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क्या है अनन्त मोह ?


क्या है अनन्त मोह ? 03 FACTS;- 1-भगवत गीता और गरुड़ पुराण ये 2 ऐसे ग्रन्थ है जिनका अध्धयन जन्म के समय सन्तान को कराया जाए तो सन्तान में अच्छे संस्कार उतपन्न होंगे और उनके जीवन मे पग पग पर मार्गदर्शन होगा। लेकिन अवस्था ऐसी है लोगो की इन 2 ग्रन्थों से इतना भय लगता है कि अपने घरों में भी रखना गलत मानते है क्योकि कही उनकी सन्तान वैरागी हो गयी तो क्या होगा। अपने स्वार्थ के लिए सन्तान का जीवन व्यर्थ कर देते है। 2-अगर इन दोनों ग्रन्थों का अध्धयन ही करा दिया जाए तो जीवन भर बुरे कर्म करने की संभावना बहुत कम हो जाती है। हम सन्तान की आत्मा की मृत्यु के बाद इनका पाठ करवाते है ताकि उनकी आत्मा मुक्त हो सके लेकिन क्या ये सम्भव है क्योकि सन्तान तो कर्म कर चुकी अब तो फल मिलना शेष है अब चाहे कैसा भी पाठ करा लो कोई लाभ नही है। अगर हम इनका पाठ पहले ही करा देते तो मुक्ति की चिंता ही ना होती। 3-मृत्यु के बाद हम कहते है राम नाम सत्य है अगर ये बात जन्म के साथ ही सन्तान को बताई जाती तो लाभ में आती अब मरने के बाद बताने से क्या लाभ है। जब समय था तब तो मोह में फसे रहे बाद में पछताते है। मृत्यु के बाद तो सन्तान की आत्मा भी घर मे प्रवेश कर जाए तो कई तरह के उपाय करा लेते है उस सन्तान की आत्मा को भगाने के लिए जिससे अनन्त मोह था। जो कार्य हमे जन्म के समय करना था वो हम मृत्यु के बाद करते है। जब माता पिता जीवित होते है तब पानी की भी नही पूछते मरने के बाद अमावस्या पर पिंड दान करवाते फिरते है। स्त्री सुरक्षा कैसे? बहुत से ऐसे मन्दिर है जिनमे नग्न मूर्तिया है जिसके ऊपर बहुत से बुद्धिजीवी अभद्र बाते सनातन धर्म के लिए करते है। जिस सनातन धर्म को आज का विज्ञान नही समझ पाता उस पर अज्ञानी लोग बाते करते है। अगर आपके अंदर कामवासना भरी हुई है तो स्त्री चाहे अपने आपको पूर्ण रूप से वस्त्रो से ढक ले कोई लाभ नही होगा, कामी इंसान की नजरें गलत बनी ही रहेंगी। हमने वस्त्र बना दिये स्त्री को पूर्ण रूप से ढक दिया ताकि अपनी काम वासना पर नियंत्रण पा सके लेकिन इसका प्रभाव उल्टा ही पड़ा पहले से अधिक अपराध बढ़ गए है। आज हमारी सुंदरता वस्त्रों से हो गयी। जब ये मूर्तिया बनाई गई उस समय इंसान में काम वासना नही प्रेम था। ये मूर्तिया प्रेम को दर्शाती है लेकिन आज के इंसान में प्रेम नही है इसलिए उनको प्रेम नही काम ही दिखेगा। आज वो समय है कि वस्त्रो से भी कार्य नही चल पा रहा है अब कुछ अन्य खोज करनी होगी जिससे इंसान अपने पर नियंत्रण पा सके। लेकिन चाहे कितनी हो खोज करले इसपर नियंत्रण सिर्फ प्रेम द्वारा ही सम्भव है। जब पुरुष किसी स्त्री से प्रेम करता है तो काम वासना नष्ट हो जाती है अन्य स्त्रियों के प्रति कोई आकर्षण उतपन्न नही होता चाहे वो दैहिक रूप से कितनी ही सुंदर हो। काम पर विजय प्रेम द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है अन्य कोई विकल्प नही है इसका। हम स्त्री सुरक्षा की बात करते है पता है इसका कारण क्या है ? इसका कारण है स्त्री को ही पुरुष से खतरा है। पुरुष को स्त्री से खतरा नही है इसलिए पुरुष की सुरक्षा की बात ही नही होती। इसलिए पुरुष को आवश्यकता है बदलाव की स्त्री को नही। जिस दिन पुरुष अपने अंदर काम की जगह प्रेम उतपन्न कर लेगा उस दिन उन नग्न मूर्तियों में भी प्रेम दिख जाएगा, फिर स्त्री चाहे किसी भी प्रकार के वस्त्र धारण करले वो सुरक्षित ही रहेंगी। हमे आवश्यकता प्रेम को जागृत करने की ना कि स्त्री पर बन्धन डालने की। स्त्री में साहस है इतनी घूरती आँखों को सहन करती हुई घर से बाहर निकल पाने की लेकिन जिस दिन स्त्री ने भी पुरुष जैसी मानसिकता बना ली और प्रेम को मार दिया उस दिन पुरुष अपने आपको घर मे बन्द कर लेगा, बाहर निकलने की हिम्मत ना हो पायेगी। क्षण भर में पुरुष का पौरुष नष्ट हो जाएगा फिर बचता फिरेगा। विवाह हो गया फिर भी बाहर अन्य स्त्रियों के प्रति गलत विचार होना ये सिर्फ काम नही अपितु एक मानसिक रोग भी है और आज अधिकतर लोग इसी रोग से ग्रसित है। ये रोग इतना बढ़ चुका है कि खून के रिश्ते भी सुरक्षित नही है। किसी स्त्री के साथ जब कुछ गलत होता है तो दोष सरकार को देते है कि सुरक्षा के प्रबंध नही है लेकिन सयम में बदलाव कोई नही करते। कितने ही सुरक्षा के प्रबंध करदे कोई हल ना होगा क्योकि सुरक्षा तो सयम के घर मे भी नही है क्योकि ये मानसिक रोग है इसमे इलाज की आवश्यकता है ना कि सुरक्षा के प्रबंध की। जन्म से ही आधात्मिक संस्कार देने से इस रोग से बचा जा सकता या आधात्मिक मार्ग पर आने से इस रोग से बचा जा सकता है। सम्भव है ये पोस्ट सभी को समझ ना आये क्योकि बड़ा मुश्किल है इसको समझना और स्वीकार करना क्योकि सत्य को अपनाना बड़ा कठिन कार्य होता है।

...SHIVOHAM...


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