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जटामासी के लाभ/क्या हमारे हाथ की पांचों उंगलियाँ शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती हैं ?


जटामासी के लाभ;-

1-जटामांसी हिमालय में उगने वाली एक प्रसिद्ध औषधि है।जटामांसी का पौधा 10 से 60 सेमी तक लम्बा होता है, इसके फूल सफेद ,गुलाबी व हल्के नीले रंग के एक गुच्छे में लगते हैं, इसके फल सफेद रोमों से भरे छोटे व गोल-गोल होते हैं, इसकी जड़ लंबी, गहरी भूरे रंग की सूत्रों युक्त होती है, जटामांसी कश्मीर, भूटान, सिक्किम और कुमाऊं जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में अपने आप उगती है, इसे 'बालछड़' के नाम से भी जाना जाता है, जटामांसी ठण्डी जलवायु में उत्पन्न होती है, यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती, इसे जटामांसी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसकी जड़ में बाल जैसे तन्तु लगे होते हैं।जटामांसी को मांसी, बालछड , जटामांही , पहाडी लोग भूतकेश आदि नामों से जाना जाता हैं।ये पहाड़ों पर पैदा होती है, इसके रोयेंदार तने तथा जड़ ही दवा के रूप में उपयोग में आती है, इसकी जड़ों में बड़ी तीखी तेज महक होती है, ये दिखने में काले रंग की किसी साधू की जटाओं की तरह होती है।मस्तिष्क और नाड़ियों के रोगों के लिए ये राम बाण औषधि है, ये धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है।पागलपन , हिस्टीरिया, मिर्गी, नाडी का धीमी गति से चलना, मन बेचैन होना, याददाश्त कम होना, इत्यादि इन सारे रोगों की यही अचूक दवा है।ये त्रिदोष को भी शांत करती है और सन्निपात के लक्षण ख़त्म करती है।इसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते हैं।इसके काढ़े को रोजाना पीने से आँखों की रोशनी बढ़ती है।

2-चर्म रोग , सोरायसिस में भी इसका लेप फायदा पहुंचाता है।दांतों में दर्द हो तो जटामांसी के महीन पावडर से मंजन कीजिए।नारियों के मोनोपाज के समय तो ये सच्ची साथी की तरह काम करती है।इसका शरबत दिल को मजबूत बनाता है, और शरीर में कहीं भी जमे हुए कफ को बाहर निकालता है।मासिक धर्म के समय होने वाले कष्ट को जटामांसी का काढा ख़त्म करता है।जटामांसी का पौधा बहुवर्षीय होता है। लेकिन ये औषधीय जड़ी बूटी लुप्तप्राय: है जिसका आयुर्वेद में बरसों से औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता रहा है। जटामांसी प्रकृति से कड़वा, मधुर, शीत, लघु, स्निग्ध, वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को हरने वाला, शक्तिवर्द्धक, त्वचा को कांती प्रदान करने वाला तथा सुगन्धित होता है। यह जलन, कुष्ठ, रक्तपित्त (नाक-कान खून बहना, विष, बुखार,अल्सर, दर्द, गठिया या जोड़ो में दर्द में फायदेमंद (jatamansi benefits in hindi) होता है। जटामांसी तेल केंद्रीय तंत्र और अवसाद (डिप्रेशन) पर प्रभावकारी होती है।


हमारे हाथ की पांचों उंगलियाँ;-

हमारे हाथ की पांचों उंगलियाँ शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती हैं। इसका मतलब आप को दर्द नाशक दवाइयां खाने की बजाए इस आसान और प्रभावशाली तरीके का इस्तेमाल करना करना चाहिए। शरीर के किसी हिस्से का दर्द सिर्फ हाथ की उंगली को रगड़ने से दूर होता है। इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

1-अंगूठा ;-

The Thumb हाथ का अंगूठा हमारे फेफड़ो से जुड़ा होता है। अगर आप की दिल की धड़कन तेज है तो हलके हाथों से अंगूठे पर मसाज करें और हल्का सा खींचें। इससे आप को आराम मिलेगा।

2- तर्जनी;-

The Index Finger ये उंगली आंतों gastro intestinal tract से जुडी होती है। अगर आप के पेट में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा रगड़ें, दर्द गायब हो जायेगा।

3 बीच की उंगली;-

The Middle Finger ये उंगली परिसंचरण तंत्र तथा circulation system से जुडी होती है। अगर आप को चक्कर या आपका जी घबरा रहा है तो इस उंगली पर मालिश करने से तुरंत रहत मिलेगी।

4- तीसरी उंगली;-

The Ring Fingerये उंगली आपकी मनोदशा से जुडी होती हैं। अगर किसी कारण आपकी मनोदशा अच्छी नहीं है या शांति चाहते हो तो इस उंगली को हल्का सा मसाज करें और खींचें, आपको जल्द ही इस के अच्छे नतीजे प्राप्त होंगे, आप का मूड ( कुसुम) खिल उठेगा।

5- छोटी उंगली ;-

The Little Finger छोटी उंगली का किडनी और सिर के साथ सम्बन्ध होता है। अगर आप को सिर में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा दबायें और मसाज करें, आप का सिर दर्द गायब हो जायेगा। इसे मसाज करने से किडनी भी तंदुरुस्त रहती है।


.....SHIVOHAM....

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