कैलाश ध्यान
कैलाश ध्यान के BASIC FACTS;-
पहला तथ्य स्वास एक असाधारण प्रकिया है ;जो हमे जन्म से मिली है।लेकिन हम इसके प्रति संवेदनशील नहीं है।परन्तु इस ध्यान में आप देखेंगे कि जब श्वास आपके फेफड़ों में भरी होगी और आप एक बेचैनी महसूस कर रहे होगें... तब श्वास का निकलना भी कितना महत्वपूर्ण और सुखदाई है।और वह खालीपन एक मृत्यु जैसा है लेकिन आप स्वास को खाली करके भी आनंदित और सुखद महसूस करेंगे। जब स्वास अंदर जाती है और आप उन्हें अपने फेफड़ों में भर लेते है। तब आप अपने को एक जीवन से भरा हुआ पाते है। और जब स्वास बाहर निकलती है तो आप अपने को खाली महसूस करते है।। इसके अलावा आप पहली बार जानेंगे कि हम स्वास को लेते है।
दूसरा तथ्य वास्तव में,हमारी तीसरी आँख ठीक माथे के सामने मस्तिष्क के बीचों बीच होती है।सम्पूर्ण प्रकृति विपरीत से बंधी है। प्रकाश -अंधकार, मृत्यु-जीवन और रात -दिन आदि को अलग नहीं कर सकते। ठीक इसी प्रकार स्थूल को सूक्ष्म से अलग नहीं किया जा सकता। हमारी दोनों आंखे स्थूल को देखने के लिए है।परन्तु तीसरी आँख -जहां पर हमारा छठा चक्र यानि आज्ञा चक्र है...सूक्ष्म को देख सकती है।यह प्रत्येक व्यक्ति का अलग-अलग होता है।उदाहरण के लिए जब कोई संन्यास लेता है ..तब गुरु उसकी तीसरी आँख को छूता है क्योकि वह उस तीसरी आँख को ...जो जन्मों से सोई पड़ी है ... जगा रहा है और क्रिया शील कर रहा है।जैसे-जैसे ध्यान गहरा होता जाता है, होश बढ़ता जाता है, आज्ञा चक्र भृकुटी की और सरकने लगता है। जिस दिन वह पलकों के... ठीक बीच में आ जाता है तो हमारी तीसरी आँख खुल जाती है। और ये एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि हमारी तीसरी आँख ध्यान की भूखी होती है।
तीसरा तथ्य...जब हम किसी भी वस्तु को देखते है ;तब हम उसकी तुलना या व्याख्या करते रहते है। इससे हमारे अंदर विचार चलते है। परन्तु उस देखने से हमारी उर्जा तीसरी आँख तक न जा कर विचारों के माध्यम से खत्म हो जाती है। इसलिए देखने के बारे में आप कुछ सोचे नहीं।तब आप महसूस करेंगे कि जब आप मात्र देख रहे होंगे.. तब केवल देखना ही रह जाएगा। यह ध्यान विशेषतया तीसरी आँख के लिए है।हमारे जीवन की 80%से भी अधिक उर्जा आँख के माध्यम से ही चूकती है।जब आप ये ध्यान करगें ; तब पहले चरण के बाद आपका रसायन बदल कर आपके शरीर में चेतना का एक कैलाश बन जायेगा।और वो उर्जा जो सालों से सोई पड़ी थी... एक विस्फोट का काम करेगी। और यही उचित समय है जब आप उसे वाहन की तरह इस्तेमाल कर सकते हो।
निर्देश: इस विधि में पंद्रह-पंद्रह मिनट के चार चरण है। पहले दो चरण साधक को तीसरे चरण में सहज ध्यान के लिए तैयार कर देते है। यदि पहले चरण में श्वास-प्रश्वास को ठीक से कर लिया जाए तो रक्त प्रवाह में निर्मित कार्बनडाइऑक्साइड के कारण आप स्वयं को कैलाश जितना ऊँचा अनुभव करेंगे।पहले तीन चरणों में पीछे सतत एक लयवद्ध ताल की ध्वनि चलती रहनी चाहिए।ये ताल हमारे शरीर के भिन्न आयामों और उसके रक्त चाप पर प्रभाव छोड़ेगी।वास्तव में, हमारे शरीर के भिन्न-भिन्न चक्रों की ताल भी भिन्न है। इसलिए भारतीय शास्त्रीय संगीत में भिन्न ताले है, कहरवा, तीनताल, झपताल, दादरा आदि…अब ये सब शोध का विषय है। हम एक प्रकार से ह्रदय की ताल से सम्मोहित है। जब बच्चा पेट में होता है, तो मां की ह्रदय की ध्वनि को सुनता रहता है।वह ताल हमारे अवचेतन में बस जाती है।इसीलिए इस सम्मोहन से बाहर निकालने के लिए एक भिन्न ताल चाहिए। पहला चरण .... आंखे बंद करके बैठ जाएं। नाक से गहरी श्वास लेकर फेफड़ों को भर लें। श्वास को जितनी देर बन पड़े रोके रखें, तब धीमे-धीमे मुख के द्वारा श्वास को बाहर छोड़ दे और जितनी देर संभव हो सके फेफड़ों को खाली रखें। फिर नाक से श्वास भीतर लें और पूरी प्रक्रिया को दोहराते रहे।परन्तु एक बात का ध्यान रखें शरीर पर किसी भी प्रकार का दबाव न बनाएँ।श्वास को रोकने की क्रिया एक खेल पूर्वक करें.. न की एक यौगिक क्रिया की भांति।इस प्रकिया को लगातार पंद्रह मिनट तक करे।
दूसरा चरण ... सामान्य श्वास प्रक्रिया पर लौट आएं और किसी मोमबत्ती की लौ अथवा जलते बुझते नीले प्रकाश को सौम्यता से देखें। देखने के लिए इस बात का ध्यान जरूर रखें कि उस समय कोई परिभाषा नहीं कर रहे होगें कि मोमबत्ती जल रही है ,लौ छोटी है, या उसका रंग कैसा है।जब आप मोमबत्ती को देख रहे होगें ...तब आपके आज्ञा चक्र पर विशेष चुंबकीय खिंचाव महसूस होगा। और आप दोनों आँखों के बीच में कुछ महसूस करेंगे।यह आपकी तीसरी आँख के क्रियाशील होने का संकेत है।शरीर को स्थिर रखे और उस प्रकाश को देखते रहे। आपकी आंखों से पानी बहनें लगेगा और हो सकता है कि देखते-देखते आप को नींद के झटके भी महसूस हो। ये इस ध्यान के चरण है लेकिन आप केवल उस प्रकाश को एकटक देखते रहे। अगर पलकें झपकती है तो कोई बात नहीं, परन्तु कोशिश करे कि पलकें कम से कम झपके । तीसरा चरण.... आंखे बंद रखे हुए ही खड़े हो जाएं, अपने शरीर को शिथिल एवं ग्रहणशील हो जाने दें। आपको सामान्य नियंत्रण के पार शरीर को गतिशील करती हुई सूक्ष्म ऊर्जाओं की अनुभूति होगी।हमारा सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर भिन्न-भिन्न आकार के है। उर्जा जब उठती है ...तब शरीर को विशेष मुद्रा बनाने को बाध्य करती है। ध्यान में उर्जा सक्रिय होने के बाद शरीर में भिन्न मुद्रा बना कर फैलना चलेगी।तब आप गति न करें ,मात्र देखें और उसके होने में सहभागी बने।जो होता है होने दे और हाथ पैरो की क्रिया के प्रति सजग रहे। जब आप इसे करेंगे तो आपको पहली बार सूक्ष्म ऊर्जाओं की .... spontaneous movements की अनुभूति होगी ...जो आपके नियंत्रण के बाहर है। चौथा चरण.... आंखे बंद किए हुए ही, शांत और शिथिल होकर लेट जाएं। ///////////////////////////////////////
THE KAILASH MEDITATION.... The meditation consists of four stages of fifteen minutes each. The first two stages are preparation for the spontaneous movements of the third stage. If the breathing is done correctly in the first stage, the carbon dioxide formed in the bloodstream will make you feel as high as Kailash. THE INSTRUCTIONS First Stage: 15 Minutes 15 minutes – Sit with closed eyes. Inhale deeply through the nose, filling the lungs. Hold the breath for as long as possible; then exhale very gently through the mouth, and keep the lungs empty for as long as possible. Continue this breathing throughout the first stage. Second Stage: 15 Minutes Return to normal breathing, keep your body still and relaxed in a sitting position and with your eyes open gaze softly at a candle flame or a flashing (strobe) blue light. If you use the strobe blue light, the frequency of the flashes should be synchronized with the drumbeats .The music for this stage should be 7 times of the average heart beat . Third Stage 15 Minutes With closed eyes, slowly get back on your feet with your body loose and receptive. Now move very gently and subtely in whichever way you want, the subtle energies will move you from within, as if you are a puppet hanging from invisible strings and being pulled in different directions slowly and gracefully. Fourth Stage 15 Minutes Close your eyes, lie down, doing nothing, be still.
..SHIVOHAM....
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