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इस मंत्र के जाप से साक्षात प्रगट हो जाते है हनुमान...



हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक आध्यात्मिक संगठन के पास है। सेतु के संत पिदुरु पर्वत की तलहटी में स्थित अपने आश्रम में इस पुस्तिका को समझकर इसका आधुनिक भाषाओं में अनुवाद करने की चेष्टा में जुटे हुए हैं। लेकिन इन आदिवासियों की भाषा की कलिष्टता और हनुमान जी की रहस्य्मयी लीलाएं इतनी पेचीदा हैं कि उसको समझने में ही काफी समय लग रहा है। पिछले 6 महीने में केवल 3 अध्यायों का ही अनुवाद हो पाया है........!भगवान हनुमान को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। कहा जाता है कि वे आज भी जीवित हैं और हिमालय के जंगलों में रहते है। वे भक्तों की सहायता करने मानव समाज में आते हैं लेकिन किसी को आंखों से दिखाई नहीं देते,लेकिन एक ऐसा मंत्र है जिसके जाप से हनुमान जी भक्त के सामने साक्षात प्रकट हो जाते हैं, ऐसी मान्यता कुछ वर्षों से प्रचलित है।हनुमान जी ! देश के, सबसे लोकप्रिय, प्रसिद्ध, पूजनीय पांच देवताओं में से एक है। अकेले ऐसे पात्र, जिनकी मौजूदगी रामायण और महाभारत दोनों ग्रंथों में पाई जाती है। जिनके बारे में यह मान्यता है कि वे अजर-अमर

और चिरंजीवी हैं और अपने भक्तों की रक्षा के लिए आज भी धरती पर विचरण करते हैं। उनका निवास हिमालय में माना जाता है, जहां से वे अपने भक्तों की पुकार पर उनकी सहायता करने मानव समाज में आते हैं लेकिन किसी को आँखों से दिखाई नहीं देते। लेकिन उन्हीं का दिया हुआ एक ऐसा मंत्र भी है जिसके जाप से हनुमान जी अपने सच्चे भक्त के सामने साक्षात प्रकट हो जाते हैं।

चमत्कारिक मंत्र ; -

यही वह मंत्र हैं जिसका जाप करने से हनुमान जी प्रगट होते हैं।वह मंत्र है... ॐ काल तंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु , निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु।।

मंत्र का अर्थ ...हे! समय की चाल के धागों में चलने वाले ...इस नाशवान को समय से बाहर ले आ...ओ अजर अमर!

इस मंत्र में “काल तंतु कारे” का अर्थ समय के धागों का जाल है।उदाहरण के तौर पर जब हम मनुष्य समय के बारे में सोचते हैं तो हमारे मन में घडी का विचार आता है; लेकिन जब भगवान समय के बारे में सोचते हैं तो उन्हें समय के धागों (तंतुओं ) का विचार आता है।

NOTE;-

कोई भी भक्त इस दैवी मंत्र के जाप से हनुमान जी को अपने पास पा उनके वास्तविक रूप के दर्शन कर उनकी असीम कृपा का भागी बन सकता है। मंत्र की शक्ति से हनुमान जी को महसूस किया जा सकता है। उस वक्त आपको ऐसा लगता है जैसे भगवान आपके सामने ही प्रगट हो चुके है। हालांकि, मंत्रोच्चारण को लेकर भी कुछ विधि और नियमों का लेख है। पर क्या खुद को इस लायक बना पाना इतना आसान है ? मार्ग तो सैंकड़ों वर्ष पहले तुलसीदास जी भी बता गए थे - संकट ते हनुमान छुड़ावै, मन-क्रम-बचन ध्यान जो लावै।यानी संकट पड़ने पर जिस वीर हनुमान के नाम का लोग मन, कर्म और वचन से जाप करते हैं, ध्यान लगाते हैं , उन्हें हर संकट से मुक्ति मिल जाती है। पर कितने लोग मन-कर्म और वचन से निष्ठावान हो पाए। फिर भी यदि उपरोक्त सारी खोज फलीभूत हो जाती है तो यह हम सब के लिए गौरव का विषय होगा। इस मंत्र के जाप करने से भगवान के प्रगट होने की मान्यता हैं, लेकिन इसके लिए कुछ नियम है। मंत्र काम नहीं करता है तो उसके पीछे दो कारण हो सकते है। पहला यह कि भक्त को अपनी आत्मा के हनुमानजी के साथ संबंध का बोध होना चाहिए। जबकि दूसरा कारण यह है कि जिस जगह पर यह मंत्र जाप किया जाए उस जगह के 980 मीटर के दायरे में कोई भी ऐसा मनुष्य उपस्थित न हो जो पहली शर्त को पूरी न करता हो। अर्थात या तो 980 मीटर के दायरे में कोई नहीं होना चाहिए अथवा जो भी उपस्थित हो उसे अपनी आत्मा के हनुमान जी के साथ सम्बन्ध का बोध होना चाहिए।

इस महामंत्र की कथा;-

03 FACTS;-

1-रामायण में अभिन्न रूप से जुडी लंका की एक आदिवासी जनजाति का यह दावा है कि हनुमान जी की उन पर असीम कृपा है। उनके अनुसार जब प्रभु राम जी ने अपना मानव जीवन पूरा कर समाधि ले गो-लोक प्रस्थान किया तो हनुमान जी ने भी व्यथित हो अयोध्या यह सोच कर छोड़ दी कि जब मेरे प्रभू ही यहां नहीं हैं तो मेरा क्या काम ! उन्होंने जंगलों को अपना आवास बना लिया था। पर मन जब अपने इष्ट के बिना ज्यादा व्यथित हो जाता था तो वह देशाटन के लिए निकल जाते थे। ऐसे ही एक बार वे भ्रमण करते हुए लंका के जंगलों में भी चले गए थे जहाँ उस समय विभीषण का राज्य था। वहां उन्होंने प्रभु राम के स्मरण में पिदुरु (पिदुरुथालागाला) जो श्री लंका का सबसे ऊँचा पर्वत है, वहां बहुत दिन गुजारे थे। उसी दौरान वहां रहने वाले मातंग आदिवासियों, जो कि लंका की पुरानी जन-जाति वेद्दाह की एक उप-जाति है, ने उनकी खूब सेवा की थी। हनुमान जी भी उनसे बहुत घुल-मिल गए थे। जब वे वहां से लौटने लगे तब वहां के लोग बहुत दुखी हो गए, बोले प्रभू हमें अब कौन राह दिखाएगा ! कौन हमें उबारेगा ! इन लोगों ने हनुमान जी को रोकने की बहुत कोशिश की ! पर रमता जोगी बहता पानी कब एक जगह ठहरता है ! पर उनका प्रेम देख भक्तवत्सल हनुमान जी ने यह मंत्र उनको देते हुए कहा, मैं आपकी सेवा, प्रेम और समर्पण से अति प्रसन्न हूँ। जब भी आप लोगों को मेरी जरुरत हो, इस मंत्र का जाप करना, मै प्रकाश की गति से आपके पास आ जाऊँगा। यह कह कर उन्होंने वह अमोघ मंत्र उनके मुखिया को सौंप दिया।

2-यह मंत्र स्वयं हनुमान जी ने पिदुरु पर्वत के जंगलों में रहने वाले कुछ आदिवासियों को दिया था। जब वे पिदुरु से लौटने लगे तब उन्होंने यह मंत्र उन जंगल वासियों को देते हुए कहा - "मैं आपकी सेवा और समर्पण से अति प्रसन्न हूं। जब भी आप लोगों को मेरे दर्शन करने की अभिलाषा हो, इस मंत्र का जाप करना मै प्रकाश की गति से आपके सामने आकर प्रकट हो जाउंगा। जंगल वासियों के मुखिया ने कहा -"हे प्रभु , हम इस मंत्र को गुप्त रखेंगे लेकिन फिर भी अगर किसी को यह मंत्र पता चल गया और वह इस मंत्र का दुरुपयोग करने लगा तो क्या होगा। तब हनुमान जी ने उतर दिया कि आप उसकी चिंता न करें। अगर कोई ऐसा व्यक्ति इस मंत्र का जाप करेगा जिसको अपनी आत्मा के मेरे साथ सम्बन्ध का बोध न हो तो यह मंत्र काम नहीं करेगा।मान्यता है कि जंगलवासियों के मुखिया ने पूछा था कि "भगवन , आपने हमें तो आत्मा का ज्ञान दे दिया है जिससे हम तो अपनी आत्मा के आपके साथ सम्बन्ध से परिचित हैं, लेकिन हमारे बच्चों और आने वाली पीढिय़ों का क्या ? उनके पास तो आत्मा का ज्ञान नहीं होगा। उन्हें अपनी आत्मा के आपके साथ सम्बन्ध का बोध भी नहीं होगा। इसलिए यह मंत्र उनके लिए तो काम नहीं करेगा।

3-जिस पर हनुमान जी ने कहा था कि मैं यह वचन देता हूं कि मैं आपके कुटुंब के साथ समय बिताने हर 41 साल बाद आता रहूंगा और आकर आपकी आने वाली पीढिय़ों को भी आत्म ज्ञान देता रहूँगा जिससे कि समय के अंत तक आपके कुनबे के लोग यह मंत्र जाप करके कभी भी मेरे साक्षात दर्शन कर सकेंगे। इस कुटुंब के जंगलवासी अब भी श्रीलंका के पिदुरु पर्वत के जंगलों में रहते हैं। वे आदिवासी आज तक आधुनिक समाज से कटे हुए हैं। इनके हनुमान जी के साथ विचित्र सम्बन्ध के बारे में पिछले साल ही पता चला जब कुछ अन्वेषकों ने इनकी विचित्र गतिविधियों पर गौर किया गया है।हर 41 साल बाद होने वाली घटना का हिस्सा हैं जिसके तहत हनुमान जी अपने वचन के अनुसार उन्हें हर 41 साल बाद आत्म ज्ञान देते आते हैं। हनुमान जी उनके पास 2014 में भी यहां रहने आए थे ऐसा भी कहा जाता है। इसके बाद वे 41 साल बाद यानि 2055 में आएंगे,लेकिन वे इस मंत्र का जाप करके कभी भी उनके साक्षात् दर्शन प्राप्त कर सकते हैं। जब हनुमान जी उनके पास 41 साल बाद रहने आते हैं तो उनके द्वारा उस प्रवास के दौरान किए गए हर कार्य और उनके द्वारा बोले गए हर शब्द का एक एक मिनट का विवरण इन आदिवासियों के मुखिया बाबा मातंग अपनी हनु पुस्तिका में नोट करते हैं।

...SHIVOHAM...

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