रुद्राक्ष के मुखी का क्या महत्व हैं?क्या एक व चौदह मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ हैं? PART-02
9-नौ मुखी रुद्राक्ष(Nine Faced Rudraksha);-
यह रुद्राक्ष वीरता, साहस, कर्मठता के लिए है।नौ मुखी रुद्राक्ष माँ भगवती की नौ शक्तियों का प्रतीक माना गया है।कपिलमुनि और भैरो देव की कृपा भी इस नौ मुखी रुद्राक्ष पर बरसती है।
देवी शक्ति की कृपा पाने हेतु नौ मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाता है।नौ मुखी रुद्राक्ष को धारण करनेवाले व्यक्ति के अंदर ऊर्जा, साहस, निडरता का निर्माण होता है। इसके धारण करने से पेट तथा त्वचा सम्बन्धी समस्याएं अपने आप समाप्त होने लगती है।
नौ मुखी रुद्राक्ष के लाभ;-
02 FACTS;-
1-नौ मुखी रुद्राक्ष के अनेक लाभ हैं। इससे धन सम्पत्ति, मान सम्मान, यश, कीर्ति और सभी प्रकार के सुखों की वृद्धि होती है।मन को शांति मिलती है और आंखों की दृष्टि तेज होती है।
2-मां नवदुर्गा का स्वरूप होने के कारण यह रक्षा कवच का काम करता है और मनुष्य को मानसिक और भौतिक दुखों से बचाता है।महिलाओं के लिए यह नौ मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी है।
नौ मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष;-
नौ मुखी रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह केतु है।यदि कुंडली में केतु कमजोर हो अथवा अस्त हो तो नौ मुखी रुद्राक्ष को धारण करना लाभदायक होता है।केतु ग्रह धारक के जीवन में अचानक बदलाव लाने का कार्य करता है, यह ग्रह किसी को दुर्भाग्य तो किसी को सौभाग्य की प्राप्ति कराता है, परन्तु नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने के बाद केतु केवल सौभाग्य की प्राप्ति ही कराता है।माँ दुर्गा का स्वरूप होने के कारण यह रक्षा कवच का काम करता है और मनुष्य को मानसिक और भौतिक दुखों से बचाता है।
9 मुखी रुद्राक्ष को को धारण करने की विधि;-
सोमवार अथवा शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष को धारण करना शुभ होता है।9 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व गंगाजल या कच्चे दूध से रुद्राक्ष को शुद्ध करें।रुद्राक्ष को जागृत करने के लिए“ॐ ह्रीं हूँ नमः” मंत्र का उच्चारण 108 बार करें।मां दुर्गा की आराधना करने वाले भक्त नौ मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करें।
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10-दस मुखी रुद्राक्ष(Ten Faced Rudraksha);-
यह रुद्राक्ष सफलता, उन्नति के लिए है।दस मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का आशीर्वाद है, जो त्रिमूर्ति देवताओं का अंश है, जिन्हें ब्रह्मांड का निर्माता कहा जाता है। इस रुद्राक्ष की सतह पर ऊपर से नीचे तक 10 प्राकृतिक ऊर्ध्वाधऱ रेखाएं होती हैं। यह दुर्लभ किस्म का रुद्राक्ष है, जो ज्यादातर नेपाल और जावा में पाया जाता है। यह रुद्राक्ष विष्णु जी का स्वरूप होने के कारण धारक के प्रभाव को दसों दिशाओं में फैलाता है। हालांकि इस रुद्राक्ष के पास कोई सत्तारूढ़ ग्रह नहीं हैं, क्योंकि यह मानव जीवन पर सभी ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को खत्म करने की दिशा में काम करता है।
दस मुखी रुद्राक्ष के लाभ;-
03 FACTS;-
1-इस रुद्राक्ष को तंत्र मत्र की साधना करने के लिए, शरीर के सातों चक्रों को संतुलित करने के लिए जाना जाता है। दरअसल भगवान विष्णु को दशावतार माना जाता है इसलिए इस रुद्राक्ष में 10 देवताओं का आशीर्वाद है। यह रुद्राक्ष भूत-प्रेत, डाकिनी और पिशाचिनी जैसी बुरी शक्तियों से बचाता है। यह काले जादू के दुष्प्रभाव को कम करता है।यह पहनने वाले के ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को ठीक करने में मदद करता है।यह धारक को अकाल मृत्यु या अप्राकृतिक मौत से बचाता है।इसका उपयोग घर में वास्तु दोष या किसी अन्य वास्तु संबंधी समस्याओं को कम करने के लिए भी किया जाता है।
2-यह पहनने वाले के आसपास के नकारात्मक वातावरण, भूत-प्रेत पिशाच जैसी शक्तियों को दूर करने में मदद करता है।जीवन में दिशा खोजने में मदद करता है।यह अनिद्रा और मन की अस्थिरता जैसी समस्याओं को हल करने में मदद करता है ;पहनने वाले में निराशावादी विचारों को दूर करता है।
3-यह कानूनी विवादों को दूर करने में मदद करता है तथा जीवन के सभी पहलुओं में शांति और सुरक्षा प्रदान करने में मदद करता है। आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और प्रोफेशनल और पर्सनल जीवन में सामंजस्य बनाए रखने का काम करता है। व्यक्ति में रचनात्मकता बढ़ाने और उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करता है।यह प्रतिरक्षा प्रणाली/तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है; त्वचा और पेट से संबंधित मुद्दों का इलाज करने में मदद करता है।
दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
दस मुखी रुद्राक्ष को पहनने का शुभ दिन सोमवार माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से पहले स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर फिर “ॐ ह्रीं नमः” मंत्र का 108 बार जाप करते हुए रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। इसके अलावा इसे धारण करने के पश्चात प्रतिदिन पांच माला ऊँ नम: शिवाय का जाप करना चाहिए।रुद्राक्ष हमेशा चांदी, सोने और तांबे या पंचधातु में और इसे काले या लाल धागे के साथ पहनना चाहिए।
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11-ग्यारह मुखी रुद्राक्ष(Eleven Faced Rudraksha);-
यह रुद्राक्ष लाभ, आय, संपत्ति के लिए है।भगवान शिव का रुद्र रूप है ग्यारह मुखी रुद्राक्ष। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को शिखा में बांधना या गले में धारण करना चाहिए।ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
को भगवान इंद्र का स्वरूप भी माना जाता है।शिव पुराण के अनुसार ग्यारह मुखी रूद्राक्ष को शिखा में बांधने से चमत्कारिक लाभ मिलता है। हनुमान जी की साधना करने वाले जातकों कों अवश्य इस रूद्राक्ष को पहनना चाहिए। इसे विधि-विधान पूर्वक धारण करने से हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के लाभ;-
03 FACTS;-
1-ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने और नियमित इससे मंत्र का जाप करने से अश्वमेघ यज्ञ
जितना फल प्राप्त होता है।ग्यारह मुखी रुद्राक्ष से सबसे ज्यादा व्यापारियों को लाभ मिलता है क्योंकि इससे आय के स्रोत खुलते हैं और व्यापार में वृद्धि होती है एवं नए अवसर प्राप्त होते हैं।इस रूद्राक्ष को व्यवसाय स्थल में रखकर नियमित पूजन करने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आती है।
2-यदि आप अपना मनोबल बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको ग्यारह मुखी रुद्राक्ष से लाभ होगा।
इस ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को राजनीति, कूटनीति और हर क्षेत्र में विजय हासिल होती है।ग्यारमुखी रूद्राक्ष को पहने से रोग-दोष से रक्षा होती है। जिन बच्चों को
बार-बार नजर दोष लगने के कारण बीमारियां घेर लेती है, उन्हें रूद्राक्ष को लाल धागें में पिरोकर गले में धारण करने से अत्यन्त लाभ मिलता है।
3-इस रूद्राक्ष को धारण करने से गणेश व लक्ष्मी दोनों की कृपा बनी रहती है। जिससे धन
धान्य में कमी नहीं आती है।अगर घर में भूत-प्रेत बाधा या अन्या किसी नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बना रहता है तो ग्यारह मुखी रूद्राक्ष का विधिवत पूजन करके एक ताॅबे के पात्र में जल भरकर उसमें डाल दें और सुबह-शाम उस जल को पूरे घर में छिड़कने से नकारात्मकता चली जाती है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
02 FACTS;-
1-ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को सोमवार, शुक्रवार या एकादशी के दिन ही धारण करना चाहिए। इस
रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं हूं नमः” है।इसके पश्चात् तीन माला का “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। इससे आपको ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का दस गुना अधिक लाभ प्राप्त होगा।
2-एकादशमुखी रूद्राक्ष की अभिमंत्रण क्रिया (केवल,सोमवार,शुक्रवार अथवा एकादशी ) में एक घी का दीपक जलाकर,उसको रोली रंगे हुये चावल पर रखे। उसके सामने रूद्राक्ष रख दे।तत्पश्चात रूद्राक्ष को गंगाजल व दूध से परिमार्जित करे। रूद्राक्ष पर रंगे हुये चावल छिड़कते हुये हनुमान जी का ध्यान करें।ध्यान के बाद मन्त्र 'ॐ ह्रौं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं हनुमते नमः।''---को पढ़ते हुये चन्दन, विल्बपत्र गन्ध, इत्र दूध व दीप से पूजन करें। पूजन के बाद उपरोक्त मन्त्र से 11 बार जाप करके हवन करे।तत्पश्चात हवन-अग्नि की 11 बार परिक्रमा करके रूद्राक्ष को गले में धारण करे।
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12-बारह मुखी रुद्राक्ष (Twelve Faced Rudraksha);-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष विदेश यात्रा, दरिद्रता नाश व बाधा निवारण के लिए है।12 मुखी रुद्राक्ष 12
पंथों से संबंधित है।कहते हैं कि 12 मुखी रुद्राक्ष में 12 आदित्यों का तेज समाहित है।इस रुद्राक्ष पर भगवान सूर्य की भी विशेष कृपा बरसती है।बारह मुखी रुद्राक्ष को कंठ में या कान के कुण्डल में धारण करने से भगवान विष्णु व सूर्य देव दोनों ही अति प्रसन्न होते हैं |
2-इस रुद्राक्ष को द्वादश आदित्यों की कृपा प्राप्त होने से अश्वमेघ यज्ञ सहित कई यज्ञों का फल प्राप्त होता है |बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से तन और मन स्वस्थ होते हैं और एक विशेष प्रकार की शक्ति उत्पन्न होती है |राजनीति व सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले जातकों के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष अति उत्तम माना गया है |
बारह मुखी रुद्राक्ष के लाभ :-
02 FACTS;-
1-असाध्य और भयंकर रोगों के इलाज में बारह मुखी रुद्राक्ष कारगर उपाय है। ह्रदय रोग, उदर रोग व मस्तिष्क से सम्बन्धित रोगों में बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ होता
है।बारह मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से तन और मन स्वस्थ रहते हैं।शरीर में नई शक्ति का संचार होता है। जो व्यक्ति अधिकांशतः अवसार में रहते है,उन्हें बारहमुखी रूद्राक्ष पहने से लाभ मिलता है।सरकारी कर्मचारियों के लिए बारहमुखी रूद्राक्ष एक प्रकार का का रक्षा कवच साबित होता है।बारहमुखी रूद्राक्ष नेताओं, शासकों, प्रशासकों व व्यवसायी वर्ग के लिए विशेष लाभकारी प्रतीत होता है।
2-राजनीति या सरकारी क्षेत्रों में काम कर रहे जातकों को बारह मुखी रुद्राक्ष से लाभ मिलता
है।यदि आपकी कुंडली में सूर्य दोष है या आप कुंडली में सूर्य के प्रभाव को प्रबल करना चाहते हैं या सूर्य के कुप्रभाव के कारण आपके जीवन में परेशानियां उत्पन्न् हो रही हैं तो आप बारह
मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।इसको धारण करने मात्र से असाध्य व भयानक रोगों से मुक्ति मिलती है |ह्रदय रोग, उदार रोग व मस्तिष्क से सम्बन्धित रोगों में इस रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ हो सकता है|
बारह मुखी रूद्राक्ष धारण करने की विधि;-
02 FACTS;-
1-बारह मुखी रुद्राक्ष को कंठ या कान के कुण्डल में धारण करने से भगवान विष्णु व सूर्य देव दोनों ही अति प्रसन्न होते हैं। बारह मुखी रुद्राक्ष को सोमवार के दिन ही धारण करना चाहिए।
इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ क्रौं (क्रोम) श्रौं (श्रौंम) रॉम नमः” है| 'क्रौं 'भी काली बीज ही है।इसमें क काली र ब्रह्म और औ से भैरव रूपी शिव और बिंदु से दुखहरण शक्ति का आह्वान होता है ।यह मन्त्र बहुत ही ज़्यादा उग्र प्रभावी है। श्रौं" ... यह भगवान नृसिंह का बीज मंत्र है जो शत्रु शमन, सर्व रक्षा बल, पराक्रम व आत्मविश्वास की वृद्धि के लिए है।'रॉम'अग्नि बीज है। इस मंत्र की तीन माला या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की पांच माला या मृत्युंजय मंत्र की एक माला नित्य प्रति करने से समस्त प्रकार के रोगों से व समस्याओं से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है और लाभान्वित हुआ जा सकता है |
2-रविवार के दिन पुष्प नक्षत्र में अथवा किसी भी रविवार के दिन मध्यकाल में ताम्रपात्र में रोली से एक वृत्त बनाकर लाल फूल रख दिया जाय,उसपर बारहमुखी रूद्राक्ष रख दिया जाये। इसके बाद श्रोली रंगे हुये चावल और लाल फूल हाथ में लेकर सूर्य भगवान का ध्यान करें। ध्यान के पश्चात निम्न मन्त्रों को पढ़ते हुये रूद्राक्ष पर पुष्प व अक्षत अर्पित करें ....
1-ॐ मित्राय नमः 2-ॐ रवये नमः 3-ॐ सूर्याय नमः
4-ॐ भानवे नमः 5-ॐ खगाय नमः 6-ॐ पूष्णे नमः
7-ॐ हिरण्यगर्भाय नमः 8-ॐ मरीचये नमः 9-ॐ आदित्याय नमः
10-ॐ सवित्रे नमः11-ॐ अर्काय नमः12-ॐ भास्कराय नमः
तत्पश्चात ''ऊॅ ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः'' मन्त्र से 12 आहुतियाॅ देकर एंव हवन-अग्नि की 12 बार परिक्रमा करके रूद्राक्ष धारण करने से फायदा होता है।
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13-तेरह मुखी रुद्राक्ष(13 Mukhi Rudraksha) ;-
03 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष आकर्षण, सुख, प्रेम, सौंदर्य के लिए है।तेरह मुखी रुद्राक्ष व्यापक रूप से सभी इच्छाओं को पूरा करने के लिए जाना जाता है। इस रुद्राक्ष को भगवान कामदेव का आशीर्वाद प्राप्त है, जो पहनने वाले को दैवीय करिश्मा और अपार शक्ति प्रदान करता है। इसे भगवान इंद्र और महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त है जो व्यक्ति को अभिव्यक्त करता है। यह शुक्र और चंद्रमा दोनों द्वारा शासित है और इस मनके की सतह पर 13 प्राकृतिक रेखाएं होती हैं। यह उन व्यवसायों के लोगों के लिए अच्छा है जहाँ उन्हें लोगों को आकर्षित करने और उनसे लाभ लेने की आवश्यकता होती है।
2-यह पहनने वाले को सांसारिक सुख देने में मदद करता है। यह व्यक्ति के विचारों, भावनाओं और अवचेतन को साफ करने की दिशा में काम करता है।आध्यात्मिक पूर्ति चाहने वालों के लिए, यह सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि यह आपकी आत्मा को विश्व को संचालित
करने वाली सार्वभौमिक ऊर्जा से जोड़ता है।यह पहनने वाले की इच्छा को पूरा करने में मदद करता है।
3-यह व्यक्ति में चुंबकत्व और उनके प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए आकर्षण को बढ़ाता है। यह व्यक्ति को जीवन में सही रास्ता चुनने और जो वे चाहते हैं उसे प्राप्त करने में मदद करता है। 13 मुखी रुद्राक्ष उन लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है जिन्होंने कड़ी मेहनत और समर्पण के बावजूद भी जीवन में अच्छे पलों के अभाव को महसूस किया और सुख, विलासिता और समृद्धि के हकदार हैं।इसके लाभ 6 मुखी रुद्राक्ष के समान हैं।
तेरह मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ;-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष निसंतान दंपत्तियों को संतान प्राप्ति की आशीर्वाद देता है।यह मानसिक विकारों को ठीक करने में मदद करता है।यह मंगल और शुक्र ग्रह के प्रभाव को दूर करने में मदद
करता है। यह पहनने वाले को आराम और आध्यात्मिक उन्नयन प्रदान करने में मदद करता है।कुंडलिनी को जगाने में मदद करता है।
2-यह सफलता और खुशी का आश्वासन देता है ;पहनने वाले पर एक नज़र रखता है और उन्हें पाप कर्मों और विचारों से दूर रहने में मदद करता है।यह चुनौतियों का सामना करने और विजयी होने में मदद करता है ; धारक की मानसिकता को बढ़ावा देने और खुले दिमाग से सोचने में मदद करता है।यह पुराने पीठ दर्द से उबरने में मदद करता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
तेरह मुखी रुद्राक्ष पहनने के लिए सोमवार का दिन शुभ माना जाता है। पहनने से पहले आप को कच्चे दूध या गंगाजल से इस रुद्राक्ष को परिमार्जित करना चाहिए। इसके बाद “ॐ ह्रीं नमः”मंत्र का जाप करना चाहिए तेरह मुखी रुद्राक्ष को सोने या चांदी की माला के साथ पहनना चाहिए या इसे लाल धागे के साथ पहनना चाहिए। तुला राशि के जातकों के लिए यह मनका लाभकारी होता है।
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14-चौदह मुखी रुद्राक्ष ( Fourteen Faced Rudraksha);-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष सत्ता, शक्ति, कीर्ति के लिए है।चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव को सर्वप्रिय है। इसे हुनमान जी का स्वरूप माना जाता है।चौदह मुखी रुद्राक्ष 14 विद्या, 14 लोक, 14 इंद्रों का
साक्षात् रूप है।इससे जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं और आपमें आत्मविश्वास बढ़ता है। इस रुद्राक्ष पर शनि देव की कृपा भी होती है।शनि की साढ़े साती, महादशा या शनि पीड़ा से मुक्ति हेतु इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
2-यह मनका निर्माण, उच्च प्राधिकरण, पेशवरों, सट्टा और लेन-देन करियर जैसे व्यवसायों में लोगों की मदद करता है। यह मनका सबसे कीमती और दिव्य में से एक माना जाता है। यह पहनने वाले को ताकत, साहस, जीत और सफलता का वादा करता है। यह शरीर में गुरु चक्र को खोलने में मदद करता है और किसी भी प्रकार की नकारत्मकता को दूर रखता है।
चौदह मुखी रुद्राक्ष के लाभ;-
02 FACTS;-
1-चौदह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति रुद्रलोक में वास करता है।जो लोग
शनि के दोष से पीडित हैं उन्हें भी चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।हनुमान
जी से संबंधित होने के कारण चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को हुनमान
जी की भी विशेष कृपा मिलती है।चौदह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को कभी
जेल नहीं जाना पड़ता।भगवान शिव भी चौदह मुखी रुद्राक्ष ही धारण करते हैं ;इसलिए इस रुद्राक्ष का अत्यंत महत्व है।चौदह मुखी रुद्राक्ष पक्षाघात की चिकित्सा के लिए अत्यंत हितकारक है।
2-यह स्वयं से जुड़ने और अंतर्ज्ञान की आवाज को मजबूत करने में मदद करता है;पहनने वाले की समस्याओं को हल करने के लिए स्थिर दृष्टिकोण का चयन करने में मदद करता है।यह दुख, चिंताओं, और भय से बचाता है।शरीर में मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने
में मदद करता है; पुरानी बीमारियों जैसे गठिया, मोटापा आदि को ठीक करने में मदद करता है।यह हकलाने को सही करने में मदद करता है
चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
इस रुद्राक्ष पर शनि और मंगल ग्रह की कृपा होती है।यदि आपकी कुंडली में शनि या मंगल कमजोर हैं तो आप 14 मुखी रुद्राक्ष को धारणकर उनके दुष्प्रभाव को दूर कर सकते हैं।रुद्राक्ष को गंगाजल से शुद्ध करें। फिर इसे गले से लगाकर “ऊँ नम: शिवाय " मन्त्र को 108
बार जपें।इस रुद्राक्ष की माला को रेशम या ऊन के धागे में पिरोकर चांदी या सोने में धारण करें।
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15-पंद्रह मुखी रुद्राक्ष (Fifteen Faced Rudraksha);-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष आर्थिक उन्नति, ज्ञान व शक्ति के लिए है।15 मुखी रुद्राक्ष पंद्रह तिथियों से संबंधित है। यह रुद्राक्ष व्यापार में वृद्धि के लिए होता है। पंद्रह मुखी रुद्राक्ष से ऊर्जा प्राप्त होती
है;जिससे व्यक्ति अपने कार्य में सफल हो पाता है।इस रुद्राक्ष को पहनने से बुद्धि तेज होती है। रुद्राक्ष पर भगवान शिव का आशीर्वाद भी माना जाता है ।पंद्रह मुखी रुद्राक्ष को प्रभु पशुपतिनाथ का आशीर्वाद प्राप्त है। यह भगवान शिव का अद्वितीय रूप है। इस मनका की सतह पर 15 प्राकृतिक रेखाएं होती हैं।यह जानवरों और सभी प्राणियों के प्रति दया और करूणा का भाव पैदा करने में मदद करता है। पशुपतिनाथ सभी जानवरों के स्वामी है, जो जानवरों व प्राणियों के मध्य प्रेम, शांति और अपनेपन को बनाए रखने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
2-यह पहनने वाले को आध्यात्मिक रूप से विकसित होने और मन में संघर्षों के साथ शांति बनाने में मदद करता है। 15 मुखी रुद्राक्ष आपके आस-पास किसी भी प्रकार की बुराई को नष्ट कर देता है और आपको अप्रत्य़ाशित संकटों से बचाता है। यह रहस्यमयी मनका आपको
मानसिक या भावनात्मक बंधन से मुक्त रखता है।15 मुखी रुद्राक्ष एक ऐसा उपाय है जो मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव का इलाज करता है। यह हृद्य को दर्शाने वाले अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करके आप के प्रेम पक्ष को जगाता है। यह व्यक्ति में प्रेम, भक्ति और करुणा का संचार करता है। यह व्यक्ति को सही निर्णय लेने और जीवन में सही दिशा की ओर बढ़ने में मदद करता है।
पंद्रह मुखी रुद्राक्ष के लाभ;-
03 FACTS;-
1-पंद्रह मुखी रूद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरूप माना जाता है।यह रुद्राक्ष आपका उचित मार्गदर्शन करता है।पंद्रह मुखी रूद्राक्ष भगवान पशुपतिनाथ का प्रतीक तथा राहु द्वारा शासित है अर्थात् इस रुद्राक्ष को पहनने से आपको राहु की कृपा भी प्राप्त होती है।15 मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से आपको कभी भी धन का अभाव नहीं होता है।यह दिल को सकारात्मक और खुश रखता है और इसे दूसरों के प्रति अधिक दयालु बनाता है।
2-यह पहनने वाले में गुस्से के साथ-साथ तनाव और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है ;व्यक्ति को अपराध-मुक्त और उत्साही बनाता है ; व्यक्ति में धैर्य लाता है और अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करता है। इसे धारण करने से व्यक्ति में उदारता बढ़ती है यह बुध ग्रह के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।यह ज्ञान और आध्यात्मिकता को बढ़ाने में मदद करता है।
3-यह प्रियजनों के साथ हेल्दी रिलेशनशिप को बनाए रखने में मदद करता हैय ह व्यक्ति में नकारात्मक भावनाओं को दूर करता है । यह कार्डियो वैस्कुलर बीमारियों का ,अस्थमा और सांस की बीमारी का इलाज करने में मदद करता है।यह एलर्जी और बुखार को ठीक करने का काम भी करता है ;व्यक्ति को लापरवाही, दुःख और अकेलेपन को दूर करने में मदद करता है।
पंद्रह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
15 मुखी रुद्राक्ष को पहनने का शुभ दिन बुधवार को माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से पहले स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर फिर ‘ॐ पशुपतय नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करते हुए रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। इस मनके को हमेशा चांदी, सोने और तांबे या पंचधातु में और इसे काले या लाल धागे में पिरोकर पहनना चाहिए।
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16-सोलह मुखी रुद्राक्ष(16 Mukhi Rudraksha);-
03 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष रोग नाश/आग, चोरी, डकैती से सुरक्षा के लिए है।इस रूद्राक्ष को पहनने
से व्यक्ति भगवान की भक्ति पाता है और सत्य को निभाते हुए अपने जीवन पुण्य लाभ पाते हैं।माना जाता है कि अर्जुन ने जब मछली की आँख को साधा था तब उन्होंने इसी रुद्राक्ष को धारण कर रखा था ;अत: इस रूद्राक्ष को पहनने के बाद व्यक्ति असाधारण क्षमता को पाता है ;शक्तिशाली बन जाता है।यह रूद्राक्ष समस्त सुखों का भोग कराता है तथा सभी पापों से मुक्त करने में सहायक है।
2-सोलह मुखी रुद्राक्ष को भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त है, जो भगवान विष्णु का अवतार भी हैं। इस रुद्राक्ष में 16 प्राकृतिक रेखाएं होती हैं। यह रुद्राक्ष नेपाल औ जावा में आमतौर पर पाया जाता है। यह मनका मुख्य रूप से पहनने वाले को सौभाग्य और समृद्धि देने के लिए जाना जाता है। इसे जय रुद्राक्ष भी कहा जाता है, यह व्यक्ति को किसी भी प्रकार की चोरी या धोखा देने से बचाता है। इस रुद्राक्ष को महाकाल द्वारा भी आशीर्वाद प्राप्त है, जो व्यक्ति को मृत्यु के भय से दूर करने और जीवन को पूर्णता जीने के लिए जाना जाता है।
3-16 मुखी रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह केतु है और जिन लोगों की कुंडली में केतु की स्थिति कमजोर होती है उनके लिए 16 मुखी रुद्राक्ष इस पर काम करने और जीवन पर इसके दुष्प्रभाव को कम करने में मदद करता है। ऐसा माना जाता है कि 16 मुखी रुद्राक्ष भी भगवान महामृत्युंजय शिव का आशीर्वाद है और एक शक्तिशाली और दुर्लभ मनका है जो चंद्रमा द्वारा शासित है। यह एक सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में मदद करता है, परिवेश में सकारात्मकता और ऊर्जा को बढ़ाता है।व्यक्ति को किसी प्रकार का भय नही सताता तथा जिस घर के पूजास्थल में 16 मुखी रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां पर आग लगने, चोरी और डकैती जैसी समस्याएं पैदा नहीं होती हैं।
सोलह मुखी रुद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ ;-
02 FACTS;-
1-सोलह मुखी रुद्राक्ष को उपयोग में लाने से पक्षपात जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं शरीर की सूजन, गले संबंधी रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। तपेदिक, कुष्ठ रोग, फेफड़ों के रोगों जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक है।यह मूलाधार चक्र को बढ़ाने का काम करता है।यह पहनने वाले को सादगीपूर्ण और व्यवाहरिक बनाता है ;सांसारिक दायित्व को पूरा करने में मदद करता है।यह शांति और साहस के साथ चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।
2-यह तीव्र और पुरानी बीमारियों से उबरने में मदद करता है।यह गुर्दे से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।यह भावनात्मक अस्थिरता का इलाज करने में मदद करता है।यह पहनने वाले के पास भटकने से नकारात्मक और बुरे मंत्रों को दूर रखता है।यह व्यक्ति को तर्कसंगत रूप से सोचने और सुरक्षित महसूस करने में मदद करता है ; किसी को खोने के डर को दूर करने में मदद करता है।।यह मृत्यु के भय को नष्ट करने में मदद करता है ;जीवन के सभी क्षेत्रों में व्यक्ति की क्षमता को बढ़ाता है।यह अदालती मामलों और कानूनी मुद्दों में जीत हासिल करने में मदद करता है;धोखा और चोरी से बचाने में मदद करता है।।यह पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने और प्रसिद्धि का आश्वासन देने में मदद करता है।
16 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
रुद्राक्ष पहनने के लिए सोमवार शुभ दिन है।यह पहनने वाले को दुर्घटनाओं, दुर्भाग्य और ऋणों से बचाता है।यह क्रूर चंद्रमा के दुष्प्रभाव को कम करता है।मंत्र: ओम नमः शिवाय ' और ‘ॐ ह्रीं हूम’ है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और फिर पूर्व दिशा की ओर मुख करके ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए रुद्राक्ष को धारण करें। आप इसे गले में या ब्रेसलेट के रूप में पहन सकते हैं।जो व्यक्ति उचित विधि और मंत्र जाप द्वारा इस रुद्राक्ष को धारण करता है उसे अपने समस्त कर्मों में सफलता प्राप्त होती है।
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17-सत्रह मुखी रुद्राक्ष(17 Mukhi Rudraksha) ;-
03 FACTS;-
यह रुद्राक्ष भूमि, मकान, वाहन सुख के लिए है।सत्रह मुखी रुद्राक्ष की सतह पर सत्रह प्राकृतिक रेखाएँ होती हैं। 17 मुखी रुद्राक्ष भगवान विश्वकर्मा का प्रतिनिधित्व करता है जो हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस विश्व के वास्तुकार हैं। यह रुद्राक्ष माँ कात्यायनी के रूप में देवी दुर्गा का भी प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रदाता माना जाता है। यह रुद्राक्ष भौतिक संपत्ति जैसे संपत्ति, वाहन, आभूषण, शेयर के रूप में अप्रत्याशित धन प्राप्त करने में बहुत शक्तिशाली है। ऐसा कहा जाता है कि यह अपने पहनने वाले को असीम भौतिकवादी लाभ देता है।
2-सत्रह मुखी रुद्राक्ष पहनने वाले की कुंडलिनी को सक्रिय करता है। यह रुद्राक्ष अपने पहनने वाले को असीम ऊर्जा देता है। जो महिलाएं इस रुद्राक्ष को पहनती हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जैसे कि दांपत्य जीवन और संतान सुख। यह उद्यमी और नौकरी दोनों स्तरों में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है;व्यक्ति में साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।
3-17 मुखी रुद्राक्ष राम और सीता का प्रतीक माना जाता है। यह उन लोगों के लिए बहुत अच्छा है जो अपने साथी के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं या संभावित साथी की तलाश में हैं। यह सही मैच खोजने और सांसारिक सुखों को प्राप्त करने में भी मदद करता है। यह व्यक्ति को जीवन में अधिक सच्चा और ईमानदार बनाता है और तनाव मुक्त जीवन के लिए सत्य के पथ पर चलने को प्रेरित करता है।
17 मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ;-
02 FACTS;-
1-इस रूद्राक्ष के पहनने से सफलता, स्मृति ज्ञान, कुंडलिनी जागरण और तथा धन धान्य की वृद्धि होती है। 17 मुखी रुद्राक्ष भौतिक संपत्ति प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। यह आत्म-विश्वास को बढ़ाने, तनाव को नियंत्रित करने में मदद करता है।यह सट्टेबाजी
और लॉटरी जैसे सट्टा पेशा करने वाले लोगों के लिए फायदेमंद है।यह व्यक्ति को निडर बनने
में मदद करता है;जीवन से बाधाओं को दूर करता है।यह शनि ग्रह के प्रभाव को दूर करने में मदद करता है ;सिरदर्द और साइनस को ठीक करने में मदद करता है।यह समृद्धि और खुशी प्रदान करने में मदद करता है ; पहनने वाले के अजना चक्र की कार्यप्रणाली को बढ़ाने का काम करता है।
2-यह सही जीवन साथी के साथ जुड़ने में मदद करता है ;हमारी इच्छाओं को प्रकट करने ,प्रभावी निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है।यह पिछले कर्म को नष्ट करने में मदद करता है, जो वर्तमान को प्रभावित कर रहे हैं ; गुस्से को कम करता है और शांत करने में मदद करता है।यह ENT समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है ,मृत्यु के भय को दूर करता है ।यह हड्डियों और नसों को मजबूत बनाने में मदद करता है।यह व्यक्ति को सभी प्रकार की स्थितियो में सच्चा और ईमानदार कार्य करने के लिए प्रेरित करता है और वह नकारात्मकता की ओर नहीं जाता।
17 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
17 मुखी रुद्राक्ष के अधिपति ग्रह शनि है। यह ग्रह निर्णय और आध्यात्मिक प्राप्ति के बारे में सख्त हैं।यह रुद्राक्ष कुंडली में शनि के नकारात्मक प्रभाव (साढ़े साती और इसके दुष्प्रभावों)को खत्म करने में मदद करता है। इस रुद्राक्ष के लिए ‘ ॐ नमः शिवाय ' का जाप करें। इस रूद्राक्ष को धारण करने पर देवी सीता से प्रार्थना करनी चाहिए।रुद्राक्ष पहनने के लिए शनिवार शुभ दिन है।
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18-अठारह मुखी रुद्राक्ष(18 Mukhi Rudraksha);-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष विपत्ति नाश/गर्भस्थ शिशु की रक्षा के लिए है।अठारह मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु की दिव्य पत्नी मां भूमि देवी का प्रतिनिधित्व करता है और यह मनका 18 वनस्पतियों का प्रतीक माना गया है। यह पहनने वाले को जीवन के सभी पहलुओं में जीत हासिल करने में मदद करता है। रुद्राक्ष वासना, लगाव और अंहकार जो पतन के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें नष्ट करने की दिशा में काम करता है। यह व्यक्ति में आलस्य और थकान को दूर करने की दिशा में भी काम करता है। यह छात्रों के लिए अत्यधिक लाभदायक है।
2- 18 मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के भैरव रूप का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो शिव का भयानक और क्रोधित रूप है। यह मनका भूमि संबंधित कार्यों से जुड़े लोगों के लिए शुभ माना गया है।18 मुखी रुद्राक्ष को लौह अयस्क, रियल एस्टेट, निर्माण, ठेकेदारों, आर्किटेक्ट और किसानों को धारण करना चाहिए।18 मुखी रुद्राक्ष के अधिपति ग्रह शनि हैं। यह रुद्राक्ष शनि के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद करता है।यह बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने में मदद करता है और गर्भावस्था में रुकावट को दूर करता है। यह समृद्धि की प्रचुरता प्रदान करता है और मातृ पृथ्वी के साथ संबंध को मजबूत करता है।
अठारह मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ;-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष सभी भौतिकवादी इच्छाओं को पूरा करने में मदद करता है ;पहनने वाले में थकान, आलस और नीरसता को दूर करता है ;व्यक्ति में धैर्य, सहनशक्ति और सहनशीलता को विकसित करता है।यह एकाग्रता और इच्छा शक्ति को बढ़ाता है ;व्यक्ति को अधिक संगठित और स्थिर बनाता है।यह मोटापे, बवासीर और घुटने के दर्द का इलाज करने में मदद करता है।पहनने वाले में सहनशक्ति, संतुलन और सहनशीलता बढ़ाता है।
2-यह शिक्षा और कार्य से संबंधित बड़े या परिवर्तनकारी निर्णय लेने में मदद करता है।यह गर्भवती महिलाओं को गर्भपात से तथा पहनने वाले को किसी भी तरह के बुरे मंत्र से बचाता है। मानसिक असंतुलन का इलाज करने में मदद करता है ;पहनने वाले को विनम्र बनाता है और उसके अहंकार को अलग रखता है।
अठारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
रुद्राक्ष पहनने के लिए सोमवार शुभ दिन है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और फिर पूर्व दिशा की ओर मुख करके "ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं सौं ऐं ह्रीं" मंत्र का जाप करते हुए रुद्राक्ष को धारण करें। आप इसे गले में या ब्रेसलेट के रूप में पहन सकते हैं।
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19-उन्नीस मुखी रुद्राक्ष(19 Mukhi Rudraksha);-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष सत्यनिष्ठा, न्यायप्रियता के गुण के लिए है।उन्नीस मुखी रुद्राक्ष भगवान नारायण का प्रतिनिधित्व करता है, जो सभी राजाओं के सर्वोच्च हैं। इसने पहनने वाले को जीवन के सभी सुखों का आशीर्वाद दिया है। इस मनके में विष्णु और देवी लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद होता है। 19 मुखी रुद्राक्ष की सबसे अच्छी गुणवत्ता श्रीलंका और दक्षिण भारत में पाई जाती है और इस मनके में ऊपर से नीचे तक 19 लाइनें होनी चाहिए। मूल और अच्छी गुणवत्ता वाली 19 मुखी मिलना काफी दुर्लभ है । यह एक विशाल शक्ति रखता है जो लोगों को व्यवसाय, सामाजिक कार्य और राजनीति के क्षेत्र में मदद करता है।
2-19 मुखी रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह बुध है और इसे पहनने से बुध के क्रूर प्रभाव का इलाज करने में मदद मिलती है।यह लोगों को सही साथी खोजने में भी मदद करता है। यह अवसाद को ठीक करने और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए सबसे अच्छे प्राकृतिक तरीकों में से एक है। यह पहनने वाले की दिनचर्या से आलस्य, सुस्ती और सुस्त व्यवहार को समाप्त करता है। इसके बजाय, यह आपको सहनशक्ति, सक्रियता और ताकत से भर देता है।
19 मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ;-
02 FACTS;-
1-यह धन और सफलता को बढ़ाने में मदद करता है; पहनने वाले की स्मरण शक्ति को बढ़ाता है यह व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाता है भौतिक लाभ प्राप्त करने में मदद करता है ,बेहतर निर्णय लेने के लिए व्यक्ति के धैर्य और सहनशीलता में वृद्धि करता है। यह धारक को पेशेवर और सामाजिक रूप से पहचान दिलाने में मदद करता है।यह रक्त विकारों के इलाज में मदद करता है ,अनाहत चक्र को बढ़ाने के लिए काम करता है, जो छाती के केंद्र में स्थित होता है।
2-यह नकारात्मकता के खिलाफ एक कवच के रूप में कार्य करता है और पहनने वाले में बिना शर्त प्यार, दयालुता और स्नेह की भावना को पैदा करता है।यह अस्थमा, बुखार और एलर्जी को ठीक करने में मदद करता है;रक्त व स्नायु तंत्र रोगों में लाभकारीहै , पहनने वाले को मल्टी-टास्कर बनने में मदद करता है ;जीवन के सभी पहलुओं में सौभाग्य लाता है।
19 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
रुद्राक्ष पहनने के लिए सोमवार को शुभ दिन माना जाता है।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और फिर पूर्व दिशा की ओर मुख करके "ऊँ नम: शिवाय" मंत्र का जाप करते हुए रुद्राक्ष को धारण करें। आप इसे गले में या ब्रेसलेट के रूप में पहन सकते हैं।
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20-बीस मुखी रुद्राक्ष (20 Mukhi Rudraksha);-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष भूत पिशाच से रक्षा के लिए है। यह माना जाता है कि दिव्य शक्तियां, इस मनके में केंद्रित हैं। इस मनके के पहनने से जीवन के सभी क्षेत्रों में विनम्रता और ज्ञान प्राप्त होगा। यह मनका शक्तियों का एक संयोजन है जो पहनने वाले को विकसित होने, सीखने, निरीक्षण करने और भौतिक सफलता प्राप्त करने के लिए मदद करता है। यह रुद्राक्ष धन और आध्यात्मिक वृद्धि में मदद करता है और यह धारक को बुद्धिमान निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है।
2-बीस मुखी रुद्राक्ष को भगवान कुबेर का आशीर्वाद प्राप्त है, जिन्हें धन का संरक्षक माना जाता है। इस रुद्राक्ष के स्वामी ग्रह सभी नौ ग्रह है और वे चंद्रमा के क्रूर प्रभाव से व्यक्ति की
रक्षा करते हैं। 20 मुखी रूद्राक्ष दुनिया में पाए जाने वाले रुद्राक्षों की अपेक्षा सबसे ज्यादा दुर्लभ है। यह पहनने वाले को भौतिक लाभ का आशीर्वाद देता है और उसकी सभी इच्छाओं को पूरा करता है। यह मनका विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जो जीवन में बहुत महत्वाकांक्षी होते हैं और लगभग सब कुछ हासिल करने की इच्छा रखते हैं। यह सम्मान और गरिमा के साथ जीवन में महान ऊंचाइयों को प्राप्त करने में मदद करता है।भगवान शिव इस मनके के साथ आशीर्वाद देते हैं और पिछले जन्म के पापों का अंत करके व्यक्ति को मोक्ष प्रदान करते हैं।
20 मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ ;-
02 FACTS;-
1-बीस मुखी रुद्राक्ष आध्यात्मिक लाभ और मानसिक शांति प्रदान करता है।यह मानसिक क्षितिज और चेतना का विस्तार करता है ; तनाव का इलाज करने में मदद करता है।यह बायपोलर डिसऑर्डर, अल्जाइमर के साथ-साथ अन्य न्यूरोलॉजिकल बीमारियों ,ऑटिज्म को, घुटने और जोड़ों के दर्द को भी कम करने में मदद करता है। यह पहनने वाले को हाई हीलिंग एनर्जी स्थानांतरित करता है।यह अवसाद आलस्य और नीरसता को दूर करता है और व्यक्ति को अधिक सक्रिय होने में मदद करता है।यह मन से असमय मृत्यु के भय को दूर करता है ; व्यक्ति में आत्म-विश्वास बढ़ाने में मदद करता है।
2-यह तार्किक रूप से सोचने और समझदारी से निर्णय लेने में मदद करता है ;आंखों की दृष्टि में सुधार करता है।यह पहनने वाले के आस-पास के सभी प्रकार के बुरे मंत्रों को दूर रखता है ;सर्पदंश और जहर के इलाज में मदद करता है।यह नाम, प्रसिद्धि और वृद्धि को अनुदान देता है और विशुद्ध चक्र को ठीक से काम करने के लिए प्रेरित करता है।
20 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
20 मुखी रुद्राक्ष ऊर्जा का एक बिजलीघर है।रुद्राक्ष पहनने के लिए सोमवार को शुभ दिन
माना जाता है।सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और फिर पूर्व दिशा की ओर मुख करके "ऊँ ज्ञां ज्ञीं लं अं ऐं श्रीं" मंत्र का जाप करते हुए रुद्राक्ष को धारण करें।आप इसे गले में या ब्रेसलेट के रूप में पहन सकते हैं ; मनके को चांदी या सोने में जड़कर और लाल धागे में पिरोकर पेंडेंट के रूप में धारण कर सकते हैं।
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21-इक्कीस मुखी( 21 Mukhi Rudraksha);-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष आज्ञा चक्र को जाग्रत करने हेतु है।इक्कीस मुखी रुद्राक्ष भगवान कुबेर का आशीर्वाद है। उन्हें इंश्वरीय संपत्ति का सरंक्षक भी कहा जाता है। माना जाता है यह मनका सबसे दुर्लभ है। यह धन और भौतिक विलासिता की प्रचुरता प्रदान कता है और बुराई या तांत्रिक प्रभाव से भी बचाता है। कुबेर एक यक्ष दिक्पाल हैं जो किसी के जीवन में वित्त का शासन करते हैं। उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त है और उन्हें यह जिम्मेदारी त्रिदेवों कीओर से दी गई है। इसलिए 21 मुखी रुद्राक्ष पहनने वाले को सफलता और समृद्धि के साथ आशीर्वाद देने के लिए जाना जाता है।
2-आमतौर पर देखा जाता है कि जो लोग धन-धान्य से फल-फूल रहे हैं, वे ऐसे लोगों को आकर्षित करने की संभावना रखते हैं जो उनकी सफलता से ईर्ष्या करते हैं। इस मनके को पहनने से उन्हें ऐसे लोगों से बचाया जा सकता है जो उनकी वित्तीय सफलता को देखकर उन्हें नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचते हैं। 21 मुखी रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह शुक्र है और यह आपको
उसके नकारात्मक प्रभाव से बचाता है।21 मुखी रुद्राक्ष पारिवारिक स्वास्थ्य और धन की रक्षा करने में भी मदद करता है। यह पहनने वाले को सच्चा और ईमानदार बनाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मनके को पहनने से एक गरीब व्यक्ति भी अमीर बन सकता है।
इक्कीस मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ;-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष आत्मविश्वास को बढ़ाता है, जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है , समृद्धि और सौभाग्य का आश्वासन देता है।यह कल्पना से परे नाम, प्रसिद्धि और धन देता है।यह स्थायी धन के साथ आशीर्वाद देता है।यह पहनने वाले के सुखों और भौतिकवादी इच्छाओं को पूरा करने में मदद करता है।
2-यह बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है।यह तनाव, अवसाद को कम करने में मदद करता है।यह चिंता को खत्म करता है।यह व्यक्ति के प्रजनन अंग को बेहतर बनाता है और इससे जुड़ी सभी समस्याओं को दूर करता है।
इक्कीस मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि;-
रुद्राक्ष पहनने के लिए सोमवार को शुभ दिन माना जाता है।सुबह जल्दी उठें, नहाएं और
साफ कपड़े पहनें। फिर मंदिर के पूर्व दिशा में बैठकर 9 बार“ओम ह्रीं श्रीं वसुदाय नमः ” का जाप करने के बाद इसे पहनें।आप मनके को चांदी या सोने में जड़कर और लाल धागे में पिरोकर पेंडेंट के रूप में धारण कर सकते हैं।
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22-गौरीशंकर रुद्राक्ष;-
यह रुद्राक्ष वैवाहिक सुख, आकर्षण, प्रसन्नता के लिए है।गौरी शंकर रुद्राक्ष भगवान शिव एवं माँ पार्वती का प्रत्यक्ष स्वरूप है | इसके धारक को शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है |यह रुद्राक्ष गृहस्थ सुख के लिए अति शुभ माना गया है क्योंकि जिन भगवान शिव और माँ पार्वती के 36 गुण मिलते थे यह रुद्राक्ष उन्हीं का स्वरुप है इसलिए जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा है, बहुत प्रयास करने के बाद भी अच्छा रिश्ता ना मिल रहा हो उन कन्याओं को यह रुद्राक्ष अति शीघ्र धारण करना चाहिए और जिन कन्याओं का विवाह तो हो चुका है लेकिन गृहस्थ सुख की किसी भी रूप में कमी हो रही है तो उन स्त्रियों के लिए भी गौरी शंकर रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदायक माना गया है |
गौरी शंकर रुद्राक्ष के लाभ;-
जिन स्त्रियों को गर्भ से सम्बंधित कोई समस्या हो उनके लिए भी यह लाभकारी हो सकता है | पारिवारिक शांति और वंश वृद्धि में भी यह रुद्राक्ष सहायक माना गया है |यह रुद्राक्ष शिव पार्वती के आशीर्वाद से अर्धनारीश्वर का स्वरुप है ;इसलिए सभी उम्र की स्त्रियों को इसे धारण करना चाहिए ताकि जीवन में हर प्रकार की सुख शान्ति प्राप्त की जा सके |
गौरी शंकर रुद्राक्ष को धारण करने की विधि ;-
इस रुद्राक्ष को धारण तो “ॐ नमः शिवाय” मन्त्र से किया जा सकता है लेकिन इसको धारण करने के पश्चात एक माला “ॐ नमः शिवाय”, “ॐ नमः दुर्गाए” और “ॐ अर्ध्नारिश्वराए नमः” की जाए तो अति उत्तम फल की प्राप्ति अति शीघ्र कराने में इस रुद्राक्ष का कोई मुकाबला नहीं है |
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23-गणेश रुद्राक्ष;-
यह रुद्राक्ष ऋद्धि, सिद्धि, बुद्धि की प्राप्ति के लिए है।गणेश जी की आकृति वाले
इस रुद्राक्ष को धारण करने से आपके सारे विघ्नों का नाश होता है।इस रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान गणेश की कृपा भी प्राप्त होती है और उनके पिता भोलेनाथ भी प्रसन्न होते हैं।
गणेश रुद्राक्ष के लाभ;-
गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से सभी तरह के क्लेशों से मुक्ति मिलती है। विशेष फलदायी यह रुद्राक्ष कई समस्याओं का समाधान स्वत: ही कर देता है।गणेश रूद्राक्ष पहने हुए एक व्यक्ति को जीवन के सभी क्षेत्रों में से सफलता प्राप्त होती है।भगवान गणेश भगवान शिव के पुत्र हैं इसलिए भगवान शिव का और देवी पार्वती (महादेवी) जी का भी आशिर्वाद प्राप्त होता है।गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से केतु के अशुभ प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है।
गणेश रुद्राक्ष को धारण करने की विधि ;-
इसे गणेश चतुर्थी के दिन धारण किया जाए तो यह और भी शुभ फलदायक होता है। गणेश रुद्राक्ष को सोमवार के दिन धारण करना चाहिए।
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24-गौरी गणेश रुद्राक्ष;-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष संतान सुख के लिए है।गर्भ गौरी रूद्राक्ष उन दंपतियों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है जिन्हें अब तक संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ है।इस रूद्राक्ष को नि:संतान स्त्री धारण करे तो वह जल्द ही माता बन सकती है।साथ ही यह रूद्राक्ष उन गर्भवती स्त्रियों के लिए भी काफी प्रभावी माना गया है जिन्हें गर्भावस्था के दौरान अनेक परेशानियां आ रही हो। यह रूद्राक्ष गर्भ की रक्षा करके स्वस्थ संतान को जन्म देने में मदद करता है।
2-गर्भ गौरी रुद्राक्ष को गले में धारण करने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और मन प्रफुल्लित रहता है।मां और संतान के बीच मधुर संबंध बनाने के लिए भी 'गर्भ गौरी रुद्राक्ष' धारण किया जाता है।इस रूद्राक्ष को धारण करने से गर्भपात का खतरा नहीं रहता।जो गर्भवती स्त्री इस रूद्राक्ष को धारण करती है, उसकी प्रसूती भी आराम से हो जाती है।जिन लोगों की कुंडली में राहु-केतु पीड़ा दे रहे हों उन्हें भी यह रूद्राक्ष धारण करना चाहिए
गौरी गणेश रुद्राक्ष को धारण करने की विधि ;-
गर्भ गौरी रूद्राक्ष' को सोमवार के दिन धारण किया जाता है। इसे पहले गंगाजल से अच्छी तरह धो लें। फिर पूजा स्थान में लाल कपड़ा बिछाकर इसे रखें और चंदन का तिलक रूद्राक्ष को लगाएं। धूप और अगरबत्ती दिखाएं। रूद्राक्ष पर सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें। इसके बाद रुद्राक्ष को दाएं हाथ में लेकर ऊं नम: शिवाय मंत्र की एक माला जाप करें। इसके बाद रूद्राक्ष को शिवलिंग से टच करवाकर धारण कर लें। इसे चांदी की चेन या लाल धागे में गले में पहना जा सकता है।
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25-रुद्राक्ष कवच;-
02 FACTS;-
1-यह रुद्राक्ष माला विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए के लिए है।वैसे तो कई तरह की मालाएं होती हैं जैसे तुलसी,मोती,रुद्राक्ष,चंदन आदि। इन सभी मालाओं के अलग-अलग लाभ होते हैं। मगर इस माला को पहनने से एक दो नहीं बल्कि कई सारे देवी-देवता की दिव्य शक्तियां माला को धारण करने वाली की सहायता करने शुरू कर देती है। इतना ही नहीं इस दिव्य माला को पहनने के बाद जीवन में कई चमत्कार भी दिखाई देने शुरू हो जाते हैं।
2-इस चमत्कारी माला का नाम शिव शक्ति रक्षा कवच कंठ माला है। ये माला एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी एंव गौरी शंकर रुद्राक्ष से मिलाकर तैयार की जाती है।अगर आप भी
भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोशिश में लगे हुए हैं,हैं तो ऐसे में आप इस प्रभावशाली माला को तुंरत धारण करें।इस कंठ माला को पहनने के बाद जीवन की हर एक समस्या का निवारण होने लगता है।रुद्राक्ष से बनी यह कंठ माला रक्षा कवच के रूप में भी कार्य करती है और धारण करने वाले इंसान को हर तरह की परेशानियों से बचाती है।
इस माला को पहनने के लाभ;-
02 FACTS;-
1-इस माला को पहनने से अनेक पापों का नाश तो होता ही है साथ ही भय,चिंता,भूत-प्रेत बाधा से हमेशा-हमेशा से मुक्ति मिल जाती है।इस दिव्य माला को धारण करने से स्त्री रोग,गर्भ संबंधी रोग,संक्रामक रोग,आंखों एंव किडनी से सम्बंधित बीमारी झटपट दूर हो जाती है।
2-इस माला को पहनने से कोढ़,नपुंसकता,पथरी,पीलिया,मूत्र रोग कफ,फेफड़े,बेचैनी आदि रोग ठीक हो जाते हैं।इसके प्रभाव को वास्तुदोष से भी दूर किया जा सकता है साथ ही आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।इस माला को धारण करने वाले के जीवन में कीर्ति,मान-सम्मान वैभव एंव सुख-समृद्धि में वृद्घि होती है।
26-‘इंद्रमाला’;-
लेकिन रुद्राक्ष की ऐसी माला जिसमें एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर 21 मुखी रुद्राक्ष तक सभी मनके शामिल होते हैं, उसे सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है। इसे ‘इंद्रमाला’ कहा जाता है। 21 मनकों के आलावा इसमें सात अन्य मनके भी होते हैं। यह अति दुर्लभ और सबसे महंगा भी होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक नेपाल के क्षेत्र में पाए जाने वाले असली रुद्राक्ष से बनी इंद्रमाला की कीमत आज के बाजार में ढाई से तीन करोड़ रुपये होती है। कहा जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी इसी प्रकार की रुद्राक्ष की माला पहनती थीं।
..SHIVOHAM....