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कौन सा अनुष्ठान किस कामना के लिए किया जाना चाहिए ?

  • Writer: Chida nanda
    Chida nanda
  • Jan 19, 2023
  • 4 min read

1-बटुक भैरव स्त्रोत्र ;-

इस स्त्रोत्र के पाठ करने मात्र से महामारी,राजभय ,अग्निभय, चोरभय, उत्पात, भयानक स्वप्न के भय

में, घोर बंधन में इस बटुक भैरव का पाठ अति लाभदाई है |तथा हर प्रकार की सिद्धि हो जाती है | इस प्रयोग

का कम से कम 108 पाठ करना चाहिए |

2-श्री सूक्त प्रयोग:-

श्री सूक्त प्रयोग एक ऐसा प्रयोग है जिससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर घर में स्थिर रूप से निवास

करती है | इसके 1100 आवृति [ पाठ ] कराने पर विशेष लाभ होता है |

3-श्रीकनकधारा स्तोत्र :-

यह स्तोत्र आद्यशंकराचार्य जी द्वारा रचित है जिसके पाठ से स्वर्ण वर्षा हुई थी |कनकधारा स्तोत्र के पाठ करवाने से घर ऑफिस व्यापार स्थल में उतरोत्तर वृद्धि होती रहती है |कनकधारा में कमल प्रयोग से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है |

4-श्रीमदभगवत गीता : -

यह महाभारत के भीष्म पर्व से लिया गया है | इसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को आत्मज्ञान दिया तथा कर्म में लगे रहने के विषय में बतलाया है | इस के पाठ करवाने से घर में शांति सुख समृद्धि आती है , तथा सभी दोष पाठ मात्र से नष्ट होते है |यह अत्यंत लाभकारी है |

5-श्री अखंड रामचरित मानस पाठ :-

यह तुलसीदास द्वारा रचित है l इस मानस में सात कांड जिसका पारायण [पाठ] अनवरत है | इसलिए इसे अखंड पाठ कहते है | यह 20 से 25 घंटे में पूर्ण होता है | मानस पाठ से घर मे काफी शांति तथा यश व कीर्ति बढती है तथा मनुष्य सही नीति से चलता है l

6-सुंदर कांड पाठ :-

सुंदर कांड पाठ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस से लिया गया है इस पाठ से हनुमान जी को प्रसन्न किया जाता है विशेषतः शनि के प्रकोप को शांत करणे के लिये सुंदरकांड का पाठ लाभदायक होता है , वैसे कम से कम 108 पाठ ब्राह्मण के द्वारा करवाया जाता है l

7-हनुमान चालीसा :-

हनुमान चालीसा कलियुग मे मनुष्य के जीवन का आधार है इसका पाठ प्रायः प्रतिदिन किया जाता है l परंतु विशेष रूप से 41 दिन मे प्रतिदिन 100 पाठ कराने से हर महत्वपूर्ण कार्य सफल होता है।

8-बजरंग बाण :-

बजरंग बाण के पाठ से मनुष्य स्वयं सुरक्षित रहता है l बजरंग बाण के पाठ से मनुष्य सुरक्षित राहता है इसका कम से कम 52 पाठ करके हवन करने पर विशेष लाभ प्राप्त होता है l

9-हरि कीर्तन [ हरे राम हरे कृष्ण ] :-

प्रभू की कृपा प्राप्ति तथा घर मे आनंद एवं सुख के लिये तथा सन्मार्ग प्राप्प्ति के लिये हरि कीर्तन करवाया जाता है |

10- श्री सुंदर कांड [ वाल्मिकी रामायण ] :- वाल्मिकी रामायण के सुंदर कांड का पाठ करने से संतान बाधा दूर होती है तथा इसके प्रयोग से सारी कठिनाइयाँ समाप्त हो जाती है l वाल्मिकी द्वारा रचित सुंदर कांड एक याज्ञिक प्रयोग है l इस पाठ का 108 पाठ विशेषतः हवनात्मक रूप से लाभ दायक है l

11-श्री ललिता सहस्त्र नामावली :-

ललिता सहस्त्र नाम अर्थात दुर्गा माता की प्रतिमूर्ति है l इस सहस्त्र नाम के पाठ से अर्चन व अभिषेक तथा हवन करने से विशेषतः रोग बाधा दूर होता है l

12- श्री शिव सहस्त्र नामावली :

शिव सहस्त्रनामावली के कई प्रयोग है lइस प्रयोग से कई लाभ मिलते है l सहस्त्र नामावली के द्वारा अर्चन व अभिषेक तथा हवन प्रयोग से अपारशांति मिलती है l

13-श्री हनुमत सहस्त्र नामावली :-

श्री हनुमत सहस्त्रनामावली के प्रयोग से विशेषतः शनि शांति होती है l

14- श्री शनि सहस्त्र नामावली : -

शनि के प्रकोप या शनि कि साढे साती या अढ्या चाल रही हो तो शनि सहस्त्रनाम का प्रयोग किया जाता है l

15-श्री कात्यायनी देवी जप :-

जिस किसी भी कन्या के विवाह मे बाधा आ रही हो या विलंब हो रहा हो तो कात्यायनी देवी का 41000 मंत्र का जप केले के पत्ते पर ब्राह्मण पान खाकर जप करता है , तो उस कन्या के विवाह मे आने वाली सभी बाधाये दूर हो जाती है l यह अनुष्ठान 21 दिन मे पूर्ण हो जाता है l यह प्रयोग अनुभव सिद्ध है l

16-श्री गोपाल सहस्त्र नाम :-

जब किसी भी दंपती को पुत्र या संतान कि प्राप्ति न हो रही हो तो ,वह सदाचार तथा धार्मिक पुत्र की प्राप्ती के लिये गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करावे l गोपाल मंत्र का सवा लाख जप पुत्र प्राप्ति मे अत्यंत लाभदायक है l यह प्रयोग अनुभूत है l

17-श्री हरिवंश पुराण :-

श्री हरिवंश पुराण कथा का श्रवण अत्यंत प्रभावी होता है l जिस किसी भी परिवार मे संतान न उत्पन्न हो रहा हो तो इस पुराण के पारायण[ पाठ ] से घर मे संतान उत्पन्न होती है l यह अनुभूत है तथा ,यह 7 दिन का कार्यक्रम होता है l

18-श्री शिव पुराण :-

श्री शिव पुराण मे शिव जी की महिमा का ही विशेष वर्णन है तथा उनके सभी अवतारो का वर्णन किया गया है l यह श्रावण मास या पुरुषोत्तम मास मे विशेष रूप से पाठ बैठाया जाता है l

19-श्री देवी भागवत : -

श्री देवी भागवत मे भी 18000 श्लोक है तथा यह माता जी की प्रसन्नता के लिये किया जाता है ,यह प्रयोग नवरात्र या विशेष पर्व पर किया जाता है l

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