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मनुष्य को बुरी या अच्छी घटनाओ का आभास क्यो हो जाता है ?

O9 FACTS;-

1-किसी व्यक्ति के जीवन में, भविष्य में घटने वाली किसी भी घटना का पूर्व आभास होने को ही पूर्वभास कहां जाता हैl अगर किसी व्यक्ति का मस्तिष्क निर्मल और अति संवेदनशील है तो भविष्य में घटने वाली घटनाओं की तरंगों को पकड़ने की क्षमता रखने की संभावना है l जैसे पशु पक्षियों और जानवरों को अपने वातावरण में होने वाले परिवर्तन का पूर्व आभास हो जाता है lबहुत ज्यादा उन्नत दिमाग वाले मनुष्यो को ही ऐसी घटनाओ के आभास की जानकारी हो जाती है । लेकिन साधारण मनुष्य के अंग ही फड़क कर रह जाते है। यह एक प्रकृति का बहुत विचित्र विज्ञान है। इसको समझने के लिए प्रकृति के विज्ञान को समझना चाहिए। प्रकृति मे घटित होने वाली इन आभासिक घटनाओ का संबंध मन के साथ होता है।मन एक प्रकृति का रूप है । मन को कोई भी वैज्ञानिक या योगी देख नहीं सकता है। मन प्रकृति के कण कण मे भ्रमण करता रहता है। मन तीनों लोको मे भ्रमण करता रहता है ..तभी मन चंचल रहता है । यह एक जगह एकाग्र नहीं हो पाता है ।

2-प्रकृति मे जो घटनाए घटित होती है उनके साथ मन का संबंध होता है । जैसे ही कोई घटना प्रकृति मे घटित होने वाली होती है तो मन उसको समझ लेता है तथा इस आभास को चित को भेज देता है ।इसी प्रकार जब आपके शरीर के साथ कोई घटना घटित होने वाली होती है तो मन उसका आभास कैसे करता है ...इसके दो मुख्य कारण होते है ।जब कोई मनुष्य आपका बुरा चाह रहा होता है तो उसकी नकारात्मक सोच प्रकृति मे भ्रमण करती है । जब प्रकृति मे बुरी सोच आपके लिए भ्रमण करती है तो आपका मन उस बुरी सोच के संकेत को आभास कर लेता है । फिर मन उस बुरी सोच को बार बार आपके चित को संकेत भेजता है । चित उस संकेत को बुद्धि को भेजता है । फिर आपको एहसास होता है कि कुछ हमारे साथ बुरा होने वाला है ।

इसका दूसरा मुख्य कारण है जब आपके साथ कोई दुर्घटना होने वाली होती है । तो उस समय गोचर मे ग्रह आपके साथ घटना के योग बना रहे होते है । गोचर के ग्रह कई दिन पहले से यह संयोग बनाते है । लेकिन हम उन पर ध्यान नहीं देते है ।

3-जब ग्रहो के द्वारा यह दुर्घटना का संयोग बनता है तो मन विचलित होकर आपको संकेत देता है कि सावधान रहिए कि आपके साथ दुर्घटना होने वाली है।क्योकि मन का संबंध चंद्रमा के साथ साथ प्रकृति के साथ होता है । इसलिए कोई दुर्घटना होने से पहले बहुत सारे लोगो को मौत तक आभास हो जाता है।ऐसी घटनाओ की जानकारी पशु पक्षी और जानवरो को बहुत शीघ्र हो जाती है। जब कोई तूफान आता है तो उससे पहले पशु पक्षी जीव जन्तु शांत अवस्था मे बैठ जाते है । उनको आभास हो जाता है कि कोई घटना घटित होनी वाली है । बिल्ली अपने बच्चो को सुरक्षित स्थान पर ले जाती है और चींटी अपने अंडो को भी सुरक्षित स्थान पर ले जाती है । लेकिन मनुष्य नास्तिक मनोवृति का शिकार होने के कारण इन सब चीज़ों को अंधविश्वास मान लेता है तथा दुर्घटना का शिकार हो जाता है ।इसलिए अगर आपको किसी अच्छी या बुरी घटना का आभास होता है तो मन की बात सुननी चाहिए तथा उसका विश्लेषण करना चाहिए । जब आप इस मन पर और ज्यादा ध्यान एकाग्र करोगे तो योगी की भांति आने वाली सभी घटनाओ की जानकारी प्राप्त कर सकते हो ।

4-अतीन्द्रिय ज्ञान को वैज्ञानिक आधार पर प्रमाणित करने वाले विद्वानों का मानना है कि यदि कोई तत्व प्रकाश की गति से भी तीव्र गति करे तो उसके लिए समय रुक जाता है। दूसरे शब्दों में, वहां बीते कल, आज और आने वाले कल में कोई अंतर न रहेगा। अपने चित्त में यह गति साध ली जाए तो अतीत और भविष्य की घटनाएं चलचित्र की तरह देखी जा सकती हैं।अधिकतर दार्शनिकों का मत है कि घटनाओं के पूर्वाभास जीवन बचाने के लिए होते हैं और यह बात भी सच है कि यदि हम कमजोर मन इंसान से इस तरह के पूर्वाभासों का जिक्र करते है, तो वे किसी की मौत का कारण भी बन सकते हैं। अनेक बार पूर्वाभास स्पष्ट नहीं होते और न उनकी व्याख्या की जा सकती है।प्रिमोनीशन एक्स्टां सॅन्सरी परसॅप्शन्स का वह रूप है, जिसे हम इन्स्टिंक्ट या भावी घटना का एक तीव्र आभास कह सकते हैं। ये एक तरह की 'इन्ट्यूटिव वॉर्निंग होती है, जो अवचेतन मन पर अंकित हो जाती है और कभी-कभी व्यक्ति को नियोजित कार्योँ को करने से मनोवैज्ञानिक तरह से रोकती हैं।

5-इसे बहुत से चिन्तक विशिष्ट घटनाओं की 'भविष्यवाणी भी कहते हैं। साइंस इसके स्टेट्स को अस्वीकार करता है। लेकिन दार्शनिकों का मानना है कि प्रिमोनीशन और प्रौफॅसी को व्यर्थ की चीज मानकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि घटनाओं के पूर्वाभास की जानकारी और उनका सही घटना प्रमाणित करता है कि 'प्रिमोनीशन में तथ्य है, इसकी अर्थवत्ता है।

इस तरह से यह साइंस के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि यह सृष्टि की गतिविधियों के साथ मानव मन के सघन संबंध का संकेत देती है। यह आन्तरिक शक्तियों और सृष्टि में स्पन्दित अलौकिक शक्तियों व उसके चक्र के अन्तर्संबंध का विज्ञान है।पहले के लोग अगर कुछ भी नकारात्मक या सकारात्मक घटना होने से पहले बता देते थे। वो ऐसे ही संकेतों को डिकोड करते थे।वे प्रकृति के साथ भी जुड़े हुए थे, प्रकृति के ज्यादा नजदीक रहते थे और प्रकृति के अच्छे बुरे संकेतो से होने वाली अच्छी बुरी घटना के बारे में पता लगाते थे।

6-कहा जाता है कि नॉस्टेंडम ने अपनी मृत्यु की 'पूर्व घोषणा कर दी थी।जुलाई 1, 1566 जब एक पुरोहित उनसे मिलने आया और जाने लगा तो नॉस्टेंडम ने उससे अपने बारे में कहा कि 'वह कल सूर्योदय होने तक मर चुका होगा। इसी तरह अब्राहम लिंकन ने अपनी मौत का सपना देखा और अपनी पत्नी व अंगरक्षक को अपने कत्ल से कुछ घंटे पहले इस बारे में बताया।हम लोगों को भी प्रकृति ऐसे संकेत देती है या कुछ लोगों के पास ऐसी सुपर पॉवर होती हैं लेकिन आज की मॉडर्न दुनिया में लोग बहुत ज्यादा वयस्त हैं और प्रकृति से, अपने आप से, आध्यात्मिकता से काफी दूर हो गए हैं।पूर्वाभास होने के लिए सर्वप्रथम आपका दिमाग एकदम शांत अथवा एक ही जगह केंद्रित होना आवश्यक है। वरना पूर्वाभास होना संभव नहीं है। उसके लिए कोई ध्यान की आवश्यकता नहीं होती पर अपना मन स्वत: ही कभी कभी एक विचार या एक जगह पर केन्द्रित हो जाता है जिसे हम एक जगह नजर ठहर गई है ऐसा बोलते है। वह नजर का ठहरना ही एक जगह पर मन कहो या चित्त केंद्रित हो जाता है। जिसे हम ध्यान की भाषा में अर्ध समाधि भी कह सकते है।

7-यहां पूरे ब्रह्मांड में जो भी घटित होता है इसकी ऊर्जा पूरे ब्रह्माण्ड में फैल जाती है। आपके मित्र का एक्सिडेंट उस प्रति ब्रह्मांड में होता है तो इस ब्रह्मांड में भी होना तय है पर समय थोड़ा सा आगे पीछे हो सकता है.. बस। उस ब्रह्मांड में घटी घटना की ऊर्जा इस ब्रह्मांड में हमारी तरफ आकर्षित होना कोई अचरज की बात नहीं है ।तो उस ऊर्जा का अगर आपके उस अर्ध समाधि की अवस्था में संयोगवश मिलाप हो जाता है तो आपको वह दृश्य एकदम ऐसा ही दिखेगा जैसे आपके साथ या मित्र के साथ घटा है।आप चौंक जाते है पर आप ध्यान नहीं देते। पर जब असल में आपके मित्र के साथ घटना होती है तब आपको हैरानी होती है कि अपने तो वह दृश्य पहले से देखा था।कोई घटना घटित होती है उसके पीछे कोई ना कोई कारण अवश्य होता ही है। चाहे वह आपके कर्म अधीन हो या प्रतिब्रह्मांड के अधीन, पर घटित अवश्य होती है और उसकी ऊर्जा जो इस ब्रह्मांड में फैलती है उसके संपर्क में आने से दृश्य ताज़ा हो जाते है और ऐसे ही दिखाई पड़ता है जैसे आपके साथ सत्य में घटित होता है।8-कभी पूर्वाभास आपको स्पष्ट रूप से भी दिखाई पड़ता है और कभी कभी तो कुछ संकेत से दिखाई पड़ता है। जैसे आपके मित्र का एक्सिडेंट होने वाला है जिस जगह पर वहां पर एक माइल स्टोन है, कुछ कबूतर उड़ रहे है और गलती से मोटसाइकिल सवार आपके मित्र के रास्ते में आ जाते है और संतुलन खोने से ऐक्सिडेंट हो जाता है। समझो यह घटना घटित होने वाली होती है तो आपको संभवित स्पष्ट रूप से भी दिख सकता है, या फिर कुछ संकेत जैसे प्रथम आपके मित्र का चेहरा दिखता है उसके पश्चात कोई मोटरसाइकिल में जा रहा है ऐसा दिखता है, फिर कुछ कबूतर दिखाई देंगे, कोई माइल स्टोन भी दिखाई पड़ेगा पर ऐक्सिडेंट नहीं दिखाई पड़ेगा। बस ऐसे संकेत भी मिलते है। यह आपकी अर्ध समाधि कितनी गहरी है उसके आधार पर रहता है। यह तो एक उदाहरण के लिए समझाया है उस अन्यथा ना ले।

9-दूसरा कारण है भविष्य में जाना।अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी अपनी थिअरी से समझाने की चेष्टा की थी कि भविष्य में जाना संभव है पर उसके लिए प्रकाश से भी अधिक गति चाहिए। पर क्या हम नहीं जानते कि आत्मा की और मन की गति तो प्रकाश की गति से आठ गुना अधिक है। तो जब हम अर्ध समाधि की अवस्था में होते है तब अचानक से हमारी आत्मा स्वत: ही शरीर से बाहर निकल जाती है और उस क्षण के भविष्य में पहुंच जाती है जहां पर वह घटना होती है। वह क्षण तो केवल 3 से 8 सेकंड का रहता है ।जो ध्यान नहीं करते उनके लिए भी सब दिखाई देता है और जब आत्मा शरीर में पुनः प्रवेश करती है तब वह घटना का स्मरण हो जाता है ..जैसे आपने देखा। असल में तो आपकी आत्मा ने वह दृश्य देखा था पर जब आपकी आत्मा वापस आपके शरीर में आई तो ऐसा लगा जैसे आपने देखा हो! तो यह दो कारणों से पूर्वाभास होता है।

...SHIVOHAM...


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