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क्या है सम्मोहन की विधि?




सम्मोहन विद्या ;-

03 FACTS;-

1-सम्मोहन को लेकर समाज में विविध तरह की धारणाएं व्याप्त हैं। प्रायः सम्मोहन को नकारात्मक दृष्टि से किए जाने वाले जादू-टोने के रूप में लिया जाता है। भारतीय संदर्भों में देखें, तो यह बात पूरी तरह सही नहीं है। यहां पर सम्मोहन को एक साधना के रूप में लिया जाता है। सम्मोहन विद्या में दक्षता प्राप्त करने की शुरुआत त्राटक से की जाती है। यही वह साधना है, जिसका निरंतर अभ्यास करने से आपकी आंखों में अद्भुत चुंबकीय शक्ति जाग्रत होने लगती है और यही चुंबकीय शक्ति दूसरे प्राणी को सम्मोहित करके अपनी ओर आकर्षित करती है। विधिवत रूप से शिक्षा लेना कोई आवश्यक नहीं है, क्योंकि यह तो मन और इच्छा शक्ति का ही खेल है। आप स्वयं के प्रयास, निरंतर अभ्यास और असीम धैर्य से सम्मोहन के प्रयोग सीखना आरंभ कर दें, तो आपके अंदर यह अद्भुत शक्ति जागृत हो सकती है। यह विद्या मन की एकाग्रता और ध्यान, धारणा समाधि का ही मिलाजुला रूप है। आप किसी भी आसन में बैठकर शांतचित्त से ध्यानमग्न होकर मन की गहराइयों में झांकने का प्रयास करें। मन को कहीं भी न भटकने दें। मन के समस्त विचारों को एक बिंदु पर ही केंद्रित कर लें और सिर्फ द्रष्टा बन जाएं अर्थात जो कुछ भी मन के भीतर चल रहा है उसे चलने दें, छोड़ें नहीं। सिर्फ देखते जाएं। धीरे-धीरे आप महसूस करेंगे कि आपको आंशिक सफलता प्राप्त हो रही है। आपको अनोखी अनुभूति महसूस होने लगेगी। बस यहीं से आरंभ होती है आपकी वास्तविक साधना और यहीं से आप तैयार हो जाते हैं अद्भुत जगत में पदार्पण करने के लिए।

2- यहां विचित्रताएं और आलौकिक अनुभूतियां आपका स्वागत करने को आतुर हैं। यहां आकर आपको भूत-भविष्य एक चलचित्र की भांति स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगेगा। ध्यान के द्वारा मन की गहराइयों में आकर अनोखे रहस्यों को जाना जा सकता है। मन को वश में करने की प्रमुख विधि ध्यान ही है। सम्मोहन अथवा वशीकरण विद्या में दूसरों को वश में करने से पूर्व स्वयं अपने मन को अपने ही वश में करना परम आवश्यक है। जब आपका मन आपके नियंत्रण में हो जाए तो दूसरों को वशीभूत करना बाएं हाथ का खेल है। इस विद्या को हासिल करने के लिए प्रथम सीढ़ी है त्राटक का अभ्यास। यही वह साधना है जिसका निरंतर अभ्यास करने से आपकी आंखों में अद्भुत चुंबकीय शक्ति जाग्रत होने लगती है और यही चुंबकीय शक्ति दूसरे प्राणी को सम्मोहित करके आकर्षित करती है। भारतीय मनीषियों ने जहां एक ओर सम्मोहन सीखने के लिए यम, नियम, आसन, प्रत्याहार, प्राणायाम, धारणा, ध्यान और समाधि जैसे आवश्यक तत्त्व निर्धारित किए हैं। वहीं दूसरी ओर पाश्चात्य विद्वानों और सम्मोहनवेत्ताओं ने हिप्नोटिज्म में प्रवीणता प्राप्त करने के लिए सिर्फ प्राणायाम और त्राटक को अधिक महत्त्व दिया है।

3- पाश्चात्य विद्वानों का मानना है कि श्वास-प्रश्वास पर नियंत्रण एवं त्राटक द्वारा नेत्रों में चुंबकीय शक्ति को जाग्रत करके ही मनुष्य सफल हिप्नोटिस्ट बन सकता है। त्राटक के द्वारा ही मन को एकाग्र करके मनुष्य अपने मन पर नियंत्रण स्थापित कर सकता है। आहार-विहार की शुद्धि, विचारों में सात्विकता, प्राणायाम-त्राटक और ध्यान का नियमित अभ्यास तथा असीम धैर्य और विश्वास के संयुग्मन से सम्मोहन विद्या को पूर्णता के साथ आत्मसात किया जा सकता है। पश्चिम में हिप्नोटिज्म का उपयोग मुख्यतः मनोवैज्ञानिक चिकित्सा में किया जाता है। शारीरिक एवं मानसिक रोगों के उपचार में इसका प्रयोग पूर्णतः सफल रहा है। पश्चिमी देशों में तो सम्मोहन को एक विज्ञान के रूप में कानूनी मान्यता प्राप्त हो चुकी है और वहां के समस्त अस्पतालों में अन्य चिकित्सकों, रोग-विशेषज्ञों की भांति हिप्नोटिस्ट्स (सम्मोहनवेत्ताओं) के लिए भी अलग से पद निर्धारित होते हैं। अब तो वहां की पुलिस भी अपराधों की रोकथाम करने एवं अपराधियों से अपराध कबूल करवाने में हिप्नोटिज्म का भरपूर उपयोग करने लगी है, परंतु विडंबना यही है कि जिस देश में इस विद्या की उत्पत्ति हुई यानी भारतवर्ष में आज सैकड़ों वर्षों पश्चात भी सम्मोहन को मान्यता नहीं मिल पाई है। सम्मोहन का अभ्यास साधकों को अत्यधिक लाभ पहुंचाता है। जहां एक ओर उनकी आत्मिक शक्ति प्रबल होती है, वहीं दूसरी ओर उनके आत्मविश्वास में अभूतपूर्व वृद्धि होकर इच्छाशक्ति सृदृढ़ हो जाती है। इन सबका साधक के मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है। फलस्वरूप उसका व्यक्तित्व चुंबकीय बन जाता है।सम्मोहनविद्या का उपयोग सदैव दूसरों को लाभ पहुंचाने के लिए ही करना चाहिए। प्रतिकूल अथवा विरोधी भावना से किया गया सम्मोहन का प्रयोग प्रायः असफल ही रहता है।सम्मोहन में प्रवीणता हासिल करने के सिर्फ तीन ही नियम हैं। पहला त्राटक का अभ्यास, दूसरा और ज्यादाअ भ्यास तथा तीसरा और अंतिम नियम है निरंतर अभ्यास।

क्या सम्मोहन से समाधान संभव है?-

सम्मोहन केवल किसी भी मानसिक स्वास्थ्य के समाधान का एक छोटा सा हिस्सा है।सम्मोहन एक चमत्कारिक इलाज या जल्दी ठीक करने वाला नहीं है, यह केवल एक तरह से लोगों को मदद करने के लिए अपने ही मन में गहरा गोता है।आत्म प्रतिबिंब के इस तरह के सम्मोहन मजबूत मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन गंभीर या पुरानी मुद्दों को हमेशा एक प्रशिक्षित और प्रमाणित पेशेवर द्बारा इलाज किया जाना चाहिए। सम्मोहन से तनाव और चिंता को कम करने की कोशिश की जाती है, लेकिन दैनिक जीवन परिप्रेक्ष्य में समस्याओं और चिंताओं को दूर करने के लिए सम्मोहन उचित नहीं है। इसलिए संभव समस्याओं का समाधान करने के लिए ही कल्पना करवानी चाहिए । कल्पना की गहराइयो में पहुंचने पर आप उनके अंदर के तनाव को सवाल और जवाबो की सहायता से बाहर निकाल सकते है।सम्मोहन मानसिक वेदनाओं की एक किस्म के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। आपको एक प्रशिक्षित पेशेवर मानसिक स्वास्थ्य की सलाह लेनी चाहिए।सम्मोहन की थेरेपी को लत, दर्द से राहत, भय और आत्म सम्मान आदि मुद्दों के लिए अधिक इस्तेमाल किया जाता है।पढ़ाई के क्षेत्र में भी सम्मोहन अपना एक अलग महत्व रखता है, क्योंकि सम्मोहन के जरिए बच्चों के दिमाग में जल्दी याद करने का गुण बढ़ाया जा सकता है और अगर किसी बच्चे का दिमाग पढ़ाई में नहीं लगता तो सम्मोहन के जरिए उसकी रुचि पढ़ाई के क्षेत्र में भी बढ़ाई भी जा सकती है।

सम्मोहन की विधि;-

05 FACTS;-

1-सम्मोहन के लिए अनेक विधियां हैं। सम्मोहन के लिए मन को ताकतवर बनाने के कुछ साधारण उपाय बताए गए हैं। तंत्र, मंत्र और यंत्र को भी इसके लिए उपयोगी बताया गया है। इसका सबसे सरल तरीका योग है, जिसमें प्राणायाम से मन की स्थिरता हासिल की जा सकती है। इसके साथ ही सभी इन्द्रियों में एक अद्भुत शक्ति हासिल करने के लिए स्थिर मन को एक दिशा में केन्द्रित किया जाता है। सम्मोहन वैसे ध्यान, प्राणायाम और नेत्र त्राटक से संभव है।एक अन्य तरीका शवासन का है। इस स्थिति में लेटकर आंखें बंद किए हुए ध्यान करना होता है। ऐसा करने वाले व्यक्ति को योग निद्रा में जाने का अभ्यास करना चााहिए। इस अवस्था में शरीर का चेतन मन सुषुप्तावस्था में आ जाता है, जबकि अवचेतना जागृत रहती है।यह स्थिति ठीक उसी तरह की होती है, जिसमें शरीर और मन के सुव्यवस्थित होने बावजूद व्यक्ति का चेतन जागृत रहता है। इस स्थिति में वह खुद को निर्देशित भी कर सकता है।वास्तव में, जागा हुआ व्यक्ति भी नींद में सोया रहता है।

2-सम्मोहन की अन्य अपनाई जानेवाली साधारण विधियों में अंगूठे, पेंडुलम या किसी अन्य वस्तु को कुछ समय तक एकटक देखना भी है, वह भी बिना पलक झपकाए। यह एक साधना है।जैसे आंखों के ठीक सामने जलती हुई मोमबत्ती, पेंडुलम या लाल बल्ब को देखते रहने से एक सम्मोहन चक्र का एहसास किया जा सकता है। इसमें जरा भी विचलन की स्थिति नहीं आए, इसके लिए ध्यान और मंत्रोच्चारण का भी सहारा लिया जाता है। यह व्यक्ति के स्व-सम्मोहन की स्थिति होती है, जिससे उसमें मन-मस्तिष्क को नियंत्रित करने की रहस्यमयी शक्ति आ जाती है, जो कि अदभुत व प्रबल होती हैं।सम्मोहन के लिए अपनायी जाने वाला प्रगतिशील विश्राम विधि भी काफी आसान है। इसके लिए सम्मोहित किए जाने वाले व्यक्ति को एक वैसे कमरे में तनावमुक्त अवस्था में बिठाएं, जिस स्थान पर बहुत कम रोशनी होनी चाहिए। व्यक्ति को आरामदायक अवस्था में बैठाने के बाद उसके सामने से मन को भ्रमित करने या भटकाने वाले सामान तत्काल वहां से हटा दें। उदाहरण के रूप में टीवी, कोई आवाज या फिर कोई इलेक्ट्रानिक डिवाइस इत्यादि वहां से हटा देनी चाहिए।

3-कमरे की तमाम खिड़िकियां और दरवाजे बंद कर दें, ताकि जिससे मन की स्थिरता प्रभावित हो। सम्मोहन शुरू करने से पहले व्यक्ति को इस बारे में भी अच्छी तरह बताना चाहिए। उसे यह भी बताना श्रेयस्कर रहता है कि इससे उसके शरीर और मन-मस्तिष्क पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ने वाला है और यह एक तरह से उनको एक आरामदायक विश्राम की अवस्था में ले जाने के लिए किया जा रहा है। इसे आप निश्चित तौर बेहोशी नहीं कह सकते हैं, और न ही इससे आपके ऊपर कोई जादू किया जाने वाला है। इससे व्यक्ति के दिमाग में एक स्वप्न जैसी आभा बनेगी, जिससे आपमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाएगा। उन्हें इस बात को लेकर भी यह आश्वस्त किया जाना चाहिए कि यह उनको चिंतामुक्त बनाएगा और इसी के साथ उस व्यक्ति से सम्मोहित करने के कारण और उसके लक्ष्य के बारे में भी पूछा जाना चाहिए, जिससे उसके भाव-समाधि के एक आभामंडल की सकारात्मक परिणाम देने वाली अवस्था बने। पूरी प्रक्रिया के दौरान बेहद धीमे और मधुर स्वर में बोलें। जिससे ऐसा प्रतीत हो कि आपके शब्द उसके मन के भाव को एक आवरण दे रहे हों।

4-शरीर की मांशपेशियों को पूरी तरह से ढीला छोड़ते हुए विश्राम करने को कहें। अच्छी तरह से सांस लेने और छोड़ने को कहें। ऐसा करने से ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा मस्तिष्क तक पहुंचती है और इस तरह से बनी शिथिलता बनने पर धीर-धीरे व्यक्ति की आंखें बंद होने के बावजूद वह नियंत्रण में रहता है। इसके साथ ही सम्मोहन के कुछ गुप्त उपाय भी अपनाए जा सकते हैं, जिससे अपने भीतर सम्मोहन की शक्ति बढ़ाई जा सकती है। जैसे बनस्पति श्वेत अपामार्ग की जड़ को घिसकर तिलक लगाने या मोर की कलगी को रेश्मी कपड़े में बांधकर रखने से सम्मोहन शक्ति बढ़ाई जा सकती है। स्त्रियां सम्मोहन शक्ति अपने मस्तक पर लगे लाल बिंदी के जरिए भी प्राप्त कर सकती है।आंखों के बीच लगे सिंदूर या रोली की बिंदी यदि खुद देख पाएं, तो समझें आपमें सम्मोहन शक्ति जागृत हो चुकी है। गुरुवार के दिन मूल नक्षत्र में केले की जड़ को सिंदूर के साथ पीसकर उसका तिलक लगाने से सम्मोहन शक्ति बढ़ती है।

5-सम्मोहन का यह प्रयोग मन की ताकत का एहसास करवाता है तो कल्पनाशीलता और वैचारिकता के भाव को सुदृढ़ कर देता है। इसके परिणामस्वरूप शारीरिक बदलाव को सहजता से महसूस किया जा सकता है, यानी सम्मोहन से काफी हद तक यदि मानसिक रोगों को ठीक किया जा सकता है तो एक सीमा तक शारीरिक विकार को भी दूर किया जा सकता है। मन में गहराई तक बैठे डर को दूर करने का यह यह एक कारगर उपाय है, जिससे आत्मविश्वास की भावना का विकास संभव हो पाता है। मुश्किल से मुश्किल या असंभव कार्य करने की निडरता आती है। सम्मोहन से न केवल अपने दुख-दर्द को दूर किया जा सकता है, बल्कि भूत, भविष्य और वर्तमान की घटनाओं को भी देखा जाना जा सकता है, या फिर मानवहित में किसी के प्राण बचाने तक में इसकी मदद ली जा सकती है।साथ ही बुरी आदतों से छुटकारा पाने का यह तरीका काफी उपयोगी साबित हो सकता है।

सम्मोहित करने के लिए कैसे और क्या किया जाये?-

Ist STEP;-

हमेशा ही ऐसे व्यक्ति की खोजा जाए जो वास्तव में सम्मोहित होना चाहता हो । जो सम्मोहित नहीं होना चाहता हो, या इस पर विश्वास नहीं करता हो, उसको सम्मोहित करने पर यह काम नही करेगा और उसे कृत्रिम निद्रावस्था में लाना बहुत मुश्किल हो जाता है। मानसिक या मानसिक विकारों की पृष्ठभूमि वाले के साथ किसी को सम्मोहित नहीं करें, क्योंकि इसके अनायास, अहितकारी और खतरनाक परिणाम हो सकता है, इसलिए एक स्वस्थ व्यक्ति चयन करे, जो सम्मोहित होने को तैयार हो। इससे आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे।

2nd STEP;-

आरामदायक और शांत कमरे को चुनाव करें, यह महत्वपूर्ण पहलू है। जिसका सम्मोहन आप करना चाहते हैं, उसे स्वतंत्र और सुरक्षित महसूस करवाए, उसका स्वयं को सुरक्षित महसूस करना भी उतना ही आवश्यक है। जिस कमरे में आप सम्मोहन क्रिया का प्रयोग कर रहे हैं, वहां बहुत ही हल्की रोशनी होनी आवश्यक है। कमरे का साफ-सुथरा होना भी उतना ही आवश्यक है। सम्मोहन के दौरान आरामदायक सोफा या कुर्सी होनी चाहिए, जिसमें सम्मोहित होने वाले व्यक्ति को बैठना है। इस बीच कोई भी व्यक्ति बीच में आपको परेशान न करे,यह जरुरी है, जब तक आप दोनों बाहर न आ जाये।अन्य कोई ध्यान भंग करने वाला तत्व भी नहीं होना चाहिए।

3rd STEP;-

जब आप सम्मोहन की प्रक्रिया में प्रवेश कर रहे हो तो सम्मोहित करने से पहले अपने व उसके लक्ष्यों और सवालों को निर्धारित कर लीजिए, इससे आपका व सम्मोहित होने वाले व्यक्ति का उत्साह बढ़ता है, जो बेहतर परिणाम देता है । बेहतर परिणाम के लिए यह जरुरी भी है। यह प्रक्रिया ध्यान में वृद्धि करने वाली है। सम्मोहन के साथ अपने विषयों के लक्ष्यों को जानने के बाद आपको उनकी स्थिति जानने में मदद मिलेगी। सम्मोहन की प्रक्रिया प्रभावी रहेगी, अवरोध नहीं होगा।सम्मोहन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद व्यक्ति से पूछें कि जब उसे सम्मोहित कर दिया गया था। उस समय का उसे क्या कुछ याद है? उन्हें पूछना है कि उन्हें क्या करने के लिए कहा गया था ;क्या और कैसे उसने जवाब दिया? उस आधार पर आप अगली बार जो कमी रह गयी उन में सुधार कर सकते है ;जो आपके लिए उपयोगी होगी। आमतौर पर जो लोग पहले सम्मोहित हो चुके होते हैं, उन्हें फिर से आसानी से सम्मोहित किये जा सकता है ; जो और अधिक प्रभावी होता है। .............................................................................................................................................................

सम्मोहन के दौरान कैसे क्या करे?-

06 FACTS;-

1-क्या बोले,कैसे बोले और कब बोले: ;-

सम्मोहन के लिए कम, धीमी गति से, सुखदायक, आवाज में बोलते हैं। अपने वाक्य सामान्य से थोड़ा ज्यादा देर के लिए लम्बा खींचे।आहिस्ता आहिस्ता बोलना चाहिए, कल्पना कीजिए कि आप अपनी आवाज से डर या चिंता युक्त व्यक्ति को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। पूरी बातचीत के दौरान अपनी आवाज का एक ही स्वर रखें। कुछ अच्छे शब्दों के साथ सम्मोहन के लिए वार्ता इस तरह से करें।उदाहरण स्वरूप- ''यहाँ पर सब कुछ शांत है, आप सुरक्षित है और शांतिपूर्ण है। आप अपने आप को कुर्सी यों सोफे में आराम करने के लिए गहराई से आराम कर रहे हैं। अब आपकी आँखे थोड़ी भारी हो रही है, आपकी आंखें में भारीपन महसूस हो रहा है और अब आप उसे बंद करना चाहते हैं। इस समय आप अपने शरीर को स्वाभाविक रूप से ढीला छोड़कर अपनी मांसपेशियों को आराम करवा रहे हैं। मेरी आवाज सुनकर आपका शरीर और दिमाग शांत महसूस करने लगा हैं।आप केवल उन सुझावों को जो आपके लाभ के लिए है, उन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार हो रहे हैं, जो आपके लिए निश्चित तौर पर लाभकारी रहेगी'' ।

2-गहरी सांस पर ध्यान केंद्रित कराएं;-

सम्मोहन की इस प्रक्रिया के तहत नियमित रूप से गहरी सांस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सम्मोहित होने वाले व्यक्ति को प्रेरित कीजिये। उन्हें अंदर और बाहर गहरी, संगठित सांस लेने की कोशिश करवाये। इस तरह से सांस लेने से मस्तिष्क को आक्सीजन ज्यादा मिलती है और मानसिक शक्ति प्रबल होती है, जो कि सम्मोहन प्रक्रिया में सहयोगी साबित होती है, अच्छे परिणाम मिलने में कारगर होती है और ऐसा करने से सम्मोहन, तनाव, या अपने वातावरण के अलावा अन्य के बारे में सोचने के लिए व्यक्ति तैयार हो जाता है।

3-निश्चित केंद्र बिंदु पर आँखे केंद्रित/ त्राटक करवाए;- सम्मोहन के इस चरण में एक निश्चित केंद्रबिंदु पर नेत्रों के माध्यम से ध्यान केंद्रित करवाया जाता है। उनसे कहो कि किसी भी वस्तु का चयन करे और उस पर उनकी आंखों को आराम से टिकाये।अगर उनको आंखे बंद करके पर्याप्त आराम मिलता है तो आंखे बंद भी करवा सकते हैं। ध्यान देने योग्य पहलू यह है कि आप सम्मोहित होने वाले व्यक्ति से संवाद करते रहे, इससे यह पता लगता रहेगा कही वह सो तो नहीं गया है। समय-समय पर उनकी आंखों पर ध्यान दे।इस अवधि में उन्हें बताइए कि उनकी आंखों और पलकों को आराम मिल रहा है, उनकी आंखे भारी हो रही हैं।आप उन्हें अपेक्षाकृत शांत नियमित रूप से श्वास और धुन में अपनी आवाज के साथ उन्हें अपने पैरों को आराम करने के लिए कहे । वहां से आप अपनी पीठ, कंधे, हाथ, और उंगलियों के लिए चारों ओर Anticlockwise energy circle कर सकते हैं।अपनी आवाज धीमी और शांत रखने के लिए अपना समय ले।अगर व्यक्ति तनाव में लग रहा है तो पूरी प्रक्रिया को फिर से करे।लगातार संवाद के जरिये मन शांत करते रहिये।

4-मानसिक स्थिति के अनुसार ही प्रतिक्रिया कीजिए;- मानसिक स्थिति के अनुसार ही एक गाइड के रूप में आप किसी छंद और एक गीत को धीमे स्वर में दोहरा सकते है। इस दौरान उनकी मानसिक और शारीरिक प्रतिक्रिया पर पूर्ण ध्यान दे जैसे -उनकी आँखों (वे तेज कर रहे हैं?), उनकी उंगलियों और पैर की उंगलियों में तनाव के लक्षण देखने के (वे गतिशील है क्या?) और उनकी सांस लेने (यह उथले और अनियमित है) और जब तक वे शांत और आराम न हो, उनको विश्राम और आराम देने की तकनीकों पर काम करते रहिये।

5-क्या है कृत्रिम निद्रावस्था सीढ़ी? इस तकनीक को गहरी समाधि की स्थिति भी कहा जा सकता है। अपने विषय की खोज के लिए खुद को एक गर्म, शांत कमरे में एक लंबी सीढ़ी के शीर्ष पर कल्पना कीजिये। सीढ़ी के शीर्ष से नीचे की ओर हर कदम से खुद को विश्राम में गहराई में उतरता हुआ महसूस कीजिये । हर कदम अपने स्वयं के मन में गहराई में उतरना महसूस होने लगता है। पहला कदम नीचे ले जाओ तो लगता है कि आप अपनी स्थिति में गहरे डूबने लगे है। हर एक कदम अपने अवचेतन मन में आगे की ओर कदम बढ़ाना है। आप दूसरे नीचे कदम में अपने आप को और ज्यादा शांत महसूस करने लगते हैं। जब आप तीसरे चरण तक पहुंचते हैं तो आपको लगेगा कि आपका शरीर मन से बिल्कुल दूर चल रहा है। इस तरह आप कृत्रिम निद्रावस्था की स्थिति में पहुंच जायेंगे।

6-सम्मोहन के सत्र का समापन;- जब भी आप सम्मोहन का सत्र समापन करे तो धीरे-धीरे उन्हें अपने Trans-state/आत्‍म-विस्‍मृति (जिसमें व्‍यक्ति को पता नहीं चलता कि उसके चारों ओर क्‍या हो रहा है) से बाहर ले। उन्हें पता चलने लगेगा कि वे एक ट्रान्स में गहरा रहे हैं, उन्हें वापस ऊपर आप के साथ सीढ़ी चलना है, हर कदम के साथ जागने आसपास के वातावरण के प्रति और अधिक जागरूक होते जा रहे हैं। उन्हें बताना है कि वे वापस पूर्ण जागरूकता, सतर्क और जागने की स्थिति में पहुंच गए है।आप इस तरह से बोल सकते है कि मैं एक से पांच से गिनती करने के लिए जा रहा हूं, और पांच की गिनती में सीढ़ी से एक एक कदम ऊपर चढ़ते हुए आप व्यापक, जाग पूरी तरह से सतर्क और पूरी तरह से ताजा महसूस करने लगेंगे।तुरंत बात करने के लिए किसी पर भी दबाव मत करो। अगर वे आराम से लग रहे हैं तो बस एक बातचीत खोलने के लिए बात कीजिये और कुछ समय शांत रहना चाहते है तो बाद में बात करने तक के लिए प्रतीक्षा करें।भविष्य में सुधार के लिए मदद देखने के लिए व्यक्ति के साथ सम्मोहन चर्चा कीजिये।उनसे जानिए कि क्या उन्हें सही लगा और उन्होंने क्या महसूस किया ? इससे अगली बार अधिक प्रभावी ढंग से सम्मोहन क्रिया में मदद मिलेगी।

NOTE;-

सम्मोहन मनुष्य के अवचेतन मन का एक अनुभव है। इसमें आपको अपनी इच्छा के विरुद्ध विचारों के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।सत्र के समापन होते ही हम वापस अपनी आम जिंदगी में लौट आते है। सम्मोहन अंदर के तनाव को काम करने का बेहद अच्छा तरीका है।सर्वाधिक लाभ मानसिक शक्तियों को बढ़ने में हो सकता है।याद रखिये कि सम्मोहन कृत्रिम निद्रावस्था है। यदि कोई एक व्यक्ति आपकी इस आराम में मदद कर सकता है, तो ही आपको ऐसा करने के लिए तैयार होना चाहिए। ....SHIVOHAM....


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