14 महेश्वर सूत्र
पुराणों में वर्णित है कि भगवान शिव के डमरू से कुछ अचूक और चमत्कारी मंत्र निकले थे।शिव के डमरू से प्राप्त 14 सूत्रों को एक श्वास में बोलने का अभ्यास किया जाता है। यह मंत्र कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। इनकी एक माला (108 मंत्र) का जप प्रतिदिन करने से कोई भी कठिन कार्य हो शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है।
'अइउण्, त्रृलृक, एओड्, ऐऔच, हयवरट्, लण्, ञमड.णनम्, भ्रझभञ, घढधश्, जबगडदश्, खफछठथ, चटतव, कपय्, शषसर, हल्।
ङ ञ ष ज्ञ - These letters pronounced with a combination of two or more of the aforementioned classifications and hence deemed complex. Their pronunciations are given below -
ङ - AnGa
ञ - AnJa
ष - Ssha (formed by rolling the tongue inwards and producing the sound sshh)
ज्ञ - Gnya (combines ga, na, and ya in quick successionand ends in a aa sound)
शिव सूत्र रूप मंत्र इस प्रकार है- 'अइउण्, त्रृलृक, एओड्, ऐऔच, हयवरट्, लण्, ञमड.णनम्, भ्रझभञ, घढधश्, जबगडदश्, खफछ कपय्, शषसर, हल्।
1- बिच्छू के काटने पर इन सूत्रों से झाड़ने पर विष उतर जाता है।
2-सर्प के काटने पर जिस व्यक्ति को सर्प ने काटा हो उसके कान में उच्च स्वर से इन सूत्रों का पाठ सुनाना चाहिए।
3-ऊपरी बाधा का आवेश जिस व्यक्ति पर आया हो उस पर इन सूत्रों से अभिमन्त्रित जल डालने से आवेश छूट जाता है। इन सूत्रों को भोज पत्र पर लिखकर गले मे बांधने से अथवा हाथ पर बांधने से प्रेत बाधा नष्ट हो जाती है।
4-ज्वर, सन्निपात, तिजारी, चौथिया आदि रोग में इन सूत्रों द्वारा झाड़ने फूंकने से ज्वर शीघ्र छूट जाता है अथवा इन्हे पीपल के बड़े पत्ते पर लिखकर गले या हाथ पर बांधने से भी ज्वर छूट जाते हैं।
5-उन्माद या मृगी आदि रोग से पीड़ित होने पर इन सूत्रों से झाड़ना चाहिए तथा प्रतिदिन जल को अभिमंत्रित करके पिलाना चाहिए।अथवा सफेद चंदन से अनार की कलम के द्वारा भोजपत्र पर लिखकर कवच के रूप में बांधा जा सकता है।
NOTE;-
इनका जप एक श्वास में करने का अभ्यास होना चाहिए।
...SHIVOHAM...
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