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पंचवटी क्या है?


02 FACTS;-

1-पीपल,बेल,बरगद,आंवला व सीताअशोक वृक्ष के समूह को पंचवटी कहा गया हैं...।इनकी स्थापना पांच दिशाओं में करनी चाहिए.. पीपल पूर्व दिशा में, बेल उत्तर दिशा में.. वट पश्चिम दिशा में ...आंवला दक्षिण दिशा और आग्नये कोण में अशोक की स्थापना करनी चाहिए। इन पांच वृक्षों में अद्वितीय औषधीय गुण है।बेल पर भगवान शंकर का निवास माना गया है तो पीपल पर विष्णु एवं वट वृक्ष पर ब्रह्मा का। इस प्रकार प्रमुख त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का पंचवटी में निवास है एवं एक ही स्थल पर तीनों के पूजन का लाभ मिलता है।आंवला विटामिन सी का सबसे समृद्ध स्त्रोत है एवं शरीर को रोग प्रतिरोधी बनाने की महौषधि है...।बरगद (Banyan Trees) का दूध बहुत बलदायी होता है...इसके प्रतिदिन प्रयोग से शरीर का कायाकल्प हो जाता है..।पीपल रक्त विकार दूर करने वाला वेदनाशामक एवं शोथहर होता है । बेल पेट सम्बन्धी बीमारियों का अचूक औषधि है तो अशोक स्त्री विकारों को दूर करने वाला औषधीय वृक्ष है।इस वृक्ष समुह में फलों के पकने का समय इस प्रकार निर्धारित है कि किसी न किसी वृक्ष पर वर्ष भर फल विद्यमान रहता है । जो मौसमी रोगों के निदान हेतु सरलता से उपलब्ध होता है। गर्मी में जब पाचन सम्बन्धी विकारों की प्रबलता होती है तो बेल है,बेल की पत्तियों, काष्ठ एवं फल में तेल ग्रन्थियां होती है जो वातावरण को सुगन्धित रखती हैं ।

2-वर्षाकाल में चर्म रोगों की अधिकता एवं रक्त विकारों में अशोक परिपक्व होता है।अशोक सदाबहार वृक्ष है यह कभी पर्ण रहित नहीं रहता एवं सदैव छाया प्रदान करत है।शीत ऋतु में शरीर के ताप एवं उर्जा की आवश्यकता को आंवला पूरा करता है।बरगद शीतल छाया प्रदान करने वाला एक विशाल वृक्ष है..गर्मी के दिनों में अपरान्ह में जब सुर्य की प्रचन्ड किरणें असह्य गर्मी प्रदान करती हैं एवं तेज लू चलता है, तो पंचवटी में पश्चिम के तरफ स्थित वट वृक्ष सघन छाया उत्पन्न कर पंचवटी को ठंडा करता है...।पीपल प्रदूषण शोषण करने वाला एवं प्राण वायु उत्पन्न करन वाला सर्वोतम वृक्ष है ।पछुआ एवं पुरुवा दोनों की तेज हवाओं से वातावरण में धूल की मात्रा बढ़ती है..जिसको पुरब व पश्चिम में स्थित पीपल व बरगद के विशाल पेड़ अवशोषित कर वातावरण को शुद्ध रखते हैं...।धार्मिक महत्व के साथ पंचवटी जैव विविधता संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं...पंचवटी में निरन्तर फल उपलब्ध होने से पक्षियों एवं अन्य जीव जन्तुओं के लिए सदैव भोजन उपलब्ध रहता है एवं वे इस पर स्थाई निवास करते हैं... पीपल व बरगद कोमल काष्टीय वृक्ष है जो पक्षियों के घोसला बनाने के लिए अधिक उपयुक्त है...।दिशाएँ आठ हैं ।


.SHIVOHAM...




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