दसवां शिवसूत्र-''अविवेक अथार्त स्वबोध का अभाव मायामय सुषुप्ति है''।
दसवां शिवसूत्र -10-अविवेक अथार्त स्वबोध का अभाव मायामय सुषुप्ति है।
02 FACTS;-
1-भगवान शिव कहते है ''अविवेक अथार्त स्वबोध का अभाव मायामय सुषुप्ति है''।गहरी नींद में सभी कुछ खो जाता है, कोई विवेक, कोई होश नहीं रह जाता।उस समय तुम सिर्फ एक चट्टान की भांति हो जाते हो।क्योंकि जब भी तुम गहरी नींद में होते हो ;तो सुबह उठकर कहते हो कि रात बड़ी आनंददायी नींद आयी अथार्त तुम्हें सिर्फ नींद में सुख आता है।और नींद का अर्थ है ..बेहोशी।वास्तव में, तुम्हारी पूरी जिंदगी सिर्फ चिंता, तनाव और बेचैनी के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है।नींद का अर्थ है...जहां कुछ भी नहीं है; न बाहर का जगत है, न भीतर का ... जहां सब अंधकार में खो जाता है।लेकिन, विश्राम मिल जाता है। विश्राम से जो शक्ति तुम्हें मिलती है, तुम उससे नये तनाव बनाने में लग जाते हो।नींद में कोई तनाव या चिंता नहीं है।हमें केवल यह समझना है कि नींद में जब इतना आनंद मिलता है, तो जिस दिन चिंता खो जाएंगी और तुम होश में रहोगे, उस दिन कैसा आनंद तुम्हें उपलब्ध हो सकता है।वह आनंद ही ब्रह्मानंद है ..मोक्ष है।
2-गहरी निद्रा/ सुषुप्ति में कोई व्यक्ति कभी-कभी ही पहुंचता है। समाधि सुषुप्ति जैसी है।उसमें सिर्फ एक फर्क है कि वहां होश है। तुर्यावस्था सुषुप्ति जैसी है; सिर्फ एक फर्क है कि वहां प्रकाश है और सुषुप्ति में अंधकार है। सुषुप्ति में तुम वहीं पहुंचते हो, जहां बड़े-बड़े संत जाग्रत अवस्था में पहुंचते हैं। नींद में भी तुम केवल थोड़ी सी खबर लाते हो कि बड़ा सुख था; हालांकि, तुम कुछ व्याख्या नहीं कर सकते।गहरी नींद में तुम सुबह थोड़ी सी ताजगी लेकर आते हो। जो रात गहरी नींद सोया हो ..उसके चेहरे पर शिवत्व की थोड़ी सी झलक होती है।विशेषकर छोटे बच्चे, जो कि गहरी नींद सोते हैं।लेकिन जैसे -जैसे तुम्हारी चिंताएं बढ़ने लगती हैं, गहरी नींद भी मुश्किल हो जाती है।सुषुप्ति में सब तनाव खो जाते है, लेकिन विवेक नहीं होता।और समाधि में अथार्त तुरीयावस्था में सब तनाव खो जाते हैं और विवेक होता है।विवेक + सुषुप्ति अथार्त समाधि। और तीनों का भोक्ता वीरेश कहलाता है।
....SHIVOHAM...
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