साधना रहस्य-भगवान नृसिंह का मणिपूरक चक्र जागरण मंत्र तथा नरसिंह चालीसा....
02 FACTS;-
1-नरसिंह अवतार ब्रह्मा का सृजन नहीं थे अपितु स्व सृजित थे, स्वयंभू थे ।प्रहलाद की स्तुति ही उन्हें शांत कर सकी।जब भक्त या साधक के भाव प्रदेश में केवल नरसिंह होते हैं तो ब्रह्माण्ड में मृत्यु, कष्ट, शत्रुता इत्यादि प्रदान करने वाले किसी भी तत्व का अति शीघ्रता के साथ संहार करते हैं नरसिंह | नरसिंह साधना तंत्र क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण साधना है, जितना शीघ्र परिणाम नरसिंह साधना देती है उतना कोई अन्य साधना नहीं। शीघ्रता ही नरसिंह साधना का केन्द्र बिन्दु है। जो करना है शीघ्रता के साथ करना है, जो प्राप्त करना है शीघ्रता के साथ प्राप्त करना है। जैसा रूप श्रीहरि धरते हैं उनके आवरण मण्डल में मौजूद समस्त शक्तियाँ एवं गण भी उन्हीं के समान स्वरूप धारण कर साधक और भक्त की रक्षा को तत्पर हो जाते हैं।नरसिंह के साथ नारसिंही के रूप में महालक्ष्मी चलती है सभी वैष्णव गण भी नरसिंह रूप धारण कर लेते हैं। किसी भी प्रकार की नकारात्मक बाधा में नरसिंह साधना सबसे उत्तम है। विष्णु मृत्युंजय स्तोत्र कुछ नहीं सिर्फ नरसिंह साधना का ही एक आयाम है।
2-वैसे तो पूरे देश में नरसिंह भगवान की पूजा की जाती है लेकिन दक्षिण भारत में नरसिंह भगवान को वैष्णव संप्रदाय के लोग संकट समय रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजते हैं। इनकी पूजा करने से जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती और मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। भक्त के सभी दुख दूर हो जाते हैं और ऐश्वर्य व यश की प्राप्ति होती है।प्रतिवर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह जयंती मनाई जाती है।भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं। इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है। साथ ही हर प्रकार के मुक़दमे, शत्रु और विरोधी शांत होते हैं।तंत्र - मंत्र की बाधाएं भी समाप्त होती हैं।नरसिंह मंत्र से तंत्र-मंत्र बाधा, भूत पिशाच भय, अकाल मृत्यु का डर, असाध्य रोग आदि से मुक्ति मिलती है।अगर आप को क्रोध से मुक्ति, सुखद और सफल जीवन चाहिए तो आपको भगवान नरसिंह के मंत्रों को जपना चाहिए।
नरसिंह भगवान का बीज मंत्र
1. ‘श्रौं’/ क्ष्रौं (नृसिंहबीज)।
2. ॐ श्री लक्ष्मीनृसिंहाय नम:।।
3. ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः ।
इस बीज में क्ष् = नृसिंह, र् = ब्रह्म, औ = दिव्यतेजस्वी, एवं बिंदु = दुखहरण है। इस बीज मंत्र का अर्थ है ‘दिव्यतेजस्वी ब्रह्मस्वरूप श्री नृसिंह मेरे दुख दूर करें’।जीवन में सर्वसिद्धि प्राप्ति के लिए नृसिंह जयंती से 40 दिन में पांच लाख जप पूर्ण करें।मंत्र का प्रतिदिन रात्रि काल में जाप करें। मंत्र जप के दौरान नित्य देसी घी का दीपक जलाएं
4. संकटमोचन नरसिंह मंत्र
ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।
अगर आप कई संकटों से घिरे हुए हैं या संकटों का सामना कर रहे हैं, तो भगवान विष्णु या श्री नृसिंह प्रतिमा की पूजा करके उपरोक्त संकटमोचन नृसिंह मंत्र का स्मरण करें। समस्त संकटों से आसानी से छुटकारा मिल जाएगा।
आपत्ति निवारक नरसिंह मंत्र |
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥
Mantra Meaning: – I bow down to Lord Narasimha who is highly ferocious and brave and the emanation of Lord Maha Vishnu. He is full of effulgence, terrific and auspicious and the death of death.
हे भगवान विष्णुं, आप बहुत तेजवान और बहादुर हैं। आप सर्वशक्तिमान हैं। आप मृत्यु को पराजित करने वालों में से एक हैं और मैं स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ।
5. नरसिंह गायत्री मंत्र;-
भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए उनके नरसिंह गायत्री मंत्र का जाप करिये।
ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि | तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||
6. संपत्ति बाधा नाशक नरसिंह मंत्र
“ॐ नृम मलोल नरसिंहाय पूरय-पूरय”
7. ऋण मोचक नरसिंह मंत्र ।
यदि आप क़र्ज़ से मुक्त होना चाहते है तो आप तुरंत इस संकट से मुक्ति चाहते हैं तो ऋणमोचक नरसिंह मंत्र का जाप करें।
“ॐ क्रोध नरसिंहाय नृम नम:”
8. शत्रु नाशक नरसिंह मंत्र
“ॐ नृम नरसिंहाय शत्रुबल विदीर्नाय नमः”
9. नरसिंह यश रक्षक मंत्र
“ॐ करन्ज नरसिंहाय यशो रक्ष”
4-भगवान नृसिंह का मणिपूरक चक्र जागरण मंत्र;-
03 FACTS;-
1-'ॐ श्रौं महानृसिंहाय नमः, ।श्रौं बीज में श्री = देवि लक्ष्मी +नृसिंह, र् = ब्रह्म, औ = दि व्यतेजस्वी , एवं बिंदु = दुखहरण है।नाभि का जो केंद्र होता है, धन का स्थान माना जाता है। तंत्र में कहा जाता है कि वही पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी विराजमान रहते हैं और जिस भी व्यक्ति का यह केंद्र खराब हो जाता है तो ऐसे व्यक्ति को धन की परेशानी का सामना करना पड़ता है। हर समय बस में धन के बारे में सोचता रहता है। जितना सोचता है उतना ही धन बिल्कुल दूर हो जाता है।तो इस केंद्र को जागृत करना बेहद आवश्यक है। नाभि का जो केंद्र होता है, यहीं से ब्रह्मा जी भी उत्पन्न हुए हैं। यानी कि जिस व्यक्ति का यह केंद्र जागृत होता है उसकी संपूर्ण इच्छाएं अपने आप ऑटोमेटिक पूरी होती चली जाती है। उसके चेहरे पर एक गजब की मुस्कान होती है और वह किसी भी चीज से जरा भी विचलित नहीं होता है।
2-इस केंद्र को जागृत करने के लिए सबसे पहली चीज तो यह है कि आपको नाभि पर सूरजमुखी के फूलों के तेल को रोजाना लगाना है। केवल तेल को लगाने मात्र ही यह केंद्र जागृत होने लग जाता है। सूरजमुखी के फूलों का तेल पीला होता है। भगवान विष्णु का जो रंग है, पीला ही है।संपूर्ण कर्ज की समाप्ति का जो रंग है, पीला ही होता है तो सूरजमुखी के फूलों के तेल को रोजाना आपको अपनी नाभि पर लगाना है और इसी के साथ भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप आपको रोजाना रात को सोने से पहले करना है और सुबह उठते ही जैसे ही आपकी आंखें खुलती हैं। तुरंत आपको भगवान श्री नरसिंह के मंत्रों का जाप करना है। भगवान विष्णु का केवल एक ही स्वरूप है जो बड़े ही ज्यादा तीव्र है।इसीलिए कर्ज जैसे शत्रु से बचने के लिए भगवान नरसिंह से उत्तम उपाय कोई भी नहीं होता है क्योंकि यह विष्णु का स्वरूप है तो जब भगवान नरसिंह की कृपा होती है तो माता लक्ष्मी की कृपा अपने आप ही प्राप्त हो जाती है। कर्ज जब समाप्त हो जाएगा तो धन आगमन होना बिल्कुल निश्चित है।
3- दसों दिशाओं से रास्ते खुलते हैं तो आप इस खास क्रिया को जान लें ।आप सूरजमुखी के फूलों के तेल ले और उसको भगवान नरसिंह के मंत्रों से अभिमंत्रित कर दें। अभिमंत्रित करने के लिए आपको केवल इतना करना है कि किसी भी गुरुवार किसी भी पूर्णिमा किसी भी अमावस्या को सूरजमुखी के फूलों के तेल को अपने सीधे हाथ के सामने रखकर आपको मंत्र 51 माला जाप करना है और इसके बाद आपको इस तेल को अपने घर रख लेना है। 'ॐ श्रौं महानृसिंहाय नमः, भगवान नरसिंह का बीज मंत्र है जिसमें माता लक्ष्मी भी नरसिंह भगवान के साथ विराजमान होती हैं। इस तेल को रोज रात को सोने से पहले अपनी नाभि पर लगाने मात्र से और इस मंत्र का जाप करने से मणिपूरक चक्र जागरण होता है।यह प्रयोग एक रामबाण है ।
श्री नरसिंह चालीसा;-
नरसिंह भगवान का चालीसा उन्हें प्रसन्न करने के लिए पढ़ा जाता है। माना जाता है कि वैशाख की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को विष्णु जी ने अपने परम भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह का अवतार धारण किया था। नरसिंह भगवान की कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है।सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और सिद्धि-बुद्धि तथा ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है।नरसिंह भगवान का ये पाठ करने या केवल इसे सुनने से ही सभी तरह के भय-दोष जैसे कि भूत प्रेत और हर बाधा से मुक्ति मिल जाती है।यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से भगवान नरसिंह के चालीसा का पाठ करता है तो उस पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है तथा जीवन से सभी कष्टों का अंत होता है ।भगवान नरसिंह के चालीसा का रोजाना 11 बार पाठ करने से भक्तों को चमत्कारी और अत्यंत फलदाई परिणाम मिलते हैं।साथ ही नरसिंह चालीसा का श्रवण शत्रु भय से मुक्ति दिलाता है और दुख -दरिद्रता, ग्रह -बाधा तथा प्रेत बाधा का नाश करता है।
मास वैशाख कृतिका युत हरण मही को भार ।
शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन लियो नरसिंह अवतार ।।
धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम ।
तुमरे सुमरन से प्रभु , पूरन हो सब काम ।।
नरसिंह देव में सुमरों तोहि ,
धन बल विद्या दान दे मोहि ।।1।।
जय जय नरसिंह कृपाला
करो सदा भक्तन प्रतिपाला ।।२ ।।
विष्णु के अवतार दयाला
महाकाल कालन को काला ।।३ ।।
नाम अनेक तुम्हारो बखानो
अल्प बुद्धि में ना कछु जानों ।।४।।
हिरणाकुश नृप अति अभिमानी
तेहि के भार मही अकुलानी ।।५।।
हिरणाकुश कयाधू के जाये
नाम भक्त प्रहलाद कहाये ।।६।।
भक्त बना बिष्णु को दासा
पिता कियो मारन परसाया ।।७।।
अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा
अग्निदाह कियो प्रचंडा ।।८।।
भक्त हेतु तुम लियो अवतारा
दुष्ट-दलन हरण महिभारा ।।९।।
तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे
प्रह्लाद के प्राण पियारे ।।१०।।
प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा
देख दुष्ट-दल भये अचंभा ।।११।।
खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा
ऊर्ध्व केश महादष्ट्र विराजा ।।12।।
तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा
को वरने तुम्हरों विस्तारा ।।13।।
रूप चतुर्भुज बदन विशाला
नख जिह्वा है अति विकराला ।।14।।
स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी
कानन कुंडल की छवि न्यारी ।।15।।
भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा
हिरणा कुश खल क्षण मह मारा ।।१६।।
ब्रह्मा, बिष्णु तुम्हे नित ध्यावे
इंद्र महेश सदा मन लावे ।।१७।।
वेद पुराण तुम्हरो यश गावे
शेष शारदा पारन पावे ।।१८।।
जो नर धरो तुम्हरो ध्याना
ताको होय सदा कल्याना ।।१९।।
त्राहि-त्राहि प्रभु दुःख निवारो
भव बंधन प्रभु आप ही टारो ।।२०।।
नित्य जपे जो नाम तिहारा
दुःख व्याधि हो निस्तारा ।।२१।।
संतान-हीन जो जाप कराये
मन इच्छित सो नर सुत पावे ।।२२।।
बंध्या नारी सुसंतान को पावे
नर दरिद्र धनी होई जावे ।।२३।।
जो नरसिंह का जाप करावे
ताहि विपत्ति सपनें नही आवे ।।२४।।
जो कामना करे मन माही
सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही ।।२५।।
जीवन मैं जो कछु संकट होई
निश्चय नरसिंह सुमरे सोई ।।२६ ।।
रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई
ताकि काया कंचन होई ।।२७।।
डाकिनी-शाकिनी प्रेत बेताला
ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला ।।२८।।
प्रेत पिशाच सबे भय खाए
यम के दूत निकट नहीं आवे ।।२९।।
सुमर नाम व्याधि सब भागे
रोग-शोक कबहूं नही लागे ।।३०।।
जाको नजर दोष हो भाई
सो नरसिंह चालीसा गाई ।।३१।।
हटे नजर होवे कल्याना
बचन सत्य साखी भगवाना ।।३२।।
जो नर ध्यान तुम्हारो लावे
सो नर मन वांछित फल पावे ।।३३।।
बनवाए जो मंदिर ज्ञानी
हो जावे वह नर जग मानी ।।३४।।
नित-प्रति पाठ करे इक बारा
सो नर रहे तुम्हारा प्यारा ।।३५।।
नरसिंह चालीसा जो जन गावे
दुःख दरिद्र ताके निकट न आवे ।।३६।।
चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे
सो नर जग में सब कुछ पावे ।।37।।
यह श्री नरसिंह चालीसा
पढ़े रंक होवे अवनीसा ।।३८।।
जो ध्यावे सो नर सुख पावे
तोही विमुख बहु दुःख उठावे ।।३९।।
“शिव स्वरूप है शरण तुम्हारी
हरो नाथ सब विपत्ति हमारी “।।४० ।।
चारों युग गायें तेरी महिमा अपरम्पार ।
निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार ।।
नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार ।
उस घर आनंद रहे वैभव बढ़े अपार ।।
“इति श्री नरसिंह चालीसा संपूर्णम “
....SHIVOHAM....
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