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मेरी मां...

..Written by NEEHA ,,,,,

मेरी मां...मेरी मां ;क्या कहूं, कैसी है मेरी मां, दूर आसमान में चमकते चांद की चांदनी सी है मेरी मां।।

दूध के पत्ते पर पड़ी ओस की बूंद सी है, जो दिखती सुंदर है, पर छूने से खो जाती है मेरी मां ..मेरी मां।। बारिश की बूंद सी है, नाचते मोर सी है, बहुत प्यारी है , चमकते सूरज सी है ,प्रकाश बहुत है ,

पर छू नहीं सकते मेरी मां... मेरी मां।। हर श्वास सी है आती-जाती ,मेरी मां...मेरी मां। क्या कहूं, कैसी है मेरी मां?

दूर आसमान में चमकते चांद की चांदनी सी है मेरी मां , हर सांस सी है आती-जाती मेरी मां ...मेरी मां। मेरी हर छुवन में; मेरे होठों की हंसी में है, और मेरे आंसुओं में भी रहती है मेरी मां.. मेरी मां।। कभी देखो मेरी तरफ; मेरी हर सांस में बहती है मेरी मां..मेरी मां ,

मेरी पायल के घुंघरू में है मेरी मां ...मेरी मां ।।

जब वह बोलते हैं तो लगता है ..देखो आ रही है मेरी मां ।

चूड़ियों की खन खन में है मेरी मां ;

चूड़ियों भी तो खनकी है ..देखो, आई है मेरी मां..मेरी मां ।।

मेरे मन में है, मेरे तन में है ,मेरी सांसों में है ;

मेरे जीवन में है मेरी मां.. मेरी मां ।।

हर आहट में है , हर सरसराहट में है , मेरी मां.. मेरी मां ।

दरवाजा सा खुला है, देखो आई है मेरी मां.. मेरी मां।।

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यह कैसा रिश्ता है?...

यह कैसा रिश्ता है मेरा तुमसे? यह सोचते हैं कि यह कैसा है।

यह फूलों में बसी खुशबू जैसा है जो सूख सकता है पर जुदा नहीं हो सकता।

यह ऐसा रिश्ता है .. क्या कहूं यह कैसा है ।

यह दिल में बसी धड़कन सा है...वह रुके तो सब खत्म सा है।

अब यह सोचो कि यह कैसा रिश्ता है?

इसमें कोई बंधन नहीं है,कोई हक भी नहीं है।।

यह कैसा रिश्ता है मेरा तुमसे? यह सोचते हैं कि यह कैसा है।

यह फूलों में बसी खुशबू जैसा है... जो सूख सकता है पर जुदा नहीं हो सकता।

यह ऐसा रिश्ता है ..क्या कहूं यह कैसा है ।

यह भक्त और भगवान सा है।

उसी से निकला है और उसी की तलाश में है।

अब तुम सोचो, यह कैसा रिश्ता है?

इसमें कोई बंधन नहीं है, कोई हक भी नहीं है।

बस फिर भी जो है वह बस तुमसे है।

तुम ही सोचो यह कैसा रिश्ता है?

यही सोचते हैं कि जिस के अहसास से हिल जाते हैं ,

वह सामने हो तो क्या हो?

बताओ जरा यह कैसा रिश्ता है।

तुम्हें दूर से ही महसूस कर लेना।

तुम्हें जान लेना और बिन देखे बिन मिले हाल-ए-दिल पहचान लेना।

अब क्या कहें कि यह कैसा रिश्ता है।

हम अगर यह कहे कि तुम्हें बहुत याद करते हैं तो यह भी झूठ ही होगा।

सच तो यह है कि हम तुम्हें कभी भूलते ही नहीं है।

बस यह ऐसा रिश्ता है।

मेरी आस में, एहसास में ..तुम हो।

मेरी हंसी में, मेरी खुशी में ,मेरी दुआओं में, मेरी जुबा में.. तुम हो।

मेरी आंखों में, मेरे ख्वाबों में, मेरी धड़कनों में ,तुम हो ...तुम हो.. तुम ही हो मेरे शिव।

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" चाँद "

मेरी माँ चाँद है मै नहीं कहती हूँ,,

मगर मेरे हर अँधेरे में वो चांदनी सी साथ चलती है,

मेरी माँ सूरज है,मै तो नहीं कहती हूँ,,

मगर मेरी अँधेरी राह वो रोशन करती है,,

मेरी माँ तारा है मै तो नहीं कहती हूँ,,

मगर मेरे मेरे ग़म में वो मेरे साथ टूटती है,

मेरी माँ हवा है यें मै तो नही कहती हूँ,,,,

मगर फिर भी वो मुझे छूकर निकल जाती है जैसे दुआ दे रही हो.. .

मेरी माँ पानी है मै यें तो नहीं कहती हूँ,,,

मगर मेरी जन्मों कि प्यास बुझा देती है, मेरी माँ,,

मेरी माँ चाँद है मै यें तो नी कहती ,,

मगर चांदनी सी साथ चलती है मेरी माँ ,,,,

मेरी माँ❤


मेरी मां... ..Written by NEEHA ,,,,,! मेरी मां...मेरी मां ;क्या कहूं, कैसी है मेरी मां, दूर आसमान में चमकते चांद की चांदनी सी है मेरी मां।। दूध के पत्ते पर पड़ी ओस की बूंद सी है, जो दिखती सुंदर है, पर छूने से खो जाती है मेरी मां ..मेरी मां।। बारिश की बूंद सी है, नाचते मोर सी है, बहुत प्यारी है , चमकते सूरज सी है ,प्रकाश बहुत है , पर छू नहीं सकते मेरी मां... मेरी मां।। हर श्वास सी है आती-जाती ,मेरी मां...मेरी मां। क्या कहूं, कैसी है मेरी मां? दूर आसमान में चमकते चांद की चांदनी सी है मेरी मां , हर सांस सी है आती-जाती मेरी मां ...मेरी मां। मेरी हर छुवन में; मेरे होठों की हंसी में है, और मेरे आंसुओं में भी रहती है मेरी मां.. मेरी मां।। कभी देखो मेरी तरफ; मेरी हर सांस में बहती है मेरी मां..मेरी मां , मेरी पायल के घुंघरू में है मेरी मां ...मेरी मां ।। जब वह बोलते हैं तो लगता है ..देखो आ रही है मेरी मां । चूड़ियों की खन खन में है मेरी मां ; चूड़ियों भी तो खनकी है ..देखो, आई है मेरी मां..मेरी मां ।। मेरे मन में है, मेरे तन में है ,मेरी सांसों में है ; मेरे जीवन में है मेरी मां.. मेरी मां ।। हर आहट में है , हर सरसराहट में है , मेरी मां.. मेरी मां । दरवाजा सा खुला है, देखो आई है मेरी मां.. मेरी मां।।

मेरी जिंदगी .... ❤❤ Written by NEEHA ,,,,,,!!

एक दिन जिंदगी से मुलाक़ात हो गयी,

उस पल मेरी बेचैन धड़कन मेरे साथ हो गयी,

ना जाने कौन सा वो पल था,

मेरी बरसों से सूखी आँखों मे बरसात हो गयी,

तब मेरी' जिंदगी से मुलाक़ात हो गयी,

मैंने सोचा कौन हूँ मै, जिंदगी क्या चीज है,

उसने बोला कानों में, सुन मै तो तेरी सांस हूं,

मुझे लेना तेरा काम है, उस दिन मुझे आया समझ,

मै हूं नहीं बस एक चेहरा, मै तो छुपी हूँ, " और कहीं "

उसने कहा हंसकर मुझे, तुम-तो मेरा आशमाँ हो, और बारिशों से आयी हो,

मै तो खड़ी यह सोंचती, "ये कौन है" मेरे कानों में कहे, मिश्री सी मन में घोलता, "यह कौन है " "यह कौन है " उसने मुझे बोला सुनो, अंदर चलो, अंदर चलो. और देखो अपने सागर को, जो तेरे ही मन में है छुपा, मै उसकी गहराई में हूं, क्यों ढूंढता मुझे है कहीं, महसूस कर, महसूस कर,

मेरे साथ चल, मेरे पास चल, मै जाने कबसे था रुका ,,

तेरी खोज में, तेरी प्यास में, मेरे साथ चल, मेरी जिंदगी मेरे पास चल,,

उसने कहा ओ बेखबर, मुझे खोज मत महसूस कर, महसूस कर,

मेरी जिंदगी महसूस कर,, मत जा मेरे होने पे, और मेरे शब्दों पे,,

जाना मेरी महसूस कर, जो ना कहा, उसे सुन ले तू,,,

जो है कहा उसे जान ले,,मै तेरा अख्श हूं,

तेरे पास हूँ, तेरी रूह का विश्वाश हूँ,

मत सुन मुझे महसूस कर, जो तेरे दिल धड़क रहा,,

उस दिल की मै आवाज हूँ,,तू सुन मुझे बस ध्यान से,

तेरा अक्स हूँ, तेरी सांस हूँ, मै तेरे सामने नहीं,,

मगर तेरे आस - पास हूँ,, मै ही हूँ तेरी जिंदगी..

🙏 जय शिव शम्भू 🙏 शिवोहम

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जय कामाख्या मांई की।

यहां कामाख्या मंदिर में

तुम्हारे साथ रहकर

अक्सर मुझे ऐसा महसूस हुआ है ।

कि दिशाएँ पास आ गई हैं,

हर रास्ता छोटा हो गया है,

दुनिया सिमटकर

तेरे आँगन-सी बन गई है

जो खचाखच भरा है भक्तो से,

और यहां एकांत भी है

मेरे बाहर भी, मेरे भीतर भी।

यहां हर चीज़ का आकार घट गया है,

पेड़ इतने छोटे हो गए हैं

कि मैं उनके शीश पर हाथ रख

आशीष दे सकती हूँ,

आकाश हृदय से टकराता है,

मैं जब चाहूँ बादलों में मुँह छिपा सकती हूँ।

तुम्हारे साथ रहकर

अक्सर मुझे महसूस हुआ है

कि हर बात का एक मतलब होता है,

यहाँ तक कि घास के हिलने का भी,

हवा के खिड़की से आने का,

और धूप का दीवार पर

चढ़कर चले जाने का।

तुम्हारे साथ रहकर

अक्सर मुझे लगा है

कि हम असमर्थताओं से नहीं

संभावनाओं से घिरे हैं,

हर दीवार में द्वार बन सकता है

और हर द्वार से पूरा का पूरा

पहाड़ गुज़र सकता है।

शक्ति अगर सीमित है

तो हर चीज़ अशक्त भी है,

भुजाएँ अगर छोटी हैं,

तो सागर भी सिमटा हुआ है,

हे आदि शक्ति

सामर्थ्य तुम्हारा दूसरा नाम है,

मुझे सामर्थ्य दो की "मैं" अब "तुम" हो जाऊं

हे कामाख्या मेरी नियति हो तुम।

जपते रहो।

जय जय काली जय महाकाली।

जय जय काली जय महाकाली।।

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यूं ही नहीं मान्यता है बिंदी की,

स्त्री में छुपे भद्रकाली के रूप को शांत करती है ।

यूं ही नहीं लगाती काजल,

नकारात्मकता निषेध हो जाती है

जिस आंगन स्त्री आंखों में काजल लगाती है

होंठों को रंगना कोई आकर्षण नहीं,

प्रेम की अद्भुत पराकाष्ठा को चिन्हित करती हुई

जीवन में रंग बिखेरती है ।

नथ पहनती है,

तो करुणा का सागर हो जाती है ।

और कानों में कुंडल पहनती है ,

तो संवेदनाओं का सागर बन जाती है ।

चूड़ियों में अपने परिवार को बांधती है,

इसीलिए तो एक भी चूड़ी मोलने नहीं देती ।

पाजेब की खनक सी मचलती है,

प्रेम में जैसे मछली हो जाती है ।

वो स्त्री है साहब... स्वयं में ब्रह्मांड लिए चलती है

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..Written by NEEHA ,,,,,!

हार नहीं मानेंगे हम //

कुछ लोग मिले जो बिछड़ गए, पर उनकी खातिर हम ना रुके,

हम लिए हाथ मे हाथ तेरा चलते ही रहे कांटों पर भी,

तुम मौन रहे, पर साथ रहे, जो कहते थे ना छोडेंगे, वो बदली बनकर उड़ते गए,

पर तुम तो हमेशा डँटे रहे, दिल मे नाजुक सा सच लेकर दुनिया से लड़ते आये हो,

हम हार नहीं मानेंगे अब, अब तो जीत ही जाना है,

जीवन के अब इस मोड़ पे भी मुझे साथ तुम्हारा पाना है,,

तुम बस मेरे अपने ही हो बांकी सब सपने थे मेरे वो आज यही पर टूट गए,,

तुम एक ऐसा सच हो मेरा, जो सबको पीछे छोड़ चला,

हर एक मुश्किल जीवन की ,तेरे शिव तक ही तुमको लायी है,,

ये एक अंतिम मुश्किल बनकर , वो द्वार खोलने आयी है,,

वो बनकर मंजिल आएगा, तुम कांटों से ना घबराना,,

शिव साथ तेरे हरपल रहते हैँ, वो ना रोयें ये सोच के तू भी मुस्कराना ।।


"""" SHIVOHAM"""




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