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क्या है विभिन्न वस्तुओं से रुद्राभिषेक करने का पुण्य फल?

रुद्राभिषेक करने का महत्व;-

02 FACTS;-

1-सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा एक हैं परंतु उनके रुप अनेक हैं। भगवान शिव की शक्ति अपरम्पार है। वह सदा ही कल्याण करते हैं। वह विभिन्न रुपों में संसार का संचालन करते हैं। सच्चिदानंद शिव एक हैं, वे गुणातीत हैं और गुणमय हैं। एक ओर जहां ब्रह्म रुप में वह सृष्टि की उत्पत्ति करते हैं वहीं विष्णुरुप में सृष्टि का पालन करते हैं तथा शिव रुप में वह सृष्टि का संहार भी करतेहैं। भक्तजन अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव की उपासना करते हैं तथा शिवलिंग का पूजन करते हैं। शिवलिंग भगवान शिव का ही रुद्ररुप है जिसका विभिन्न वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है।शास्त्रानुसार रुद्राभिषेक करने से प्रभु बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं तथा अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं भी सहज ही पूरी कर देते हैं।

2-ज्योतिष शास्त्रानुसार जन्मकुण्डली में किसी जातक के किसी ग्रह की महादशा तथा अन्तरदशा का सदा ही महत्व रहता है क्योंकि इनके अनिष्टकारक योग होने पर भगवान शिव की उपासना तथा रुद्राभिषेक करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। भगवान शंकर को अभिषेक अति प्रिय है, अत: अभिषेकात्मक अनुष्ठान सदाशिव की अराधना एवं स्तुति में विशेष प्रशस्त माना जाता है।शास्त्रों में संक्रांति की अत्यधिक महिमा है क्योंकि इस दिन से ही देसी महीना शुरु होता है।कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या तिथियां, शुक्लपक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथियों में अभिषेक करने से फल शीघ्र प्राप्त होता है।

कैसे करें रुद्राभिषेक;-

03 FACTS;-

1-वैसे तो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अक्सर लोग जल में दूध मिला कर कच्ची लस्सी और गंगाजल से रुद्राभिषेक करते हैं ;परंतु घी, तेल, सरसों का तेल, गन्ने के रस और शहद से विशेष मनोकामनाओं की पूर्तिके लिए अभिषेक किया जाता है। शिव पुराण की रुद्र संहिता के अनुसार जो व्यक्ति तुलसी दल और कमल के सफेद फूलों से भगवान शिव की पूजा करते हैं उन्हें भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। रुद्राभिषेक भी निश्चित अवधि मेंत था सम्बंधित मंत्रोच्चारण के साथ किया जाता है।जो भक्त रुद्राभिषेक करते समय महामृत्ंयुजयमंत्र का जाप करते हैं, वह विशेष कृपा के पात्र बनते हैंं । इसलिए उक्त मंत्र के उच्चारण के साथ ही रुद्राभिषेक करना चाहिए। पहले इन देवी-देवताओं को करें आमंत्रित घर पर रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे पहले मिट्टी का शिवलिंग बनाएं। अगर घर पर पारद शिवलिंग पहले से है तो यह और भी अच्छा है।

2-इस पूजा की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है, फिर माता पार्वती, नौ ग्रह, माता लक्ष्मी, पृथ्वी माता, ब्रह्मदेव, अग्निदेव, सूर्यदेव और गंगा माता को पूजा आमंत्रित किया जाता है और उनके लिए आसान या सीटें तैयार की जाती हैं। इन सभी देवी-देवताओं की रोली-अक्षत और फूल चढ़ाकर पूजा करके प्रशाद अर्पण करने के बाद शिवलिंग की पूजा की जाती है।घर पर शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और भक्त का मुख पूर्व की तरफ होना चाहिए।घर में मिट्टी का शिवलिंग बनाएं, अगर पारद शिवलिंग है तो यह बहुत अच्छा है। पहले भगवान गणेश की पूजाकर उनसे सफलता का आशीर्वाद मांगें। फिर माता पार्वती, भगवान गणेश, नौ ग्रह, माता लक्ष्मी, सूर्यदेव, अग्निदेव, ब्रह्मदेव, पृथ्वी माता और गंगा माता को पूजा में शामिल करें। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और नवग्रहों के लिए आसन या सीटें तैयार की जाती हैं।देवी-देवताओं पर रोली, अक्षत और फूल चढ़ाएं और भोग लगाएं।

3-अभिषेक के लिए श्रृंगी में सबसे पहले गंगाजल डालें और अभिषेक शुरू करें फिर उसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध अर्थात पंचामृत समेत जितने भी तरल पदार्थ हैं, उनसे शिवलिंग का अभिषेक करें।ध्यान रखें कि भगवान शिव का अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, ओम नम: शिवाय या फिर रुद्रामंत्र का जप करते रहें।इसके बाद शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और फिर पान का पत्ता, बेलपत्र, सुपारी आदि सभी चीजें शिवजी को अर्पित करें।इसके बाद भगवान शिव के भोग के लिए जो व्यंजन बनाकर रखें हैं, उनको भी शिवलिंग पर अर्पित कर दें। इसके बाद भगवान शिव के मंत्र का 108 बार जप करें और फिर पूरे परिवार के साथ शिवलिंग की आरती उतारें। अभिषेक के जल को एकत्रित करके पूरे घर में छिड़काव करें और फिर सभी को पीने के लिए दे दें।मान्यता है कि ऐसा करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं।रुद्राभिषेक की पूरी प्रकिया में शिव मंत्रों का जप करते रहें।

क्या है विभिन्न वस्तुओं से रुद्राभिषेक करने का पुण्य फल?-

10 POINTS;-

1-जल से अभिषेक :-

हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक किया जाना चाहिए। पूजा अर्चना के दौरान भगवान शिव के बाल स्वरूप का ध्यान किया जाए।शिव का जल से अभिषेक करने पर मान सम्मान तथा धन और संपदा मिलती है। शारीरिक और मानसिक पाप का नाश तथा अशुभ ग्रहों का प्रभाव दूर होता है।

2-दूध ,पंचामृत, देसी घी और दही से अभिषेक :-

शिव का आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक किया जाना चाहिए। प्रार्थना के दौरान भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।शिव का दूध से अभिषेक करने पर समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यश और लक्ष्मी की प्राप्ति होने के साथ घर में खुशहाली आती है तथा घर से हर प्रकार के कलह एवं कलेश दूर होते हैं।भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करने पर हर प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।गाय के शुद्ध देसी घी से भगवान शिव का अभिषेक करने पर मनुष्य दीर्घायु को प्राप्त करता है, तथा वंश की वृद्धि होती है।शिवलिंग पर दही अर्पित करने से हर्ष और उल्लास की प्राप्ति होती है।

3-फलों के रस से अभिषेक : -

अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक किया जाना चाहिए। स्तुति करते समय भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करना उचित माना जाता है।भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक करने पर घर में लक्ष्मी का सदा वास बना रहता है। किसी वस्तु की कभी कोई कमी नहीं रहती।

4-सरसों के तेल से अभिषेक :-

ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक किया जाता है। इस दौरान भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान किया जाता है। शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करे ।सरसों के तेल से शिव का अभिषेक करने पर शत्रुओं का नाश हो जाता है। जातक को हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती है।

5-चने की दाल से अभिषेक :-

किसी भी शुभ कारम के शुरू होने व उसमें उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक किया जाए। पूजा में भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।

6-काले तिल से अभिषेक :-

तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करने से लाभ मिलता है। इसमें भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान किया जाता है।

7-शहद मिश्रित गंगा जल से रुद्राभिषेक : -

संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करते हुए भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।

8-घी व शहद से रुद्राभिषेक : -

रोगों के नाश व लंबी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करते हुए भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान किया जाए।शहद से शिव का अभिषेक करने पर हमारे हर प्रकार के रोगों का निवारण तथा पहले से हुए रोगो से मुक्ति मिल जाती है।

9-कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक :-

आकर्षक व्यक्तित्व प्राप्त के लिए भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें साथ ही भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।शिवलिंग पर सुंगधित तेल चढ़ाने से भोगों की प्राप्ति होती है। शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाने से धन ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

10- धतूरा से अभिषेक ;-

धतूरे के एक लाख फूलों से निरंतर अभिषेक करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है परंतु लाल डंठल वाले धतूरे से पूजन करना अति उत्तम माना गया है तथा उसे संतान सुख मिलता है।

11-चमेली से अभिषेक -

चमेली के फूलों से पूजन करने पर वाहन सुख की प्राप्ति होती है।

12- कमल पुष्प और शंखपुष्प से अभिषेक ;-

इन फूलों सेभगवान का पूजन करनेवालों को लक्ष्मी यानि धन-दौलत की प्राप्ति होती है। भगवान को नीलकमल और लाल कमल अति प्रिय हैं। इसके अतिरिक्त जल एवं स्थल पर उत्पन्न होनेवालेसभी सुगंधित फूलों से भगवान शिव का पूजन किया जा सकता है।

13-करवीर और दुहरियां पुष्प से अभिषेक ;-

करवीर के फूलों से पूजन करने पर रोग मिट जाते हैं तथा दुहरिया यानि बन्धूक के पुष्प से प्रभु का पूजन करने से आभूषणों की प्राप्ति होती है।

14-हरसिंगार के फूल से अभिषेक -;

हरसिंगार के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर घर में सुख-संपति की प्राप्ति होती है।

....SHIVOHAM...


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