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शिव माला मंत्र/अन्य शिव मंत्र

देव से महादेव बनने की यात्रा भगवान शिव के जीवन से प्राप्त करनी चाहिए। जो अमृत पीते हैं वो देव बनते हैं व जो राष्ट्र समाज और समष्टि की रक्षा के लिए प्रेम और धैर्य पूर्वक विषमता के विष को पीते हैं वो महादेव बन जाते हैं। बिना विष को पीये और विषमता को पचाए कोई भी महान नहीं बन सकता। आज के समय में अमृत की चाह तो सबको है पर विष की नहीं। बिना विष को स्वीकारे कोई अमृत तक नहीं पहुँच सकता है। संघर्ष, दुःख, प्रतिकूल परिस्थिति, अभाव ये सब तुम्हें निखार रहे हैं। समस्या को स्वीकार करना ही समस्या का समाधान है।कोई भी समस्या तब तक ही है जब तक आप उससे डरते हो और उसका सामना करने से बचते हो। मनुष्य के संकल्प के सामने बड़ी से बड़ी चुनौती भी छोटी हो जाती है। भगवान महादेव का जीवन भी हमें यही सीख प्रदान करता है कि चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों न हो स्वीकार अवश्य करनी चाहिए क्योंकि सफलता का रास्ता संघर्षों से होकर ही गुजरता है।शिव मंत्र भगवान शिव को याद करने, उनकी आराधना करने का एक प्रमुख साधन है। उनके मंत्रो का जाप करने से मन, तन दोनों खुश रहते है। इन मंत्रो का जाप करना हमें भगवान भोलेनाथ के करीब लाता है। शिव को परमब्रम्ह बताया गया है, यदि आप उन्हें खुश कर देते है तो आपके जीवन में सुख शांति की बहार आ जाएगी। मंत्र सिर्फ एक काव्य नहीं बल्कि यह हमे उस ईश्वर से जोड़ने का माध्यम है।कई बार एक आम साधक रुद्राभिषेक का उच्चारण नही कर पाते है तो वे इस शिवमाला मंत्र से शिवलिंग अभिषेक कर सकते है .. इसका सिर्फ पाठ भी कर सकते है ..

श्री शिवमाला मंत्र :- ॐ नमो भगवते सदाशिवाय ! त्र्यंबक सदाशिव ! नमस्ते नमस्ते ! ॐ ह्रीं ह्लीं लूं अ: एं ऐं महाघोरेशाय नम: ! ह्रीं ॐ ह्रौं शं नमो भगवते सदाशिवाय ! सकल तत्त्वात्मकाय , आनंद संदोहाय , सर्वमंत्रस्वरुपाय , सर्वयंत्राधिष्ठिताय , सर्वतंत्रप्रेरकाय , सर्वतत्त्वविदूराय , सर्वतत्त्वाधिष्ठिताय , ब्रह्मरुद्रावतारिणे , नीलकण्ठाय , पार्वतीमनोहरप्रियाय , महारुद्राय , सोमसूर्याग्निलोचनाय , भस्मोध्दूलितविग्रहाय , अष्टगंधादि गंधोपशोभिताय , शेषाधिपमुकुटभूषिताय , महामणिमुकुटधारणाय , सर्पालंकाराय , माणिक्यभूषणाय , सृष्टिस्थितिप्रलय काल रौद्रावताराय , दक्षाध्वरध्वंसकाय , महाकाल भेदनाय , महाकालोग्ररुपाय , मूलाधारैकनिलयाय ! तत्त्वातीताय , गंगाधराय , महाप्रपात विषभेदनाय ,महाप्रलयांतनृत्याधिष्ठिताय ,सर्वदेवाधिदेवाय , षडाश्रयाय , सकलवेदांत साराय ,त्रिवर्गसाधनायानंतकोटि ब्रह्माण्डनायकाया अनंत वासुकि तक्षक कर्कोटक शंख कुलिक पद्म महापद्म इति अष्ट महानागकुल भूषणाय प्रणवस्वरुपाय ! ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्र: , हां हीं हूं हैं हौं ह: ! चिदाकाशाय आकाशादि दिक स्वरुपाय ,ग्रहनक्षत्रादि सर्वप्रपंचमालिने ,सकलाय ,कलंकरहिताय ,सकललौकेक कर्त्रे ,सकललौकेकभर्त्रे , सकललौकेकसंहर्त्रे , सकललौकेकगुरवे , सकललौकेकसाक्षिणे , सकलनिगमगुह्याय ,सकलवेदांतपारगाय , सकललौकेक वरप्रदाय ,सकललौकेकसर्वदाय ,शर्मदाय ,सकललौकेक शंकराय ! शशांकशेखराय ,शाश्वत निजावासाय ,निराभासाय ,निराभयाय ,निर्मलाय ,निर्लोभाय ,निर्मदाय , निश्चिंताय , निरहंकाराय , निरंकुशाय ,निष्कलंकाय , निर्गुणाय , निष्कामाय , निरुप्लवाय ,निरवद्याय , निरंतराय , निष्कारणाय , निरातंकाय , निष्प्रयप्रकाय ,नि:संगाय ,निर्द्वंद्वाय , निराधाराय , नीरागाय ,निष्क्रोधाय , निर्मलाय ,निष्पापाय , निर्भयाय , निर्विकल्पाय , निस्तुलाय , नि:संशयाय , निरंजनाय ,निरुपमविभवाय , नित्यशुद्धबुद्ध परिपूर्ण सच्चिदानंदाद्वयाय ॐ हसौं ॐ हसौ: ह्रीं सौं क्ष म ल क्लीं क्ष म ल इ स्फ्रिं ऐं क्लीं सौ: क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्ष: ! परमशांत स्वरुपाय , सोहं तेजोरुपाय , हंस तेजोमयाय , सच्चिदेकं ब्रह्ममहामंत्र स्वरुपाय , श्रीं ह्रीं क्लीं नमो भगवते विश्वगुरवे , स्मरणमात्रसंतुष्टाय , महाज्ञानप्रदाय , सच्चिदानंदात्मने , महायोगिने ,सर्वकामफलप्रदाय , भवबंधप्रमोचनाय , क्रों सकलविभूतिदाय ,क्रीं सर्वविश्व आकर्षणाय ! जय जय रुद्र , महारौद्र , वीरभद्रावतार , महाभैरव , कालभैरव , कल्पांतभैरव , कपालमालाधर , खटवांग खडग चर्म पाशांकुश डमरु शूल चाप बाण गदा शक्ति भिंदिपाल तोमर मुसल मुद्गर पाश वज्र परिघ भुशुंडी शतघ्नी ब्रह्मास्त्र पाशुपतास्त्र आदि महा अस्त्र चक्रायुधाय ! भीषणकर , सहस्त्रमुख दंष्ट्रा करालवदन , विकटाट्टहास , विस्फारित ब्रह्मांडमंडल , नागेंद्र कुंडल , नागेंद्रहार , नागेंद्र वलय , नागेंद्र चर्मधर ,मृत्युंजय, त्र्यंबक ,त्रिपुरांतक , विश्वरुप , विरुपाक्ष , विश्वंभर , विश्वेश्वर , वृषभवाहन , वृषविभूषण , विश्वतोमुख ! सर्वतो मां रक्ष रक्ष , ज्वल ज्वल ,प्रज्वल प्रज्वल , स्फुर स्फुर , आवेशय आवेशय , मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय , प्रस्फुर प्रस्फुर ! महामृत्युं अपमृत्युंभयं नाशय नाशय , चोरभयम उत्सादय उत्सादय , विषसर्पभयं शमय शमय , चौरान मारय मारय , मम शत्रून उच्चाटय उच्चाटय , मम क्रोधादि सर्व सूक्ष्मतमात स्थूलतमात स्थूलतम पर्यंत स्थितान शत्रून उच्चाटय उच्चाटय ,त्रिशूलेन विदारय विदारय, कुठारेण भिंधि भिंधि , खडगेन छिंधि छिंधि , खटवांगेन विपोथय विपोथय , मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय , बाणै: संताडय संताडय , रक्षांसि भीषय भीषय ,अशेष भूतानि विद्रावय विद्रावय , कूष्मांड वेताल मारीच गण ब्रह्मराक्षस गणान संत्रासय संत्रासय , सर्वरोगादि महाभयान मम अभयं कुरु कुरु , वित्रस्तं माम आश्वासय आश्वासय , नरक महाभयान माम उद्धार उद्धर , संजीवय संजीवय , क्षुत तृषा ईर्ष्यादि विकारेभ्यो माम आप्यायय आप्यायय ,दु:खातुरं माम आनंदय आनंदय , शिवकवचेन माम आच्छादय आच्छादय ! मृत्युंजय , त्र्यंबक , सदाशिव ! नमस्ते नमस्ते शं ह्रीं ॐ ह्रौं ! ..........................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................

अन्य शिव मंत्र ;-

यदि आप इन मंत्रो का सच्चे दिल से जाप करेंगे तो आपको शिव जी का आशीर्वाद जरूर मिलेगा। क्योकि भगवान को सच्चे दिल से याद करने पर वे जरूर सुनते है। ये तो भोलेनाथ है जो बहुत भोले है, वे अपने भक्तो की बहुत जल्दी सुनते है। कुछ मंत्र ऐसे भी है जिनको विधिपूर्वक किया जाना होता है, वरना वे सिद्ध नहीं होते है। याद रहे मंत्रो के जाप करते समय पूरी तरह से स्वच्छ, निर्मल, पवित्र हो।

1. रोग नाशक शिव मंत्र :-

यदि आप किसी गंभीर रोग से ग्रसित हो तो आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए। यह शिव मंत्र आपको रोगो से लड़ने में मदद करेगा और आपको स्वस्थ बनाए रखेगा। यह मंत्र भय से मुक्ति भी दिलाता है। यदि इस मंत्र का सावन महीने में सुबह के समय एक माला जाप किया जाए तो यह बहुत लाभप्रद होता है। इस मंत्र को जपने के कई नियम कायदे है। इस मंत्र का जाप नियमों के साथ ही करना चाहिए।

महामृत्युंजय मंत्र :-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

अर्थ :- हम उस त्रिनेत्रधारी भगवान की पूजा करते है जो इस पूरी दुनियां को सुंगंधित करता है। हे महादेव आप हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त करे। जिस तरह फल पेड़ की शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, उसी तरह हम भी इस मृत्यु और नश्वरता के चक्कर से मुक्त हो जाए।

2. शिव गायत्री मंत्र :-

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।

3. धन प्राप्ति के लिए शिव मंत्र :-

अगर आप धन प्राप्ति की इच्छा रखते हो तो आपको इस मंत्र का विधि पूर्वक जाप करना चाहिए। इस मंत्र का आपको 7 सोमवार जाप करना है। सबसे पहले आप हर सोमवार सूर्योदय के प्रश्चात स्नान इत्यादि से निवृत होकर शिव मंदिर जाए। साथ में जल में थोड़ा दूध मिलाकर ले जाए। उस जल-दूध मिश्रण को शिवलिंग पर अर्पित करे और 21 बार इस मंत्र का जप करे। आपको जल्द लाभ मिलेगा।

मंत्र :- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।

4. रूद्र मंत्र :-

ॐ नमो भगवते रूद्राय नम: ।

5. शिव प्रार्थना मंत्र :-

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

6. शांति प्राप्ति शिव मंत्र :-

जीवन में शांति प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की निम्न मंत्र की एक माला का जाप आपको निश्चित रूप से मानसिक शांति प्रदान करेगा।

मंत्र :-

जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं,

प्रभो पाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥

7. मनोकामना पूर्ति मंत्र :-

जीवन में मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए भगवान शिव के निम्न मंत्र का उच्चारण 108 बार करें।

मंत्र :-

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय।

भस्मांग रागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय।

तस्मै नकाराय नमः शिवाय।।

8. शिव ध्यान मंत्र :-

यह मंत्र शिव ध्यान मंत्र है। इस मंत्र को जपने से हमारे मन में एकाग्रता बढ़ती है। इस मंत्र के जाप से आपके अंदर की सारी नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता आती है। जिस काम को आप करना चाहते है उसमे आप सफल होते है। इसे बच्चो को जरूर जपना चाहिए ताकि वे पढ़ाई में अपना मन लगा सके और अच्छा परिणाम प्राप्त करे।

मंत्र :-

ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं। रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।। पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं। विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।

9. प्रेम विवाह के लिए शिव मंत्र :-

यदि आप किसी से प्रेम करते हो और आप उससे शादी करना चाहते हो। लेकिन आपके प्रेम विवाह करने में बाधा आ रही हो तो आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए।यह प्रेम विवाह में सफलता के लिए सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक है। इस मंत्र को जपने के लिए कुछ नियम कायदे है।इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला पर 11 दिन के अंदर 10000 बार करना है। आप इसका जाप एक दिन में कितनी भी बार कर सकते हैं।

मंत्र :-

ॐ वज्रकरण शिवे रूढ़ रूढ़ भवे ममई अमृत कुरु कुरु स्वाहा ||

अन्य शिव मंत्र :-

10. ॐ सर्वात्मने नम: ।

11. ॐ त्रिनेत्राय नम:।

12. ॐ हराय नम:।

13. ॐ इन्द्रमुखाय lनम: ।

14. ॐ श्रीकंठाय नम:।

15. ॐ वामदेवाय नम: ।

16. ॐ तत्पुरुषाय नम:।

17. ॐ ईशानाय नम:।

18. ॐ अनंतधर्माय नम:।

19. ॐ ज्ञानभूताय नम:।

20. ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:।

21. ॐ प्रधानाय नम:।

22. ॐ व्योमात्मने नम:।

23. ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:।

24. ॐ शंकराय नमः ।

25. ॐ महादेवाय नमः।

26. ॐ महेश्वराय नमः।

27. ॐ श्री रुद्राय नमः।

28. ॐ नील कंठाय नमः।

29. ॐ नम: शिवाय।

30.ॐ रुद्राक्ष पशुपति नमः।

31.ओम ह्रीं शिव-शक्तीयै प्रसिद प्रसिद ह्रीं नम: ll

..SHIVOHAM....




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