your journey.

3-FOR JOB,MARRIAGE RELATED PROBLEMS ;-

ॐ घं काली कालीकायै नमः

|Om gham kaalee kaaleekaayai namah |

Jap this mantra to remove hurdles in marriage, job or other important occasions.

4-FOR COURT-CASES RELATED PROBLEMS ;-

पवनतनय बल पवन समाना |बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना |

pavantanaya bal pavan samaana |buddhi vivek vigyaan nidhaana |

NOTE;-Do one mala daily of above mantra to get true results of court-cases. Keep your court related files in North-East direction not locked in Almirah.

5-अटकाव /बाधाये हटाने का मंत्र(Blow away the Impediments) ;-

'टं'‘ (tam’)is a beej mantra, representing chandradeva, the presiding deity

of the Moon. The japa of this mantra is just enough to do away with the sudden impediment inflicting your life.

NOTE;-Write ‘tam’(टं) on a piece of ‘Bhojpatra and insert it into an amulet. Then put this amulet on your right hand. This will remove all sorts of obstacles out of your way.Just wear an amulet having in it the mantra, ‘tam’(टं)written eleven times on a piece of paper. This helps in cases of deficiency of calcium, poor lactation among women and also comes in handy in soothing a fretting child.

6-MANTRA TO ALLEVIATE SUDDEN TROUBLE;-

Chanting this mantra 108 times everyday, alleviates one from miseries and sudden trouble.

ॐ रां रां रां रां रां रां रां रां मम् कष्टं स्वाहा

Aum rang rang rang rang rang rang rang rang mam kashtam svaahaa

NOTE;-

Keep in mind that mantra RANGm is for 8 time...

7-PROBLEM OF NAVEL SIDESTEP SHRINK (नाभि खिसकने की परेशानी )

06 POINTS;-

1-नाभि का खिसकना जिसे आम लोगों की भाषा में धरण गिरना या फिर गोला खिसकना भी कहते हैं। यह एक ऐसी परेशानी है जिसकी वजह से पेट में दर्द होता है। रोगी को समझ में भी नहीं आता कि ये दर्द किस वजह से हो रहा है, पेट दर्द की दवा लेने के बाद भी यह दर्द खत्म नहीं होता। और केवल दर्द ही नहीं, कई बार नाभि खिसकने से दस्त भी लग जाते है।

2-नाभि टलने को परखिये....आमतौर पर पुरुषों की नाभि बाईं ओर तथा स्त्रियों की नाभि दाईं ओर टला करती है।

3-ऊपर की तरफयदि नाभि का स्पंदन ऊपर की तरफ चल रहा है याने छाती की तरफ तो यकृत प्लीहा आमाशय अग्नाशय की क्रिया हीनता होने लगती है ! इससे फेफड़ों-ह्रदय पर गलत प्रभाव होता है। मधुमेह, अस्थमा,ब्रोंकाइटिस -थायराइड मोटापा -वायु विकार घबराहट जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।

4-नीचे की तरफयही नाभि मध्यमा स्तर से खिसककर नीचे अधो अंगों की तरफ चली जाए तो मलाशय-मूत्राशय -गर्भाशय आदि अंगों की क्रिया विकृत हो अतिसार-प्रमेह प्रदर -दुबलापन जैसे कई कष्ट साध्य रोग हो जाते है। फैलोपियन ट्यूब नहीं खुलती और इस कारण स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर सकतीं। स्त्रियों के उपचार में नाभि को मध्यमा स्तर पर लाया जाये। इससे कई वंध्या स्त्रियाँ भी गर्भधारण योग्य हो जाती है ।

5-बाईं ओरबाईं ओर खिसकने से सर्दी-जुकाम, खाँसी,कफजनित रोग जल्दी-जल्दी होते हैं।

6-दाहिनी ओरदाहिनी तरफ हटने पर अग्नाशय -यकृत -प्लीहा क्रिया हीनता -पैत्तिक विकार श्लेष्म कला प्रदाह -क्षोभ -जलन छाले एसिडिटी (अम्लपित्त) अपच अफारा हो सकती है।नाभि सही करने के शाबर मंत्र;-

05 POINTS;-

1-शाबर मंत्र के मूल प्रवर्तक शिव जी हैं। उन्होंने ये मंत्र माता पार्वती को सुनाया था। इसके बाद बाबा गोरखनाथ और गुरु मछन्दर नाथ ने इस मंत्र का विस्तार किया। उन्होंने इसे नया रूप देकर प्रस्तारित किया।

2-इस मंत्र की खासियत है कि ये तत्काल प्रभाव देता है। इस मंत्र के शब्द इतने प्रभावशाली हैं कि ये आपकी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए आपके पसंदीदा देवी-देवता का आवाहन करते हैं। तभी ईश्वर स्वयं कार्य के लिए रास्ता बनाते हैं।

3-ये एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है। ये तुंरत परिणाम देने वाला है। इसके प्रयोग से कठिन से कठिन चीज भी हासिल की जा सकती है। ये मंत्र दूसरे वैदिक व परंपरागत मंत्रों की तरह नही है। इसमें सिद्धि की जरूरत नहीं होती है।इन मंत्रों में विनियोग, व्रत, तर्पण, हवन, पूजा आदि की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

4-दूसरे मंत्रों की तरह शाबर मंत्र को ग्रहण करने के लिए किसी गुरू का होना आवश्यक नही है। आप खुद से भी इस मंत्र का जप कर सकते हैं।शाबर मंत्र बहुत ही सरल होते हैं। जैसे - ऊं शिव गुरु गोरखनाथाय नम:। ये एक सिद्ध शाबर मंत्र है।

5-किसी भी आयु, जाति और वर्ण के पुरुष या स्त्रियां इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं।मंत्र के जाप के लिए लाल या सफेद आसन बिछाकर उस पर बैठना चाहिए। शाबर मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ ही करना चाहिए।

TWO SHABAR MANTRAS FOR NAVEL SIDESTEP SHRINK (नाभि या धरन ठीक करने का मंत्र );-बहुत से लोग जो नाभि टलने के रोग से पीड़ित रहते है और बार बार धरण नाभि ठीक करने के उपाय पूछते है उनके लिए निम्न मंत्र विधि है... प्रयोग करे और लाभ उठाएं ।

मंत्र संख्या -1

''ॐ नमो नाड़ी नाड़ी नौ सै बहत्तर सौ कोस चले अगाडी डिगे न कोण चले न नाड़ी रक्षा करे जति हनुमंत की आन मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा ''

।METHOD(विधि) :-

इस मंत्र को ग्रहण , दिवाली की महानिशा बेला में धुप दीप देकर 108 जप करके सिद्ध करले । कच्चे सूत के धागे में 9 गांठ लगाले उसे छल्ले की भांति बनाले उसे रोगी की नाभि पर रखकर इस मंत्र को 108 बार पढ़ते हुए नाभि के ऊपर फूक मारने से धरण ठिकाने पर आ जाती है ।मंत्र संख्या -2

''ऊँचा नीचा धरणी श्री महादेव का सरनी टली धरन आनु ठौर सत सत भाखे श्री गोरखनाथ ''।METHOD(विधि) :-

इस मंत्र को ग्रहण , दिवाली की महानिशा बेला में धुप दीप देकर 108 जप करके सिद्ध कर ले । तदुपरांत नाभि रोगी को इस मंत्र से झाड़ा देकर सवा तीन माशे चांदी की अंगूठी पाव के अंगूठे में पहना देने से धरण ठिकाने आ जाती है ।

....SHIVOHAM...


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