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मैहर देवी की महिमा ...

  • Writer: Chida nanda
    Chida nanda
  • Dec 26, 2021
  • 5 min read

Updated: Dec 28, 2021

मैहर देवी मध्यप्रदेश के सतना जिले में मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर स्थित माता के इस मंदिर को मैहर देवी का शक्तिपीठ कहा जाता है.पिरामिडाकार त्रिकूट पर्वत में विराजीं मां शारदा का यह मंदिर 522 ईसा पूर्व का है. मैहर का मतलब है मां का हार. माना जाता है कि यहां मां सती का हार गिरा था.मध्यप्रदेश के सतना जिले में मैहर की माता शारदा का प्रसिद्ध मंदिर है. मान्यता है कि शाम की आरती होने के बाद जब मंदिर के कपाट बंद करके सभी पुजारी नीचे आ जाते हैं, तब यहां मंदिर के अंदर से घंटी और पूजा करने की आवाज आती है. लोग कहते है कि मां के भक्त ''आल्हा'' अभी भी पूजा करने आते हैं. अक्सर सुबह की आरती वे ही करते हैं, और रोज जब मंदिर के पट खुलते है तब कुछ न कुछ रहस्यमय अजूबे के दर्शन होते है. कभी मन्दिर के गर्भगृह रोशनी से सरोबार रहता है तो कभी अद्भुत खुशबू से. अक्सर मन्दिर के गर्भगृह में मां शारदा के ऊपर अद्भुत फूल चढ़ा मिलता है. मैहर माता के मंदिर में लोग अपनी मनमांगी मुरादे पाने के लिए साल भर आते है. ऐसी मान्यता है कि शारदा माता इंसान को अमर होने का वर प्रदान करती है. मध्यप्रदेश के सतना जिले में मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर स्थित माता के इस मंदिर को मैहर देवी का शक्तिपीठ कहा जाता है. मैहर का मतलब है मां का हार. माना जाता है कि यहां मां सती का हार गिरा था. इसीलिए इसकी गणना शक्तिपीठों में की जाती है. करीब 1,063 सीढ़ियां चढ़ने के बाद माता के दर्शन होते हैं. पूरे भारत में सतना का मैहर मंदिर माता शारदा का अकेला मंदिर है. कहते हैं कि आल्हा और ऊदल दोनों भाइयों ने ही सबसे पहले जंगलों के बीच शारदादेवी के इस मंदिर की खोज की थी. आल्हा ने यहां 12 वर्षों तक माता की तपस्या की थी. आल्हा माता को शारदा माई कहकर पुकारा करते थे इसीलिए प्रचलन में उनका नाम शारदा माई हो गया. इसके अलावा, ये भी मान्यता है कि यहां पर सर्वप्रथम आदिगुरु शंकराचार्य ने 9वीं-10वीं शताब्दी में पूजा-अर्चना की थी. माता शारदा की मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत 559 में की गई थी.विन्ध्य पर्वत श्रेणियों के मध्य त्रिकूट पर्वत पर स्थित इस मंदिर के बारे मान्यता है कि मां शारदा की प्रथम पूजा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी. मैहर पर्वत का नाम प्राचीन धर्मग्रंथ ''महेन्द्र'' में मिलता है. इसका उल्लेख भारत के अन्य पर्वतों के साथ पुराणों में भी आया है. इस मंदिर की पवित्रता का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि अभी भी आल्हा मां शारदा की पूजा करने सुबह पहुंचते हैं. मैहर मंदिर के महंत पंडित बताते हैं कि अभी भी मां का पहला श्रृंगार आल्हा ही करते हैं और जब ब्रह्म मुहूर्त में शारदा मंदिर के पट खोले जाते हैं तो पूजा की हुई मिलती है. इस रहस्य को सुलझाने हेतु कई टीम डेरा भी जमा चुकी है लेकिन रहस्य अभी भी बरकरार है.जनश्रुतियों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मैहर नगर का नाम मां शारदा मंदिर के कारण ही अस्तित्व में आया. हिन्दू श्रद्धालुजन देवी को मां अथवा माई के रूप में परंपरा से संबोधित करते चले आ रहे हैं. माई का घर होने के कारण पहले माई घर तथा इसके उपरांत इस नगर को मैहर के नाम से संबोधित किया जाने लगा. एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान शंकर के तांडव नृत्य के दौरान उनके कंधे पर रखे माता सती के शव से गले का हार त्रिकूट पर्वत के शिखर पर आ गिरा. इसी वजह से यह स्थान शक्तिपीठ तथा नाम माई का हार के आधार पर मैहर के रूप में विकसित हुआ. मैहर के आस पास घूमने की जगह मैहर धाम में मंदिर के अलाबा और भी अन्य दार्शनिक स्थान है :- आल्हा उदल अखाडा :- जो माँ शारदा देवी के अनन्य भक्त थे इसी बजह से मैहर आने बाले श्रद्धालु यहाँ जरूर जाते है इस अखाड़े के पास में ही आपको एक सरोवर भी देखने के लिए मिलता है, जहां पर खूबसूरत कमल के फूल लगे रहते हैं। लेकिन अब आधुनिक युग में यह स्थान मंदिर में तब्दील हो चूका है। ऐसी मान्यता है की इस सरोवर में आल्हा और उदल स्नान करके रात्रि में माँ शारदा देवी के दर्शन के लिए जाते है ।मंदिर से 2 किलोमीटर की दूर स्थित ये यह मंदिर आल्हा और उदल को समर्पित है । इस जगह की मान्यता है की ये दोनों योद्धा यहाँ पर युद्ध का अभ्यास किया करते थे। पन्नी खोह जलप्रपात मैहर धाम से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह झरना काफी ज्यादा खूबसूरत है।पहाड़ के ऊपर से गिरती हुए झिलमिल जलधारा और ठंडी हवाओं के साथ उड़ती हुयी बूंदे यहाँ आने बाले पर्यटकों को सुकून भर अनुभव देती है ।यह जलप्रपात जंगल में स्थित है और यहां पर आप घूमने के लिए बरसात के समय जा सकते हैं। इस जलप्रपात में जाने के लिए आपको पैदल जाना पड़ता है, क्योंकि यहां पर जाने के लिए सड़क नहीं है। बड़ा अखाडा मंदिर मैहर मैहर में घूमने की जगहों में से एक प्रमुख पर्यटन स्थल बड़ा अखाडा मंदिर है एक बहुत बड़ा शिवलिंग मंदिर की छत पर बना हुआ है और मंदिर के अंदर 108 शिवलिंग विराजमान है। यहां पर मुख्य शिवलिंग भी मंदिर के गर्भ गृह में आपको देखने के लिए मिल जाएगा। इसके अलावा मंदिर में आपको आश्रम भी देखने के लिए मिलता है, गोल मठ मंदिर मैहर - गोल मठ मंदिर मैहर में स्थित एक प्राचीन मंदिर है और यहां पर भी बहुत सारे लोग घूमने के लिए आते हैं। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है और यह जो मंदिर है, पूरा मंदिर पत्थरों से बना हुआ है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि यह मंदिर एक रात में ही तैयार किया गया था और मंदिर में बहुत ही खूबसूरत नक्काशी आपको देखने के लिए मिल जाती है। मंदिर के बाहर मंडप में नंदी भगवान जी की प्रतिमा विराजमान है और मंदिर के अंदर गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है। आपको यहां पर आकर बहुत अच्छा लगेगा। यहां पर आकर शांति मिलती है। बड़ी खेरमाई मंदिर बड़ी खेरमाई मंदिर मैहर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि बड़ी खेरमाई मैहर वाली शारदा माता की बड़ी बहन है और जो कोई भी मैहर वाली शारदा माता के दर्शन करने आता है। उन्हें इस मंदिर में बड़ी खेरमाई माता के दर्शन करने जरूर आना चाहिए। इस मंदिर में आपको बड़ी खेरमाई के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। मैहर के बड़ी खेरमाई मंदिर में आपको एक बावली भी देखने के लिए मिलती है। यह बावड़ी देखने में बहुत ही पुरानी लगती है। इस बावड़ी को ऊपर से कवर कर दिया गया है, ताकि कोई व्यक्ति इस बावड़ी में गिरे ना। इस बावड़ी में नीचे जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। यह बावड़ी मंदिर के बहुत पास ही में स्थित है। आप बड़ी खेरमाई मंदिर घूमने के लिए आते हैं, तो 12 बजे के पहले आ जाइए, क्योंकि 12 बजे के बाद बड़ी खेरमाई मंदिर के पट बंद हो जाता है, तो आपको माता के दर्शन करने नहीं मिलेंगे।

....SHIVOHAM.....


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