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नक्षत्र से रोग विचार तथा उपाय

नक्षत्र से रोग विचार तथा उपाय;-

हमारे ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र के अनुसार रोगों का वर्णन किया गया है। व्यक्ति के कुंडली में नक्षत्र अनुसार रोगों का विवरण निम्नानुसार है। आपके कुंडली में नक्षत्र के अनुसार परिणाम आप देख सकते है।


अश्विनी नक्षत्र👉 जातक को वायुपीड़ा, ज्वर, मतिभ्रम आदि से कष्ट.

उपाय : -

दान पुण्य, दिन दुखियों की सेवा से लाभ होता है।


भरणी नक्षत्र👉 जातक को शीत के कारण कम्पन, ज्वर, देह पीड़ा से कष्ट, देह में दुर्बलता, आलस्य व कार्य क्षमता का अभाव।

उपाय :-

गरीबोंकी सेवा करे लाभ होगा।


कृतिका नक्षत्र👉 जातक आँखों सम्बंधित बीमारी, चक्कर आना, जलन, निद्रा भंग, गठिया घुटने का दर्द, ह्रदय रोग, घुस्सा आदि।

उपाय : -

मन्त्र जप, हवन से लाभ।


रोहिणी नक्षत्र👉 ज्वर, सिर या बगल में दर्द, चित्य में अधीरता।

उपाय :-

चिर चिटे की जड़ भुजा में बांधने से मन को शांति मिलती है।


मृगशिरा नक्षत्र👉 जातक को जुकाम, खांसी, नजला, से कष्ट।

उपाय :-

पूर्णिमा का व्रत करे लाभ होगा।


आद्रा नक्षत्र👉 जातक को अनिद्रा, सिर में चक्कर आना, अधासीरी का दर्द, पैर, पीठ में पीड़ा।

उपाय : -

भगवान शिव की आराधना करे, सोमवार का व्रत करे, पीपल की जड़ दाहिनी भुजा में बांधे लाभ होगा।


पुनर्वसु नक्षत्र👉 जातक सिर या कमर में दर्द से कष्ट।

उपाय:-

रविवार को पुष्य नक्षत्र में आक का पौधा की जड़ अपनी भुजा मर बांधने से लाभ होगा।


पुष्प नक्षत्र👉 जातक निरोगी व स्वस्थ होता है। कभी तीव्र ज्वर से दर्द परेशानी होती है,

उपाय:-

कुशा की जड़ भुजा में बांधने से तथा पुष्प नक्षत्र में दान पुण्य करने से लाभ होता है।


अश्लेश नक्षत्र👉 जातक का दुर्बल देह प्राय: रोग ग्रस्त बना रहता है, देह में सभी अंग में पीड़ा, विष प्रभाव या प्रदुषण के कारण कष्ट।

उपाय :-

नागपंचमी का पूजन करे, पटोल की जड़ बांधने से लाभ होता है।


मघा नक्षत्र👉 जातक को अर्धसीरी या अर्धांग पीड़ा, भुत पिचाश से बाधा।

उपाय :-

कुष्ठ रोगी की सेवा करे, गरीबोंको मिष्ठान खिलाये।


पूर्व फाल्गुनी👉 जातक को बुखार,खांसी, नजला, जुकाम, पसली चलना, वायु विकार से कष्ट।

उपाय :-

पटोल या आक की जड़ बाजु में बांधे, नवरात्रों में देवी माँ की उपासना करे।


उत्तर फाल्गुनी👉 जातक को ज्वर ताप, सिर व बगल में दर्द, कभी बदन में पीड़ा या जकडन।

उपाय :-

पटोल या आक की जड़ बाजु में बांधे, ब्राह्मण को भोजन कराये।


हस्त नक्षत्र👉 जातको पेट दर्द, पेट में अफारा, पसीने से दुर्गन्ध, बदन में वात पीड़ा

उपाय : -

आक या जावित्री की जड़ भुजा में बांधने से लाभ होगा।


चित्रा नक्षत्र👉 जातक जटिल या विषम रोगों से कष्ट पता है। रोग का कारण बहुधा समज पाना कठिन होता है। फोड़े फुंसी सुजन या चोट से कष्ट होता है।

उपाय :-

असंगध की जड़ भुजा में बांधने से लाभ होता है, तिल चावल जौ से हवन करे।


स्वाति नक्षत्र👉 वाट पीड़ा से कष्ट, पेट में गैस, गठिया, जकडन से कष्ट।

उपाय : -

गौ तथा ब्राह्मणों की सेवा करे, जावित्री की जड़ भुजा में बांधे।


विशाखा नक्षत्र👉 जातक को सर्वांग पीड़ा से दुःख, कभी फोड़े होने से पीड़ा।

उपाय :-

गूंजा की जड़ भुजा भुजा पर बांधना, सुगन्धित वास्तु से हवन करना लाभ दायक होता है।


अनुराधा नक्षत्र👉 जातक को ज्वर ताप, सिर दर्द, बदन दर्द, जलन, रोगों से कष्ट,

उपाय :-

चमेली, मोतिया, गुलाब की जड़ भुजा में बांधना से लाभ।


जेष्ठा नक्षत्र👉 जातक को पित्त बड़ने से कष्ट,देह में कम्पन, चित्त में व्याकुलता, एकाग्रता में कमी, कम में मन नहीं लगना।

उपाय :-

चिरचिटे की जड़ भुजा में बांधने से लाभ। ब्राह्मण को दूध से बनी मिठाई खिलाये।


मूल नक्षत्र👉 जातक को सन्निपात ज्वर, हाथ पैरों का ठंडा पड़ना, रक्तचाप मंद, पेट गले में दर्द अक्सर रोगग्रस्त रहना।

उपाय :-

32 कुओं (नालों) के पानी से स्नान तथा दान पुण्य से लाभ होगा।


पूर्वाषाढ़ नक्षत्र👉 जातक को देह में कम्पन, सिर दर्द तथा सर्वांग में पीड़ा।

उपाय : -

सफ़ेद चन्दन का लेप, आवास कक्ष में सुगन्धित पुष्प से सजाये। कपास की जड़ भुजा में बांधने से लाभ।


उत्तराषाढ़ा नक्षत्र👉 जातक संधि वात, गठिया, वात शूल या कटी पीड़ा से कष्ट, कभी असहय वेदना।

उपाय :-

कपास की जड़ भुजा में बांधे, ब्राह्मणों को भोज कराये लाभ होगा।


श्रवन नक्षत्र👉 जातक अतिसार, दस्त, देह पीड़ा ज्वर से कष्ट, दाद, खाज खुजली जैसे चर्म रोग कुष्ठ, पित्त, मवाद बनना, संधि वात, क्षय रोग से पीड़ा।

उपाय :-

अपामार्ग की जड़ भुजा में बांधने से रोग का शमन होता है।


धनिष्ठा नक्षत्र👉 जातक मूत्र रोग, खुनी दस्त, पैर में चोट, सुखी खांसी, बलगम, अंग भंग, सुजन, फोड़े या लंगड़े पण से कष्ट।

उपाय :-

भगवान मारुती की आराधना करे ,गुड चने का दान करे।


शतभिषा नक्षत्र👉 जातक जलमय, सन्निपात, ज्वर, वातपीड़ा, बुखार से कष्ट। अनिंद्रा, छाती पर सुजन, ह्रदय की अनियमित धड़कन, पिंडली में दर्द से कष्ट।

उपाय :-

यज्ञ, हवन, दान, पुण्य तथा ब्राह्मणों को मिठाई खिलानेसे लाभ होगा।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र👉 जातक को उल्टी या वमन, देह पीड़ा, बैचेनी, ह्रदय रोग, टकने की सुजन, आंतो का रोग से कष्ट होता है।

उपाय : -

भृंगराज की जड़ भुजा में भुजा पर बांधे, तिल का दान करने से लाभ होता है।


उत्तराभाद्रपद नक्षत्र👉 जातक अतिसार, वातपीड़ा, पीलिया, गठिया, संधिवात, उदरवायु, पाव सुन्न पड़ना से कष्ट हो सकता है।

उपाय :-

पीपल की जड़ भुजा पर बांधने से तथा ब्राह्मणों को मिठाई खिलाये लाभ होगा।


रेवती नक्षत्र👉 जातक को ज्वर, वाट पीड़ा, मति भ्रम, उदार विकार, मादक द्रव्य सेवन से उत्पन्न रोग किडनी के रोग, बहरापन, या कण के रोग पाव की अस्थि, मासपेशी खिचाव से कष्ट।

उपाय : -

पीपल की जड़ भुजा में बांधे लाभ होगा।

कैसे करें भोजन द्वारा ग्रह मजबूत

हम अपने आहार द्वारा भी ग्रहों को बल दे सकते हैं

जैसे:-

सूर्य :- सूर्य अगर मजबूत हो तो हमें मान- सम्मान,

सुख-समृध्धि मिलती है पिता का संग और सहयोग

मिलता है अगर सूर्य कमजोर हो तो मुंह में थूक ज्यादा

बनेगा,होंटों के किनारों पर थूक इकट्ठा हो जाता हैं

पिता से नहीं बनेगी, सरकार से या सरकारी नौकरी

में सस्पेंड होना या झूठे आरोप लगना मान सम्मान

को ठेस पहुंचना आदि परेशानी रहेगी।


सूर्य को बल देने के लिए चौकर वाले आटे कि रोटी खाएं , फल अधिक खाएं निहार मुंह गुड़ खाकर ऊपर से पानी पियें। ग्वारपाठा का सेवन करें रोज़ाना व्यायाम करें सूर्य

को जल दें।


चन्द्र :- माँ से दूरी बन जाये, जातक वहमी हो जाये,

हाथ-पैर शिथिल पड़ जाएँ, चेहरे पर दाग-धब्बे पड़ जाएँ,

मन में उमंग ख़ुशी न रहे तो समझें चंद्रमा खराब है।


चंद्रमा को ठीक करने के लिए दूध में हरी इलायची डालकर

पियें खीर खाएं, केवडा डालकर और चांदी के गिलास

में पनीर और , दूध पियें लीची, पनीर,नारियल खाये

और मखाने की खीर खाने से चन्द्र मजबूत होता है जंक

फ़ूड खाने से बचें क्योंकि इससे राहू एक्टिव हो जाता

है।


मंगल :- जल्दी थकना, भाई-बहन से झगड़ा हो या दूरी

बन जाये , चोट ज्यादा लगे हड्डीयो का टूटना शरीर में खून की कमी हो जाये और शरीर में ऊर्जा की कमी रहें तो समझ लें मंगल ख़राब हैं पपीता, चुकंदर खाने से मंगल मजबूत होता है गुड़ डालकर मीठी लस्सी पियें मंगल मजबूत होगा लौकी, तौरी की सब्जी खाएं।


बुध :- बुध कमजोर होगा तो दांत ख़राब होंगे, जातक

अपने विचारों को अभिव्यक्त नहीं कर पायेगा,

स्किन (त्वचा) के रोग हो जाते हैं , बुद्धि ख़राब हो

जाती है मेमोरी कम हो जायें इसके लिए,

हरी मिर्च,आंवला, हरी सब्जियों का खूब सेवन करें तांबे के

बर्तन में रखा हुआ जल पियें


गुरु:- गुरु ख़राब हो तो जातक मोटा होता चला

जाता है, आपसी रिश्ते बिगड़ जाते है लीवर

ख़राब हो जाता है अस्तमां सांस की

बीमारी हो इसके लिए अनार और पपीता गन्ना खायें , गुड खाएं सूर्य अगर सम्मान देता है तो गुरु उस सम्मान को बनाये रखता है

इसलिए गुरु को मजबूत रखें सांस की

बीमारी हो तो

रात को दुध में दो चुटकी हल्दी डालकर पिये

केला के

सेवन से भी गुरु मजबूत होता है।


शुक्र :- शुक्र ख़राब हो तो तन,मन,धन सब पर ग्रहण लग

जाता है धन, वैभव,ऐश्वर्य सभी कुछ शुक्र अच्छा हो

तो ही मिलता है अतः शुक्र को बली रखने

के लिए

साबूदाने की खीर खाएं, पनीर

खाएं, छेना तथा छेने

कि बनी मिठाइयां खायें , दूध पछाड़कर उस पानी

को पीने से भी शुक्र मजबूत होता है


शनि :- व्यवहारिक जीवन में कुछ पाना है तो शनि

मजबूत होना चाहिए उड़द राजमा,खाये चावल आदि

में (लौंग) डालकर खाएं राई का पानी पीयें शनि

मजबूत होगा


राहु/केतु :- राहु शनि के सामान है और केतु मंगल के

समान अतः शनि और मंगल कि चीजें खानी

चाहिए

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