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रुद्राक्ष के मुखी का क्या महत्व हैं?क्या एक व चौदह मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ हैं?PART-01


क्या है एक मुखी से इक्कीस मुखी रुद्राक्ष का महत्व?-

एक मुखी रुद्राक्ष (One Faced Rudraksha);-

02 FACTS;-

1-यह रुद्राक्ष शक्ति, सत्ता, आत्म विश्वास, ऐश्वर्य प्राप्ति, प्रशासकों, राजाओं के लिए उत्तम है।

भगवान शिव का रुद्राक्ष हमारी हर तरह की समस्या को हरने की क्षमता रखता है।यह रुद्राक्ष सफलता, धन-संपत्ति, मान-सम्मान दिलाता है। भगवान शिव की आंख से गिरे पहले आंसू को एक मुखी रुद्राक्ष कहा जाता है।एक मुखी रुद्राक्ष सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी रुद्राक्ष माना जाता है। एक मुखी को साक्षात भगवान शिव का स्वरुप मानते हैं। एक मुखी दो प्रकार के दाने पर इस धरती पर पाए गए हैं। एक गोल आकार में है और दूसरा काजू के आकार में।2-एक मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में अंधकार को दूर कर उसमें प्रकाश पुंज भरता है।इस रुद्राक्ष को पहनने से व्यक्ति मोह माया के जाल से ऊपर उठ जाता है।पद्म पुराण के अनुसार “एक मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का स्वरूप है जो समस्त पापों का नाश करता है।अतः इसके धारण करने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक और मोक्ष की प्राप्ति होती है।एक मुखी रुद्राक्ष को वही व्यक्ति धारण करने के योग्य होगा जो धार्मिक रूप से विश्वसनीय,और शिव की कृपा को प्राप्त कर सके”।

एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लाभ ;-

03 FACTS;-

1-एक मुखी रुद्राक्ष को बेहद पवित्र माना जाता है। यह गोलाकार और अर्ध चंद्र जैसा होता है। गोलाकार एक मुखी रुद्राक्ष में उभरी हुई एक धार होती है। लेकिन इसकी उपलब्धता और दृश्यता दुर्लभ होती है। ऐसा माना जाता है कि एक मुखी रुद्राक्ष शक्ति, ऊर्जा, सत्य और मोक्ष का प्रबल स्रोत होता है।इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति स्वयं को भगवान शिव और पारलौकिक जीवन से जुड़ा हुआ पाता है।

2-शास्त्रों के अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है और मन शांत हो जाता है। घर में धन का आगमन भी होने लगता है। शरीर में हाई 'बीपी' इसके धारण करने से धीरे-धीरे नियंत्रित होने लगता है। वहीं शत्रु अपनी शत्रुता छोड़ देता है।रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति उष्मा महसूस कर सकता है क्योंकि उष्मा एक मुखी रुद्राक्ष की विशेषता होती है।

3-यह रुद्राक्ष बुरी आदतों (नशीले पदार्थ का सेवन आदि) को छुड़वाने में सहायक है।एक मुखी रुद्राक्ष की माला को धारण करने वाले व्यक्ति की आध्यात्मिक इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और मन को शांति मिलती है।इस रुद्राक्ष के प्रभाव से जीवन में समृद्धि आती है।जो व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करता है उसके आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि तथा व्यक्तित्व का विकास होता है।एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को आर्थिक लाभ और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।यदि कोई व्यक्ति यह रुद्राक्ष धारण करता है तो वह अपने क्रोध पर नियंत्रण पा सकता है।यदि कोई व्यक्ति रक्त, हृदय, आँख और सिर आदि से संबंधित विकार से पीड़ित है तो उसके लिए यह रुद्राक्ष चमत्कारिक उपाय है

एक मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष;-

02 FACTS;-

1-रत्न की तरह, रुद्राक्ष भी ग्रहों द्वारा शासित होते है, जो उन्हें ग्रहों के दुष्प्रभाव का इलाज करने के लिए रत्न के समान भूमिका निभाते हैं।ज्योतिष के अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष का स्वामी सूर्य है। इस कारण 1 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले जातक के अंदर ऊर्जा शक्ति और नेतृत्व क्षमता का निर्माण होता है। इसके अलावा इसे पहनने से व्यक्ति के भाग्य के द्वार खुलते हैं और उसे समाज में प्रसिद्धि मिलती है।

2-यदि कुंडली में सूर्य कमज़ोर हो अथवा अस्त तो एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त यदि किसी क्रूर ग्रह की दशा या अंतर्दशा चल रही है तो भी 1 मुखी रुद्राक्ष को पहना जा सकता है। इसको धारण करने से सूर्य के नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं।

एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-

02 FACTS;-

1-रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति की भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था होनी चाहिए, सदाचारी होना चाहिए| रुद्राक्ष को सोने एवं चाँदी की माला के साथ पहनें अथवा इसे काले/लाल धागे के साथ पहनें| रविवार, सोमवार अथवा शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष को धारण करें| धारण करने से पूर्व रुद्राक्ष को गंगा जल या दूध से शुद्ध करें।

2-प्रात: काल में सूर्य को तांबें के पात्र से जल और लाल पुप्ष चढ़ाएँ।रुद्राक्ष को जागृत करने के लिए “ॐ ह्रीं नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।उपरोक्त विधि को संपन्न करने के बाद उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शिव का स्मरण करें और रुद्राक्ष को धारण करें।

NOTE;-

किसी भी सिद्ध रुद्राक्ष को गले में धारण करने से इसका प्रभाव 100 गुना अधिक बढ़ जाता है | इसलिए आप कोई भी रुद्राक्ष धारण करने का मन बनाये तो पहले इसे सिद्ध अवश्य करें | रुद्राक्ष को सिद्ध करने के लिए रुद्राक्ष की विधिवत पूजा के साथ-साथ ॐ नमः शिवाय मंत्र के 5000 संख्या में जप करें और अंत में हवन करें | हवन में अधिक अधिक से आहुतियाँ ॐ नमः शिवाय मंत्र की दे | हवन के अंत में रुद्राक्ष को 21 बार हवन के ऊपर से घुमाये व हवन की विभूति से तिलक करें |

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2-दो मुखी रुद्राक्ष (Two Faced Rudraksha);-

1-यह रुद्राक्ष वैवाहिक सुख, मानसिक शांति व संतोष के लिए है।यह बहुत ही दुर्लभ और कल्याणकारी माना गया है|इस रुद्राक्ष को देवेश्वर और साक्षात् भगवान शिव और पार्वती का स्वरुप भी कहा गया है | शिवमहापुराण के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने से ब्रह्म हत्या और गाय हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है|यह ऐसा रुद्राक्ष है जिसे धारण करने से शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है |

दो मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष;-

02 FACTS;-

1-वैदिक ज्योतिष के अनुसार दो मुखी रुद्राक्ष का स्वामी चंद्रमा है।दो मुखी रुद्राक्ष पर भगवान चन्द्र देव का आशीर्वाद भी निहित होता है ;इसलिए इसे धारण करने वाले जातक के मन को चंद्रमा जैसी शीतलता मिलती है | मन सदैव शांत रहता है |

2-ज्योतिष के अनुसार कर्क राशी के जातकों के लिए दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करना शुभ माना गया है |दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से दाम्पत्य जीवन में खुशियाँ मिलती है |पति-पत्नी में आपसी कलह को दूर करने में भी दो मुखी रुद्राक्ष लाभकारी माना गया है |

दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लाभ : –

02 FACTS;-

1-शारीरिक बिमारियों में यह मोटापे और ह्रदय रोग को दूर करने में लाभकारी है |

अपने कार्य क्षेत्र में सम्मान प्राप्ति हेतु दो मुखी रुद्राक्ष को धारण किया जाना चाहिए |

दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से क़र्ज़ से मुक्ति पाने के द्वार खुलने लगते है |

2-यह ऊपरी बाधाओं को भी दूर करने में सक्षम माना गया है |भूत-प्रेत जैसी नकारात्मक शक्तियाँ दो मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से दूर होती है |

दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-

02 FACTS;-

1-सबसे पहले रुद्राक्ष को पंचामृत( दूध-दही-घी-शहद-गंगाजल के मिश्रण) से स्नान कराये | इसके पश्चात् शुद्ध जल से स्नान कराये | अब रुद्राक्ष को गंगाजल से स्नान कराये | इतना करने के उपरांत रुद्राक्ष को पूजास्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर रख दे | अब दीपक प्रज्वल्लित करें व रुद्राक्ष की विधिवत पूजा करें( रुद्राक्ष को कुमकुम से तिलक करें, पुष्प अर्पित करें, अक्षत(चावल) अर्पित करें, मीठे का भोग लगाये) |

2-रुद्राक्ष पूजन के पश्चात् हाथ में जल लेकर परमपिता परमेश्वर से इस प्रकार आग्रह करें : – हे परमपिता परमेश्वर मैं( अपना नाम बोले) गोत्र(अपना गोत्र बोले) दो मुखी को अभिमंत्रित करने हेतु ''ॐ नमः शिवाय ''मंत्र के जप कर रहा हूं मुझे इस कार्य में सफलता प्रदान करें, मेरे कार्य में किसी प्रकार की कोई गलती हो गयी हो तो मुझे क्षमा करें | ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दे | अब भगवान शिव का ध्यान करते हुए अधिक से अधिक संख्या में ॐ नमः शिवाय मन्त्र के जप करें| दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ नमः ”, “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ अर्ध्नारिश्वराए नमः” है |इस सर्वश्रेष्ठ मंत्र को अगर 5 माला रोज़ कर लिया जाए तो माँ पारवती और शिव की विशेष कृपा होने लगती है |

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3-तीन मुखी रुद्राक्ष (Three Faced Rudraksha);-

02 FACTS;-

1-प्रत्येक रुद्राक्ष में जीवन के किसी न किसी पहलू को लाभान्वति करने का विशिष्ट गुण होता है।यह रुद्राक्ष शत्रु विजय, कैरियर, परिवार, प्रेम या स्वास्थ्य के लिए है।इस रुद्राक्ष की सतह

पर 3 प्राकृतिक रेखाएं होती हैं, जो उसके असली होने की पहचान को दर्शाता है। यह रुद्राक्ष नेपाल और इंडोनेशियां में पाया जाता है।यह अग्निदेव/ कठोर वैदिक देवता का स्वरूप माना गया है, जो उग्र और शक्तिशाली हैं।

2-तीन मुखी रुद्राक्ष का संबंध ब्रह्मा विष्णु और महेश से है इसके अलावा इसे धरती, आकाश और पाताल से भी जोड़ा जाता है। इसको पहनने वाले के स्वास्थ्य, धन और ज्ञान में बढ़ोत्तरी होती है। धारक को किसी भी प्रकार की बिमारी नहीं होती है और शत्रुओं का नाश होता है। यह उन लोगों में आत्म प्रेम को बढ़ावा देने में मदद करता है जिनके पास आत्मघृणा और

मानसिक तनाव है।तीन मुखी रुद्राक्ष की खासियत यह है कि इसे धारण करने के कुछ समय बाद ही इसका सकारात्मक प्रभाव दिखाई देने लगता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष;-

इस रुद्राक्ष के अधिपति ग्रह मंगल है। यह मंगल और सूर्य से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए धारण किया जाना चाहिए। 3 मुखी रुद्राक्ष पहनने वाले के आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा को जला देता है और व्यक्ति के बुरे कर्म को नष्ट कर देता है, जिससे व्यक्ति तनाव मुक्त हो जाता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लाभ ;-

02 FACTS;- 1-तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने से मानसिक और शारीरिक शांति और तनाव से मुक्ति मिलती है। यह उन सभी नकारात्मक यादों को मिटाने में मदद करता है जो आपको शर्म और गुस्से से भर देती हैं।यह पेट की सभी प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है; प्लेग, चेचक पीलिया जैसी बीमारियों का इलाज करने में मदद करता है।यह रक्तचाप, मधुमेह और रक्त संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह महिलाओं के मासिक धर्म की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। 2-यह अतीत और वर्तमान जीवन में सभी प्रकार के पापों को दूर करता है,सफलता पाने में मदद करता है।यह आलस त्यागने और अधिक सक्रिय और सतर्क बनने में मदद करता है। यह जीवन पर मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव का इलाज करता है।यह भूमि विवाद, दुर्घटना और भय जैसी समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद करता है और पहनने वाले को सफलता प्राप्त करने के लिए ऊर्जा और उत्साह से भरपूर करता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि;-

02 FACTS;-

3 मुखी रुद्राक्ष को पहनने का दिन सोमवार या गुरुवार हो सकता है। रुद्राक्ष को धारण करने से पहले मंत्रो के साथ इसको अभिमंत्रित कर लेना चाहिए। सबसे पहले प्रातकाल स्नानादि के बाद रुद्राक्ष को गंगाजल औऱ कच्चे दूध में रखें। इसके बाद हनुमान जी की प्रतिमा पर लाल पुष्प अर्पित करें और उनकी पूजा-अर्चना करें।

2-आप रुद्राक्ष मंत्र ‘ॐ क्लीं नमः’का 108 बार जाप करें। वहीं इस रुद्राक्ष को मेष, वृश्चिक और धनु लग्न और राशि के जातकों को धारण करना शुभ माना जाता है।

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4-चार मुखी रुद्राक्ष(Four Faced Rudraksha);-

02 FACTS;-

1-यह रुद्राक्ष शिक्षा, एकाग्रता के लिए है।चार मुखी रुद्राक्ष में चार धारियां होती हैं। चार मुखी रुद्राक्ष को चतुर्मुख ब्रह्रा का स्वरूप माना गया है। इस रुद्राक्ष को ह्रदय प्रदेश से स्पर्श होते ही मनुष्य का मन धार्मिक हो जाता है और कई प्रकार के आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकता है |यह चार वेदों का रूप माना गया है। यह मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चतुर्वर्ग देने वाला है।यह चारों वर्ण ब्राह्राण, क्षत्रिय, आदि तथा चारों आश्रम ब्रह्राचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा सन्यास के द्वारा पूजित और परम वंदनीय हैं। इसको धारण करने वाला धनाड्य, आरोग्यवान, ज्ञानवान बन जाता है। 2-चार मुखी रुद्राक्ष बुद्धिदाता है।जिस बालक की बुद्धि पढ़ने में कमजोर हो या बोलने में अटकता हो उसके लिए भी यह उत्तम है।चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक रोग में शान्ति मिलती है।तथा धारण करने वाले का स्वास्थ्य ठीक रहता है।अग्नि पुराण के अनुसार इसको धारण करने से व्याभिचारी भी ब्रह्राचारी तथा नास्तिक भी आस्तिक हो जाता है।

रुद्राक्षों में चार मुखी रुद्राक्ष सबसे महत्वपूर्ण रुद्राक्ष है, जो वर्तमान जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है और समृद्धि-विकास का वादा करता है। इस रुद्राक्ष में 4 धारियां होती हैं इसे चतुर्मुख ब्रह्मा का स्वरूप माना गया है।

चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लाभ;-

03 FACTS;-

1-इस रुद्राक्ष का एक मुख्य लाभ यह है कि यह संचार को बढ़ाता है ; लोगों को शर्मीले और कमजोर स्वभाव से उबरने में मदद करता है ;बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता हैं। यह बुद्धि के साथ-साथ आत्मविश्वास औऱ रचनात्मकता प्राप्त करने में मदद करता है। 2-यह पहनने वाले को आध्यात्मिक विश्वास और अंतर्दृष्टि विकसित करने में मदद करता है यह रुद्राक्ष उन लोगों केजो बौद्धिक रूप से सुस्त हैं ।लेखकों, छात्रों, विद्वानों, शोधकर्ताओं और पत्रकारों को इसे धारण करने की सलाह दी जाती है 3-यह पहनने वाले को मनोरोग, मस्तिष्क विकार, लकवा, त्वचा रोग, नासिका रोग और दमारोगों से बचाता है; गले और सांस से संबंधित बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है।

चार मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष;-

02 FACTS;-

1-इस रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह बुध है, जिस कारण यह आपको शिक्षा के क्षेत्र में सफलता दिलाने में, बुध के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और विद्या की देवी मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए उत्तम है। जिन बच्चों का मन पढ़ने में नहीं लगता है या फिर बोलने में अटकता है उसे यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

2-इसको धारण करने से व्यभिचारी भी ब्रह्मचारी और नास्तिक भी आस्तिक हो जाता है।यह इंद्रियों को जगाने और जीवन के उद्देश्य के बारे में अधिक जागरूक बनने में मदद करता है।राशिऩुसार इसे मिथुन राशि के जातकों के लिए शुभ माना गया है।

चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि;-

02 FACTS;-

1-चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” लिखा गया है लेकिन “ॐ नमः शिवाय” के जाप से भी इसे धारण करके सम्बंधित लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं |रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकं मंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए। 2-चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का शुभ दिन बुधवार है। प्रातकाल स्नानादि और स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैंठे और 'ओम ह्रीं नमः ' का 108 बार जाप करें।आमतौर पर प्रत्येक रुद्राक्ष को सोने या चांदी में गड़कर रेशम या ऊनी धागे में धारण करने की सलाह दी जाती है।चार मुखी रुद्राक्ष को "ॐ ब्रह्म देवाय नम:" मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करना अति आवश्यक है।

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5-पांच मुखी रुद्राक्ष (Five Faced Rudraksha)'-

03 FACTS;-

1-यह रुद्राक्ष ज्ञान, अध्यात्मिक उन्नति व स्वास्थ्य के लिए है।पांच मुखी रुद्राक्ष को कालाग्नि् के

रूप में देखा और समझा जाता है। यह रुद्राक्ष धारण करने से पंच देवों की कृपाा बरसती है। मानव को 5 तत्वों से बना मानते हैं-अग्नि, जल, वायु, आकाश और पृथ्वी जिसके साथ ब्रह्मांड बना है। 5 मुखी रुद्राक्ष पहनने से इस सभी तत्वों का शरीर में नियंत्रण रहता है।इस कारण यह पंच तत्वो से निर्मित सभी दोषों का नाश करने की शक्ति रखता है। इस एक रुद्राक्ष को पहनने से भगवान शिव, विष्णुं, गणेश, सूर्य और मां भगवती की कृपा प्राप्त होती है। इस रुद्राक्ष का बृहस्पति की कृपा के लिए भी धारण किया जाता है। 2-पांच मुखी रुद्राक्ष पर पांच धारियां होती हैं। पंचमुखी रुद्राक्ष रूद्र का प्रतीक माना जाता है। सद्योजात ईशान, तत्पुरुष, अघोर, तथा वामदेव ... शिव के ये पांचों रूप पंच मुखी रुद्राक्ष में निवास करते हैं। पंचमुखी रुद्राक्ष को पंचमुख ब्रह्रा स्वरूप माना जाता है, इसके पांच मुखों को भगवान शिव को पंचानन स्वरूप माना गया है। मानव इस संसार में जो भी ज्ञान रूपी सम्पत्ति उपार्जित करता है वह सुस्पष्ट और स्थायी हो तभी उसकी सार्थकता है। इस प्रकार के ज्ञान की रक्षा के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष विशेष उपयोगी होता है। 3-यह रुद्राक्ष ह्रदय को स्वच्छ, मन को शान्त तथा दिमाग को शीतल रखता है ।पंचमुखी रुद्राक्ष दीर्घायु और अपूर्व स्वास्थ्य प्रदान करता है। यह मनुष्य को उन्नति पथ पर चलने की ताकत देता है तथा उन्हें आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति कराता है। इसे धारण करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके धारक को किसी प्रकार का दुःख नहीं सताता है इसके गुण अनंत होते हैं। इसलिये इसे अत्यन्त प्रभावशाली तथा महिमामय माना जाता है।

पांच मुखी रुद्राक्ष के लाभ :-

04 FACTS;-

1-जिस व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त करनी हो उसे पांच मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।यह कई मानसिक रोगों से निदान भी देता है।अगर समय के साथ आपकी सुख-समृद्धि में भी कमी आ रही है तो पांच मुखी रुद्राक्ष की माला धारण करें।यह आपकी सुख समृद्धि को बढ़ाता है साथ ही आपके द्वारा अर्जित ज्ञान को भी आपके काम में आने के रास्ते बनाता है।अकाल मृत्यु से बचने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष माला से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए;यह व्यक्ति को असमय मृत्यु से बचाता है। 2-यह ऊर्जा के निर्बाध प्रवाह के लिए शरीर पर सभी चक्रों को सक्रिय करने में मदद करता है।बृहस्पति के क्रूर प्रभाव को कम करने में मदद करता है।यह पहनने वाले की आत्मा को जागृत करता है और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है। 3-यह धारक को तनावमुक्त बनाता है,निडर बनाता है और मन को शांत रखता है।इसको धारण करने से एकाग्रता और याददाश्त बढ़ती है;व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है और व्यक्तित्व से नीरसता को दूर करता है।यह विद्वानों, लेखकों, पत्रकारों और ऐसे व्यवसायों से संबंधित लोगों को लाभान्वित करता है और विद्यार्थियों के लिए भी लाभदायक है क्योंकि यह पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। 4-यह अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है; श्वसन विकारों को ठीक करने में मदद करता है, शरीर में रक्त के परिसंचरण में सुधार करता है, अनिद्रा को दूर करने में मदद करता है।

पांच मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष;-

03 FACTS;-

1-ज्योतिष के अनुसार, इस रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह बृहस्पति है, जो जीवन के सभी क्षेत्रों में अनगिनत लाभ देने के लिए जाना जाता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में बृहस्पति लाभकारी स्थिति में है तो यह आपके जीवन में खुशी और सफलता की नई ऊंचाइयां लाता है। लेकिन यह कमजोर स्थिति में हैं तो यह व्यक्ति के जीवन को प्रभावित भी करता है। 5 मुखी रुद्राक्ष को बृहस्पति के क्रूर प्रभाव के इलाज के लिए एक प्रभावी उपाय के रूप में गिना जाता है। यह सभी प्रकार के पापों को शुद्ध करने के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि अधिकांश ऋषि और विद्वान इसे धारण करके रखते हैं। यह पहनने वाले को जीवन के उद्देश्य के साथ संरेखित करने में मदद करता है। इस रुद्राक्ष को कोई भी पहन सकता है।

2-इस रुद्राक्ष को पहनने के लिए गुरुवार का दिन शुभ माना जाता है। बृहस्पति देव से संबधित होने के कारण पांच मुखी रुद्राक्ष माला धारण करने से आपको बृहस्पति की कृपा तो मिलती ही है साथ ही उनसे संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं।मान-सम्मान की प्राप्ति और शीघ्र विवाह के लिए इसे धारण किया जाता है; साथ में गुरूवार को व्रत रखना भी लाभप्रद होता है।इसमें अन्य देवताओं के साथ शिव और मां भगवती का स्वरूप भी है इसलिए यह गृहस्थ जीवन में सुख-शांति बनाए रखता है।

3-राशिनुसार मेष, धनु और मीन राशि को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।आप रुद्राक्ष को ब्रेसलेट या पेंडेंट के रूप में धारण कर सकते हैं ; सोने या चांदी की माला के साथ पहन सकते हैं या इसे काले या लाल धागे के साथ पहन सकते हैं।

पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि;-

पंचमुखी रुद्राक्ष को प्रातकाल स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके उत्तर दिशा में बैठकर 108 बार ‘ॐ ह्रीम नमः’ का जाप करें।पांच मुखी रुद्राक्ष के कम से कम तीन दाने या पांच दाने

या 108 दाने की माला अवश्य धारण करनी चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बक मंत्र या शिव पंचाक्षर मंत्र 'ओम नमः शिवाय' से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए।

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छह मुखी रुद्राक्ष (Six Faced Rudraksha);-

यह रुद्राक्ष प्रेम, कामशक्ति, व आकर्षण के लिए है।6 मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय का स्वरुप माना गया है |6 मुखी रुद्राक्ष को विधिवत धारण करने से भगवान शिव ,भगवान कार्तिकेय और शुक्र गुरु से आशीर्वाद प्राप्त होने के साथ-साथ और भी बहुत से लाभ प्राप्त होते है जैसे;-तीव्र बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति ,स्वयं में नेतृत्व क्षमता का विकास|6 मुखी रुद्राक्ष शुक्र ग्रह से सम्बंधित होने कारण इसे धारण करने से धन-लक्ष्मी और वैवाहिक सुख की अनुभूति होती है

6-छहःमुखी रुद्राक्ष के लाभ;-

02 FACTS;-

1-छहः मुखी रुद्राक्ष पहनने से जीवन से हर प्रकार की दरिद्रता दूर होती है |विद्यार्थी के लिए छहः मुखी रुद्राक्ष को धारण करना श्रेष्ठ माना गया है | इससे उनकी बुद्धि का विकास होता है व हर परीक्षा में सफलता प्राप्त होती है |छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तीव्र होती है, शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है और धन प्राप्ति भी करवाता है |यह रुद्राक्ष विशेष कर पढने वाले बालकों को दाई भुजा में धारण करना चाहिए | छह मुखी रुद्राक्ष के साथ यदि दाई और बाई ओर एक एक पांच मुखी का रुद्राक्ष भी धारण किया जाए तो अति उत्तम होता है |

2-भगवान कार्तिके की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सांसारिक दुखों से लड़ने की क्षमता प्रदान करके जीवन के स्तर को अति उत्तम बनाता है | बचपन में जिन बालकों की बुद्धि अधिक तीव्र नहीं होती या परीक्षा के समय में बालक को चिंता होती है, ऐसे बालकों को दो पांच मुखी के बीच में एक छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से परीक्षा में सफलता मिलती है इसलिए विशेष कर सभी बालकों को जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने चाहिए |इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में नेतृत्व करने का गुण आ जाता है |भाषण आदि कला में भी वाक शक्ति प्रबल होती है |

छह मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष;-

ज्योतिष के प्रभाव अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने से शुक्र मजबूत बनता है | शुक्र जनित दोषों को दूर करने में यह रुद्राक्ष बहुत प्रभावी सिद्ध होता है |तुला और वृषभ राशी के लिए छहः मुखी रुदाक्ष पहनना शुभ होता है |शरीर से रोगों को दूर करने में भी छहः मुखी रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है |कुंडली में शुक्र गृह कमजोर होने पर छहः मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाना चाहिए |

छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि;-

छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है | इस मंत्र से धारण करने के पश्चात् प्रतिदिन यदि पांच माला “ॐ नमः शिवाय” का जाप किया जाए तो अति उत्तम फल देखने को मिलता है |

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7-सात मुखी रुद्राक्ष (Seven Faced Rudraksha);-

02 FACTS;-

1-यह रुद्राक्ष शनि शमनके लिए है।सात मुखी रुद्राक्ष को कामदेव का रूप माना गया है। सात मुखी रुद्राक्ष पर मां लक्ष्‍मी की भी भरपूर कृपा बरसती है।सात मुखी रुद्राक्ष की सतह पर 7 प्राकृतिक धारियां होती हैं। इसमें अन्य रूपों के विपरीत भगवान शिव के अनंग रूप को दर्शाया गया है। यह मनका सप्तमातृकाओं द्वारा और धन की देवी मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से युक्त होता है, जो इसे और भी अधिक शक्तिशाली और लाभों से युक्त बनाता है।यह पहनने वाले को वित्तीय सुरक्षा प्राप्त करने में मदद करता है

2-नेपाल में 7 मुखी रुद्राक्ष उच्च गुणवत्ता का पाया जाता है। यह पहनने वाले को अनुदान देने, अपने भीतर शक्तियों का एहसास करने और सर्वोत्तम तरीके से उनका उपयोग करने के लिए जाना जाता है।यह रुद्राक्षधारी के जीवन में आशा और सकारात्मक महसूस करने में मदद करता है; जीवन में नए अवसरों के द्वार को खोलने में मदद करता है।

सात मुखी रुद्राक्ष के लाभ;-

04 FACTS;-

1-सातमुखी रुद्राक्ष में 7 दिव्य सर्प निवास करते हैं ;जो इसे धारण करने वाले को अपार शक्ति से जोड़ता है।सात मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव में धन का आगमन होता है और दरिद्रता दूर होती है। इसके साथ ही धन, संपदा और मान-सम्‍मान में बढ़ोत्‍तरी होती है।

2-जोड़ों के दर्द, मानसिक परेशानी दूर करने में भी सात मुखी रुद्राक्ष फायदेमंद होता है।

सात मुखी रुद्राक्ष होने के कारण यह शरीर की सप्‍त धातुओं की रक्षा करता है और

मेटाबॉलिज्‍म को दुरुस्‍त करता है।यह आपको अतीत की बुरी यादों को दूर करने में मदद करता है और आपको वर्तमान में जीने के लिए प्रोत्साहित करता है। 3-यह शनि के क्रूर प्रभाव को कम करता है जो खुशी और विकास को प्रतिबंधित करता है। यह पहनने वाले को जहर के प्रभाव से दूर रखता है;मांसपेशियों के दर्द औऱ गठिया जैसी समस्याओं को ठीक करता है;पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। 4-यह शरीर में मणिपुर चक्र से जुड़ता है, जो साहस और आत्म-सम्मान को प्रज्जवलित करता है।यह रचनात्मक और अंतर्ज्ञान को बढ़ाने में मदद करता है।यह मधुमेह जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है; दिल की समस्याओं का इलाज करने मदद करता है।

सात मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष;-

02 FACTS;-

1-सात मुखी रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह शनि है, जो अनुशासन और कर्मों पर गहरी नजर रखता है।शनि से संबंधित होने के कारण सात मुखी रुद्राक्ष शनि के प्रकोप से रक्षा करता है। यदि आपकी जन्मकुंडली में शनि कमजोर स्थिति में है तो आप इसे धाऱण करके नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं।7 मुखी रुद्राक्ष किसी के जीवन से दुर्भाग्य को दूर करने के लिए जाना जाता है।शनि की साढ़े साती या ढैय्या के समय सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने पर शनिदेव खुश रहते हैं।

2-ज्योतिष के अनुसार, मारक ग्रह की दशा होने पर इस रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है यह रक्षा कवच की तरह कार्य करता है और अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्त करता है। यह रुद्राक्ष शरीर की सप्त धातुओं की रक्षा करता है और मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त करता है। यह रुद्राक्ष पुनर्जन्म के पापों को दूर करने में मदद करता है।

सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि;-

सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ हूँ नमः” है।सात मुखी रुद्राक्ष को धारण के पश्चात् इसी मंत्र की तीन या पांच माला रोज़ जाप करने से इस सात मुखी रुद्राक्ष की क्षमता कई सौ गुना बढ़ जाती है और धारक को धन एवं यश की प्राप्ति होती है।

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8-आठ मुखी रुद्राक्ष( Eight Faced Rudraksha);-

02 FACTS;-

1-यह रुद्राक्ष रोग, बाधा शांति के लिए है और आठ दिशाओं और आठ सिद्धियों का नेतृत्‍व

करता है। इस रुद्राक्ष को पहनना गंगा में स्‍नान करने जितना महत्‍व रखता है।आठ मुखी

रुद्राक्ष राहु ग्रह से संबंधित है।इसे धारण करने से भैरव बाबा भी प्रसन्‍न्‍न होते हैं। इसे भैरव देव का स्‍वरूप भी माना गया है।इस रुद्राक्ष को प्रथम पूज्य भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है। भगवान गणेश माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं, यह बुद्धि और ज्ञान के प्रतीक हैं।

2-इस रुद्राक्ष को जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने और संकट में लोगों की मदद करने के लिए माना जाता है। मान्यता है कि इस रुद्राक्ष को पहनने से गंगा में नहाने जैसा पुण्य मिलता है। 8 मुखी को पहनने से राहु और शनि दोष के बुरे प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। 8 मुखी रुद्राक्ष मूलाधार चक्र से जुड़ा है, जो एक व्यक्ति की सुरक्षा और अस्तित्व के पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है।

आठ मुखी रूद्राक्ष के लाभ;-

04 FACTS;-

1-आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से भय और अकाल मृत्‍यु का डर समाप्‍त हो जाता है।ऐसा माना जाता है कि आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्‍यक्‍ति मृत्‍यु के पश्‍चात् भगवान शंकर के गणों में शामिल होता है।आठ मुखी रुद्राक्ष बुद्धि, ज्ञान, धन, यश और उच्च पद की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है।यह पहनने वाले को व्यवसाय और लॉटरी से संबंधित अवसरों और स्टॉक एक्सचेंज आदि क्षेत्र में मदद करता है।यह जीवन में अप्रत्याशित हो रही देरी को दूर करने में मदद करता है तथा विफलताओं और बाधाओं से निपटने में मदद करता है।

2-यह मानसिकता को बदलने में मदद करता है और आपको प्रतिकूलताओं से निपटने में सक्रिय बनाता है।यह मूलाधार चक्र को विनियमित करने का काम करता है तथा काल सर्प दोष के प्रतिकूल प्रभाव को नियंत्रित करता है।यह फेफड़े, लीवर और पेट संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है ;पहनने वाले में ज्ञान और जागरूकता बढ़ाता है।

3-यह रुद्राक्षधारी को मजबूत बनाता है और उसे जीवन में चुनौतियों का सामना करने और उनसे निपटने में सक्षम बनाता है।यह पहनने वाले के जीवन में सफलता लाने में मदद करता है ;ऊर्जावान बनाता है और जीवन से नीरसता को दूर करता है।यह व्यक्ति में सकारात्मकता, संतुष्टि और प्रसन्नता का संचार करता है।

4-यह पैर या हड्डी से संबंधित समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है ;पहनने वाले को इच्छा शक्ति और स्थिरता प्रदान करता है।यह मानसिक सुस्ती को दूर करने में मदद करता है तथा पहनने वाले को किसी भी तरह के नकारात्मक गतिविधि से बचाए रखता है।

आठ मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष;-

आठ मुखी रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह राहु है।अगर आपकी कुंडली में राहु की दशा के कारण परेशानियां उत्‍पन्‍न हो रही हैं तो आपको 8 मुखी रूद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।

आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि;-

आठ मुखी रुद्राक्ष को सोमवार या पूर्णिमा के दिन धारण करें।यदि आप इसे बुधवार को पहनते हैं तो बुद्धि, ज्ञान, धन, यश और उच्च पद की प्राप्ति होती है। इसे सुर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करने के पश्चात घर की पूर्व दिशा में बैठकर “ॐ हूँ नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए।इसके अलावा इसे धारण करने के पश्चात प्रतिदिन पांच माला इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

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