नक्षत्र
1 – अश्वनी ( ARIETES );-
स्वामी – केतु
देवता – अश्विनी कुमार
वृक्ष – केला , आक , धतुरा
अक्षर – चू , चे , चो , ला
अश्विनी नक्षत्र में उत्पन्न व्यक्ति स्वरूप सुंदर बड़ी आंखों वाला आंखों में विशेष चमक वाला आकर्षक व्यक्तित्व चौड़ा माथा माथे पर उधार गौर वर्ण चमकीली त्वचा सजने सवरने का शौकीन स्त्रियों के आकर्षण का केंद्र सुंदर व सुरुचिपूर्ण वस्त्र आभूषण पहनने वाला बुद्धिमान सब कार्य में दक्षता से शीघ्र निपटाने वाला बातों से प्रभावित करने वाला बुद्धिमान सुखी दृढ़ निश्चय सत्यवादी निरोगी होता है । यह लोग प्रायः विशेष बुद्धिमान होते हैं । सुनना सुनकर समझना उस पर अमल करना स्वयं विचार करके तथ्यान्वेषण करना यह सब गुण में होते हैं । ( नारद )
इन लोगों की चाल भी तेज होती है यह प्रायः राजकीय नौकरी में हो तो सरकार इनसे विशेष प्रसन्न होती है तथा अपने रोजगार में हो तो बड़े लोगों के से संपर्क बनाना इन का शौक होता है । यह प्रायः नफासत पसंद होते हैं । अपने ग्राहकों में से विशेष सलीकेदार लोगों को ही यह विशेष पसंद करते हैं । अपने मान सम्मान का विशेष ख्याल रखते हैं । अन्याय के विरुद्ध बुलंद आवाज उठाते हैं अतः यह प्रायः शूर व निडर भी होते हैं । इन लोगों को जड़ी-बूटियों प्राकृतिक चिकित्सा व परंपरागत चिकित्सा पद्धति में विशेष रूचि होती है ( पराशर )
विचारशील अध्ययन अध्यापन करने वाला ज्योतिष वेदक आदि शास्त्रों में रुचि रखने वाला लेखक इमानदार चंचल प्राकृती मस्से का रोगी और गृहकला प्रिय
👉प्रथम चरण - लग्न या चंद्र अश्वनी के प्रथम चरण में पड़ता हो तो व्यक्ति बकरे का सामान लंवोतरे मुख वाला , कनपटी उभरी हुई , नाक छोटे , मझोले या सामान्य से छोटे हाथ , भारी आवाज , साधारण नैन नक्श छोटी या मूंदी सी आंखें , आंखें सिकुड़ने की आदत , शरीर से पतला होता है ।
👉द्वितीय चरण - अश्वनी का द्वितीय चरण हो तो भारी मांसल कंधे भरी हुई भुजाएं , लंबोतरा मुंह , नाक पर कुछ सांवलापन , पैरों के टखनों पर पतलापन , छोटा माथा , दबी हुई अर्थात मांस में ढकी हुई हंसुली , बड़ी साफ आंखें , कोमल आवाज होती है ।
👉तृतीय चरण - हो तो उड़ते हुए बाल , आंशिक गंजापन , गोरा रंग , शरीर से भुजाएं थोड़ा हटाकर - चलने की आदत , सुंदर व सुगम आंखें व नाक , बोलने में कुशल , पतले घुटने अर्थात घुटनों पर कम मांस व पतली जांघें होती है ।
👉चतुर्थ चरण - में हो तो आंखें अस्थिर , भ्रमित सी दृष्टि , चकित नजरों से सब और देखना , आंखों से दबंगपन और छोटी नाक , पैरों में भद्दापन , पैरों में जूते से बनने वाली गांठ , एड़ी में सख्ती , बालों ( रोमों ) में खुरदरापन , प्रायः मांस से रहित पतला शरीर , धनियों जैसी वेशभूषा व आदतें होती है ।
♦️ कारकत्व -
घोड़ों से सम्बन्ध रखने वाले लोग , घुड़सवार , घोड़ों के व्यापारी , आधुनिक परिप्रेक्ष्य में वाहन सम्बद्ध लोग , सेनापति , यूथपति , शरीर की चिकित्सा करने वाले ( PHYSICIAN ) नौकर , सेवक , अधीन काम करने वाले लोग , रूपाजीवी अर्थात् सुन्दरता से रोजगार कमाने वाले अभिनेता , मॉडल वगैरह , सलाहकारी का रोजगार करने " वाले , कमीशन पर काम करने वाले यात्रा आयोजित करने वाले , जेवरात या फैशन की वस्तुओं वाले , कृषिकर्म करने वाले आदि ।
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💢 यह एक सामान्य जानकारी है कोई आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन से सभी बातें मिलान करें ।
कुंडली में विराजम ग्रहों के अनुसार फलादेश में परिवर्तन होता है ।
2- भरणी ( MUSCA )
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स्त्री संज्ञक
स्वामी – शुक्र
अंग – माथा ( ललाट )
देवता – यम
वृक्ष - आंवला
अक्षर – ली , लू , ले , लो
ऐसे व्यक्ति दृढ़ निश्चयी , वचन के पक्के , काम को धून से पूरा करने वाले , स्वस्थ , सदाचारी , सुखी होते हैं । जिस काम का बीड़ा उठा ले उसे पूरा करके ही चैन लेते हैं । काम को शीघ्र समयबद्ध पद्धति से पूरा करना इनका गुण होता है ( वराह )
कम खाने वाले होते हैं । इनका शरीर स्वस्थ होता है । साथ ही यह लोग प्रेम करने वाले और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं ( नारद )
इनका स्वभाव कुछ ऐसा होता है कि यह अपने व्यवहार से कुछ बदनाम भी होते हैं और मनोविनोद के कामों में इनका मन अधिक रमता है । इनकी प्राकृतिक में शीघ्र सफलता पाने की लालसा रहती है । यह लोग प्रायः पानी से डरते हैं । सुरा सुंदरी के प्रयोग से भी इन्हें परहेज नहीं होता है ।
भरनी नक्षत्र पर कुप्रभाव हो तो जातक झूठ बोलने वाला , साधनों की पवित्रता पर कम ध्यान देने वाला , कई पुत्रों का पिता व दूसरों के धन निकलवाने में माहिर होते हैं । व्यवहार से यह शत्रु भी अधिक बना लेते हैं । ( पराशर )
बलवान् , शत्रुओं पर अचानक आक्रमण करने वाला , चालाक , धार्मिक कार्यों में रुचि रखनेवाला , चित्रकार , धोखेबाज़ , निम्न स्तर के कार्य करने वाला तथा उन्नति का आकांक्षी ।
👉 प्रथम चरण हो तो हाथी के समान छोटी व मदमाती आँखें , मोटी विशाल नाक , हाथी के समान दोनों ओर से उभारयुक्त सिर , ऊपरी धड़ में अपेक्षाकृत भारीपन , मोटी व भरी हुई भौहें , पतले बाल , शरीर के रोम मोटे व खुरदरे होते हैं । कभी - कभी सिर पर बाल भी कम अर्थात् कम घने होते हैं ।
👉द्वितीय चरण में सांवली रंगत , कोमल शरीर , हिरण के समान तरल सी आँखें , शरीर में भारीपन , कमर में बेल्ट की जगह पर लटकते मांस ( कुल्ले ) का अभाव , मजबूत छाती व मजबूत पैर , लटकता सा पेट , लटकते ढलवां कन्धे , अधिक बोलने की आदत , स्वभाव से डरपोक होता है ।
👉तृतीय चरण में चपल शरीर , सफेद सी पुतलियाँ , शक्ल से निर्दय व कठोर , बड़ा लम्बा चौड़ा शरीर , स्त्रियों के साथ सम्पर्क बनाने वाला , कुछ लोभी , चंचल स्त्री का पति होता है ।
👉चतुर्थ चरण में बन्दर के समान मुखाकृति वाला , बालों व रोमों में भूरापन , हिंसक स्वभाव , झूठ बोलने की आदत , अधिक बोलना , दोस्ती निभाने वाला , गुप्त रोगी अर्थात् गुप्तांगों के किसी रोग से पीड़ित होता है ।
💢 कारकत्व 💢
भरणी रक्त व मांस से सम्बन्धित लोग , अर्थात् रक्तपरीक्षक , खून बहाने वार हिंसक प्राणी या मनुष्य , हत्यारे , जल्लाद , कसाई , मांस काटने वाले मारपीट , बदमाशी आतंक फैलाने वाले लोग पुलिस कस्टम आदि विभाग , भूसा , भूसे वाले अनाज , नीच कुल व स्वभाव के लोग , सर्वथा तमोगुणी लोग , क्रूर तान्त्रिक शवसाधना करने वाले शव परीक्षा करने वालेलोग भरणी के कारकत्व में हैं । शारीरिक कष्ट या हानि पहुंचाने वाले विषादि पदार्थ भी इसके अन्तर्गत होने से दवा आदि का विपरीत प्रभाव भी इसी के अन्तर्गत है शस्त्र , अस्त्र , वकील , मुकद्दमा , कोर्ट - कचहरी , युद्ध भी इसी के अन्तर्गत है ।
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💢 यह एक सामान्य जानकारी है कोई आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन से सभी बातें मिलान करें । लग्न का फलादेश एवं कुंडली में विराजम ग्रहों के अनुसार फलादेश में परिवर्तन होता है ।
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3 - कृत्तिका ( ALCYONE )
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स्त्री संज्ञक
स्वामी – सूर्य
अंग – भौहें
देवता – अग्नि
वृक्ष – गूलर
अक्षर –अ , इ , उ , ए
नक्षत्र यदि मेष राशि का हो तो ये कम खाने वाले तथा वृष राशि का हो तो अधिक खाने वाले होते हैं । ये लोग प्रायः तेजस्वी , सुन्दर , गोरे , सभा आदि में छा जाने वाले , भीड़ में अलग दिखने वाले , बहुत बुद्धिमान् , दानी , स्त्री प्रसंग के शौकीन , कार्य कुशल , काम में अनुशासन बरतने वाले , स्वाभिमानी , तीक्ष्ण स्वभाव वाले , जल्दी तुनक जाने वाले , प्रसिद्ध , लगनशील होते हैं । ( नारद )
ये लोग धार्मिक बुद्धिवाले , संस्कारयुक्त विचारों वाले , प्राय : स्वाध्याय व विषय चिन्तन में लगे रहने वाले , कुलीन , कुलानुसार रूप व चरित्र वाले होते हैं । ये लोग जीवन में अच्छा धन कमा लेते हैं । ( पराशर )
यदि कृत्तिका नक्षत्र पीड़ित हो तो जातक परस्त्रीगामी , अधिक खाने वाले , झूठ बोलने वाले , वृथा भ्रमण में मन लगाने वाले , कठोरभाषी , निन्दित कार्य करने वाले होते हैं ।
यह लोग प्रायः पित्त प्रकृति होते हैं । अतः गरिष्ठ अथवा अधिक खट्टा तला हुआ खाने से इनके पाचन में विकार पैदा होता है ।
विद्याभिलाषी , पशु - प्रेमी , अस्वस्थ , भोगी , साधक , साधु - सन्तों में आस्था रखने वाला , कलहप्रिय , निर्धन से धनवान् होने वाला , लड़ाई - झगड़ों में रुचि रखने वाला , कट्टर धार्मिक ।
👉 प्रथम चरण में लम्बा कद , पतला शरीर , भ्रमणशील , लटकते कान या आँखों की ओर झुके से कान , घोड़े के समान मुखाकृति , चौड़ा माथा , अधिक बोलने की आदत , जल्दी तुनकने वाला , विषम स्वभाव अर्थात् अनपेक्षित व्यवहार वाला होता है । दोनों भौह प्राय : हल्की सी आपस में मिली होती हैं ।
👉 दूसरे चरण में हल्का सांवला रंग , सीधा तनकर चलने वाला , लोभी , आँखों में छोटा - बड़ापन , हल्के स्तर के काम करने वाला , देखते समय एक आँख छोटी या बड़ी रखने वाला , प्रकृति के विरुद्ध काम करने वाला होता है ।
👉तृतीय चरण में गम्भीर आँखें , अलसाया शरीर , झुके गोल कन्धे , लटकते कान , बहुत बोलने का स्वभाव , विरुद्ध स्वभाव वाली पत्नी , साधारण बुद्धि , गर्दन हल्के से झुकाकर रखता है ।
👉चतुर्थ चरण में कोमल शरीर , नाजुक , सुघड़ नाक , बडी व साफ आँखें , सुन्दर एड़ी , भारी शरीर , अस्थिर विचार या एक जगह स्थिरता से न बैठने वाला होता है ।
💢 कारकत्व 💢
अग्नि कार्य करने वाले , सुनार , सुहार , ढाबा , रेस्तरों , तन्दूर चलाने वाले , रंगरेज , कांच का काम करने वाले , ज्वलनशील पदार्थ , गैस , तेजाब आदि से काम करने वाले , यज्ञ करने कराने वाले , ईंधन व्यापारी , विशेषज्ञ , सलाहकार , सफेद फूलों वाले पदार्थ , खजाने में काम करने वाले , गुप्त धन , लॉकर रूम , बड़ी तिजौरी , भूगर्भगृह , सुरंग , गटर , मेनहॉल , कुआँ , गुफा , नाई , ब्यूटी सैलून , भाषा शास्त्री , व्याकरण जानने वाले , बर्तन बनाने वाले पुरोहित , ज्योतिषी , खान में काम करने वाले , खान प्रदेश , खुदाई करने वाले स्थान , श्मशान , रसोई आदि ।
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💢 यह एक सामान्य जानकारी है कोई आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन से सभी बातें मिलान करें ।
कुंडली में विराजम ग्रहों के अनुसार फलादेश में परिवर्तन होता है ।
4 - रोहिणी ( ALDE BARAN )
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स्वामी – चंद्र
देवता – प्रजापति , ब्रह्मा
वृक्ष – जामुन
अक्षर – ओ , वा , वि , वू
रोहिणी नक्षत्र में सत्यवादी , शास्त्रोक्त आचार करने वाला , सदाचारी , कम लोभी , काम , क्रोध , मद आदि को नियन्त्रित रखने वाला , पुत्रवान , से युक्त , विद्वान , दानी , धैर्यशाली , समयानुसार थोड़े शब्दों में ही अधिक बात कह जाने वाला , मस्ताने बैल के समान चाल वाला , स्थिर विचारों वाला , तेजस्वी होता है । इन जातकों को सम्भोग में विशेष रुचि होती है । ये लोग सांसारिक सुख अधिक भोगते हैं । बोलने में कोमलता , काम में कुशलता , चरित्र में शोभनता इनके विशेष गुण होते हैं । ( नारद )
ये लोग शब्दों के बहुत अच्छे खिलाड़ी होते हैं । बातों - बातों में ही दूसरे के मन की तह खोल लेते हैं । ( पराशर )
खेती - बाड़ी से भी इन्हें लगाव होता है । ये लोग धर्म कर्म में कुशल होते हैं । सुन्दर व आकर्ष व्यक्तित्व इनकी विशेषता होती है । ये लोग जीवन में अच्छा धन कमा लेते हैं । वराह के मत से ये लोग प्रियभाषी व पराशर के मत से अल्पभाषी होते हैं । अत : दोनों गुणों को मिला दिया जाए तो सारगर्भित , कम व ठोस वचन वाला अर्थ स्पष्ट हो जाता है ।
स्वच्छताप्रिय , असत्यवादी , संगीत में रुचि रखने वाला , सामाजिक कार्यकर्ता , प्रसन्नचित्त , भूत - प्रेतों में विश्वास रखने वाला , प्रतिष्च का इच्छुक , ईमानदार व सत्यभाषियों का हित - सम्पादन करने वाला ।
👉प्रथम चरण में पतला पेट , क्रोधी स्वभाव , बकरे के समान या भेड़ के समान चिपड़ी आंखों वाला , बालों में भूरापन , धनवान् , दूसरों से रुपया निकलवाने का हुनर जानने वाला होता है ।
👉दूसरे चरण में ऊँची नाक वाला , अत्यधिक छिपा क्रोध , साँप की तरह फुफकारने वाला , भारी व मजबूत शरीर , भरा चेहरा , घने बाल , भोग विलास में रत , लम्बे हाथ , भारी कन्धे , भारी कमर व गोरा रंग होता है ।
👉 तृतीय चरण सुन्दर नेत्र , स्थिर विचारधारा , चिकना व चमकीला शरीर , कोमलभाषी , हठी , मधुर परिहास करने वाला , पतला शरीर , निपुण होता है ।
👉चतुर्थ चरण में स्त्री व पुत्र के शोक वाला , खोए हुए परिवारजनों की याद में बेहाल , मध्यम से थोड़ी अधिक लम्बी नाक , बड़ी आँखें , सधा हुआ शरीर , अपने लोगों से द्वेष करने वाला , भारी पैरों वाला व पतले बालों वाला होता है ।
कारकत्व
रोहिणी वचन के पक्के लोग , सच्ची प्रतिज्ञा करने वाले व्यापारी लोग , व्यापार स्थान , राजा या राज्य प्रबन्ध से युक्त बड़े अधिकारी , मेहनती व लगनशील लोग , योग साधना , ड्राइवर गाड़ी चलाने वाले ट्रासपोर्टर , पशु , बड़े महत्वपूर्ण व शक्तिशाली लोग पानी में रहने वाले जीव , खेती बाड़ी करने वाले पर्वतीय या जंगली प्रदेश , बड़े धनाढ्य लोग , फैशन के कपड़े बनाने वाले लोग रोहिणी के अधीन हैं ।
यह एक जानकारी है कोई आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन से सभी बातें मिलान करें । कुंडली में विराजम ग्रहों के अनुसार फलादेश में परिवर्तन होता है ।
5- मृगशिरा 9 ( ORIONIS – Ⅰ )
नपुंसक संज्ञक
स्वामी – मंगल
अंग – नाक
देवता – सोम , चन्द्र
वृक्ष – खैर
अक्षर – वे , वो , का , की
मृगशिरा नक्षत्र में उत्पन्न व्यक्ति आक्रामक , सहन शक्ति में न्यून . प्रहारकर्म में निपुण होते हैं । सैनिक हों तो विशेष युद्ध कुशल , खिलाड़ी हों तो आक्रामक खिलाड़ी होते हैं । स्वभाव से शर्मीले , कुछ डरपोक होते हैं । चंचलता व शरारत भरा अन्दाज इनके स्वभाव की विशेषता होती है । खेल - कूद आदि में , जिसमें अधिक संघर्ष हो , ऐसे कामों में विशेष तल्लीनता से काम करते हैं । ये लोग धन कमाने में सफल हो जाते हैं । धन - सम्पत्ति का उपभोग भी करते हैं । मूल रूप से ये शान्तिप्रिय होते हैं , लेकिन जब सिर पर बन आती है तो ये पीछे नहीं हटते हैं । ( वराह )
नारद के मत से ये व्यक्ति आगम अर्थात् शास्त्रों या विशेष विषयों ( नीति , कानून , गणित आदि ) के अच्छे जानकार होते हैं । इसी बल पर ये प्रभुता अर्थात् अधिकार पा लेते हैं और विद्वान् माने जाते हैं । ( नारद )
प्रायः युद्ध विद्या या मल्ल युद्ध या मार्शल आर्ट्स जूडो कराटे आदि के प्रति इनका आकर्षण होता है । दूसरों के गुणों से प्रभावित होने का स्वभाव होता है । ( पराशर )
धनवान् , अनैतिक कार्यों से धन इकट्ठा करने वाला , अविश्वासी , उन्नतिगामी , सट्टा - जुआ आदि में रुचि रखने वाला , व्यापारी , अधिकारी , कार्यों में निपुण , विचारशील , प्रतिभाशाली , धार्मिक और यदाकदा उत्सवों में झूठा आडम्बर तथा शान - शौकत दिखाने वाला ।
👉 प्रथम चरण में बाघ के समान प्रभावशाली नजरों वाला , सुन्दर दाँतों वाला , अपराजेय , सधी हुई नाक , थोड़ा आलसी , मुड़े हुए अग्र भाग वाले काले बाल , तीखे नाखून वाला , अधिक मुँहफट होता है ।
👉द्वितीय चरण में माननीय , कम धैर्य वाला , डरपोक , क्रोधी , मध्यम आकर्षक , थोड़ा चालाक , धन एकत्र करने वाला , प्रसिद्ध , निचले शरीरार्ध में हल्का व पीछे बड़बड़ाने वाला होता है ।
👉 तृतीय चरण में कन्धों पर बालों वाला , गम्भीर व काली आँखें , ऊँची नाक , साँवला रंग , पतले हाथ पैरों वाला होता है ।
👉 चौथे चरण में घड़े के समान गोल सिर वाला , अपवित्र कार्य करने वाला , घात या प्रहार में रुचि रखने वाला , बीच से चपटी नाक , बहुत बोलने वाला , बहुत अधिक क्रियाशील , सेनापति या यूथपति होता है ।
💢कारकत्व - खुशबू , सेंट , परफ्यूम , वस्त्र , पानी से उत्पन्न पदार्थ , मोती , मूंगा , कमल आदि फूल , फल , रत्न , वनवासी लोगों का समुदाय , वन्य पदार्थ , पक्षी , पशु , शराब पीने पिलाने वाले व विक्रेता , संगीत कुशल लोग , गायक , गायन की समीक्षा करने वाले , कामुक लोग , सन्देश वाहक , नकल नवास , लम्बी समुद्री या दूर प्रदेशों की यात्राएँ भवन निर्माण , बड़े सुन्दर भवन , वास्तुविद् , अर्किटेक्ट , भवन निर्माण सामग्री आदि मृगशिरा के अधीन हैं ।
यह एक सामान्य जानकारी है कोई आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन से सभी बातें मिलान करें ।
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💢 यह एक सामान्य जानकारी है कोई आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन से सभी बातें मिलान करें ।
कुंडली में विराजम ग्रहों के अनुसार फलादेश में परिवर्तन होता है ।
....SHIVOHAM....
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