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कर्ण पिशाचिनी साधना

एक अनोखी साधना है कर्ण पिशाचिनी। इस साधना को व्यक्ति स्वयं कभी संपन्न नहीं कर सकता। उसे विशेषज्ञों और सिद्ध गुरुओं के मार्गदर्शन से ही सीखा जा सकता है। स्वयं करने से इसके नकारात्मक परिणाम भी देखे गए हैं। इस साधना को सिद्ध करने के बाद साधक में वो शक्ति आ जाती है कि वह सामने बैठे व्यक्ति की नितांत व्यक्तिगत जानकारी भी जान लेता है।

ऐसा वह कैसे करता है? यह एक सहज सवाल है। वास्तव में इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस साधना में ऐसी शक्ति का प्रयोग होता है, जो मनुष्य नहीं है।इस साधना की सिद्धि के पश्चात् किसी भी प्रश्न का उत्तर कोई पिशाचिनी कान में आकर देती है अर्थात् मंत्र की सिद्धि से पिशाच-वशीकरण होता है। मंत्र की सिद्धि से वश में आई कोई आत्मा कान में सही जवाब बता देती है। मृत्यु के उपरांत एक सामान्य व्यक्ति अगर मुक्ति ना प्राप्त करे तो उसकी क्षमताओं में आश्चर्यजनक वृद्धि हो जाती है।

पारलौकिक शक्तियों को वश में करने की यह विद्या अत्यंत गोपनीय और प्रामाणिक है। आलेख पढ़ने वाले हर शख्स को गंभीर चेतावनी दी जाती है कि इसे अकेले आजमाने की कतई कोशिश ना करें अन्यथा मन-मस्तिष्क पर भयावह असर पड़ सकता है।

कर्णपिशाचिनी साधना प्रयोग प्रमाणिक है पर साधक को गम्भीरता पूर्व सलाह है कि वह किसी योग्य गुरु निर्देश मे ही यह साधना सम्पन्न करेँ , और अपने जीवन मे गुरु मंत्र का कम से कम 11 लाख जप किया हो , क्योकि कई बार साधना अधूरी रह जाने पर साधक पागल के समान भी हो जाता है । कर्ण पिशाचिनी मंत्र के सात प्रयोग हैं। प्रस्तुत है पहला प्रयोग ...


प्रयोग 1

यह प्रयोग निरंतर ग्यारह दिन तक किया जाता है। सर्वप्रथम काँसे की थाली में सिंदूर का त्रिशूल बनाएँ। इस त्रिशूल का दिए गए मंत्र द्वारा विधिवत पूजन करें। यह पूजा रात और दिन उचित चौघड़िया में की जाती है।


गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएँ और 1100 मंत्रों का जाप करें। रात में भी इसी प्रकार त्रिशूल का पूजन करें। घी एवं तेल दोनों का दीपक जलाकर ग्यारह सौ बार मंत्र जप करें।


इस प्रकार ग्यारह दिन तक प्रयोग करने पर कर्ण पिशाचिनी सिद्ध हो जाती है। तत्पश्चात् किसी भी प्रश्न का मन में स्मरण करने पर साधक के कान में ‍पिशाचिनी सही उत्तर दे देती है।


सावधानियाँ :

एक समय भोजन करें।

* काले वस्त्र धारण करें।

* स्त्री से बातचीत भी वर्जित है। (साधनाकाल में)

* मन-कर्म-वचन की शुद्धि रखें।


मंत्र

।।ॐ नम: कर्णपिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि मम कर्णे अवतरावतर अतीता नागतवर्त मानानि दर्शय दर्शय मम भविष्य कथय-कथय ह्यीं कर्ण पिशाचिनी स्वहा।।


चेतावनी - पाठकों को गंभीर परामर्श देता है कि इस मंत्र का दुरुपयोग न करें।

- इस मंत्र को अज्ञानतावश आजमाने की कोशिश न करें।

- यह अत्यंत गोपनीय एवं दुर्लभ मंत्र है। इसे किसी सिद्ध पुरुष एवं प्रकांड विद्वान के मार्गदर्शन में ही करें।

- इस मंत्र को सिद्ध करने में अगर मामूली त्रुटि भी होती है तो इसका घोर नकारात्मक असर हो सकता है।

प्रयोग- 2 आम की लकड़ी से बने पटिए पर गुलाल बिछाएँ। अनार की कलम से रात्रि में एक सौ आठ बार मंत्र लिखें और मिटाते जाएँ। लिखते हुए मंत्र का उच्चारण भी जरूरी है। अंतिम मंत्र का पंचोपचार पूजन कर फिर से 1100 बार मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र को अपने सिरहाने रख कर सो जाए। लगातार 21 दिन करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। यह मंत्र अक्सर होली, दीवाली या ग्रहण से आरंभ किया जाता है। 21 दिन तक इसका प्रयोग होता है। सावधानी :- 1- मंत्र के पश्चात जिस कमरे में साधक सोए वहाँ और कोई नहीं सोए। 2- जहाँ बैठकर मंत्र लिखा जाए वहीं पर साधक सो जाए वहाँ से उठे नहीं। मंत्र :- 'ॐ नम: कर्णपिशाचिनी मत्तकारिणी प्रवेशे अतीतानागतवर्तमानानि सत्यं कथय में स्वाहा।।' प्रयोग-3

इस प्रयोग में काले ग्वारपाठे को अभिमंत्रित कर उसका हाथ-पैरों में लेप कर नीचे दिए गए मंत्र का 21 दिनों तक जप करें। यह मंत्र प्रतिदिन पाँच हजार बार किया जाता है। 21 दिनों में मंत्र सिद्ध हो जाता है और साधक को कान में सभी अपेक्षित बातें स्पष्ट सुनाई देने लग जाती हैं।


मंत्र : ओम ह्यीं नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी वद वद स्वाहा।।


नोट : अन्य सावधानियाँ पूर्व में दिए मंत्रों के समान ही हैं।

प्रयोग= 4 इस साधना को सिद्ध करने से पूर्व पहले एवं दूसरे प्रयोग में वर्णित सावधानियों को अवश्य पढ़ ले।

कर्णपिशाचिनी साधना के दौरान की गई मामूली त्रुटि भी दिमाग पर नकारात्मक असर डाल सक‍ती है।यह प्रयोग किसी सिद्ध पुरुष अथवा गुरु के मार्गदर्शन में ही संपन्न किया जाए। प्रयोग 4 पूरी तरह से प्रयोग 3 की तरह है। लेकिन इस प्रयोग में मंत्र नया सिद्ध किया जाता है।

- मंत्र- 'ओम् ह्रीं सनामशक्ति भगवति कर्णपिशाचिनी चंडरूपिणि वद वद स्वाहा।'

प्रयोग में काले ग्वारपाठे को अभिमंत्रित कर उसका हाथ-पैरों में लेप कर नीचे दिए गए मंत्र का 21 दिनों तक जप करें। यह मंत्र प्रतिदिन पाँच हजार बार किया जाता है। 21 दिनों में मंत्र सिद्ध होता है और साधक को कान में सभी अपेक्षित बातें स्पष्ट सुनाई देती है।

NOTE-

इस मंत्र ओम् प्रतिदिन 5 हजार जप करना अनिवार्य है।21 दिनों में मंत्र सिद्ध हो जाता है।कान में सारी बातें स्पष्‍ट सुनने के लिए सभी‍ सावधानियाँ ध्यान में रखना आवश्यक है।

प्रयोग= 5

कर्णपिशाचिनी साधना अत्यंत गोपनीय मानी जाती है। यह साधना किसी सिद्ध गुरु के मार्गदर्शन में ही संपन्न की जा‍ती है। पाठकों के लिए कर्णपिशाचिनी साधना का पाँचवा प्रयोग प्रस्तुत है।

इस प्रयोग में साधक को गाय के गोबर में पीली मिट्‍टी मिलाकर उससे पूरा कमरा लीपना चाहिए। उस पर हल्दी-कुँमकुँम-अक्षत डालकर कुशासन बिछाए।भगवती कर्णपिशाचिनी का विधिवत पूजन कर रूद्राक्ष की माला से 11 दिन तक प्रतिदिन 10 हजार मंत्र का जाप करे। इस तरह 11 दिनों में कर्णपिशाचिनी सिद्ध हो जाती है।

मंत्र : - ओम् हंसो हंस: नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी स्वाहा।।

प्रयोग - 6

इस प्रयोग में साधक को लाल वस्त्र पहनकर रात को घी का दीपक जलाकर नित्य 10 हजार मंत्र का जप करना चाहिए। इस प्रकार 21 दिन तक मंत्र का जप करने से कर्णपिशाचिनी साधना सिद्ध हो जाती है।

मंत्र - ओम् भगवति चंडकर्णे पिशाचिनी स्वाहा

प्रयोग-7

कर्णपिशाचिनी के पूर्व में ‍वर्णित प्रयोगों की तुलना में यह प्रयोग सबसे अधिक पवित्र और महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि स्वयं वेद व्यास जी ने इस मंत्र को इसी विधि द्वारा सिद्ध किया था।

सबसे पहले आधी रात को (ठीक मध्यरात्रि) को कर्णपिशाचिनी देवी का ध्यान करें। फिर लाल चंदन (रक्त चंदन) से मंत्र लिखें। यह मंत्र बंधक पुष्प से ही पूजा जाता है। 'ओम अमृत कुरू कुरू स्वाहा' इस मंत्र से लिखे हुए मंत्र की पूजा करनी चाहिए। बाद में मछली की बलि देनी चाहिए।

बलि निम्न मंत्र से दी जानी चाहिए।

''ओम कर्णपिशाचिनी दग्धमीन बलि

गृहण गृहण मम सिद्धि कुरू कुरू स्वाहा।''

रात्रि को पाँच हजार मंत्रों का जाप करें। प्रात: काल निम्नलिखित मंत्र से तर्पण किया जाता है -

''ओम् कर्णपिशाचिनी तर्पयामि स्वाहा''

कर्णपिशाचिनी मंत्र

''ओम ह्रीं नमो भगवति कर्णपिशाचिनी चंडवेगिनी वद वद स्वाहा''

चेतावनी - यह मंत्र साधनाएँ आसान प्रतीत होती हैं किंतु इनके संपन्न करने पर मामूली सी गलती भी साधक के लिए घातक हो सकती है। साधक इन्हें किसी विशेषज्ञ गुरु के साथ ही संपन्न करें। पाठकों को जानकारी दी जाती है कि कर्णपिशाचिनी साधना के प्रयोगों की श्रृंखला अब संपूर्ण हो रही है।

..SHIVOHAM...

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