QUESTION OF SELF/चातक स्वाति
Dear Participant,
Excitement of being in the course is creating a high everyday. Now, its time to warm up KB Sir also to give us answers to our quest about life and Vedic living. So, Share your mind, write a letter to KB Sir at sakha@mahavastu.com.
Your letters will be read by KB Sir only and trust him to maintain confidentiality.
Following questions and bracketed ideas are meant for stimulating your mind to write.
1. Why are you doing this course? (simply write your questions about Vastu for which you are seeking answers)
2. How do you imagine yourself in future after doing this course? (Do you wish to become an excellent Vastu consultant, trainer, researcher or simply pursue as a hobby?)
3. What kind of work experience have you earned in life? (Briefly describe what had been your work experience till now. Even cooking, cleaning and organizing home are considered as great work experiences in MahaVastu, but you must describe it whether its at home or in any field.)
* 4. What exposures have you got in life?* (Where all have you been in travels, sects, philosophies, or in different religions or subjects which influenced your personality and thinking to lead a good life.)
5. What are your core skills which gives you confidence for excellent performance? (Write about your skill in any area of life eg. playing music instruments, dancing, painting, managing, cooking, cleaning, games etc.)
6. When you have free time, what absorbs your attention completely: (Chatting with friends, Surfing net and doing Amazon Shopping, Reading books, Watching TV shows or web series etc., Visiting Friends)
MahaVastu team is committed and also wishes that you get clarity and answers on your questions about Vastu as well as on life from our beloved Sakha.
It’s our suggestion that you share your mind maximum in 500 words either by hand or word document. Must write in subject : “Name, MV code, Location, Mobile Number”
Now, let’s upgrade life!
Sharing best experiences always
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चातक स्वाति बूँद को प्यासो । मन दरसन को प्यासो । म्हारो आँगन तरस्यो तरस्यो । दुनिया में चोमासो ।
सुरसुन्दरी, कर्पूर मंजिरी सिर से नहाकर वह अपने काले घने केशों को सुखा रही है । उसके काले घने बाल जैसे काले बादल हैं । और उनसे टपकते पानी को बारिश का पानी समझ कर चातक उसकी बूंदों से अपनी प्यास बुझाने आता है । संसार भी ऐसा ही मायावी है कि उसके सम्मोहन में आसानी से आ जाते हैं । समझते कुछ हैं और असल में होता कुछ है । अनल पंखी आकाश को । माया मेरु उलंघ । दादू उलटे पंथ चढ । जाइ बिलंबे अंग । हम पशुवा जान जीव हैं । सतगुर जात भिरंग । मुर्दे से जिन्दा करै । पलट धरत हैं अंग । हम पशु समान जीव और सदगुरु भृंग ( कीट ) समान है । जैसे भृंगी किसी रेंगने वाले तुच्छ तिनके से जीव को पकड़ कर लाता है । और अपने मिट्टी के घर में बंद कर देता है । खुद बाहर बैठ कर भिनभिनाता ( भूं भूं ) है । जिसे सुनकर अंदर बैठा जीव डरता है । और उसका ध्यान भृंगी पर ही रहता है । भृंगी अपने शब्द से उस जीव को भी भृंगी ही बना देता है । धीरे धीरे भृंगी की भांति उसके सभी अंग तैयार होकर वह भृंगी ही हो जाता है । सतगुर कंद कपूर हैं । हमरी तुनका देह । स्वांति सीप का मेल है । चंद चकोरा नेह । केले में स्वाति नक्षत्र के समय बारिश की बूंद गिरे । तो उसमें कपूर पैदा होता है । और तिनके की तरह हमारा शरीर सदगुरु उपदेश की बूंद ह्रदय में पड़ने से ज्ञान रुपी कपूर उत्पन्न हो जाता है । स्वाति नक्षत्र में सीप में स्वाति बूंद पङ जाने से मोती उत्पन्न होता है । सदगुरु के प्रति चन्द्र चकोर जैसा स्नेह हो । तभी ज्ञान संभव है । पट्टन नगरी घर करै । गगन मण्डल गैनार । अलल पंख ज्यूं संचरै । सतगुरु अधम उधार । अलल ( अनल = वायु ) वायु में ही रहने और उसी में विचरण करने के कारण उसे अनल पक्षी कहा जाता है । वह आकाश मंडल के शिखर पर विचरण करता है । सदगुरु का तरीका भी यही है । अलल पंख अनुराग है । सुन्न मण्डल रहे थीर । दास गरीब उधारिया । सतगुरु मिले कबीर । अलल पक्षी आकाश मंडल में स्थिर रहते हुए भी अपने सुरति से अपने बच्चों को अपने पास खींच लेता है । उसी प्रकार सदगुरु उद्धार करता है ।
चन्डूल पक्षी की विशेषता - किसी भी पुरुष, महिला, जानवर, पक्षी की आवाज की बखूवी नकल कर लेता है । इसकी वजह से कई बार लोग जंगलों में मुसीबत में पङ गये । क्योंकि इसने किसी की आवाज नकल कर लोगों को भ्रमित किया । इसीलिये चान्डाल जैसे स्वभाव के कारण इसका नाम चन्डूल रखा गया ।
झुंड में रहने वाला हारिल ( हरियल ) पक्षी जमीन पर सीधे पैर नहीं रखता । पंजों में छोटी पतली लकङी दबाये रहता है । इसका रंग हरा, पैर पीले, चोंच कासनी रंग की होती है । इसकी विशेषता है कि यदि घायल होकर किसी वृक्ष की शाखा में लटक जाय । तो मरने पर भी इसके पंजों से वह शाखा नहीं छूटती ।
पाकिस्तान का राष्ट्रीय पक्षी, मयूर वर्ग कुल का , चंद्रमा का एकांत प्रेमी तथा रहस्यमय और साहित्यिक पक्षी चकोर सारी रात चंद्रमा की ओर ताका करता है । अँधरी रातों में चंद्रमा और उसकी किरणों के अभाव में वह अंगारों को चंद्रकिरण समझ कर चुगता है । यह स्वभाव और रहन सहन में तीतर से बहुत मिलता है । इसका एक नाम विषदशर्न मृत्युक है । कहते हैं - विष युक्त खाद्य सामग्री, विषाक्त पदार्थों को देखते ही उसकी आँखें लाल हो जाती हैं । और वह मर जाता है । इसीलिये पूर्व काल में राजा उसे भोजन की परीक्षा के लिए पालते थे । उदात प्रणय का उदाहरण चकोर मैदान में न रहकर पहाड़ों पर रहना पसंद करता है । शिकारी इसका स्वादिष्ट माँस खाने के काम लेते हैं । मोरनी मोर का आंसू पीकर गर्भधारण करती है । अलल पक्षी दृष्टि से गर्भधारण करता है । भ्रंगी कीट अपनी धुनि से विजातीय कीट को भ्रंगी में रूपांतरित कर देता है ।यानी सामान्य नर मादा की तरह परस्पर दैहिक संयोग से वंश वृद्धि नहीं करते ।
P.S. Avoid asking quick solutions for your personal problems in this letter.