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क्या बिंदु हैं जो गर्भ को श्रेष्ठ जीवात्मा के आने योग्य या निकृष्ट जीवात्मा के आने योग्य बनाते हैं?



10 FACTS;-

1-श्रेष्ठ आत्मा गर्भ में उतर सके इसके लिए क्या - क्या तैयारियां करनी पड़ती हैं? कैसे करनी पड़ती हैं? और गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, श्री कृष्ण और क्राइस्ट जैसे लोग जिस गर्भ में आए उसकी सामान्य गर्भों की तुलना में क्या - क्या विशेषताएं थी ?ये बहुत सी बातें विचार करनी पड़ती है।एक तो काम का क्षण जितनी पवित्रता का क्षण हो, उतनी पवित्र आत्मा को आकर्षित कर सकता है।लेकिन काम की इतनी निंदा की गई है कि मिलन का क्षण मुश्किल से ही पवित्रता का हो पाता है। काम को अपवित्र ही सिद्ध कर दिया गया है। वह हमारे चित्त में अपवित्र होकर बैठ ही गया है। पति -पत्नी का जो मिलन है, वह एक पाप की अंधेरी छाया के बीच घटित होता है। वह एक आनंद, एक पवित्रता, एक प्रार्थना के बीच घटित नहीं होता। स्वभावत:, इस छाया के आसपास पवित्र आत्मा का प्रवेश संभव नहीं है। तो पवित्र आत्मा के प्रवेश की पहली तो शर्त है कि पवित्र क्षण हो।वास्तव में वह क्षण प्रार्थना का क्षण है।और प्रार्थना के बाद ही पति पत्नी को मिलन में जाना चाहिए। ध्यान के बाद ही जाना चाहिए।ध्यान में चित्त रस और आनंद में डूब जाता है।इसके दोहरे परिणाम होंगे। इसका एक परिणाम तो यह होगा कि ध्यान के बाद वर्षों तक वे मिलन में न जा सकेंगे।क्योंकि ध्यान में जैसे ही जाएंगे कि वासना तिरोहित हो जाएगी। तो ध्यान उनके जीवन में ब्रह्मचर्य का मार्ग बन जाएगा।

2-यह जो वर्षों की पवित्रता है, यह कोई लिया हुआ व्रत या दमन नहीं है कि वे ब्रह्मचर्य का व्रत साध रहे हैं।यह सहज फलित ब्रह्मचर्य है। जो ध्यान के बाद ही संभव होता है। तो पति पत्नी अगर दोनों नियमित रूप से ध्यान कर सकें, तो वर्षों तक मिलन न कर सकेंगे। इसके दोहरे परिणाम होंगे। एक तो ऊर्जा बहुत सक्रिय और सघन हो जाएगी। पवित्र आत्माओं को जन्म देने के लिए अत्यंत शक्तिशाली बिंदु चाहिए। निर्बल बिंदु काम नहीं कर सकते। तो जिस मिलन के पहले वर्षों का ब्रह्मचर्य है, वही मिलन शक्तिशाली आत्मा के लिए प्रवेश देने में समर्थ हो सकता है।फिर जब वर्षों के ध्यान के बाद किसी दिन कोई मिलन में जा सकेगा, यानी ध्यान आज्ञा देगा कि जा सको, तब स्वभावत: वह क्षण पवित्रता का क्षण होगा। क्योंकि अगर वह अपवित्रता का थोड़ा भी रह गया होता, तो अभी ध्यान ने आशा न दी होती। ध्यान जब आशा देता है , तब उसका अर्थ ही यही है कि अब मिलन ने भी एक पवित्रता ले ली है। उसकी अपनी एक डिवाइननेस हो गई। अब इस डिवाइननेस के क्षण में वे दो व्यक्ति जब जाते हैं तो अब वे शारीरिक तल पर नहीं मिल रहे हैं, अब यह मिलन बहुत आत्मिक है। शरीर भी बीच में है, लेकिन मिलन शारीरिक नहीं गहरा है और आत्मिक है।

3-तो पवित्र आत्मा को अगर जन्म देना हो, तो वह सिर्फ बायोलाजिकल घटना नहीं है। दो शरीर के मिलने से तो सिर्फ हम एक शरीर को जन्मने की सुविधा देते हैं। लेकिन जब दो आत्माएं भी मिलती हैं, तब हम एक विराट आत्मा को उतरने की सुविधा देते हैं।महावीर या गौतम बुद्ध के जन्म इसी तरह के जन्म हैं। जीसस का जन्म तो और भी अदभुत है। इनके संबंध में थोड़ी बात समझनी उचित है। महावीर या बुद्ध के जन्म पूर्व घोषित जन्म हैं, जिनकी प्रतीक्षा वर्षों से की जा रही थी। और पूर्व घोषणाओं ने सब सूचनाएं दी हैं। यहां तक सूचना है कि महावीर के जन्म के पहले उनकी मां को कितने स्वप्न आएंगे। पहला स्वप्न क्या होगा, दूसरा क्या होगा, तीसरा क्या होगा, चौथा क्या होगा। यह महावीर का पिछला जन्म घोषित करके गया है। महावीर अपने पिछले जन्म में यह घोषणा करके गए हैं कि मेरा अगला जन्म इतने स्वप्नों के साथ होगा। जहां इतने स्वप्न घटित हों, समझना कि मैं प्रविष्ट हुआ हूं। तो पूरे प्रतीक दे गए हैं। सफेद हाथी दिखाई पड़ेगा या कमल दिखाई पड़ेगा या और कुछ, ये सारे प्रतीक हैं। वे सारे प्रतीक दे दिए गए हैं। उनकी प्रतीक्षा की जा रही थी कि कौन स्त्री कब घोषणा करे कि उसके ये स्वप्न पूरे हो गए।

4-गौतम बुद्ध के लिए भी प्रतीक दिए गए हैं। और जब गौतम बुद्ध का जन्म हुआ, तो दूर हिमालय से एक संन्यासी आया। जो कि प्रतीक्षा कर रहा है और बड़ा चिंतित है कि मैं मर न जाऊं।कहीं ऐसा न हो कि बुद्ध पैदा न हो पाएं और मैं मर जाऊं। और जब वह भिक्षा मांगने आया, तो उसने गौतम बुद्ध के पिता को कहा कि घर में नया बच्चा आया है, मैं उसके दर्शन करना चाहता हूं। तो पिता तो बहुत हैरान हुए, क्योंकि वह संन्यासी बहुत ख्यातिनाम था , उसके हजारों भक्त थे।लेकिन फिर पिता खुश भी हुए। क्योंकि पत्नी ने भी स्वप्न कहे थे कि ये स्वप्न आए हैं और फिर दूसरे दिन यह संन्यासी उपस्थिति हुआ... पहले दिन के बच्चे को देखने के लिए।और पहले दिन का बच्चा संन्यासी के सामने लाया गया, तो संन्यासी छाती पीटकर रोने लगा। तो बुद्ध के पिता तो बहुत घबड़ा गए। उन्होंने कहा कि क्या कोई अपशकुन है? आप रोते हैं? संन्यासी ने कहा, तुम्हारे बेटे के लिए कोई अपशकुन नहीँ है। रोता हूं अपने लिए कि वह व्यक्ति पैदा हो गया जिसके चरणों में बैठने से कल्पों -कल्पों का आनंद मिल सकता था। लेकिन मेरे तो मरने का वक्त आ गया है और अभी तो इसे देर है कि यह बड़ा हो, प्रकट हो। इतनी देर मैं न रुक सकूंगा। मेरे जाने का क्षण आ गया।

5-जब जीसस का जन्म हुआ, तो सारी दुनिया में प्रतीक्षा की जा रही थी .. विशेषकर सारे मध्य एशिया में।जिन लोगों को भी उस सीक्रेट का पता था और सूचना थी कि विशेष रूप से चार तारे प्रकट होंगे जब जीसस का जन्म होगा।हिंदुस्तान से भी एक व्यक्ति जीसस के जन्म पर बधाई देने गया था। एक व्यक्ति इजिप्ट से गया था। दो व्यक्ति और दूसरे देशों से गए थे। ये चारों व्यक्ति जब इनको आकाश में,चार तारे दिखाई पड़े जिनको इसकी सूचना थी कि इन चार तारों के साथ जीसस का जन्म होने वाला है, तो ये उस बच्चे की तलाश में भागे कि वह बच्चा कहां है। और पहले से यह प्रतीक निश्चित किया गया था कि जो इन तारों को पहचान लेंगे, तारे मार्ग दिखाएंगे। तारे आगे भागते गए और यात्री पीछे गए।हेरोथ को, जो सम्राट था जीसस के वक्त में,,. इजिप्ट से जो ज्ञानी उन तारों की खोज में गया था, वह पहले हेरोथ के पास गया और उसने जाकर सम्राट हेरोथ को कहा कि तुम्हें पता नहीं, सम्राट पैदा हो गया! पर हेरोथ तो समझ ही नहीं सकता था कि यह सम्राट का क्या मतलब है। उसने तो समझा कि उसका कोई दुश्मन पैदा हो गया, उसे कोई समाप्त कर देगा। इसलिए उसने जेरूशलम में जितने बच्चे पैदा हुए थे सब कटवा दिए।

6-लेकिन यह खबर मरियम तक पहुंच गई और वह बच्चे को लेकर छिप गई । जीसस का जन्म एक अस्तबल में हुआ, जहां घोड़े बंधे थे और गंदगी पड़ी थी और जहां कोई रोशनी नहीं थी। वहां छिपकर एक अस्तबल में जीसस का जन्म हुआ।

जीसस के जन्म की कथा गौतम बुद्ध और महावीर के जन्म की कथा से भी एक अर्थ में विशेष है। और वह विशेषता यह है, जैसे जीसस की आत्मा को जन्म लेना था। मां तो उपलब्ध थी, लेकिन पिता उपलब्ध नहीं था।अथार्त मरियम तो इस योग्य थी कि जीसस को जन्म दे सके, लेकिन मरियम का पति इस योग्य नहीं था कि जीसस को जन्म दे सके। इसलिए आज तक कहा जाता है कि जीसस कुंवारी मरियम से पैदा हुए। उसे कहने का कारण है कि एक अशरीरी आत्मा को जीसस के पिता में प्रवेश करना पड़ा, जिसको वे होली घोस्ट कहते हैं। और जीसस के पिता के माध्यम से एक दूसरी आत्मा जीसस के पिता की जगह मौजूद रही। जीसस के पिता मौजूद नहीं थे, शरीर मौजूद था। जैसा आदि शंकराचार्य ने किसी शरीर में प्रवेश किया, ऐसे ही एक आत्मा ने जीसस के पिता में प्रवेश किया और जीसस का जन्म हुआ। इसलिए जीसस के पिता को तो कोई पता भी नहीं है। उसकी दृष्टि में कुंवारी को बेटा हुआ है।उसके शरीर का सिर्फ एक माध्यम की तरह उपयोग किया गया है।

7-लेकिन क्रिश्चियनिटी को यह सूत्र साफ नहीं है कि वर्जिन से पैदा होने का मतलब क्या है। वह सिद्ध कर भी नहीं पाता क्योकि अवैज्ञानिक है।बहुत बार ऐसा हुआ है कि बहुत सी श्रेष्ठ आत्माएं पैदा होना चाहती हैं, लेकिन श्रेष्ठ गर्भ हम नहीं जुटा पाते। और आज तो श्रेष्ठ गर्भ जुटाना बहुत मुश्किल हो गया है,करीब -करीब असंभव हो गया है। क्योंकि गर्भ का विज्ञान ही खो गया है। आज जिसको हम गर्भाधान कह रहे हैं, वह बिलकुल ही पशुओं जैसा है। उस गर्भाधान में कोई विज्ञान नहीं है। अब जिन्होंने इसका सारा खयाल किया था, उन्होंने सारी बात तय की थी। जैसे, घड़ी और पल -पल का हिसाब रखा था।अगर उन विशेष घड़ियों में गर्भाधान नहीं होगा, तो परिणाम बहुत विपरीत हो सकते हैं। विशेष घड़ियों में, विशेष क्षणों में... साधारणत: जैसा हमको अंदाज नहीं होता ।सारा ज्योतिष इसी खयाल से निकला कि कब गर्भाधान हुआ है! वह ठीक घड़ी -पल क्या है! क्योंकि उस घड़ी पल के प्रभाव कुछ समय का बोध.. खबर दे सकेंगे।उदाहरण के लिए पूर्णिमा के दिन अधिकतम लोग पागल होते हैं। अमावस के दिन सबसे' कम लोग पागल होते हैं। अभी तक विज्ञान साफ नहीं कर पाता कि बात क्या है।बहुत आत्माएं उपलब्ध हैं और आत्माओं के बीच भी निरंतर गर्भ में प्रवेश के लिए पूरी होड़ है। उसमें आप अगर विशेष आत्माओं को निमंत्रण दे सकते हैं, तो परिणाम ज्यादा सुस्पष्ट हो जाएंगे।

8-मिलन के पहले ध्यान की सामर्थ्य ,पूर्व वर्षों का ब्रह्मचर्य , दबाया हुआ या रोका हुआ नहीं; आया हुआ, घटा हुआ—फिर प्रार्थनापूर्ण हृदय से मिलन में गति और पवित्र आत्माओं के लिए आमंत्रण। फिर नौ महीने तक उस बच्चे को पेट में एक विशेष मानसिक और आध्यात्मिक वातावरण चाहिए।जैसे महावीर स्वामी की मां बहुत विशेष हालतों में रखी गयीं।गौतम बुद्ध की मां बहुत विशेष हालतों में रखी गयीं।गौतम बुद्ध के जन्म के पहले तो यह भी सूचना थी कि वह खड़ी हुई स्त्री से ही पैदा होंगे। घर के भीतर पैदा नहीं होंगे, घर के बाहर पैदा होंगे। यह अजीब सी बात थी। तो एक शाल वृक्ष के नीचे मायके जाती हुई गौतम बुद्ध की मां वृक्ष के नीचे खड़ी हैं और बुद्ध का जन्म खुले आकाश के नीचे हुआ।आमतौर से बच्चे अंधेरे में पैदा हो रहे हैं। और आमतौर से जो मिलन है वह अंधेरे कक्षों में चोरी से, घबडाए हुए, अपराधपूर्ण भाव से घटित हो रहा है..जिसका किसी को पता न चले।। उसके परिणाम दुखद होने वाले हैं। यानी वह कुछ पाप है, कोई अपराध है, जो चोरी—छिपे कहीं घटित हो रहा है, उसके लिए मुक्ति, सरलता, पवित्रता अनिवार्य है।छोटी -छोटी चीजें परिणाम लाएंगी। कमरे के रंग , कमरे की आभा ,कमरे की गंध परिणाम लाएगी। उस सबके लिए पूरा का पूरा विज्ञान है। और गर्भाधान के पूरे विज्ञान का प्रयोग किया जाए, तो मनुष्य की संतति को आमूल रूप से रूपांतरित किया जा सकता है। छोटी -छोटी बातें फर्क लाएंगी।

9-एक वैज्ञानिक ने छोटा सा प्रयोग किया है। उसने एक छोटा सा बेल्ट बनाया है जो कि गर्भवती स्त्री के पेट पर बांध दिया जाएगा। आकस्मिक,किसी कारण से कोई बीमार स्त्री के लिए बेल्ट बांधा गया था लेकिन बच्चे पर अभूतपूर्व परिणाम हुआ। उस बेल्ट की वजह से बच्चे का जहां सिर था, उस पर दबाव पड़ा और बच्चे का जो बुद्धि अंक /आई. क्यू. है, बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ पैदा हुआ। यह आकस्मिक घटना हो गई थी, मस्तिष्क के किसी खास चक्र पर दबाव पड़ गया। फिर तो अब व्यवस्थित रूप से उसने बहुत से प्रयोग किए हैं। क्योंकि एक तो सहज भी हो सकता है कि वह बच्चा उतनी बुद्धि का पैदा होने वाला था। लेकिन अब उसने सैकड़ों प्रयोग करके सिद्ध किया है कि मां की गर्भ की अवस्था में पेट के विशेष स्थान पर डाले गए दबाव बच्चे की बुद्धि में परिवर्तन ले आते हैं।तो बहुत से आसन हैं जो विशेष दबाव के लिए हैं। बहुत सी श्वास की प्रक्रियाएं हैं जो विशेष दबाव के लिए हैं। बहुत से शब्दों के उच्चारण हैं जो विशेष दबाव के लिए हैं। वे सब बच्चे की प्रतिभा को, स्वास्थ्य को, उसकी सामर्थ्य को, उसकी संभावनाओं को पूरा का पूरा प्रकट होने में सहयोगी बनते हैं।अभी तक मनुष्य न जाने कितने उपद्रव की चीजें खोज रहा है, लेकिन जो बहुत जरूरी है कि मनुष्य अपना भविष्य खोजे, वह बहुत कम खोज रहा है। लेकिन यह सब एकदम संभव है। और जैसे ही एक बच्चा मां के भीतर प्रवेश करता है, तो उस बच्चे की क्या—क्या संभावनाएं हो सकती हैं, उसका परिदर्शन मां में भी होना शुरू हो जाता है। यह दोहरी प्रक्रिया है।

10-अगर मां इन दिनों में क्रोध करती है , तो बच्चा क्रोधी होगा। और अगर एक क्रोधी आत्मा भीतर आई हो, तो मां जो कभी क्रोध नहीं करती थी, क्रोध करती मालूम पड़ने लगेगी। यह भी बहुत सूचक है। और इस सूचना को देखकर भी प्रयोग किए जा सकते हैं कि उस बच्चे के क्रोध को अभी से ..बीज से बदला जाए।आज भी पृथ्वी पर बहुत सी आत्माएं जन्म ले सकती हैं जो अजन्मी हैं। हमारी पृथ्वी एक सीमा तक कुछ लोगों की प्रतिभा और आत्मा को विकसित करके छोड़ देती है और उसके बाद के लिए हमारे पास कोई इंतजाम नहीं है। उसके बाद के लिए इंतजाम सुनियोजित रूप से जुटाया जा सकता है। बिलकुल ऐसी संभावनाएं और स्थितियां पैदा की जा सकती हैं जिनमें श्रेष्ठतम आत्माएं प्रवेश पा सकें।काम के संबंध में हमारा दृष्टिकोण रुग्ण, बीमार और खतरनाक है।जब तक पृथ्वी पर काम की पवित्रता स्वीकृत नहीं होगी , तब तक हम बहुत नुकसान पहुंचाते रहेंगे।काम के पूर्व जब तक ध्यान संयुक्त नहीं होगा, तब तक काम पाशविक रहेगा, मानवीय नहीं बन सकता। और मिलन के पूर्व जब तक लंबा ब्रह्मचर्य न होगा, तब तक शक्तिशाली वीर्याणु निर्मित नहीं होता, इसलिए शक्तिशाली आत्माओं को जन्म नहीं दिया जा सकता।

...SHIVOHAM...


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