भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयाँ...
हमारे यहां चार रात्रियों का विशेष महात्म्य बताया गया है:-
1) दीपावली जिसे कालरात्रि कहते है...
2) शिवरात्रि महारात्रि है...
3) श्री कृष्ण जन्माष्टमी मोहरात्रि और
4) होली दारुण रात्रि है...
.................................................................
श्री कृष्ण पूर्णावतार है ;-
▪श्रीकृष्ण के जीवन में वह सबकुछ है जिसकी मानव को आवश्यकता होती है।
▪श्रीकृष्ण गुरु हैं, तो शिष्य भी।
▪आदर्श पति हैं तो प्रेमी भी।
▪आदर्श मित्र हैं, तो शत्रु भी।
▪वे आदर्श पुत्र हैं, तो पिता भी।
▪युद्ध में कुशल हैं तो बुद्ध भी।
▪श्रीकृष्ण के जीवन में हर वह रंग है, जो धरती पर पाए जाते हैं इसीलिए तो उन्हें पूर्णावतार कहा गया है।
.........................................
🚩आठ का अंक;-
▪श्रीकृष्ण के जीवन में आठ अंक का अजब संयोग है।
▪उनका जन्म आठवें मनु के काल में अष्टमी के दिन वसुदेव के आठवें पुत्र के रूप में जन्म हुआ था।
▪उनकी आठ सखियां, आठ पत्नियां, आठमित्र और आठ शत्रु थे।
▪इस तरह उनके जीवन में आठ अंक का बहुत संयोग है।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण के नाम;-
▪नंदलाल, गोपाल, बांके बिहारी, कन्हैया, केशव, श्याम, रणछोड़दास, द्वारिकाधीश और वासुदेव।
▪बाकी बाद में भक्तों ने रखे जैसे मुरलीधर, माधव, गिरधारी, घनश्याम, माखनचोर, मुरारी, मनोहर, हरि, रासबिहारी आदि।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण के माता-पिता;-
कृष्ण की माता का नाम देवकी और पिता का नाम वसुदेव था।
उनको जिन्होंने पाला था उनका नाम यशोदा और धर्मपिता का नाम नंद था।
बलराम की माता रोहिणी ने भी उन्हें माता के समान दुलार दिया। रोहिणी वसुदेव की पत्नी थीं।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण के गुरु;-
▪गुरु संदीपनि ने कृष्ण को वेद शास्त्रों सहित 14 विद्या और 64 कलाओं का ज्ञान दिया था।
▪गुरु घोरंगिरस ने सांगोपांग ब्रह्म ज्ञान की शिक्षा दी थी।
▪माना यह भी जाता है कि श्रीकृष्ण अपने चचेरे भाई और जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ के प्रवचन सुना करते थे।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण के भाई;-
▪श्रीकृष्ण के भाइयों में नेमिनाथ, बलराम और गद थे।
▪शौरपुरी (मथुरा) के यादववंशी राजा अंधकवृष्णी के ज्येष्ठ पुत्र समुद्रविजय के पुत्र थे नेमिनाथ। अंधकवृष्णी के सबसे छोटे पुत्र वसुदेव से उत्पन्न हुए भगवान श्रीकृष्ण।
▪इस प्रकार नेमिनाथ और श्रीकृष्ण दोनों चचेरे भाई थे। इसके बाद बलराम और गद भी श्रीकृष्ण के भाई थे।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण की बहनें;-
▪श्रीकृष्ण की 3 बहनें थी :
📌एकानंगा (यह यशोदा की पुत्री थीं)।
📌सुभद्रा : वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी से बलराम और सुभद्रा का जन्म हुआ। वसुदेव देवकी के साथ जिस समय कारागृह में बंदी थे, उस समय ये नंद के यहां रहती थीं। सुभद्रा का विवाह कृष्ण ने अपनी बुआ कुंती के पुत्र अर्जुन से किया था। जबकि बलराम दुर्योधन से करना चाहते थे।
📌द्रौपदी : पांडवों की पत्नी द्रौपदी हालांकि श्रीकृष्ण की बहन नहीं थी, लेकिन श्रीकृष्ण इसे अपनी मानस भगिनी मानते थे।
📌देवकी के गर्भ से सती ने महामाया के रूप में इनके घर जन्म लिया, जो कंस के पटकने पर हाथ से छूट गई थी। कहते हैं, विन्ध्याचल में इसी देवी का निवास है। यह भी श्रीकृष्ण की बहन थीं। ...........................................
🚩श्रीकृष्ण की पत्नियां;-
▪रुक्मिणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, मित्रवंदा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण के पुत्र;-
▪रुक्मणी से प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, जम्बवंती से साम्ब, मित्रवंदा से वृक, सत्या से वीर, सत्यभामा से भानु, लक्ष्मणा से…, भद्रा से… और कालिंदी से…।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण की पुत्रियां;-
▪रुक्मणी से श्रीकृष्ण की एक पुत्री थीं जिसका नाम चारू था।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण के पौत्र;-
▪प्रद्युम्न से अनिरुद्ध। अनिरुद्ध का विवाह वाणासुर की पुत्री उषा के साथ हुआ था।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण की 8 सखियां;-
▪राधा, ललिता आदि सहित कृष्ण की 8 सखियां थीं। सखियों के नाम निम्न हैं-
▪ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार इनके नाम इस तरह हैं- चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा।
▪कुछ जगह ये नाम इस प्रकार हैं- चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चम्पकलता, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रग्डदेवी और सुदेवी। इसके अलावा भौमासुर से मुक्त कराई गई सभी महिलाएं कृष्ण की सखियां थीं। कुछ जगह पर- ललिता, विशाखा, चम्पकलता, चित्रादेवी, तुङ्गविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और कृत्रिमा (मनेली)। इनमें से कुछ नामों में अंतर है।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण के 8 मित्र;-
▪श्रीदामा, सुदामा, सुबल, स्तोक कृष्ण, अर्जुन, वृषबन्धु, मन:सौख्य, सुभग, बली और प्राणभानु। इनमें से आठ उनके साथ मित्र थे। ये नाम आदिपुराण में मिलते हैं। हालांकि इसके अलावा भी कृष्ण के हजारों मित्र थे जिसनें दुर्योधन का नाम भी लिया जाता है।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण के शत्रु;-
▪कंस, जरासंध, शिशुपाल, कालयवन, पौंड्रक। कंस तो मामा था।
▪कंस का श्वसुर जरासंध था। शिशुपाल श्रीकृष्ण की बुआ का लड़का था।
▪कालयवन यवन जाति का मलेच्छ जा था जो जरासंध का मित्र था।
▪पौंड्रक काशी नरेश था जो खुद को विष्णु का अवतार मानता था।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण ने किया जिनका वध :-
▪ ताड़का, पूतना, चाणूड़, शकटासुर, कालिया, धेनुक, प्रलंब, अरिष्टासुर, बकासुर, तृणावर्त अघासुर, मुष्टिक, यमलार्जुन, द्विविद, केशी, व्योमासुर, कंस, प्रौंड्रक और नरकासुर आदि।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण चिन्ह;-
▪सुदर्शन चक्र, मोर मुकुट, बंसी, पितांभर वस्त्र, पांचजन्य शंख, गाय, कमल का फूल और माखन मिश्री।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण लोक;-
▪वैकुंठ, गोलोक, विष्णु लोक।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण ग्रंथ :- महाभारत और गीता
...........................................
🚩श्रीकृष्ण का कुल
▪यदुकुल। कृष्ण के समय उनके कुल के कुल 18 कुल थे। अर्थात उनके कुल की कुल 18 शाखाएं थीं। यह अंधक-वृष्णियों का कुल था। वृष्णि होने के कारण ये वैष्णव कहलाए। अन्धक, वृष्णि, कुकर, दाशार्ह भोजक आदि यादवों की समस्त शाखाएं मथुरा में कुकरपुरी (घाटी ककोरन) नामक स्थान में यमुना के तट पर मथुरा के उग्रसेन महाराज के संरक्षण में निवास करती थीं।
▪शाप के चलते सिर्फ यदुओं का नाश होने के बाद अर्जुन द्वारा श्रीकृष्ण के पौत्र वज्रनाभ को द्वारिका से मथुरा लाकर उन्हें मथुरा जनपद का शासक बनाया गया। इसी समय परीक्षित भी हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठाए गए। वज्र के नाम पर बाद में यह संपूर्ण क्षेत्र ब्रज कहलाने लगा। जरासंध के वंशज सृतजय ने वज्रनाभ वंशज शतसेन से 2781 वि.पू. में मथुरा का राज्य छीन लिया था। बाद में मागधों के राजाओं की गद्दी प्रद्योत, शिशुनाग वंशधरों पर होती हुई नंद ओर मौर्यवंश पर आई। मथुराकेमथुर नंदगाव, वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना, मधुवन और द्वारिका।
...........................................
🚩श्रीकृष्ण पर्व
▪श्री कृष्ण ने ही होली और अन्नकूट महोत्सव की शुरुआत की थी। जन्माष्टमी के दिन उनका जन्मदिन मनाया जाता है।
...........................................
🚩मथुरा मंडल के ये 41 स्थान श्रीकृष्ण से जुड़े हैं
▪मधुवन, तालवन, कुमुदवन, शांतनु कुण्ड, सतोहा, बहुलावन, राधा-कृष्ण कुण्ड, गोवर्धन, काम्यक वन, संच्दर सरोवर, जतीपुरा, डीग का लक्ष्मण मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर, जल महल, कमोद वन, चरन पहाड़ी कुण्ड, काम्यवन, बरसाना, नंदगांव, जावट, कोकिलावन, कोसी, शेरगढ, चीर घाट, नौहझील, श्री भद्रवन, भांडीरवन, बेलवन, राया वन, गोपाल कुण्ड, कबीर कुण्ड, भोयी कुण्ड, ग्राम पडरारी के वनखंडी में शिव मंदिर, दाऊजी, महावन, ब्रह्मांड घाट, चिंताहरण महादेव, गोकुल, संकेत तीर्थ, लोहवन और वृन्दावन। इसके बाद द्वारिका, तिरुपति बालाजी, श्रीनाथद्वारा और खाटू श्याम प्रमुख कृष्ण स्थान है।
...........................................
🚩भक्तिकाल के श्रीकृष्ण भक्त:
▪सूरदास, ध्रुवदास, रसखान, व्यासजी, स्वामी हरिदास, मीराबाई, गदाधर भट्ट, हितहरिवंश, गोविन्दस्वामी, छीतस्वामी, चतुर्भुजदास, कुंभनदास, परमानंद, कृष्णदास, श्रीभट्ट, सूरदास मदनमोहन, नंददास, चैतन्य महाप्रभु आदि।
;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
श्रीकृष्ण के 108 नाम और उनके अर्थ 1. अचला : भगवान। 2. अच्युत : अचूक प्रभु या जिसने कभी भूल न की हो। 3. अद्भुतह : अद्भुत प्रभु। 4. आदिदेव : देवताओं के स्वामी। 5. अदित्या : देवी अदिति के पुत्र। 6. अजन्मा : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो। 7. अजया : जीवन और मृत्यु के विजेता। 8. अक्षरा : अविनाशी प्रभु। 9. अमृत : अमृत जैसा स्वरूप वाले। 10. अनादिह : सर्वप्रथम हैं जो। 11. आनंद सागर : कृपा करने वाले। 12. अनंता : अंतहीन देव। 13. अनंतजीत : हमेशा विजयी होने वाले। 14. अनया : जिनका कोई स्वामी न हो। 15. अनिरुद्धा : जिनका अवरोध न किया जा सके। 16. अपराजित : जिन्हें हराया न जा सके। 17. अव्युक्ता : माणभ की तरह स्पष्ट। 18. बाल गोपाल : भगवान कृष्ण का बाल रूप। 19. बलि : सर्वशक्तिमान। 20. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले प्रभु। 21. दानवेंद्रो : वरदान देने वाले। 22. दयालु : करुणा के भंडार। 23. दयानिधि : सब पर दया करने वाले। 24. देवाधिदेव : देवों के देव। 25. देवकीनंदन : देवकी के लाल (पुत्र)। 26. देवेश : ईश्वरों के भी ईश्वर। 27. धर्माध्यक्ष : धर्म के स्वामी। 28. द्वारकाधीश : द्वारका के अधिपति। 29. गोपाल : ग्वालों के साथ खेलने वाले। 30. गोपालप्रिया : ग्वालों के प्रिय। 31. गोविंदा : गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले। 32. ज्ञानेश्वर : ज्ञान के भगवान। 33. हरि : प्रकृति के देवता। 34. हिरण्यगर्भा : सबसे शक्तिशाली प्रजापति। 35. ऋषिकेश : सभी इन्द्रियों के दाता। 36. जगद्गुरु : ब्रह्मांड के गुरु।
37. जगदीशा : सभी के रक्षक।
38. जगन्नाथ : ब्रह्मांड के ईश्वर।
39. जनार्धना : सभी को वरदान देने वाले।
40. जयंतह : सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले।
41. ज्योतिरादित्या : जिनमें सूर्य की चमक है।
42. कमलनाथ : देवी लक्ष्मी के प्रभु।
43. कमलनयन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
44. कामसांतक : कंस का वध करने वाले।
45. कंजलोचन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
46. केशव : लंबे, काले उलझा ताले जिसने।
47. कृष्ण : सांवले रंग वाले।
48. लक्ष्मीकांत : देवी लक्ष्मी के देवता।
49. लोकाध्यक्ष : तीनों लोक के स्वामी।
50. मदन : प्रेम के प्रतीक।
51. माधव : ज्ञान के भंडार।
52. मधुसूदन : मधु-दानवों का वध करने वाले।
53. महेन्द्र : इन्द्र के स्वामी।
54. मनमोहन : सबका मन मोह लेने वाले।
55. मनोहर : बहुत ही सुंदर रूप-रंग वाले प्रभु।
56. मयूर : मुकुट पर मोरपंख धारण करने वाले भगवान।
57. मोहन : सभी को आकर्षित करने वाले।
58. मुरली : बांसुरी बजाने वाले प्रभु।
59. मुरलीधर : मुरली धारण करने वाले।
60. मुरली मनोहर : मुरली बजाकर मोहने वाले।
61. नंदगोपाल : नंद बाबा के पुत्र।
62. नारायन : सबको शरण में लेने वाले।
63. निरंजन : सर्वोत्तम।
64. निर्गुण : जिनमें कोई अवगुण नहीं।
65. पद्महस्ता : जिनके कमल की तरह हाथ हैं।
66. पद्मनाभ : जिनकी कमल के आकार की नाभि हो।
67. परब्रह्मन : परम सत्य।
68. परमात्मा : सभी प्राणियों के प्रभु।
69. परम पुरुष : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले।
70. पार्थसारथी : अर्जुन के सारथी।
71. प्रजापति : सभी प्राणियों के नाथ।
72. पुण्य : निर्मल व्यक्तित्व।
73. पुरुषोत्तम : उत्तम पुरुष।
74. रविलोचन : सूर्य जिनका नेत्र है।
75. सहस्राकाश : हजार आंख वाले प्रभु।
76. सहस्रजीत : हजारों को जीतने वाले।
77. सहस्रपात : जिनके हजारों पैर हों।
78. साक्षी : समस्त देवों के गवाह।
79. सनातन : जिनका कभी अंत न हो।
80. सर्वजन : सब कुछ जानने वाले।
81. सर्वपालक : सभी का पालन करने वाले।
82. सर्वेश्वर : समस्त देवों से ऊंचे।
83. सत्य वचन : सत्य कहने वाले।
84. सत्यव्त : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव।
85. शंतह : शांत भाव वाले।
86. श्रेष्ठ : महान।
87. श्रीकांत : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
88. श्याम : जिनका रंग सांवला हो।
89. श्यामसुंदर : सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले।
90. सुदर्शन : रूपवान।
91. सुमेध : सर्वज्ञानी।
92. सुरेशम : सभी जीव-जंतुओं के देव।
93. स्वर्गपति : स्वर्ग के राजा।
94. त्रिविक्रमा : तीनों लोकों के विजेता।
95. उपेन्द्र : इन्द्र के भाई।
96. वैकुंठनाथ : स्वर्ग के रहने वाले।
97. वर्धमानह : जिनका कोई आकार न हो।
98. वासुदेव : सभी जगह विद्यमान रहने वाले।
99. विष्णु : भगवान विष्णु के स्वरूप।
100. विश्वदक्शिनह : निपुण और कुशल।
101. विश्वकर्मा : ब्रह्मांड के निर्माता।
102. विश्वमूर्ति : पूरे ब्रह्मांड का रूप।
103. विश्वरूपा : ब्रह्मांड हित के लिए रूप धारण करने वाले।
104. विश्वात्मा : ब्रह्मांड की आत्मा।
105. वृषपर्व : धर्म के भगवान।
106. यदवेंद्रा : यादव वंश के मुखिया।
107. योगि : प्रमुख गुरु। 108. योगिनाम्पति : योगियों के स्वामी।
... SHIVOHAM....