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मूल बीज मंत्र (IN BREIEF-HINDI & ENGLISH)

मूल बीज मंत्र;-

सुसुप्त शक्तियों को जगाने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं। मंत्र एक विशेष लय में , शक्तिशाली लयबद्ध शब्दों की तरंगे हैं जो बहुत ही चमत्कारिक रूप से कार्य करती हैं। ये तरंगे भटकते हुए मन को केंद्र बिंदु में रखती हैं। शब्दों का संयोजन भी ऋषि मुनियों के द्वारा वर्षों की साधना के बाद लिखा गया है। मन्त्रों के जाप से आस पास का वातावरण शांत और भक्तिमय हो जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रिक करके मन को शांत करता है। मन के शांत होते ही आधी से ज्यादा समस्याएं स्वतः ही शांत हो जाती हैं। जो हमारे मन में समाहित हो जाए वो मंत्र है;मंत्र का लगातार जाप किया जाना चाहिए।इसे नित्य जाप करने से वो चैतन्य हो जाता है। मन्त्र अपने इष्ट को याद करना और उनके प्रति समर्पण दिखाना है। मंत्र और स्त्रोत में अंतर है कि स्त्रोत को गाया जाता है जबकि मन्त्र को एक पूर्व निश्चित लय में जपा जाता है। 05 FACTS;- मूल बीज मंत्र "ॐ" होता है जिसे आगे कई अलग बीज में बांटा जाता है- योग बीज, तेजो बीज, शांति बीज, रक्षा बीज।.यदि किसी मंत्र के बीज मंत्र का जाप किया जाय तो इसका प्रभाव और अत्यधिक बढ़ जाता है। वैज्ञानिक स्तर पर भी इसे परखा गया है। मंत्र जाप से छुपी हुयी शक्तियों का संचार होता है। मस्तिष्क के विशेष भाग सक्रीय होते है। मन्त्र जाप इतना प्रभावशाली है कि इससे भाग्य की रेखाओं को भी बदला जा सकता है। 1.देव बीज मंत्र;- देव बीज मंत्र का उच्चारण करने से सभी देवताओं के दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति होती हैं। 2.दुर्गा बीज मंत्र;- दुर्गा बीज मंत्र का उच्चारण करने से दुर्गा माँ ज़िदगी में आई हर रुकावट पर विजय हासिल करने में मदद करती हैं। 3.भार्गव बीज मंत्र;- भार्गव बीज मंत्र का उच्चारण करने से अगर हम सभी दिव्य शक्तियों से अपनी ज़िंदगी की सुरक्षा के लिए आशीर्वाद मांगे तो हम पूरे संसार में सुरक्षित रह सकते हैं। 4.काली माता बीज मंत्र;- "क्रीं, मंत्र शक्ति या काली माता का रूप होता हैं। सभी प्रमुख तत्वों जैसे आग, जल, धरती, वायु और आकाश पर विजय पाने के काली माता बीज मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली होता हैं. सभी शत्रुओं का नाश करने में भी ये मंत्र सफल होता हैं। 5.नरसिंहा बीज मंत्र;- नरसिंहा बीज मंत्र हमें मोह-माया के बंधनों से मुक्ति दिलवाता हैं। इस मंत्र के उच्चारण से गहरी मानसिक शांति भी पाई जा सकती हैं।

NOTE;- ये सब बीज इस प्रकार जपे जाते हैं- ॐ, क्रीं, श्रीं, ह्रौं, ह्रीं, ऐं, गं, फ्रौं, दं, भ्रं, धूं,हलीं, त्रीं,क्ष्रौं, धं,हं,रां, यं, क्षं, तं...| कुछ बीज मंत्र ऐसे भी है जो सूचक है उस परमपिता परमेश्वर के जो समस्त ब्रम्हांड के रचियता , पालनकर्ता और रक्षक है | ये बीज मंत्र इस प्रकार है : ” ॐ ” खं ” कं ” | ये तीनों बीज मंत्र ब्रह्म वाचक है | ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

19 बीज मंत्र;-

विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए पृथक से मन्त्र हैं जिनके जाप से निश्चित ही लाभ मिलता है। मंत्र दो अक्षरों से मिलकर बना है मन और त्र। तो इसका शाब्दिक अर्थ हुआ की मन से बुरे विचारों को निकाल कर शुभ विचारों को मन में भरना। जब मन में ईश्वर के सम्बंधित अच्छे विचारों का उदय होता है तो रोग और नकारात्मकता सम्बन्धी विचार दूर होते चले जाते है।यदि बीज मन्त्रों को समझ कर इनका जाप निष्ठां से किया जाय तो असाध्य रोगो से छुटकारा मिलता है।

1-“ऐं”;-

“ऐं” सरस्वती बीज । यह मां सरस्वती का बीज मंत्र है, इसे वाग् बीज भी कहते हैं। जब बौद्धिक कार्यों में सफलता की कामना हो, तो यह मंत्र उपयोगी होता है। जब विद्या, ज्ञान व वाक् सिद्धि की कामना हो, तो श्वेत आसान पर पूर्वाभिमुख बैठकर स्फटिक की माला से नित्य इस बीज मंत्र का एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।

2-“ह्रीं” ;-

“ह्रीं” भुवनेश्वरी बीज । यह मां भुवनेश्वरी का बीज मंत्र है। इसे माया बीज कहते हैं। जब शक्ति, सुरक्षा, पराक्रम, लक्ष्मी व देवी कृपा की प्राप्ति हो, तो लाल रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर रक्त चंदन या रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।

3-“क्लीं”;-

“क्लीं” काम बीज । यह कामदेव, कृष्ण व काली इन तीनों का बीज मंत्र है। जब सर्व कार्य सिद्धि व सौंदर्य प्राप्ति की कामना हो, तो लाल रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।

4-श्रीं”;-

“श्रीं” लक्ष्मी बीज । यह मां लक्ष्मी का बीज मंत्र है। जब धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि व ऐश्वर्य की कामना हो, तो लाल रंग के आसन पर पश्चिम मुख होकर कमलगट्टे की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।

5-हं (हनुमद् बीज);-

इसमें ह्-हनुमान, अ- संकटमोचन एवं बिंदु- दुखहरण है। इसका अर्थ है- संकटमोचन हनुमान मेरे दुख दूर करें। बजरंग बली की आराधना के लिए इससे बेहतर मंत्र नहीं है।

6--"ह्रौं";-

"ह्रौं" शिव बीज । यह भगवान शिव का बीज मंत्र है। अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग नाश, चहुमुखी विकास व मोक्ष की कामना के लिए श्वेत आसन पर उत्तराभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।इस बीज में ह्- शिव, औ- सदाशिव एवं बिंदु- दुखहरण है। इस बीज का अर्थ है- भगवान शिव मेरे दुख दूर करें।

7-"गं"

"गं" गणेश बीज । यह गणपति का बीज मंत्र है। विघ्नों को दूर करने तथा धन-संपदा की प्राप्ति के लिए पीले रंग के आसन पर उत्तराभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।

8-श्रौं"

"श्रौं" नृसिंह बीज । यह भगवान नृसिंह का बीज मंत्र है। शत्रु शमन, सर्व रक्षा बल, पराक्रम व आत्मविश्वास की वृद्धि के लिए लाल रंग के आसन पर दक्षिणाभिमुख बैठकर रक्त चंदन या मूंगे की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।

9-“क्रीं”

“क्रीं” काली बीज । यह काली का बीज मंत्र है। शत्रु शमन, पराक्रम, सुरक्षा, स्वास्थ्य लाभ आदि कामनाओं की पूर्ति के लिए लाल रंग के आसन पर उत्तराभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।

10-“दं”

“दं” विष्णु बीज । यह भगवान विष्णु का बीज मंत्र है। धन, संपत्ति, सुरक्षा, दांपत्य सुख, मोक्ष व विजय की कामना हेतु पीले रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर तुलसी की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।11-हुम् बीज मंत्र:- यह अत्यंत शक्ति शाली अत्यंत ही उग्र प्रभावी बीज है। क्रीम की तरह ही इसका प्रयोग भी तँत्र कर्मो में बहुत होता है और मानसिक विकार दूर करने के लिए भी प्रयोग होता है।'ह' से शिव 'उ' से भैरव और अनुस्वार से दुखहर्ता का आह्वान होता है। 12-''ग्लौं'' बीज मंत्र:- यह भी गणेश बीज है और अत्यंत प्रभावी भी। इसमें ग से गणेश ल से सृष्टी औ से तेज ओज और ऊर्जा बिंदु से दुख हरण का आह्वान होता है। 13-''स्त्रीं'' बीज मंत्र:- स्त्रीं बीज मंत्र को माँ तारा का बीज मंत्र भी कहा जाता है और इसका प्रयोग कई अन्य प्रयोगों में भी होता है । यह उग्र और सौम्य दोनो प्रकार से प्रयोग होता है। इसका अर्थ है स से मा दुर्गा का आह्वान त से तारन शक्ति र से मोक्ष या मुक्ति और ईकार से महामाया आदिशक्ति का आह्वान होता है और अनुस्वार दुखहरन। अतः इस बीज मंत्र का अर्थ हुआ है माँ दुर्गा तारिणी रूप में अर्थात माँ तारा के रूप में आदिशक्ति की शक्ति से मेरे कष्टों से मुक्ति हो। और मेरे दुखो का हरण हो। यह मन्त्र तँत्र प्रयोगों में कष्ट मुक्ति के लिए अत्यधिक प्रयोग होता है। 14-''क्ष्रौं ''बीज मंत्र:- यह नरसिंह बीज है वे नृसिंह जो कि विष्णु का उग्र रूप है अतः इसकी ऊर्जा भी अत्यंत शीघ्र प्रभावी है और उग्र प्रभावी है। सौम्य हृदय वालो को बिना गुरु कृपा के उग्र प्रभावी प्रयोग नही करने चाहिए। इस बीज में क्ष से नृसिंह भगवान र से ब्रह्मशक्ति औ से शक्तिशाली और उर्ध्वकेशी भयानक रूप और बिंदु से दुखहरण का आह्वान है। अर्थ हुआ नरसिंह भगवान जो कि उर्ध्वकेशी और उग्र रूप वाले है वे ब्रह्मशक्ति से युक्त हो मेरे दुखो का नाश करे। सामान्य साधक को इस बीज मंत्र के जाप से दूर रहना चाहिए। 15-''शं'' बीज मंत्र :- यह शंकर बीज है 'श' से शिव के शंकर रूप और बिंदु से दुखहरन का आह्वान होता है 16-''फ्रॉम'' (fraum)बीज मंत्र:- यह बीज मंत्र कलयुग के प्रत्यक्ष देवता भगवान हनुमान का बीज मंत्र है। इस मंत्र को उनकी कृपा प्राप्ति के लिए ध्यान किया जाता है। परन्तु इसकी विधियां अत्यंत गोपनीय है अतः गुरु कृपा से ही प्राप्त कर के जाप करे । 17-''क्रौं''(क्रोम) बीज मंत्र :- यह भी काली बीज ही है इसमें क काली र ब्रह्म और औ से भैरव रूपी शिव और बिंदु से दुखहरण शक्ति का आह्वान होता है यह मन्त्र बहुत ही ज़्यादा उग्र प्रभावी है अतः इसे तुच्छ कामनाओ या फिर किसी के नुकसान के लिए दुरुपयोग नही करना चाहिए और उत्कीलन कर के शुद्ध विचारो से कष्ट मुक्ति के लिए ही प्रयोग करना चाहिए अन्यथा अर्थ के साथ साथ अनर्थ की भी संभावना प्रबल होती है। 18-''भ्रं'' बीज मंत्र:-

यह भैरव बीज है।बीज मंत्र की ऊर्जा अनन्त है और रहस्यो से भरी है । 19-पंचतत्व बीज मंत्र:- 19-1-हं बीज मंत्र:- हं (हनुमद्बीज) इस बीज में ह् = अनुमान, अ् = संकटमोचन एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘संकटमोचन हनुमान मेरे दुख दूर करें।’यह आकाश बीज है । हमारे पंचतत्वों में से आकाशतत्व का शक्ति रूप है। इस बीज को हनुमान जी के मंत्रो में भी प्रयोग किया जाता है और अकेले भी। इसको कई बीमारियो के इलाज मानसिक विकारों के इलाज डर भय आदि के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है। 19-2-यं बीज मंत्र:-

यह वायु बीज है।

19-3-रं बीज मंत्र:- यह अग्नि बीज है। 19-4-वं बीज मंत्र:- यह जल बीज है। 19-5-लं बीज मंत्र:- यह पृथ्वी बीज है।

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नमः ,स्वाहा, स्वधा, वषट, वौषट, हुम् ,फट ... इन शब्दों का क्या मतलब होता है और मंत्रो के अंत में ऐसे शब्द के उच्चार क्यों किये जाते है ?-

03 FACTS;-

1-कुछ मंत्रो के अंत में नमः आता है तो किसी के अंत में स्वाहा ,स्वधा ,

वषट ,वौषट फट् आदि ।इन शब्दों का क्या मतलब होता है और मंत्रो के अंत में ऐसे शब्द के उच्चार क्यों किये जाते है ?

2-वास्तव में इस संसार में जो भी मन्त्र है, शब्द हैं उसमें जो मातृका शक्ति है, अक्षर शक्ति है ओर उन शब्दों से जो अर्थ या ज्ञानबोध होता है वो सब महामाया जगदम्बा का ही वैभव है।मंत्र शब्द मन +त्र के संयोग से बना है !मन का अर्थ है सोच ,विचार ,मनन ,या चिंतन करना ! और “त्र ” का अर्थ है बचाने वाला , सब प्रकार के अनर्थ, भय से !

3-लिंग भेद से मंत्रो का विभाजन पुरुष ,स्त्री ,तथा नपुंसक के रूप में है !पुरुष मन्त्रों के अंत में “हूं फट ” स्त्री मंत्रो के अंत में “स्वाहा ” ,तथा नपुंसक मन्त्रों के अंत में “नमः ” लगता है ! मंत्र साधना का योग से घनिष्ठ सम्बन्ध है……

1-नमः ;-

नमः का मतलब होता है नमस्कार करना । वंदन करना । जैसे ॐ नमः शिवाय का मतलब " हे शिव, में आपको वंदन करता हूं / प्रणाम करता हूं ।"

2-स्वाहा ;-

यदि किसी मंत्र के अंत मे स्वाहा आता हो तो स्वाहा का मतलब किसीको सलाम करना, रिसपेक्ट देना, प्रशंसा करना और शरण में जाना ऐसा होता

है। जैसे ॐ ह्रीं सूर्याय स्वाहा ।अगर हवन करते वक्त स्वाहा बोला जाय तो मतलब अग्नि स्वरूप देवताओं के लिए अग्नि में कुछ अर्पण करना ।

3-स्वधा ;-

स्वधा का मतलब कुछ ना कुछ पितृओ को अर्पण करना । पितृओ की इच्छा या वासना तृप्त करने हेतु तर्पण मंत्रों से पितृओ को जल अर्पण करना या श्राध्द में पिंड देना । स्वधा शब्द का प्रयोग सिर्फ पितृओ के लिए किया जाता है । स्वधा का मतलब आप स्वीकार करें ।

4-वषट;-

वषट का मतलब वश मे हो जाओ। काबु मे आ जाओ । कंट्रोल में रहो । जब हम कोई साधना करते हैं तो कुछ मंत्रों के अंत मे वषट आता है ।

5-हुम्(वर्मबीज /कूर्चबीज) ;-

हुम् एक ध्वनि है जिसको mantra के अंत मे बोलने से हमारे आसपास एक कवच बन जाता है।हुम् का मतलब हमारी रक्षा हो।जब हम तांत्रिक प्रयोग या मंत्र करते है तो हमारी खुद की रक्षा करना भी जरूरी हो जाता है ।हूं इस बीज में ह् = शिव, ¬ = भैरव, नाद = सर्वोत्कृष्ट एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘असुर भयंकर एवं सर्वश्रेष्ठ भगवान शिव मेरे दुख दूर करें।’

6-वौषट

वौषट का मतलब भी वश करना ही होता है पर उसका संबंध दृष्टि के साथ है। किसी भी साधना में जब कोई goal या सिद्धि प्राप्त करनी हो तो वौषट शब्द का प्रयोग होता है। जैसे की मैं अपनी आंखों से ये देख पाऊं या मेरी दृष्टि में वो प्राप्त हो ।

7-फट

फट शब्द का मतलब है बाण छोड़ना । किसी ध्येय को प्राप्त करने या किसी इन्सान को नज़र मे रख के कोई मंत्र पढ़ा जाता हो तो अंत मे फट बोला जाता है । फट बोलने से वो मंत्र सीधा वो इन्सान या वस्तु की तरफ

जाता है ।अंत मे अगर ' हुम् फट' बोला जाय तो उसका मतलब है .... मैं अपनी रक्षा करते हुए उसकी तरफ ये मंत्र छोड़ता हूं । जैसे " ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुम् फट ।"

NOTE;-

जिसके अंत मे वषट और फट जैसे शब्द आते हो ऐसे मंत्र सावधानी पूर्वक करने चाहिए क्योंकि किसी का नुकसान करने वाले मंत्रो का रिएक्शन भी हो सकता है ।ध्यान रहे मंत्र में जहाँ पर फट शब्द आता है वहा

फट बोलने के साथ-साथ 2 उँगलियों से दुसरे हाथ की हथेली पर ताली बजानी है।

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MEANING OF BEEJ MANTRAS;-

03 FACTS;-

1-A Beej Mantra is the shortest form of a Mantra just like a beej (seed) which when sown grows into a tree. Similarly beej mantras of different Gods, when recited together give humans lot of positive energy and blessings of all the Gods. They are the vibrations, and represent the "call" of the soul. It is belief that when the universe was created then the sounds produce during the cosmic evolution are basically the beej mantra.

2-There are Various Beej Mantras which are an important part of Mantras and each Beej mantra has its own power and when mixed with mantras add extra power to the benefits of that mantra.

3-Accordingly the mantras which contain up to nine words are termed Beej Mantra, ten or twenty words forms Mantra and

beyond are known Maha Mantra.Basic beej mantra "Om" is further expanded into the following types of beej - yog beej ,tejo beej, shanti beej and raksha beej, which are respectively known as aeng (aim) hreem, sreem, kreem, kleem, dum, gam, glaum, lam, yam, aam or um or ram.

20 BEEJ MANTRA

1-Om: ॐ

This beej mantra is the mystic name for the Hindu Trimurti, and represents the union of the three gods, viz. ‘A’ for Brahma, ‘U’ for Vishnu and ‘M’ for Mahadev Shiva. The three sounds also symbolize the three Vedas (Rigveda, Samaveda, Yajurveda)

2-Kreem: क्रीं

This is Goddess Kali beej mantra. Kali Mata gives us health, strength, all round success and protects from evil powers. This mantra creates a strong base for Kali Mahavidya Sadhana. In this mantra ‘ Ka ' is Maa Kali , ‘ Ra ' is Brahman, and ‘ ee ' is Mahamaya. ‘ Nada ' is the Mother of the Universe, and bindu is the dispeller of sorrow.

3-Shreem: श्रीं

This is the beej mantra for Goddess Mahalaxmi.

It is recited for wealth, material gains, success in business or profession, elimination of ailments & worries, protection, getting beautiful wife, happy married life and all round success. ‘ Sha ' is Maha Lakshmi, ‘ Ra ' means wealth. ‘ Ee ' is satisfaction or contentment. Nada is the manifested Brahman, and bindu is the dispeller of sorrow

4-Hroum: ह्रौं

This is the beej mantra for Lord Shiva. Lord Shiva protects from sudden death, fatal diseases, gives immortality, moksha and all round success if a person recites it with devotion along with the mantras of Shiva. Doom: दुं

This is the beej Mantra of Maa Durga . It is recited for power, strength,protection, health, wealth, victory, wisdom, knowledge, elimination of enemies & grave problems, happy married life and all round success. ‘ Da ' means Durga, and ‘ U ' means to protect. Nada means Mother of the universe, and bindu signifies worship

5-Hreem: ह्रीं

This is the Mantra of Mahamaya or Bhuvaneshwari. The best and the most powerful make a person leader of men and help get a person all he needs. ‘ Ha ' means Shiva, ‘ Ra ' is prakriti, ‘ ee ' means Mahamaya. Nada is the Mother of the Universe, and bindu is the dispeller of sorrow.

6-Ayeim: ऐं

This is the beej Mantra of Devi Saraswati. Goddess Saraswati is the goddess of knowledge of all fields and with the recitation of this mantra one can attain knowledge, wisdom and success in any field. ‘ Ai ' stands for Saraswati, and bindu is the dispeller of sorrow.

7-Gam: गं

This is the beej mantra of Lord Ganapati. Lord Ganesha gives His devotees knowledge, wisdom, protection, fortune, happiness, health, wealth and eliminate all obstacles. ‘ Ga ' means Ganesha, and bindu is the dispeller of sorrow. Fraum: 8-फ्रौं

This is the beej mantra for Lord Hanuman. Chanting of it gives unlimited strength, power, protection, wisdom, happiness, elimination of bad spirits & ghosts, victory over enemies and all round success.

9-Dam: दं

This is beej mantra for Lord Vishnu. With recitation of it a person gets wealth, health, protection, happy married life, happiness, victory and all round success

10-Bhram: भ्रं

This is the beej mantra of Lord Bhairav. It is recited for strength, protection, victory, health, wealth, happiness, fame, success in court cases, elimination of enemies, and all round success.

11-Dhoom: धूं

This is the beej mantra for Goddess Dhoomavati. Chanting of this mantra gives quick eradication of all enemies, strength, fortune, protection, health, wealth and all round success

12-Hleem: हलीं

This is the beej mantra for Goddess Bagalamukhi. It is recited for quick elimination of all enemies, power, victory, fame, and all round success.

.13-Treem : त्रीं

This is the beej mantra for Goddess Tara. Recitation of this mantra gives unending financial gain, unlimited wealth, fortune, fame, happiness, victory and all round success.

14-Kshraum: क्ष्रौं

This is a beej mantra of Lord Narsimha. Lord Narsimha removes humans all sorrows and fears and bring quick victory

over enemies.This also creates a strong base for other Narsimha sadhanas

15-Dhham: धं

This is the beej mantra of Lord Kuber. It is recited for massive monetary gain, wealth, fortune and all round success.

16-Ham: हं

This beej mantra is receited for awakening of Kundalini. It is chanted for activating the Akash Tatva (space element) in us which gets us siddhis and eliminates ailments related to this element.

17-Ram: रां

This beej mantra is related to Agni Tatva (fire element). Chanting of this mantra activates the Agni Tatva and eliminates ailments related to this element. It is helpful for quicker awakening of Kundalini.

18-Yam: यं

This beej mantra is related to Vayu Tatva (air element). Chanting of this mantra activates the Vayu Tatva and eliminates ailments related to this element. Activation of all elements leads to quicker awakening of Kundalini

19-Ksham: क्षं

This is related to the Prithvi Tatva (earth element) in us which gets us siddhis and eliminates ailments related to this element.

Activation of all elements leads to quicker awakening of Kundalini and enables a sadhak to access all supernatural powers.

20-Tam: तं

This beej mantra is for getting rid of disease, worry, fear and illusion.

MEANING OF SEVEN PALLAV;-

1- Namaha: The serene and peaceful state of the antahkaran appeasing the deity of the mantra by surrendering to it.

2- Svaha: Destruction of harmful energy, for instance curing a disease and doing good to others, appeasing the deity of the mantra with offerings.

3- Svadha: Self-contentment, strengthening oneself.

4- Vashat: A spiritual emotion of destroying the enemy.

5-Voushat: To create conflicts or opposition among enemies, to acquire power and wealth.

6- Hum: Anger and courage, to frighten one’s enemy .HUM(pronunciation “hoom”): This evokes the breakdown of negative feelings and spreads positivity and vitality through the body.. In this Mantra Ha is Shiva, and u is Bhairava. Nada is the Supreme, and bindu means dispeller of sorrow.

7- Phat: A spiritual emotion of attacking the enemy, to drive the enemy away.’

....SHIVOHAM...

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