top of page

Recent Posts

Archive

Tags

इलेक्ट्रिक वायलेट ऊर्जा से कैसे उपचार करे?PART-02


संजीवनी उपचार द्वारा तनाव से मुक्ति;-

03 FACTS;-

1-नाभि से ऊपर दोनों पसलियों के बीच स्थित मणिपुर चक्र के बिगड़ने से तनाव होता है। दिखने वाले कारणों में कलह, क़र्ज़, नाकामी, बेइज्जती या कुछ और हो सकता है।. मगर सच्चाई यही है कि तनाव सिर्फ मणिपुर चक्र के बिगड़ने से होता है। अक्सर जब मणिपुर चक्र दूषित होकर बड़ा हो जाता है ,तब तनाव पैदा होता है। 2-इस विधि से नेचुरल तरीके से मणिपुर चक्र की सफाई होती है और वह संतुलित हो जाता है। तनाव खत्म होने के लिये इतना ही काफी है। इससे कोई फर्क नही पड़ता की तनाव का क्या कारण है। इस विधि का लाभ वे लोग भी उठा सकते हैं जिन्हें एनर्जी, आभामण्डल और चक्रों की कोई जानकारी नहीं।इसे कभी भी कहीं भी कर सकते हैं।इससे गुस्सा भी कंट्रोल होता है। 3-विधि….

भगवान शिव से सुरक्षा की कामना करते हुए कहें ''हे मृत्युंजय भगवान् हम आपको साक्षी बनाकर संजीवनी उपचार कर रहा हूं इसकी सफलता हेतु दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें, आपका धन्यवाद.''...सोलह बार लम्बी और गहरी साँसे लें। एक पीला फूल लेकर सामने रखें ॐ ह्रौं जूं सः मन्त्र का जप करते हुए फूल को 10 मिनट देखें। और फूल से कामना करते हुए कहें ''आप मेरे मणिपुर चक्र में मौजूद सभी तरह की दूषित ऊर्जाओं को अपने भीतर खीच कर चक्र की सफाई करें''। उसके बाद पीले फूल को हटाकर उसकी जगह एक नीला फूल रख लें। फिर ॐ ह्रौं जूं सः मन्त्र का जप करते हुए फूल को 10 मिनट देखें। और फूल से कामना करते हुए कहें ''आप मेरे मणिपुर चक्र को प्राकृतिक रूप से छोटा करके संतुलित कर दें। '' बाद में दोनों फूलों को धन्यवाद देकर उन्हें कहीं मिटटी में दबा दें। भगवान शिव को धन्यवाद दे ।

;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

घर के औरिक सुरक्षा कवच बनाने की विधि ;-

02 FACTS;-

1-इसके द्वारा अपने घर को हर प्रकार की नकारात्मकता से सुरक्षित करें |

सबसे पहले भगवान शिव से प्रार्थना करें....

हे ! शिव आप मेरे गुरु हैं मैं आपका शिष्य हूं मुझ शिष्य पर दया करें ऐसा तीन बार कहें .... मै आपको साक्षी बनाकर अपने घर केे लिये औरिक सुरक्षा कवच का निर्माण कर रहा हूं। इसकी सफलता के लिये मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें|

2-आंखे बंद करके आराम से बैठ जायें। अपने घर के लिए संजीवनी रुद्राक्ष माला से इलेक्टि्रक वायलेट उर्जा के सुरक्षा कवच की मांग करें।

कहें :- ''हे महासंजीवनी रुद्राक्ष माला मेरे घर को इलेक्टि्रक वायलेट उर्जा का अभेद सुरक्षा कवच प्रदान करें।''(अब इस सुरक्षा कवच को एक और पिरामिड आकार के कवच में सुरक्षित करें- ध्यान में)इस सुरक्षा कवच में मेरे घर के सभी लोगों की खुशियों के लिये प्रेम व प्रकाश के आने जाने की राह दें। इस सुरक्षा कवच को गुस्सा, तनाव, तंत्र, ग्रह, वास्तुदोष प्रेतबाधा सहित किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जाऐं भेद न सकें।मुझ पर, मेरे परिवार पर व मेरे घर पर उनका कोई दुष्प्रभाव न पड़े। मै, मेरा परिवार और मेरा घर इस सुरक्षा कवच में सुखी और सुरक्षित

रहें ।ऐसा ही हो, ऐसा ही हो, ऐसा ही हो , तथास्तु।भगवान शिव का धन्यवाद, ''

;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

सर्दी को दूर भगाने की औरिक विधि ;-

औरिक अलाव से सर्दी दूर भगाने की इसी विधि को अपनाकर तपस्वी लोग बर्फिले पहाडों के बीच भी गर्माहट ले लेते है | यह बहुत ही दिव्य विधि है, आप सभी भी इसे अपना सकते है | संजीवनी उपचार की ये बड़ी ही दिव्य विधा है. इससे न सिर्फ खुद सर्दी से बचा जा सकता है, बल्कि दूसरों को भी गुनगुनाहट दी जा सकती है.इसके साथ ही औरिक अलावआभामंडल और उर्जा चक्रों में व्याप्त नकारात्मकता को भी जलाकर भस्म कर देता है. इस विधि से तपस्वी बर्फ के पहाड़ों पर भी गर्माहट ले लेते हैं. विधि...

07 FACTS;- 1- इसके लिये एक मोमबत्ती या दीपक जलाकर रख लीजिये. ये औरिक अलाव का केंद्र होगा. आप अपनों के साथ इसके चारों तरफ बैठ जाइये, जैसे जल रही आग के चारो तरफ बैठकर तापते हैं. 2- शिव गुरू से प्रार्थना करिये. कहिये ''हे गुरुदेव आपको साक्षी बनाकर मै अपनों के साथ औरिक अलाव की सेक ले रहा हूं. इसकी सफलता हेतु दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. गुरुदक्षिणा के रूप में मै आपको राम नाम सुनाउंगा. आप भी मेरे मन मंदिर में विराजमान होकर औरिक अलाव का आनंद लीजिये. और मुझे रुकावटों से मुक्त करिये.'' 3- ब्रह्मांडीय उर्जा से कहें- मोमबत्ती के चारों तरफ हरी और नारंगी उर्जा का अलाव उत्पन्न करिये. 4. मोमबत्ती के चारो तरफ उत्पन्न हरी उर्जा से कहिये ''मेरे और मेरे साथ औरिक अलाव ताप रहे सभी लोगों की हथेलियों के जरिये आभमंडल व उर्जा चक्रों की समस्त नकारात्मक उर्जाओं को छिन्न-भिन्न कर दीजिये''. 5. फिर नारंगी उर्जा से कहिये- ''मेरे और मेरे साथ अलाव ताप रहे सभी लोगों की हथेलियों के जरिये छिन्न भिन्न हुई नकारात्मक उर्जाओं को खींच लें और जलाकर भस्म कर दें. उन्हें पाताल अग्नि को समर्पित कर दें. साथ ही ठंड से बचाव के लिये हमें 27 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक की गर्माहट प्रदान करिये''. 6. उसके बाद सभी लोग मोमबत्ती की तरफ हथेलियां करके बैठ जाइये. जैसे आग तापते हैं. 7. मन ही मन राम नाम जाप करिये. अंत में औरिक अलाव से कहें कि आपकी आवश्यकता पूरी हुई. अब आप छिन्न भिन्न होकर पाताल अग्नि में चले जाइये. फिर भगवान शिव को, ब्रह्मांडीय उर्जाओं को धन्यवाद दीजिये.

;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

पितरो के मोक्ष के लिए औरिक तर्पण विधि;- 07 FACTS;- 1-पितरो को मोक्ष दिलाना आपका कर्तव्य है. पितरों की पूजा, श्राद्ध, तर्पण आदि घर में बिल्कुल न करें. न ही घर में पितरों के फोटो आदि रखें. इससे पितरो की एनर्जी घर में रिकॉल हो जाती है. जिससे वे मोक्ष तक जाते जाते भी वापस खिंचे चले आते हैं. ऐसे करना पितरों के मोक्ष में रूकावट पैदा करता है. इसी कारण शास्त्रों में कहा गया है कि घर के भीतर काले तिल युक्त तर्पण नही किया जाना चाहिये. ये कलह, आर्थिक संकट और अनचाहे दुखों का कारण बनता है. तर्पण, श्राद्ध आदि श्रद्धा का विषय है न कि सुविधा का. इसलिये इसे सम्पन्न करने में अपनी सुविधा न ढ़ूंढें. उन कर्मकांडियों से बचें जो अपनी या आपकी सुविधा के मद्देनजर घर में पितृ पूजा की सलाह देते हैं. श्राद्ध, तर्पण सहित सभी तरह की पितृ पूजा तीर्थों या जलासयों या पुराने पेड़ों या एकांत स्थानों पर ही किया जाना चाहिये. 2-एनर्जी के संदर्भ में पितृ का अर्थ है डी.एन.ए. की भटकी उर्जा. पितृ एक भटका हुआ आभामंडल होता है. अगर इसे उपयुक्त मात्रा में ऊर्जा ही प्राप्त हो जाए तो वह अपने गंतव्य तक पहुंच सकता है. ऊर्जा विज्ञान के अंदर पितरों को मोक्ष देने के लिए बहुत ही सरल विधान है. औरिक तर्पण के जरिए पितरों को सीधे-सीधे बिना किसी मिलावट के अतरिक्त उर्जाये प्रदान कर दी जाती है जिससे वह मोक्ष को प्राप्त होते हैं. पितरों के मोक्ष के लिए औरिक तर्पण की विधि यहां दी जा रही है इसे अपना कर अपने पितरों को संतुष्ट करें.

ओरिक तर्पण विधि(पितरों के मोक्ष निमित्त पितृपक्ष में इसे रोज करें)

1.आसन लेकर आराम से बैठ जाये और अपने हाथो को 21 बार रगडे.

2.दोनो हाथो को सामने ले आये और भगवान शिव से प्रार्थना करे कहै “ हे शिव आप मेरे गुरू है मै आपका शिष्य हूं. मुझ शिष्य पर दया करे मै आपको साक्षी बनाकर अपने पितरों को मोक्ष प्रदान के लिए औरिक अनुष्ठान करने जा रहा हूं. आप इसे स्वीकार करे और साकार करे. मेरे द्वारा किया जा रहा यह अनुष्ठान सुफल हो सफल हो इस हेतु आप मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. आपका धन्यवाद है.”

3.फिर ब्रह्मांडीय ऊर्जाओ से कहै “ हे दिव्य ब्रह्मांडीय ऊर्जा आप मेरे हाथो मे पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाली दिव्य मोक्षकारी ऊर्जाए प्रदान करे, आपका धन्यवाद है”

4.फिर अपने पितरों से आग्रह करे कहै ”हे मेरे समस्त ज्ञात अज्ञात पितृ आप जहाँ कही भी है वही से मेरे द्वारा प्रक्षेपित की जा रही ऊर्जाओ को अक्षय रूप में ग्रहण करे संतुष्ठ हो जाये और परम मोक्ष को प्राप्त करे. मुझे और मेरे कुल के सभी लोगो को दिव्य आशिर्वाद प्रदान करे.” ध्यान रखे यहाँ पितरो को अपने पास आमंत्रित नहीं करना है. पितरो से प्रार्थना करनी है की वे जहाँ कही भी है वही से आपके द्वारा भेजी जा रही उर्जाओ को अक्षय रूप में ग्रहण करे और संतुष्ट हो जाये।

5.फिर 5 मिनट ” ऊं नम: शिवाय: “ मंत्र का जाप करे.

6.आपको हाथो मे भारी पन महसूस होने लगेगा. आप इन मोक्षकरी ऊर्जाओ को ब्रह्मांड में प्रक्षेपित कर दे. कहे “ हे दिव्य मोक्षकारी उर्जायें मैं आपको ब्रह्मांड में प्रक्षेपित कर रहा हूं आप वहाँ जाकर अनंत गुना विस्तारित हो जाये और मेरे सभी ज्ञात अज्ञात पितरो के पास जाये और उन्हें संतुष्ट करें. और उन्हें मोक्ष प्रदान करें. आपका धन्यवाद है.” 7.उर्जाओं को ब्रह्मांड में प्रक्षेपित करने के लिए झटके के साथ दोनो हाथो को सिर के ऊपर से पीछे की तरफ उछाल दे.

औरिक तर्पण कोई भी (महिलाये भी) और कहीं पर भी कर सकता है. आप अपने घर में बैठ कर भी औरिक तर्पण कर सकते है. औरिक तर्पण पितरों को अतिरिक्त उर्जा देने का सटीक तरीका है. उसमें प्रेक्षेपित उर्जायें सीधे ब्रह्मांड में जाकर पूर्वजों को प्राप्त होती हैं. वे संतुष्ट होकर मोक्ष को प्राप्त करते हैं. पितृ संतुष्ट हों तो आने वाली पीढ़ियों तक का सुख स्थापित हो जाता है. पितृ असंतुष्ट हो तो जन्मों जन्मों की पीड़ा उत्पन्न होती है. पूर्वजों के मोक्ष और वंशजों की समृद्धि के लिये सभी औरिक पितृ तर्पण जरूर करें।

;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

ग्रहों से करें उर्जा चक्रों का संजीवनी उपचार;-

03 FACTS;-

1-ब्रह्मांड में बदलती ग्रहों की चाल पंच तत्वों पर सीधा प्रभाव डालती है. पंच तत्व हर क्षण हमारे स्थुल और सूक्ष्म शरीर को प्रभावित करते हैं. इस तरह ग्रहों की उर्जा लोगों के आभामंडल व एनर्जी चक्रों को हर क्षण प्रभावित करती है. इस उर्जा को संजीवनी उपचार में यूज करने से बड़े ही असरदार नतीजे मिलते हैं. इसकी तकनीक और संकल्प अपनाकर तत्काल जीवन की धारा बदली जा सकती है. मन से समझें और ध्यान से अपनायें. इससे न सिर्फ अपने उर्जा चक्रों को जाग्रत कर लेंगे बल्कि ग्रहों के हर तरह के दुष्प्रभाव बिना किसी उपाय के खत्म कर लेंगे.

2-ग्रहों से संजीवनी उपचार के संकल्प.....

आराम से बैठ जायें. अपनी दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ रखें. आसन आराम दायक हो. मेडिकल कारणों से जमीन पर न बैठ सकें तो कुर्सी पर बैठें. आस पास मोबाइल न रखें.उसके बाद निम्न वाक्यों से संकल्प व आवाह्न करें.

2-1- भगवान शिव से कहें हे देवों के देव आपको मेरा प्रणाम है. आप ब्रह्मांड स्वरूप में मेरे मन मंदिर में विराजमान हों. आपको साक्षी बनाकर मै ग्रह संजीवनी तकनीक से अपना संजीवनी उपचार कर रहा हूं. इसकी सफलता हेतु मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें. आपका धन्यवाद.

2-2- संजीवनी रुद्राक्ष माला या जो भी रुद्राक्ष माला आपके पास है उसे गले में धारण लें या हाथ में पकड़ लें. उससे कहें हे दिव्य रुद्राक्षमाला आप मेरी भावनाओं से जुड़कर ग्रहों से संजीवनी उपचार में मेरी सहायता करें. सभी ग्रहों की ऊपरी सतह की एनर्जी के साथ जुड़ जायें. वहां से रंगीन उर्जाओं को ग्रहण करके उनके सकारात्मक भाग को मेरे द्वारा इच्छित उर्जा चक्रों में स्थापित करें. आपका धन्यवाद.

2-3-सूर्य, चंद्र,मंगल,बुध,बृहस्पति,शुक्र,शनि,राहु,केतु सहित समस्त ग्रह-नक्षत्रों आप सबको मेरा प्रणाम है. आप मेरे मन मंदिर में विराजमान हों. ग्रह संजीवनी के तहत आप मेरे आग्रह को स्वीकार करकें, साकार करें.'' संजीवनी का मूल मंत्र है.. ''ऊं. ह्रौं जूं सः मम पालय पालय सः जूं ह्रौं ऊं.''

3-उपचार;-

07 STEPS;-

आभामंडल और उर्जा चक्रों की सफाई...इसके लिये राहु-केतु से आग्रह करें. कहें- हे स्वच्छता के अधिकारी राहू-केतु आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरे तन-मन-मस्तिष्क,आभामंडल,उर्जा चक्रों और रोम रोम की सफाई करें. वहां मौजूद सभी नकारात्मक उर्जाओं को विखंडित करके ब्रह्मांड अग्नि में जलाकर भस्म कर दें. मेरे जीवन से सभी तरह की नकारात्मकता समाप्त करें.इसके बाद ''ऊं. ह्रौं जूं सः मम् पालय पालय सः जूं ह्रौं ऊं''मंत्र का 5 मिनट जप करें. उसके बाद चक्रों का उपचार शुरू करें....

1. सूर्य ग्रह से कहें- हे ग्रहाधि पति सूर्य देव आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरे मणिपुर चक्र को पीली उर्जा से उपचारित करके शक्तिशाली बनायें. मुझे सफल और तेजस्वी बनायें. आपका धन्यवाद है.इसके बाद ''ऊं. ह्रौं जूं सः मणिपुर जागय जागय सः जूं ह्रौं ऊं'' मंत्र का 5 मिनट जप करें.

2. चंद्र ग्रह से कहें- हे आनंद के स्रोत चंद्र देव आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरे अनाहत चक्र को सफेद उर्जा से उपचारित करके शक्तिशाली बनायें. मुझे तन से मन से सुखी और प्रसन्न बनायें. आपका धन्यवाद है.इसके बाद ''ऊं. ह्रौं जूं सः अनाहत जागय जागय सः जूं ह्रौं ऊं'' मंत्र का 5 मिनट जप करें.

3. मंगल ग्रह से कहें- हे कर्म के स्रोत मंगल देव आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरे मूलाधार चक्र को लाल उर्जा से उपचारित करके शक्तिशाली बनायें. मेरे आत्मबल को स्थिर करें. जीवन में समृद्धि सुख स्थापित करें. आपका धन्यवाद है.इसके बाद ''ऊं. ह्रौं जूं सः मूलाधार जागय जागय सः जूं ह्रौं ऊं''मंत्र का 5 मिनट जप करें.

4. बुध ग्रह से कहें- हे बुद्धि के स्रोत बुध देव आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरे विशुद्धि चक्र को हरी उर्जा से उपचारित करके शक्तिशाली बनायें. मेरे बुद्बि बल को स्थिर करें. मेरी वाणी और व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनायें. आपका धन्यवाद है.इसके बाद ''ऊं. ह्रौं जूं सः विशुद्धि जागय जागय सः जूं ह्रौं ऊं'' मंत्र का 5 मिनट जप करें.

5. बृहस्पति ग्रह से कहें- हे सौभाग्य के स्रोत बृहस्पति देव आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरे सौभाग्य चक्र को सुनहरी उर्जा से उपचारित करके शक्तिशाली बनायें. मेरे सौभाग्य का जागरण करें. साथ मुझे मेरे इष्ट की शक्तियों से सदैव जोड़े रखें. आपका धन्यवाद है.इसके बाद ''ऊं. ह्रौं जूं सः सहस्रार जागय जागय सः जूं ह्रौं ऊं'' मंत्र का 5 मिनट जप करें.

6. शुक्र ग्रह से कहें- हे सुखों के स्रोत शुक्र देव आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरे स्वाधिष्ठान चक्र को सफेद उर्जा से उपचारित करके शक्तिशाली बनायें. मेरे भीतर कला और क्रिएशन की क्षमता का जागरण करें. जीवन में वैभव सुख स्थापित करें. आपका धन्यवाद है.इसके बाद ''ऊं. ह्रौं जूं सः स्वाधिष्ठान जागय जागय सः जूं ह्रौं ऊं''मंत्र का 5 मिनट जप करें.

7. शनि ग्रह से कहें- हे स्वाभिमान के स्रोत शनि देव आपको मेरा प्रणाम है. आप मेरे आज्ञा चक्र को आसमानी उर्जा से उपचारित करके शक्तिशाली बनायें. मुझमें उचित निर्णय लेने की क्षमता स्थापित करें. मुझे मान-सम्मान-प्रतिष्ठा प्रदान करें. आपका धन्यवाद है.इसके बाद ''ऊं. ह्रौं जूं सः आज्ञाये जागय जागय सः जूं ह्रौं ऊं'' मंत्र का 5 मिनट जप करें.

....SHIVOHAM...

Single post: Blog_Single_Post_Widget
bottom of page