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क्या है वॉकिंग मेडिटेशन...MINDFULNESS WALKING?

वॉकिंग मेडिटेशन प्रैक्टिस क्या है?-

05 FACTS;-

1-मेडिटेशन अथार्त ध्यान लगाना।All four (sitting, standing, walking, and lying down) are valid methods of enabling clear thought and mindful awareness. अक्सर मेडिटेशन किसी एकांत जगह पर बैठ कर किया जाता है।लेकिन एक मेडिटेशन ऐसा है, जिसे चलते हुए भी आप कर सकते हैं।इसे वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) कहते हैं। वॉकिंग मेडिटेशन की उत्पत्ति बौद्ध धर्म में हुई है और इसे एक ध्यान अभ्यास (mindfulness practice) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे करने के बाद आपको अधिक संतुलित महसूस करने में मदद मिल सकती है। इससे आपको अपने आस-पास के परिवेश, शरीर और विचारों के बारे में एक अलग जागरूकता विकसित करने में भी मदद मिलती है।ध्यान लगाने का यह तरीका बिल्कुल अलग है, जो कि कई फायदे देता है ।

2-वाकिंग मेडिटेशन का उपयोग अक्सर बैठकर किए जाने वाले ध्यान (Seated meditation) के साथ किया जाता है। दोनों तरह के मेडिटेशन को जानना -सीखना लाभदायक होता है। ध्यान या मेडिटेशन के 5 से 10 मिनट का सत्र करें, उसके बाद वॉकिंग मेडिटेशन करें। जब आप इसे आसानी से करने लगें तो समय सीमा बढ़ा सकते हैं।आमतौर पर, ध्यान या वॉकिंग मेडिटेशन के दौरान आप सर्किल, पीछे और आगे की तरफ बिल्कुल सीधी लाइन में चलते हैं। आप इसे लंबी दूरी तक पैदल चलकर भी कर सकते हैं। इसमें रफ्तार धीमी होती है, जो खास टेक्नीक इस्तेमाल करने के दौरान बदलती रहती है।

बुद्ध ने ध्यान के चलने का अतिरिक्त, विशिष्ट लाभ बताया। पहला यह है कि जो कोई मेडिटेशन करता है उसके पास लंबी यात्रा पर जाने के लिए सहनशक्ति होगी। यह बुद्ध के समय में महत्वपूर्ण था, जब उनके पैरों के अलावा परिवहन का कोई रूप नहीं था।

3-दूसरा लाभ यह है कि ध्यान का अभ्यास स्वयं के अभ्यास के लिए सहनशक्ति लाता है। मेडिटेशन चलने के दौरान एक डबल प्रयास की आवश्यकता होती है। पैर को उठाने के लिए आवश्यक सामान्य, यांत्रिक प्रयास के अलावा, जागरूक होने का मानसिक प्रयास भी है। यदि यह दोहरा प्रयास उठाने, धक्का देने और रखने के आंदोलनों के माध्यम से जारी रहता है, तो यह उस मजबूत, सुसंगत मानसिक प्रयास के लिए क्षमता को मजबूत करता है जिसे सभी योगी जानते हैं, विपश्यना अभ्यास के लिए महत्वपूर्ण है। तीसरा, बुद्ध के अनुसार, बैठने और चलने के बीच संतुलन अच्छे स्वास्थ्य में योगदान देता है, जो व्यवहार में प्रगति को गति देता है। जाहिर है कि जब हम बीमार होते हैं तो ध्यान करना मुश्किल होता है। बहुत अधिक बैठना कई शारीरिक बीमारियों का कारण बन सकता है। लेकिन मुद्रा की शिफ्ट और चलने की गति मांसपेशियों को पुनर्जीवित करती है और परिसंचरण को उत्तेजित करती है, जिससे बीमारी को रोकने में मदद मिलती है।

4-“इस विधि में, अपना सारा ध्यान पैरों के तलवों पर, संवेदनाओं और भावनाओं पर होता है। यह मानकर चला जाता है कि आप नंगे पैर चल रहे हैं, जैसा कि अधिकांश भिक्षु करते हैं। हालांकि हल्के तलवे वाले जूते ..यदि आवश्यक हो तो पहना जा

सकता है। जब आप चलना शुरू करते हैं, तो भावना बदल जाती है। जैसे ही पैर उठाया जाता है और फिर से रास्ते के संपर्क में आता है, एक नई भावना पैदा होती है। उस अनुभूति से अवगत रहें, जैसा कि पैर के एकमात्र माध्यम से महसूस किया जाता है। जब आप प्रत्येक पैर उठाते हैं और इसे नीचे रखते हैं, तो संवेदनाओं को महसूस करें। प्रत्येक नए कदम पर, कुछ नई भावनाओं का अनुभव किया जाता है और पुरानी भावनाएं समाप्त हो जाती हैं। इन्हें मन से जानना चाहिए। प्रत्येक कदम के साथ एक नई भावना का अनुभव होता है - उठने की भावना, पास से गुजरने की भावना; उठता हुआ महसूस करना, दूर से महसूस करना। " 5-वॉकिंग मेडिटेशन एक कला है, जो आपको चलने के साथ जागरूक होना भी सिखाती है। इसे आप कहीं भी ऑफिस में, पार्क में चलते हुए, दैनिक कार्य करते हुए, बाजार से सामान खरीदते हुए कर सकते हैं। यह ध्यान खुली आंखों और सक्रिय शरीर के साथ किया जाता है। मेडिटेटिव वॉक का मतलब है, चलते हुए मेडिटेशन या ध्यान करने से है। इसमें पूरा ध्यान चलने पर होता है और हर मूवमेंट को एनालिस करना पड़ता है। वॉकिंग मेडिकेशन पार्क में चलने से अलग होता है। मेडिटेटिव वॉक का मुख्य उद्देश्य चलना है, किसी डेस्टिनेशन तक न पहुंचना । इस प्रकार का ध्यान आमतौर पर नियमित रूप से चलने की तुलना में बहुत धीमी गति से किया जाता है।वॉकिंग मेडिटेशन हमें आनंद और शांति की ओर ले जाता है। जब हम चलते हैं, तो हमारा सारा तनाव गायब हो जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि इस वक्त हमारा ध्यान केवल हमारे चलने पर केंद्रित होता है। वॉकिंग मेडिटेशन करने से आपको लंबी दूरी तक चलने के लिए धैर्य रखने में मदद,शारीरिक फिटनेस ,सहनशीलता और एकाग्रता में सुधार हो जाता है। गठिया रोग , पाचन क्रिया ,शारीरिक शक्ति ,सकुर्लेशन को भी बढ़ावा मिलता है।सुबह के समय चलते हुए ध्यान करना बहुत अच्छा तरीका है।

चार प्रकार के वॉकिंग मेडिटेशन;-

1-ट्रेडिशनल वॉकिंग मेडिटेशन;-

Traditional walking meditation requires you to walk back and forth, along the same path, giving your mind the single-pointed focus of each individual step. This style of walking meditation makes it easier to keep the mind focused by eliminating the distractions you are likely to experience on a normal walk. Experiment using labeling techniques to help maintain your focus.These labels are generally descriptive of the action like “stepping, stepping, stepping” or “lifting foot, moving foot, putting foot down.”

2-ब्रीथिंग -सेंट्रिक वॉकिंग मेडिटेशन;-

A less formal type of walking meditation involves a strong focus on your breathing as you walk. Simply exhaling for twice as long as you inhale (inhale for a count of 4, exhale for a count of 8) while you walk can have meditative benefits. Conscious breathwork in yoga and meditation is referred to as Pranayama.There are many forms of Pranayama, or breathing techniques, that you can employ. If there is a particular breathing technique you enjoy, try using it during your next walk .

3-माइंडफुल ऑब्जरवेशन वॉकिंग मेडिटेशन;-

Another option is mindful observation. Beginning with how your body feels, you shift your attention through a series of focus points, checking in with what you are experiencing as you go.

Begin with how it feels to be in your body. Notice different sensations. Check in with what you are experiencing. Focus on the texture and consistency of your breath. Feel the sun on your face and the wind in your hair.This mindfulness practice will help keep you focused and present by establishing a mind/body connection.

4-मंत्र -सेंट्रिक वॉकिंग मेडिटेशन;-

You can also use a mantra to maintain your focus, control your breath, and keep your mind clear of wandering thoughts. A mantra is a word or phrase said repeatedly during a meditation. It could be as simple as saying to yourself, “Inhale” as you breathe in, and “exhale” as you breathe out.

Some find it calming to count with the breath, giving your mind something to focus on. Others say the word they are trying to create more in their life: peace, love, compassion, abundance. SO HUM is a popular mantra easy to remember. It means “I Am That.”

कैसे करें वॉकिंग मेडिटेशन?

02 FACTS;-

1-जब भी आप दिन में किसी भी प्वाइंट या दिशा में चलते या वॉक करते हैं, तो अपने मन-मस्तिष्क को वर्तमान पल में लाएं। अपने आस-पास की आवाजों, अपनी सांस या किसी भी शारीरिक संवेदना की तरफ ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें। अपने विचारों में खो जाएं।वॉकिंग मेडिटेशन करते हुए धीमी गति से चलना होता है। इसमें हम चलने की प्रक्रिया पर बहुत बारीकी से ध्यान लगाते हैं। जैसे कि मुड़ना, पैर उठाना, जमीन से पैर उठना, जमीन पर पैर रखना व शरीर को आगे की तरफ ले जाना। हम रोजाना यह कार्य करते हैं, लेकिन इसके प्रति सजग नहीं होते हैं ।

2-सबसे पहले आप आरामदायक कपड़े और जूते पहनें। किसी शांत वातावरण वाले साफ-सुथरे पार्क या बगीचे को चुनें, जहां शोर कम हो। वॉक का समय शुरुआत में केवल 5 मिनट का ही रखें। वॉकिंग मेडिटेशन करने के लिए सबसे पहले आप अपने दोनों पैरों पर बराबर का वजन डालकर सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद लंबी सांस लें । चलने से पहले अपने पैरों पर ध्यान केंद्रित करें और महसूस करें कि वो जमीन को छू रहे हैं। अब चलना शुरू करें लेकिन ध्यान रखें कि बहुत तेजी से नहीं चलना है बल्कि छोटे-छोटे कदम रखते हुए धीरे-धीरे चलना है। अपने कदमों के साथ श्वास को समन्वयित करें यानी सांस को लेने और छोड़ने के साथ कदमों का तालमेल बिठाएं। इस दौरान अपनी गर्दन, कंधों और पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ दें। अपने फोकस करने की क्षमता विकसित करें और इस दौरान अपनी आंखें खुली रखें।

07 STEPS;-

1-वॉकिंग मेडिटेशन करने के लिए सबसे पहले शांत जगह चुनें और एक रास्ते या जगह का चुनाव करें। जहां कोई आपको डिस्टर्ब ना कर सके और आप 10 से 15 कदम सीधा चल सकें।

2- सबसे पहले आप अपने दोनों पैरों पर बराबर का वजन डालकर सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद गहरी लंबी सांस लें। चलने से पहले अपने पैरों पर ध्यान केंद्रित करें और महसूस करें कि वो जमीन को छू रहे हैं ।

3-अपने कदमों के साथ श्वास को समन्वयित करें यानी सांस को लेने और छोड़ने के साथ कदमों का तालमेल बिठाएं ..जितनी हो सके, उतनी गहरी सांस लीजिए।

4-इस दौरान अपनी गर्दन, कंधों और पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ दें;अपने फोकस करने की क्षमता विकसित करें।

5-अब वापिस मुड़िए और शुरुआती पोजीशन तक वापिस जाइए ;जितनी गहरी और लंबी सांस ले सकते हैं, लीजिए ।

6-इस दौरान आपको कदमों और प्रक्रिया को धीमा रखना है और हर चीज को महसूस करना है।

7-आपके दिमाग में जो भी विचार आएं, उन्हें आने और जाने दीजिए। इसी तरह 10 से 15 मिनट करिए।

वॉकिंग मेडिटेशन करने के फायदे;-

05 FACTS;-

1- संतुलन बढ़ाता है

वॉकिंग मेडिटेशन करने से बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए बैलेंस बनाने में सुधार होता है, साथ ही पैरों और एड़ियों में तालमेल बिठाना भी आसान होता है।

2- अच्छी नींद आती है

चलने या टहलने से शरीर में लचीचालपन बढ़ता है और मांसपेशियों का तनाव कम होता है, जिससे आप शारीरिक रूप से बेहतर महसूस करते हैं। सुबह के समय जब आप वॉकिंग मेडिटेशन करते हैं, तो एंग्जाइटी, स्ट्रेस दूर होता है।

3-ब्लड शुगर लेवल, ब्लड सर्कुलेशन सुधारे;-

वॉकिंग मेडिटेशन करने से ब्लड शुगर लेवल पर सकारात्मक रूप से असर पड़ता है। साथ ही सर्कुलेशन भी बेहतर होता है, खासकर टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में। इसे 30 मिनट प्रत्येक सप्ताह में 3 बार लगभग 12 सप्ताह तक करने से लाभ अधिक होता है।

4-ड्रिपेशन दूर करे;-

शारीरिक और मानसिक रूप से एक्टिव रहना बहुत जरूरी है। खासकर तब, जब आप बुजुर्गावस्था में प्रवेश कर रहे हों। हर दिन एक्सरसाइज करने से फिटनेस लेवल बूस्ट होता है। मूड में सुधार होता है। एक अध्ययन में कहा गया है कि जिन बुजुर्गों ने 12 सप्ताह के लिए वॉकिंग मेडिटेशन के नियमों को फॉलो किया, उनमें अवसाद के लक्षण (symptoms of Depression) बेहद कम हो गए। साथ ही उनके ब्लड प्रेशर, फिटनेस लेवल में भी सुधार देखा गया। ऐसा सिर्फ वॉकिंग मेडिटेशन के जरिए ही संभव हो पाया।

5-पाचन शक्ति सही रखे;-

खाने के बाद चलना पाचन को बढ़ावा (Boost Digestion) देने का एक शानदार तरीका है, खासकर अगर पेट बहुत ज्यादा भरा हुआ महसूस हो। चलने-फिरने से भोजन को पाचन तंत्र के माध्यम से स्थानांतरित होने में मदद मिलती है। इससे कब्ज भी नहीं होता है।

तीन एलिमेंट और वॉकिंग मेडिटेशन ;-

05 FACTS ;-

1- फायर एलिमेंट ;-

Let us go into a little more detail about the characteristics of the elements in walking meditation. In the first movement, that is, the lifting of the foot, yogis perceive lightness, and when they perceive lightness, they virtually perceive the fire element. One aspect of the fire element is that of making things lighter, and as things become lighter, they rise. In the perception of the lightness in the upward movement of the foot, yogis perceive the essence of the fire element. But in the lifting of the foot there is also, besides lightness, movement. Movement is one aspect of the air element. But lightness, the fire element, is dominant, so we can say that in the stage of lifting the fire element is primary, and the air element is secondary. These two elements are perceived by yogis when they pay close attention to the lifting of the foot.

2- एयर एलिमेंट;- ;-

The next stage is moving the foot forward. In moving the foot forward, the dominant element is the air element, because motion is one of the primary characteristics of the air element. So, when they pay close attention to the moving forward of the foot in walking meditation, yogis are virtually perceiving the essence of the air element.

3- वॉटर एलिमेंट ;-

The next stage is the movement of putting the foot down. When yogis put their foot down, there is a kind of heaviness in the foot. Heaviness is a characteristic of the water element, as is trickling and oozing (flow). When liquid is heavy, it oozes. So when yogis perceive the heaviness of the foot, they virtually perceive the water element.By paying close attention to the pressing the foot on the ground, yogis will perceive the hardness or softness of the foot on the ground. This pertains to the nature of the element.

वॉकिंग मेडिटेशन की 06 एक्सरसाइजेज ;-

एक्सरसाइज 01 ;-

स्ट्रैट वाक विद''ॐ मंत्र'';-

Many Yogis walk for long hours as a way of developing concentrations – sometimes as much as ten or fifteen hours a day.Of all walking meditations , this is the one with the most elaborate mental aspect of the training.We stress walking back and forth on a single path instead of wandering about because otherwise part of the mind would have to negotiate the path. A certain mental effort is required to, say, avoid a chair or step over a rock. When you walk back and forth, pretty soon you know the route and the problem-solving part of the mind can be put to rest.Walking in a circle is a technique that is sometimes used, but the disadvantage is that the continuity of a circle can conceal a wandering mind. Walking back and forth, the little interruption when you stop at the end of your path can help to catch your attention if it has wandered.

NOTE;-

For this type of walking meditation, choose a straight path of about 30 to 40 feet long.You can practice barefoot, or wearing light shoes.While doing walking meditation you need to activate the mind using a mantra, rather than calm it, so that it becomes more focused and awake. The use of a mantra like 'OM' repeating it quietly to yourself over and over and over again. Increase the speed of repetition if the mind insists on wandering..We can take example of GOVERDHAN parikrama,where all the devouts are with their japmalas.

12 STEPS;-

1-Stand upright, with eyes cast down about a meter and a half in front (to prevent distraction), not looking at anything in particular. Some people find it useful to keep the eyelids half closed.

2-As you walk, place all your attention at the soles of the feet, on the sensations and feelings as they arise and pass away.

3-Feel the legs and feet tense as you lift the leg. Feel the movement of the leg as it swings through the air. Note the sensations felt.

4-As the foot comes down again into contact with the path, a new feeling arises. Place your awareness on that sensation, as it is felt through the sole of the foot. Again as the foot lifts, mentally note the feeling as it arises.

5-At each new step, certain new feelings are experienced and old feelings cease – feeling arising, feeling passing away, feeling arising, feeling passing away. This should be known with mindfulness. Be constantly mindful of all sensations that arise in the sole of the feet.

6-There is no “right” experience. Just see how the experience feels to you. Walk back and forth along the same short path. When you come to the end of your path, come to a full stop, turn around, stop again, and then start again.

7-In the beginning, middle and end of the path, ask “Where is my mind? Is it on the soles of the feet?”, and thus reestablish mindfulness. Whenever your mind wanders from this focus, you bring it back to your foot, and the sensations for the contact with the ground.

8-Your speed might change during a period of walking meditation. See if you can sense the pace that keeps you most intimate with and attentive to the physical experience of walking.

9-At any time if you feel the mind is going deeply into tranquility, and you feel like just standing still, or sitting down to practice, then do so.

10-Try to dedicate your attention to the sensations of walking and let go of everything else. As you develop your ability of focus while walking like this, by time you can also integrate it in less formal walks in your daily life.

11-Eventually you will notice all six of the components of walking – raising, lifting, pushing, dropping, touching, and pressing. To help keep the mind in the process, you may also mentally note what is happening (“lifting”, “moving”, “placing”, etc.). Or you can use labels such as “stepping, stepping” or “left, right”. If after a while you notice that you are saying “right” for the left foot, and vice-versa, you know that your attention has wandered.

12- Instead of focusing on the soles of your feet, you can do loving-kindness meditation while you walk. In each step, focus on the feelings of loving-kindness, and think “May all beings be happy, may all beings be at peace, may all beings be free from all suffering“. And also “May I be happy, may I be at peace, may I be free from all suffering”.

NOTE;-

1-If powerful emotions or thoughts arise and call your attention away from the sensations of walking, it is often helpful to stop walking and attend to them. When they are no longer compelling, you can return to the walking meditation.

2-You also might find that something beautiful or interesting catches your eye while walking. If you can’t let go of it, stop walking and do looking meditation. Continue walking when you have finished looking. You can also simply note, seeing, hearing, worrying.

एक्सरसाइज 02;-

क्लॉकवाइज वाक विद हमसा -सोऽहं /HAMSA-SOHAM मंत्र ;-

04 STEPS;-

Practitioners walk clockwise around a room, in a very specific posture.

1-Stand up straight with your back upright but not stiff. Feel your feet touching the ground and let your weight distribute evenly.

2-Curl the thumb of your left hand in and wrap your fingers around it. Place it just above your belly button. Wrap your right hand around it, resting your right thumb in the crevice formed between your left thumb and index finger.

3-Keep your eyes cast down about five or six feet in front, un-focused. With each complete breath (exhalation and inhalation), take a small step,say mentally-''HAMSA'' beginning with the right foot &say mentally-''SOHAM ''with the left foot.

4-Keep the body and mind walking and breathing in a well-balanced, concentrated way. Keep your focus on your breathing and stepping.This is the walking meditation with the slowest pace.

एक्सरसाइज 03;-

वाक विद “शिवोहम/SHIVOHAM ” ;-

When we practice walking meditation, we arrive in each moment. Our true home is in the present moment. When we enter the present moment deeply, our regrets and sorrows disappear, and we discover life with all its wonders.Breathing in, we say to ourselves, I have arrived. Breathing out, we say, I am home. When we do this we overcome dispersion and dwell peacefully in the present moment, which is the only moment for us to be alive.Different from other techniques, this one makes use of affirmations in order to produce positive mental states.

03 STEPS;-

1-Walk slowly, with calmness and comfort

2-Be aware of each move, of each step. Keep bringing your attention to the present moment.

3-Mentally repeat one of these verses, as you walk;-

Breathing in “ नित्योहं /NITYOHAM ”; Breathing out “ शुद्धोहं ” Breathing in “बुद्धोहं/BUDDHOHAM ”; Breathing out “मुक्क्तोहं/MUKKTOHAM In the now” Breathing in “शिवोहम /SHIVOHAM ”; Breathing out “SHIVA SWAROOPOHAM/शिव स्वरूपोहं ” Breathing in “अद्वैत आनंद /ADVAITA ANANDA ”; Breathing out “रूपम अरूपम/RUPAM ARUPAM ” Breathing in “ चिदोहम/CHIDOHAM ”; Breathing out “ सत्चिदानंदोहम /SATCHIDANANDOHAM ”

NOTE;-

Enjoy every step you take. Kiss the earth with your feet, imprinting gratitude and love as you walk.You can learn more about the approach and philosophy of ADI-SHANKARA as given below;-- Shivoham Shivoham Shiva Swaroopoham Nityoham Shuddhoham Buddhoham Muktoham Shivoham Shivoham Shiva Swaroopoham Advaitamananda Roopam Aroopam Brahmoham Brahmoham Brahma Swaroopoham Chidoham Chidoham Satchidanandoham

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गुरु आदि -शंकरा का द्वारा लिखित आत्मषट्क का विवरण ;-

शिवोहम का अर्थ;-

“Shivoham” means “I am Shiva”. Shiva is the pure unbounded all-pervading consciousness (the transcendental self, the Absolute). Here is an explanation of “Shivoham” bhajan. ”Shiva” here means that innocent, blissful, splendid, golden, beautiful. “Shivoham” — I am Shiva. Splendid, the most innocent.

शिव स्वरूपोहं का अर्थ;--- “Shiva Swarupoham” — my nature is Shiva. My form is Shiva. I am made up of a substance that is Shiva — innermost me.

नित्योहं का अर्थ;-

“Nityoham” ..I am ever present. I am always there. Body dies, disappears, but I am there. MEANING OF SHUDDHOHAM-- “Nityoham Shuddhoham” — I am ever pure. Nothing can touch me. All these things come and go, but they cannot touch me, they cannot do anything to me. MEANING OF BUDDHOHAM-- “Buddhoham” ...I am always enlightened. “Shivoham Shivoham Shiva Swarupoham. Nityoham” — I am eternal. There is no end to me.

“अद्वैत आनंद रूपम अरूपम ... शिवोहम शिवोहम शिव स्वरूपोहं ” का अर्थ;-

There is no two. It is me in all the forms, all over. It is me. My breath is flowing everywhere. I am the formless though I am inside a form. My spirit has no form. Though I am formless, I move in forms, in all forms in the whole world. the Brahman, the totality, the all.

“चिदोहम चिदोहम सत्चिदानंदोहम ” का अर्थ;-

I am the consciousness. I am lively. I am full of life. I am pure energy and pure consciousness.I am all pervasive, and without any form, pervade all senses and world. I have neither attachment to the world, nor to the liberation (mukti). I am "Shiva” (SatChitAnanda) beyond all these)....

एक्सरसाइज 04;-

''ॐ '' माइंडफुल्नेस्स वॉकिंग मेडिटेशन ;--

07 POINTS;-

1-This is an adaptation of traditional walking meditation by the modern mindfulness movement. Instead of being a practice of concentration (focused attention) – it is more of an open monitoring practice. In other words, the attention is not laser focused on the soles of the feet; instead, it is present to the variety of sensations and perceptions of the present moment.

2-Here are some pointers:-With OM' japa (mentally) ;Pay attention to the experience of walking, and keep your awareness engaged in this experience.Feel your feet touching the ground. The movement of your muscles.The constant balancing and rebalancing of the body.

3-Pay attention to any areas of stiffness or pain in the body, and consciously relax them.

4-Be also aware of your location in space. The sounds around you. The air temperature.

5-Be aware of the beginning, the middle, and the end of your stepping.Allow your awareness to move up through every part of the body, noticing the sensations as you walk.

6-Gradually scan all parts of your body as you bring your attention to the ankles, skins, calves, knees, thighs, hips, pelvis, back, chest, shoulders, arms, neck, and head.

7-Become aware of your present mental and emotional states. Notice your state of mind. Is it calm or busy, cloudy or focused? Where is your mind?You can read more about it here.

NOTE;- This exercise is similar to Nyas of Tantra..

एक्सरसाइज 05(04 EXERCISES) ;-

एक्सरसाइज 01

वॉकिंग विद "उज्जायी प्राणायाम " /VICTORIOUS BREATH MEDITATION;-

1-शब्द "उज्जायी" संस्कृत के उपसर्ग "उद्" और "जि" से बना है: उज्जायी (अजय), जिसका अर्थ है "विजय", "जो विजयी है"। इस प्रकार उज्जायी प्राणायाम का अर्थ है "विजयी श्वास "। इस प्राणायाम के अभ्यास से वायु को जीता जाता है। अथार्त उज्जयी प्राणायाम से हम अपनी सांसो पर विजय पा सकते हैं और इसलिए इस प्राणायाम को अंग्रेजी में Victorious breath कहा जाता हैं। जब इस प्राणायाम को किया जाता है तो शरीर में गर्म वायु प्रवेश करती है और दूषित वायु निकलती है। उज्जायी प्राणायाम को करते समय समुद्र के समान ध्वनि आती है इसलिए इसे ओसियन ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रणायाम का अभ्यास शर्दी को दूर करने के लिए किया जाता है। इसका अभ्यास तीन प्रकार से किया जा सकता है- खड़े होकर, लेटकर तथा बैठकर।

खड़े होकर करने की विधि :-

1- सबसे पहले अपने मन को शांत तथा तनाव मुक्त करते हुए समान रूप से सांस लें तथा छोड़ें।अपनी जीभ को नली की तरह बनाकर होटों के बीच से हल्का सा बाहर निकालें।

2- अब बाहर निकली हुई जीभ से अन्दर की वायु को बाहर निकालें।

3-अब अपने गले पर ध्यान देते हुए दोनों नासिका छिद्रों से गहरी सांस लेते हुए हा तथा उ आवाज करे.. आवाज धीरे तथा सामान्य हो।

4- सांस को रोक के रखे । सांस को उतना ही रोकें जितना आप रोक सकते है।फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर श्वास को धीरे -धीरे बाहर निकाल दें।ऐसे ही इस क्रिया को 7-8 बार तक दोहरायें।

THE TECHNIQUE OF UJJAYI.. Unlike other practices, in which we simply observe the breath, in pranayama we actively guide the breath. Close the mouth. Inhale slowly through both the nostrils in a smooth, uniform manner till the breath fills the space from the throat to the heart.

Retain the breath as long as you can do it comfortably and then exhale slowly through the left nostril by closing the right nostril with your right thumb.Expand the chest when you inhale. During inhalation a peculiar sound is produced owing to the partial closing of glottis.

एक्सरसाइज 02 (Breathing 4-4-4-4) ;-

In both cases, every step is one second..In this exercise there is inhalation, retention and exhalation, all the same length. Inhale for 4 steps Retain the breath for 4 steps Exhale slowly for 4 steps Retain empty for 4 steps NOTE;-You may increase or decrease the number of steps for each phase, according to your capacity. For instance, it could be 3-3-3-3 or 6-6-6-6. 6-

एक्सरसाइज 03 (Breathing 1:4:2);-

Here, the rhythm for inhalation-retention-exhalation is 1:4:2, which is more challenging. You can start with 2-8-4 or 3-12-6, and increase by time.Inhale for 3 steps Retain the breath for 12 steps Exhale slowly for 6 steps.

एक्सरसाइज 04;-

(Mantra)It is a silent walk, and of course, you have to be a walking meditator to be able to mentally chant your mantra, but chanting was one of the ingredients for a real meditative experience. Here you synchronize the mental repetition of a mantra with your steps. Keep your pace and your breathing steady, and repeate your mantra with each step (if it’s a short one); or break it into a few steps (for longer mantras).

एक्सरसाइज 06;-

वॉकिंग विद आईज अनफोकस्ड;-

03 FACTS;-

1-A particularly intransigent problem in the practice of Yoga is that of retention of power; the fleeting contact that one gains with the Higher Power during meditation seems to dissipate within a few minutes after meditation, after which one finds oneself uncomfortably thrust back into the ugly daily persona – an amalgam of anxiety, impatience, ambition and what not.The way out of this dilemma is to embrace a daily regimen of control over conversation, food, television and computer usage and other activities which “externalize” the consciousness. The exercise discussed here “walking with eyes unfocused” can also extend the retention of consciousness.

2-When we are busy with various daytime activities, we are seldom aware that our consciousness is perpetually recording even the tiniest upheavals (a violent or sudden change) occurring within our mind and heart. These upheavals invariably(always) sink into our subconscious, gradually gain strength to become habit formations and also rise up later at night in the form of incoherent (confused) dreams.While this recording cannot be prevented, its ill-effects can be mitigated by the practice of walking meditation, which calms the volatile (uneasy) waking consciousness by temporarily inhibiting the churning in the mind and the heart.

3-One can potentially experience a peace and calm descending and saturating (charge fully) the mind, heart and the rest of the frontal being .Walk alone for long stretches while allowing the eyes to lazily scan the horizon (the line at which the earth's surface and the sky appear to meet).. Without focusing on anything in particular, one’s vision should take in all the objects (people, buildings, trees) which appear within sight without getting distracted by any of them.There should be no conversation within oneself or with another person. Chant a Mantra if required to improve the effect.


...SHIVOHAM....









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