शाबर मंत्र सिद्धी कैसे करे
वैदिक, पौराणिक एवं तांत्रिक मंत्रों के समान 'शाबर-मंत्र' भी अनादि और अचूक हैं। सभी मंत्रों के प्रवर्तक मूल रूप से भगवान शंकर ही हैं, परंतु शाबर मंत्रों के प्रवर्तक भगवान शंकर प्रत्यक्षतया नहीं हैं। इन मंत्रों के प्रवर्तक शिव भक्त गुरु गोरखनाथ तथा गुरु मत्स्येंद्र नाथ को माना जाता है।शाबर मंत्र सदैव एक ही स्थान पर बैठकर सिद्ध करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है जहां मंत्र जपा जाये उस स्थान को दोष मुक्त कर अला-बला से भी मुक्त कर लिया जाये । साथ ही ऐसा करने से साधक की भी रक्षा होती है। इस तरह के जो शाबर मंत्र होते हैं उन्हें रक्षा मंत्र भी कहा जाता है | मंत्र अनेक है और इनकी विधियां भी अलग-अलग है :
रक्षा शाबर मंत्र
राम कुंडली, ब्रम्हाचाक
तेतीस कोटि देवा-देवा अमुक की बेडिया
अमुकेर झंकेर बाणकाटम
शर काटम
संधार काटम
कुज्ञान काटम
कारवणे काट
राजा राम चंद्रेर वाणे काटे
कार आज्ञा
ऐई झंडी अमुकेर झंगे शीघ्र लागूगे।
इस मंत्र का उच्चारण करके जहां बैठकर मंत्र जपें अपने चारों तरफ रेखा खीचने से सदेव रक्षा-सुरक्षा बनी रहती है। सभी रक्षा मंत्रों की बैठते समय सबसे पहले आसन बिछाकर पांच मालाएं फेरनी चाहिए, इसके बाद मूल मंत्र नियमानुसार जपना चाहिए।
शरीर रक्षा शाबर मंत्र
बाघ बिजुली सर्प चोर
चारिउ बांधौ एक ठौर
धरती माता
आकाश पिता
रक्ष रक्ष श्री परमेश्वरी कालिका
की वाचा
दुहाई महादेव की ।
इस मत्र की पांच माला जपकर तीन बार ताली बजाने से बाघ, बिजली, सांप, चोर आदि से भी रक्षा होती है।
रक्षा कवच शाबर मंत्र
झाड़ि-झाड़ि कापड़ पिन्दि
वीर मुष्टे बांधि बाल
बुले एलाम मशान भूम होत भैरव
काटार हाते
लोहार बाड़ी
बाम हाते चाम दड़ि
आज्ञा दिल राजा चुड़ं हाते
लोहार किला
मुगदर धिनि
विगति घुडिकार आज्ञे
राजा चुडंगर आज्ञे
विग्लि घुंड़ि ।
इस मंत्र के प्रभाव से शरीर की समस्त प्रकार की उपाधियों से रक्षा होती है। ओझाओ के द्वारा वापसी करतब का मारण, करतब, हांडी, मूठ आदि से पूरी तरह सुरक्षा होती है। इस मंत्र की सात मालाएं फेरकर अपने चारों तरफ रेखा खींच लें, सभी तरह की रक्षा बनी रहती है।
शाबर रक्षा मंत्र
ओउम नमः ब्रज का कोठा
जिसमे पिंड हमारा पेठा
ईश्वर कुंजी
ब्रम्हा का ताला
मेरो आठो याम का यती हनुमंत रखवाला |
यह मंत्र अभी तक तांत्रिकों में पूर्ण सम्मान के साथ प्रयोग किया जाता है । इसकी पांच माला जपने से चारों तरफ घेरा खींचकर रक्षा होती है |
हनुमान जी का शाबर मंत्र
ओउम हनुमान पहलवान
वर्ष बारह का जवान
हाथ में लडडू मुख में पान
आओ आओ बाबा हनुमान
न आओ तो दुहाई महादेव गौरा पार्वती की
शब्द सांचा
पिंड कांचा
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
इस मंत्र का अनुष्ठान मंगलवार से प्रारंभ करें। हनुमानजी को सिंदूर का चोला, जनेऊ, खड़ाऊं, लंगोट, दो लड़्डू और ध्वजा किसी हनुमान मंदिर में चढ़ावें। इसके बाद प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखें। लाल वस्त्र धारण करें तथा लाल चंदन की माला से सवा लाख जप करें। शनिवार को चने और गुड़ का प्रसाद बांटे। सदा ब्रहाचर्य का पालन कर पवित्र रहें। यह सभी जप तीन महींने के भीतर अवश्य कर लें। सवा लाख जप पूरे होने के बाद हनुमानजी दर्शन देंगे, उस समय जो चाहें मांग लें। घबराएं बिल्कुल नहीं।
हनुमान साधना मंत्र
ओउम नमो देव लोक दिविख्या देवी
जहां बसे इस्माईल योगी
छप्पन भैरों
हनुमत्त वीर
भूत प्रेत दैत्य को मार भगावे
पराई माया ल्यावे
लाडू पेड़ा बर्फी सेव सिंघाड़ा पाक बताशा
मिश्री घेवर जालूसाई लोंग डोडा इलायची दाना
तेल देवी काली के ऊपर
हनुमत्त गाजे
एती वस्तु मैं चाहि लाव
न लावे तो तैंतीस कोटि देवता लावे
मिरची जावित्री जायफल हरड़े जंगी-हरड़े
बादाम छुहारा मुफरें
रामवीर तो बतावें बस्ती
लक्ष्मण वीर पकड़ावे हाथ
भूत-प्रेत के चलावे हाथ
हनुमत्त वीर को सब कोऊ गाव
सो कोसो का बस्ता लावे
न लावे तो एक लाख अस्सी हजार वीर पैगंबर लावे
शब्द सांचा
फुरो मंत्र ईश्वरों वाचा।
इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए किन्हीं निर्जन स्थान में जहां अंधा कुआं नजर आये, वहां पर शुद्ध मिट्टी में लाल रंग मिलाकर हनुमानजी की प्रतिमा बनायें और उसे सिंदूर का चोला चढ़ाकर 21 दिन के भीतर सवा लाख मंत्र जपे। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए संयमी रहें सवा लाख जप के बाद हो सकता है राम दूत स्वयं हाजिर हो जाएं। यदि वे नहीं आये तो सैकड़ों मेघों की गर्जन करते हुए आकाशवाणी होगी इसे ध्यान से खुने और यदि कर सके तो उस समय उनसे तीन वचन अवश्य ले ले। यह पक्का मंत्र है।
हनुमान शाबर सिद्धी मंत्र
अजरंग पहनू
बजरंग पहनू
सब रंग रखू पास
दायें चले भीम सैन
बाएं हनुमंत
आगे चलो काजी साहब
पीछे कुल बलारद
आतर चौकी कच्छ कुरान
आगे पीछे तू रहमान
घढ़ खुदा, सिर राखे सुलेमान
लोहे का कोट
तांबे का ताला
करला हंसा जीरा
करताल बसे समुद्र तीर
हांक चले हनुमान की
निर्मल रहे शरीर ।
साधना से पहले मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में एक लंगोट, लड्डु, सिंदूर, खड़ाऊ चढ़ाकर ही साधना प्रारंभ करें। २१ दिनों में सवा लाख मंत्रों का जप कर लें। सवा लाख मंत्र पूरे होने के बाद हनुमानजी किसी भी रूप में आ सकते हैं। श्रद्धा व विश्वास के साथ संयम पूर्वक साधना जारी रखें और उन्हें पहचानने का प्रयाश करें। जो चाहे मांग लें।
हनुमान शाबर रक्षा मंत्र
हनुमान जाग
किलकारी मार
तू हुंकारे
राम काज संवारे
ओढ़ सिंदूर सीता मइया का
तू प्रहरी रामद्वारे
मैं बुलाऊं, तू अब आ
राम गीत तू गाता आ
नहीं आये हनुमाना तो राजा राम
सीता मइया की दुहाई
मंत्र सांचा फुरे खुदाई।
इस मंत्र को भी हनुमान मंदिर में ऊपर लिखी वस्तुओं की भेट चढ़ाकर मंगलवार से ही शुरू करें। सवा लाख मंत्र पूरे होने पर हनुमानजी स्वप्न में दर्शन देंगे | स्वप्न मे ही वह आशीर्वाद भी देंगे | हो सके तो उस समय जो चाहे मांग ले | ध्यान रहे हनुमान साधना मे संयम और ब्रहाचर्य का विशेष ध्यान रखा जाता है |
माँ काली शाबर मंत्र
की कालिका षोड़स वर्षीय जवान
हाथ में खड़ग खप्पड़ तीर कमान
गले में नर मुंड माला रहे श्मशान
आओ आओ मां कालिका मेरा कहना मान
नहीं आये कालिका तो काल भैरव की दुहाई
शब्द सांचा फुरो मंत्र खुदाई
इस मंत्र की साधना शनिवार की अ्द्धरात्रि से शुरू की जाती है। साधक किसी एकांत कमरे में रक्षा मंत्र पढ़ने के बाद मां काली का चित्र आगे रखकर धूप, दीप, जलाकर निर्वस्त्र होकर पांच लाख मंत्र जपें । तीन माह में यह जप पूरा हो जाना चाहिए। मां काली मंत्र पूरा हो जाने पर अवश्य दर्शन देंगी। इस साधना में बीच में बाधा नहीं आनी चाहिए। यानि प्रति रात्रि यह जप चलता रहना चाहिए।
काली शाबर मंत्र साधना
ओउम काली घाटे काली मां
पतित पावनी काली मां
जवा फूले
स्थूरी जले
सेई जवा फूल में सीआ बेड़ाए
देवीर अनुर्बले
एहि होत करिवजा होइवे
ताहि काली धर्मेर
बले काहार आज्ञा राठें
काली का चंडीर आसे
इस मंत्र को सवा लाख जप सिद्ध कर लें। इसके बाद यह सिद्ध हो जाता है। मंत्र सिद्ध हो जाने के बाद जब भी कोई काम करने जायें इस मंत्र की एक माला फेरकर अपनी दाई हथेली में फूंक मारे। इस हाथ से जो भी काम करेंगे, मां काली की कृपा से अवश्य पूर्ण होगा।
काली साधना | डाकिनी साधना मंत्र
ओउम स्यार की खवासिनी
समंदर पार धाई
आव, बैठी हो तो आव
ठाड़ी हो तो ठाड़ी आव
जलती आ
उछलती आ
न आये डाकिनी तो जालंधर पीर की आन
शब्द सांचा
पिंड कांचा
फुरे मंत्र ईश्वरो वाचा।
यह मंत्र किसी निर्जन चौराहे पर या अपने निवास पर पूर्णतः निर्वस्त्र होकर आसन पर बैठकर जपा जाता है। मांस व मंदिरा भोग के लिए पास में रखें। चर्बी का दीपक जलायें और मंत्र का पाठ करते रहें । जब 21 मालाएं हो जाये तो अपने हाथों पीली सरसों लेकर सभी दिशाओं में फेंक दें और पुनः मंत्र का जप आरंभ कर दें। आसपास की सभी डाकिनियां दौड़ती हुई आएंगी और मांस मदिरा का सेवन करायें। जब वे खा-पीकर प्रसन्न हो जायें तो वर मांगने के लिए कहेंगी उस समय जो चाहें मांग लें। डरें बिल्कुल नहीं। इसलिए पहले रक्षा मंत्र से गोल घेरा खींच लें।
जगदंबा शाबर साधना मंत्र
सातो सती शारदा
बारहा वर्ष कुमार
एक माई परमेश्वरी
चौदह भुवन द्वार
द्विपक्ष का निरमली
तेरहा देवी देव
अष्टभैरों तेरी पूजा करें
ग्यारहों रुद्र कर सेव
सोलह कला संपूर्णी
त्रिलोकी वश करे
दश अवतारा उतरी
पांचों रक्षा करे
नौ नाथ षट् दर्शनी
पंद्रह तिथि जान
चार युग में सुमरू
माता कर पूर्ण कल्याण
इस मंत्र का माता की मूर्ति (चित्र) के आगे धूप-दीप जलाकर सवा लाख मंत्र जपकर सिद्ध कर लें। इसके बाद कहीं भी किसी काम से जाना हो तो इस मंत्र का केवल पांच बार उच्चारण कर प्रस्थान करें, कार्य अवश्य सिद्ध होगा। यदि आप नियमित रूप से घर में पूजा करते हैं तो एक माला प्रतिदिन इस मंत्र को भी अवश्य जपें । मां जगदंबा सदैव सहायक बनी रहेंगी।
काली शाबर साधना
ओउम काली-काली महाकाली
इंद्र की बेटी ब्रह्मा की साली
उड़ बैठी पीपल की डाली
दोनों हाय बजावे ताली
जहां जाये ब्रज की ताली
वहां न आवे दुश्मन हाली
दुहाई कामरू कामाक्षा नैना योगिनी की
ईश्वर महादेव गौरा पार्वती की
दुहाई वीर मसान की।
इस मंत्र को भी काली के चित्र के आगे धूप दीप जलाकर सवा लाख जपकर सिद्ध कर लें। इसके बाद जब भी कहीं जाना हो तो 5 बार इस मंत्र को जपकर तीन बार ताली बजाने से सब तरह से सुरक्षा बनी रहती हैं। जब भी कहीं यात्रा पर निकलें तब इसका प्रयोग अवश्य करें। सुरक्षा बनी रहेगी।
शाबर मंत्रों का जन्म प्रायः सिद्ध साधकों के द्वारा ही हुआ है। यही कारण है कि मंत्र के समापन के समय देवता को विकट आन दी जाती है। जैसे बालक हठपूर्वक अनर्गल बातें कहकर अपना काम निकाल लेता है ठीक उसी तरह सिद्ध साधकों ने शास्त्री मंत्रों का सहारा न लेकर अपनी समस्या को अपनी ही भाषा में कहा और उस समस्या की पूर्ति न होने की स्थिति में एक हठी बालक की तरह आन कहकर अपनी समस्या की पूर्ति कर ली।
शाबर मंत्रअपने आप में एक शक्ति है, यह सफलता में प्रभावी है इसीलिए तांत्रिक आजकल इनका अधिक प्रयोग करने लगे हैं। शाबर मंत्र का प्रयोग कभी बेकार नहीं जाता। इन मंत्रों के प्रयोग करने के लिए गुरू की आवश्यकता नहीं होती। इनका विधान भी आसान है। अनेक बीमारियों के इलाज, वशीकरण, उच्चाटन, मारण में भी सहायक हैं। यदि किसी पाठक को इनमें से किसी मंत्र की आवश्यकता हो तो उन्हें लिखकर भेजा जा सकता है।यहां अनेक दुर्लभ बीमारियों के इलाज आदि में काम आनेवाले शाबर मंत्रों को बताया जा रहा है ।
कान दर्द का शाबर मंत्र
ओउम कनक प्रहार
अंधर छार
प्रवेश कर डार डार
पात-पात झार-झार
मार-मार
हुंकार-हुंकार
शब्द सांचा पिंड कांचा ओउम क्रीं क्री
इस मंत्र को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए सांप के बिल की मिट्टी लाकर उसे 21वार इस मंत्र से शक्तिकृत करें और फिर इस मंत्र का सात बार जप करके वह मिट्टी उस कान से लगायें, तो कान का दर्द ठीक हो जाता है।
पीलिया झाड़ने का शाबर मंत्र
ओउम नमो आदेश गुरू का
श्री राम सर साधा
लक्ष्मण साधा बाण
काला पीता रीता
नीला थोथा पीला
पीला चारों झड़े तो रामचंद्र जी रहै नाम
मेरी भक्ति
गुरू की शक्ति
फुरे मंत्र ईश्वरो वाचा।
इस मंत्र को भी पहले 11हजार जपकर सिद्ध कर लें। इसके बाद किसी पीलिया के रोगी को झाड़ते समय कांसे के पात्र में जल भरके नीम के पत्ते को सरसों के तेल में भिगोकर रोगी का इस मंत्र से जाप करता हुए सात बार झाड़ा करें। शीघ्र ही रोगी को स्वस्थ लाभ होने लगेगा ।
बवासीर का शाबर मंत्र
ओउम काका कता क्रोरी कर्त्ता
ओउम करता से होय
यरसना दश हंस प्रगटे
खूनी बादी बबासीर न होय
मंत्र जान के न बताये
द्वादश ब्रह्म हत्या का पाप होय
लाख जप करें तो उसके वंश में न होय
शब्द सांचा
पिंड कांचा
हनुमान का मंत्र सांचा
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
पहले इस मंत्र को सवा लाख जपकर सिद्ध कर लिया जाता है। इसके बाद जिसे बवासीर हो उसे ठीक करना हो तो रात को एक लोटा पानी लेकर रख लें और सुबह इस मंत्र से उस पानी को अभिमंत्रित कर लें तब रोगी को कहें कि इस पानी से गुदा की सफाई करे। ऐसा 21 दिन तक करने से खूनी तथा बादी दोनों तरह की बवासीर जड़ से ठीक हो जाता है।
हर तरह के रोग को ठीक करने का शाबर मंत्र
वन में बैठी बानरी
अंजनी जायो हनुमंत
बाल डमरू ब्याही बिलाई
आंख की पीड़ा
मस्तक पीड़ा
चौरासी बाई
बलि-बलि भस्म हो जाये
पके न फूटे
पीड़ा करे तो गोरखयती रक्षा करे
गुरू की शक्ति
मेरी मक्ति
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।
छोटे-मोटे रोगो के लिए यह सबसे आसान शाबर मंत्र है|इस मंत्र की केवल एक माला जपते हुए रोगी को झाड़ा करे तो उसके समस्त छोटे-मोटे रोग नष्ट हो जाते है |
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देवीदुर्गाकीशाबरसाधना
अनादि काल से जो महासर्गशक्ति, स्थितिकाल में पालनशक्ति तथा संहारकाल में रुद्रशक्ति के रूप में तीनों लोकों में पूजी जाती हैं वह है मां दुर्गा । कहा जाता है कि मां दुर्गा के शाबर मंत्र का जप करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं । यह चराचर जगत् जिनके मनोरंजन की सामग्री कही जाती है, परा, पश्यन्ती, मध्यमा एवं वैखरी वाणी के रूप में जो कण-कण में विराजमान रहती हैं । अगर कोई साधक सच्चे मं से इनकी शरण में जाता हैं तो माता उसके जीवन को धन धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं ।
दरिद्रता एक ऐसा अभिश्राप है जिससे पीड़ीत मनुष्य का आज के समाज में कोई भी आदर-सत्कार नहीं करता, ठीक इसके विपरित धनवान एवं सामर्थवान् मनुष्य का सर्वत्र सम्मान होता है । इसलिये मनुष्य के जीवन में पर्याप्त धन का होना निश्चित रूप से अनिवार्य है । शास्त्रों ने भी चारों पुरुषार्थो में अर्थ को स्थान दिया है ।
अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में ग्रहों की दशा जब विपरित स्थिति में हो, तब सोच विचारकर किया गया कार्य भी विपरित फल प्रदान करता है । अतः ऐसी विकट परिस्थिति में जैसे- व्यापार में हानि, शत्रुओं का कोप, नौकरी में रुकावट, कर्ज अथवा तंत्रबंधन आदि परेशानियां । इन सबसे आदिशक्ति मां दुर्गा का यह दिव्य लक्ष्मीकारक शाबरमंत्र अमृत के समान है । इस शाबर मंत्र को नवरात्रि काल, ग्रहणकाल या फिर समस्या अधिक बढ़ने पर कभी भी जप करके सिद्ध किया जा सकता हैं । इस मंत्र को सवालाख की संख्या में जप करने का शास्त्र में विधान बताया गया हैं । इसे किसी भी शक्ति करे मन्दिर या फिर एकान्त पवित्र स्थान में सम्पन्न करना चाहिए । जप पूरा होने के बाद इसका दशांश यज्ञ करके 9 वर्ष से छोटी कन्याओं को भोजन कराना चाहियें ।
#मंत्र:--ॐ ह्रीं श्रीं चामुण्डा सिंहवाहिनी बीसहस्ती भगवती रत्नमण्डित सोनन की माल ।
उत्तरपथ में आप बठी, हाथ सिद्ध वाचा ऋद्धि-सिद्धि । धनधान्य देहि-देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
मां दुर्गा त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, और महेश की ही महाशक्ति कही जाती हैं । जो भी श्रद्धा पूर्वक भक्तवत्सला, करुणामयी, आद्यशक्ति मां जगदम्बा का धन वैभव की देवी माता महालक्ष्मीरूप में पूजन और आवाहन करते हुए में दुर्गा के इस शाबर मंत्र की जप साधना करता है उसे मां धनवान बना देती हैं । इस विधि से साधक घोर दरिद्रता एवं दुःखों से मुक्त होकर सुख-सम्पत्ति एवं दीर्घा यु प्राप्त करता है ।
साधक को चाहिए कि वो प्रयोज्य वस्तुएँ जैसे- आसन, माला, वस्त्र, हवन सामग्री तथा अन्य नियमों जैसे- दीक्षा स्थान, समय और जप संख्या आदि का दृढ़तापूर्वक पालन करें, क्योंकि विपरीत आचरण करने से मंत्र और उसकी साधना निष्फल हो जाती है। जबकि विधिवत की गई साधना से इष्ट देवता की कृपा सुलभ रहती है। साधना काल में निम्न नियमों का पालन अनिवार्य है।
* जिसकी साधना की जा रही हो, उसके प्रति पूर्ण आस्था हो।
* मंत्र-साधना के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति।
* साधना-स्थल के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ-साथ साधन का स्थान, सामाजिक और पारिवारिक संपर्क से अलग-अलग हो।
* उपवास प्रश्रय और दूध-फल आदि का सात्विक भोजन किया जाए तथा श्रृंगार-प्रसाधन और कर्म व विलासिता का त्याग आवश्यक है।#साधनाकालमेंभूमिशयन:- वाणी का असंतुलन, कटु-भाषण, प्रलाप, मिथ्या वाचन आदि का त्याग करें और कोशिश मौन रहने की करें। निरंतर मंत्र जप अथवा इष्ट देवता का स्मरण-चिंतन आवश्यक है।
मंत्र साधना में प्राय: विघ्न-व्यवधान आ जाते हैं। निर्दोष रूप में कदाचित ही कोई साधक सफल हो पाता है, अन्यथा स्थान दोष, काल दोष, वस्तु दोष और विशेष कर उच्चारण दोष जैसे उपद्रव उत्पन्न होकर साधना को भ्रष्ट हो जाने पर जप तप और पूजा-पाठ निरर्थक हो जाता है। इसके समाधान हेतु आचार्य ने काल, पात्र आदि के संबंध में अनेक प्रकार के सावधानीपरक निर्देश दिए हैं।
मंत्रों की जानकारी एवं निर्देश
क. यदि शाबर मंत्रों को छोड़ दें तो मुख्यत: दो प्रकार के मंत्र है- वैदिक मंत्र और तांत्रिक मंत्र। जिस मंत्र का जप अथवा अनुष्ठान करना है, उसका अर्घ्य पहले से लेना चाहिए। तत्पश्चात मंत्र का जप और उसके अर्घ्य की भावना करनी चाहिए। ध्यान रहे, अर्घ्य बिना जप निरर्थक रहता है।
ख, मंत्र के भेद क्रमश: तनि माने गए हैं। 1. वाचिक जप 2. मानस जप और 3. उपाशु जप।
वाचिक जप- जप करने वाला ऊँचे-ऊँचे स्वर से स्पष्ट मंत्रों को उच्चारण करके बोलता है, तो वह वाचिक जप कहलाता है।
उपांशु जप- जप करने वालों की जिस जप में केवल जीभ हिलती है या बिल्कुल धीमी गति में जप किया जाता है जिसका श्रवण दूसरा नहीं कर पाता वह उपांशु जप कहलाता है।
मानस जप- यह सिद्धि का सबसे उच्च जप कहलाता है। जप करने वाला मंत्र एवं उसके शब्दों के अर्थ को एवं एक पद से दूसरे पद को मन ही मन चिंतन करता है वह मानस जप कहलाता है। इस जप में वाचक के दंत, होंठ कुछ भी नहीं हिलते है।
अभिचार कर्म के लिए वाचिक रीति से मंत्र को जपना चाहिए। शांति एवं पुष्टि कर्म के लिए उपांशु और मोक्ष पाने के लिए मानस रीति से मंत्र जपना चाहिए।
ग, मंत्र सिद्धि के लिए आवश्यक है कि मंत्र को गुप्त रखना चाहिए। मंत्र- साधक के बारे में यह बात किसी को पता न चले कि वो किस मंत्र का जप करता है या कर रहा है। यदि मंत्र के समय कोई पास में है तो मानसिक जप करना चाहिए।
सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण के समय ,,ग्रहण आरंभ से समाप्ति तक,,किसी भी नदी में खड़े होकर जप करना चाहिए। इसमें किया गया जप शीघ्र लाभदायक होता है। जप का दशांश हवन करना चाहिए। और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। वैसे तो यह सत्य है कि प्रतिदिन के जप से ही सिद्धि होती है परंतु ग्रहण काल में जप करने से कई सौ गुना अधिक फल मिलता है।
विशेष : नदी में जप हमेशा नाभि तक जल में रहकर ही करना चाहिए।
ये भी मंत्र अति चमत्कारी महामंत्र कहे जाते है जो सभी प्रकार की सिद्धिः प्रदान करने में सक्षम होते है । शास्त्रों में इन्हें मां दुर्गा के प्रभावी और गुप्त मंत्र बताया गया है और सभी मनवाक्षिंत इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति इन दिव्य मंत्रों में निहित होती है । इन शक्तिशाली मंत्रों का निर्धारित संख्या में जप के बाद दुर्गासप्ती का पाठ आवश्यक कहा गया हैं । नवरात्र के दिनों में पूरे नौ दिनों तक प्रतिदिन कम से कम ११०० मंत्र एवं अधिक से अधिक ३०००हजार मंत्रो का जप करना चाहिए ।
मां दुर्गा के सिद्ध चमत्कारी मंत्र
१- ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः ।
२- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।
३- सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
उपरोक्त मंत्रों के अलावा नीचे दिये गये मंत्रों का जप करने से जिस चीज की कामना की जाती हैं हर शीघ्र पूरी हो जाती हैं-
१- गौरी मंत्र- इन दो मंत्रों में से किसी एक मंत्र का 1100 बार जप अष्टमी तिथि को करने से योग्य जीवन साथी की प्राप्ति होती हैं ।
मंत्र-१- हे गौरी शंकरधंगी, यथा तवं शंकरप्रिया ।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्तकान्तम् सुदुर्लभं ।।
२- पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम् ।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम् ॥
२- धन प्राप्त करने के लिए 9 दिनों तक श्रद्धा पूर्वक इस मंत्र का जप करने साधक शीघ्र ही धनवान बन जाता हैं ।
मंत्र-ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:, स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या, सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता ॥
३- जाने अंजाने में हुये पापों के दुष्फल से बचने के लिए अष्टमी तिथि को इस मंत्र का एक हजार बार जप करने सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं ।
मंत्र:-हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽन: सुतानिव ॥
..... SHIVOHAM....
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