शिवरात्रि ध्यान...
आज जगदीश्वर जगदीश्वरी की रात है।साधक को किसी साधन की आवश्यकता नहीं है। उसे स्वयं के अंदर लय करना है।आज की रात्रि अपने हृदय के शिवलिंग को जागृत करो।हृदय के शिवलिंग में जल चढ़ाओ।शहद चढ़ाओ।पंचामृत चढ़ाओ!गंगा जल चढ़ाओ।बेलपत्र चढ़ाओ।फूल माला चढ़ाओ।उनके ऊपर अपने अष्ट विकार समर्पित करो। अपने सभी पाप, पुण्य समर्पित करो।अपने सभी अच्छे बुरे कर्म समर्पित करो।हम सभी भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि वह हमारे अष्ट विकारों को समाप्त करें, हमारे अंतर्मन में वास करें।हम सभी के प्रति प्रेम और करुणा की भावना रखें। निस्वार्थ प्रेम करें।संसार में काम करते हुए ,सभी कर्तव्य निभाते हुए केवल आपका ही चिंतन करें।हमारे अंतर्मन में आप का वास हो।भाव से चढ़ाया हुआ एक बेलपत्र भी शिवा शिवा तक पहुंच जाता है।शिवरात्रि का उपहार है स्वयं की खोज।
अष्ट विकार भस्म ध्यान ;-
1-अपने इष्ट देव से प्रार्थना करो कि तुम्हारे सभी अष्ट विकार तुम्हारे आराध्य के प्रति श्रद्धा, भक्ति, विश्वास, प्रेम, और समर्पण, मे बदल जाये,, ये प्रार्थना कर अपने सभी विकारो को इस अग्नि मे भस्म करो।अपने आराध्य को साक्षी बनाकर ये संकल्प करो कि जो भी ग्रंथियां तुमने अपने अपने बचपन से लेकर जवानी तक, जवानी के बाद इस उम्र तक जिस उम्र मे तुम हो,, तुमने निर्मित की है,, और कुछ ग्रंथिया समय और परिस्थितियों के कारण स्वयं ही निर्मित हो गयी है,, अपनी उन सभी ग्रंथियों का विसर्जन इस अग्नि मे करो...।
2-सबसे पहले मूलाधार चक्र मे आओ,, और सभी भय जो तुम्हारे भीतर है उन्हें स्वाहा करो इस अग्नि मे,,,।उसके बाद ऊपर उठो और स्वाधिष्ठान चक्र मे जाकर समस्त गिल्ट को भस्म करो जिनको भी तुमने कष्ट दिया, जिन्हे तुम्हारे कारण कष्ट मिला वो सब कुछ इस अग्नि मे भस्म करके भुला दो,,। ऊपर उठो और मणिपुर चक्र मे आओ और अपने समग्र लज्जाजनक कार्य जिनपे तुम्हे शर्म आयी है इस अग्नि मे भस्म कर दो,, और गौर से देखो नीचे का पूरा शरीर विलीन हो गया है.... इस अग्नि मे भस्म हो चुका है..।
3-ऊपर उठो.. अनाहत चक्र और विशुद्धि चक्र को छोड़ आगे बढ़ो।
4-आज्ञा चक्र की अग्नि मे अपने समस्त क्रोध, मोह और भ्रम को भस्म करो और मुक्त करो खुद को इस क्रोध से, इस मोह से और इस भ्रम से।
5-अब तुम्हारा मुख भी विलीन हो गया है,, नीचे आओ कंठ कूप मे.. विशुद्धि मे आओ और अपने समस्त झूठ स्वाहा करो जो तुमने जानकर बोले या बोलने पड़े, सभी झूठ आज इस अग्नि मे भस्म कर दो,,।
6-और ह्रदय मे आओ,,अपने समस्त दुखो को भस्म करो।अब अंधकार मिट चुका है भीतर चलो,, शरीर का भ्रम टूट चूका है पर ह्रदय है,.. अंदर चलो देखो तुम्हारे आराध्य तुम्हारे ह्रदय मे है।अपने शेष को अपने इष्ट से एकाकर करो, मिलन करो ....मौन को साध मिलन करो।
....SHIVOHAM...
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