नागपंचमी
पांच तत्वों के शिव के नाम ;- 04 FACTS;- 1-भगवान शिव पंचभूतों का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।पंचभूत अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। 1.पृथ्वी तत्व लिंग–ॐ सद्योजात नमः 2.जलतत्व लिंग–ॐ वामदेव नमः 3.अग्नि/तेजोतत्व लिंग– ॐ अघोर नमः 4.वायुतत्व लिंग–ॐ तत्पुरुष नमः 5.आकाशतत्व लिंग–ॐ ईशान नमः 2-इसके अलावा भगवान शिव की अष्टमूर्तियां पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, जीवात्मा, सूर्य और चंद्रमा की प्रतीक हैं।इन अष्टमूर्तियों के नाम हैं:- शर्व, भव, रूद्र, उग्र, भीम, पशुपति, महादेव और ईशान। 3-नागों को पाताल लोक का स्वामी माना जाता है।ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को ही नाग-सर्पों को वर दिया था कि जन्मेजय के सर्प यज्ञ के दौरान ऋषि आस्तिक आपकी रक्षा करेंगे। पंचमी के दिन ही आस्तिक मुनि ने नागों की रक्षा की थी इसलिए पंचमी तिथि नागों को विशेष प्रिय है।नागपंचमी पर 12 नागों की क्रमश: ध्यान पूजन करें। ये क्रम इस प्रकार हैं- 1-ॐ अनंत नमः 2-ॐ वासुकि नमः 3-ॐ शेषनाग नमः 4-ॐ कंबल नमः 5-ॐ पद्म नमः 6-ॐ शंखपाल नमः 7-ॐ धृतराष्ट्र नमः 8-ॐ तक्षक नमः 9-ॐ कर्कोटक नमः 10-ॐ कालिय नमः 11-ॐअष्ववर नमः 12-ॐ पिंगल नमः 4-ध्यान पूजन के बाद सर्प देवता से प्रार्थना करें... जो सर्प पृथ्वी के अंदर व अंतरिक्ष में हैं और स्वर्ग में हैं, उन सर्पों को नमस्कार है। राक्षसों के लिए बाण के समान तीक्ष्ण और वनस्पति के अनुकूल तथा जंगलों में रहने वाले सर्पों को नमस्कार है।जो सूर्य की किरणों में सूर्य की ओर मुख किए हुए चला करते हैं तथा जो सागरों में समूह रूप से रहते हैं, उन सर्पों को नमस्कार है। तीनों लोकों में जो सर्प हैं, उन्हें भी हम नमस्कार करते हैं। ...SHIVOHAM...