साधना रहस्य -तीसरे नेत्र और चक्रों की शक्तियों की प्राप्ति ....
तीसरे नेत्र पर प्रभाव ;-
02 FACTS;-
1-बहुत सारे लोग ऐसा समझते हैं कि जब वह किसी भगवान की पूजा करते हैं तो भगवान उनके सामने प्रकट क्यों नहीं हो रहे हैं। काफी लोग तो ऐसा समझते हैं कि अगर हनुमान जी पूजा करोगे तो स्वयं हनुमान जी साक्षात प्रकट हो जाएंगे या फिर भगवान शिव की पूजा करोगे तो त्रिशूल लेकर डमरू लेकर आपके सामने प्रकट हो जाएंगे। लेकिन भगवान जब आपकी मदद करते हैं तो सामने नही बल्कि अदृश्य रूप से आप के दिमाग पर ,आपके सबकॉन्सियस माइंड पर प्रभाव डालते हैं। उनका बात करने का तरीका ही यही है कि वह अदृश्य रूप से आपकी मदद करके चले जाते हैं। लेकिन इंसान ऐसा होता है कि अदृश्य रूप से जो उसे सहायता प्राप्त होती है ...जो उसे मदद मिलती है। वह उसका मोल ही नहीं करता है। बिल्कुल इसी प्रकार नकारात्मक शक्तियां भी आपके दिमाग पर प्रभाव डालती हैं कि आपको हमेशा दुख होता रहता है। चिंता होती रहती है, घबराहट आदि।तो आप यह समझ जाएं कि नकारात्मक शक्तियां फिर आपको प्रभाव डाल रही हैं। आपके सबकॉन्शियस माइंड को यानी कि तीसरे नेत्र पर प्रभाव डाल रही हैं। इसीलिए सब चीजें घट रही हैं। अदृश्य शक्तियां जो होती है वह तीसरे नेत्र के माध्यम से सबकॉन्शियस माइंड पर प्रभाव डालती हैं। इसलिए हमेशा हर एक साधक को तीसरे नेत्र की साधना अवश्य चाहिए चाहिए।हमेशा ही त्राटक करना चाहिए।त्राटक से आंखों की शक्ति प्रबल और प्रचंड हो जाती है ।त्राटक करने के लिए आपको केवल इतना करना है कि रोजाना एक की का दीपक जलाकर उसे एकटक लगा कर देखना है और अपने ध्यान को तीसरे नेत्र पर लगा देना। ऐसा करने से जिन लोगों की आंखें कमजोर है, उनकी आंखों की रोशनी पढ़ने लग जाती है। तीसरा नेत्र जागृत होने लग जाता है ।तीसरा नेत्र प्रभाव में आने के कारण उसके सभी चीजें अपने आप ही आकर्षित होती हैं।
2-अगर आप अपने जीवन से कष्टों को मिटाना चाहते हो तो आपको सोते समय अपने आसपास या फिर अपने तकिए के नीचे कुछ ऐसी चीजों को रखना चाहिए जिससे जीवन में कष्ट आपकी खत्म हो सके हैं और आप के तीसरे नेत्र पर सबकॉन्शियस माइंड पर प्रभाव पड़ सके।जैसे कि अगर आपके जीवन में धन की परेशानी समाप्त हो जाए और कोई धन के जो कष्ट होते हैं जैसे कि कर्ज की समस्याएं । इन सब से बचने के लिए आपको केवल इतना करना है कि अपने तकिए के नीचे रात को कोड़ी रखकर सोना है या फिर आप अपने आसपास अपने बेड पर लक्ष्मी कोड़ी को भी चिपका सकते हैं। ऐसा करने से जब सो जाते हैं तो इन्हीं सकारात्मक चीजों से आपके सब कोशिश माइंड पर, आप के तीसरे नेत्र पर प्रभाव पड़ता है जिससे धन आकर्षण थोड़ी तेजी से शुरू हो जाता है।अगर आपको काली हल्दी मिल जाती है। जैसे की काली हल्दी को तंत्र में तंत्रोक्त लक्ष्मी कहा जाता है तो इस काली हल्दी को रोजाना अपने तकिए के नीचे रखकर सोने मात्र से बड़ी सी बड़ी कर्ज भी समाप्त होने लग जाता है। दूसरी चीज यह है कि अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में शत्रु बिल्कुल आपसे दूर हो जाए और आपको परेशान ना कर पाए।तो आपको अपने आसपास ऐसी चीजों को रखना है जो नुकीली होती हैं या फिर आप अपने तकिए के नीचे भी इन चीजों को रख सकते हैं जैसे की चाकू , नेल कटर आदि होता है। कोई छोटा सा त्रिशूल बहुत आसानी से यह कहीं भी मिल जाते हैं.. आप ले सकते हैं। कोई डमरू आप ले सकते हैं जो भगवान शिव के आभूषण हैं। भगवान शिव इन चीजों को अपने साथ रखते हैं। उन चीजों को रात को तकिए के नीचे रखकर आप सो सकते हैं। ऐसा करने से शत्रु शक्तिहीन हो जाता है और फिर आप पर अपना प्रभाव नहीं डाल पाता है।तो इस प्रकार बड़ी आसानी से आप तकिए के नीचे रखकर बहुत सारी चीजों को कर सकते हैं। लेकिन अगर आप त्राटक कर सकते हैं। इससे ज्यादा अच्छा कुछ भी नहीं है।
1-तीसरे नेत्र की शक्तियों की प्राप्ति ;-
02 FACTS;-
1-तंत्र क्रिया तंत्र साधना करने से हर एक व्यक्ति को बहुत ज्यादा शक्तियों की प्राप्ति होती है।लेकिन कभी भी आपको बुरा करने के लिए इन चीजों को कभी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अगर आप केवल अपना भला करना चाहते हैं। उसी के साथ दूसरों का भी भला करना चाहते हैं तो इन चीजों के लिए आप तंत्र क्रियाओं पर किसी भी तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं।दीपक में त्राटक करने से तीसरा नेत्र जागृत होता है। यदि अदृश्य शक्तियां प्रभावित करती हैं। तो नीम की लकड़ी,लॉन्ग, कपूर,इलायची की भस्म बनाकर रोज तिलक लगाना है।जो मंत्र साधना करते हैं हमेशा ही अपना तीसरा नेत्र कवर करके रखते हैं। तिलक बगैरा लगाकर रखते हैं।जो सबसे अधिक शक्तिशाली चीज होती है, किसी भी चीज की भस्म होती है। इसलिए जो प्रयोग है कि नीम की लकड़ी ,लॉन्ग ,कपूर ,इलायची लेनी है। इस तिलक का इस्तेमाल करने से अदृश्य शक्तियां आसानी से आप पर प्रभाव नहीं डाल सकती है।
2-आप केवल इतना करें नींद कपूर, लॉन्ग और इलायची इन सभी चीजों को मिलाकर इनकी भस्म को तैयार कर बना लें और रोजाना सोने से पहले लगाना शुरू करें। इससे तीसरा नेत्र सुरक्षित जाता है ..प्रभावित नहीं हो पाता है ।इस तिलक का इस्तेमाल करने से अदृश्य शक्तियां आसानी से आप पर प्रभावशाली नहीं सकती है।कर्ज की समस्या के लिए इलायची की भस्म बनाएं और उसके ऊपर केसर लगाएं।जो मार्केट में आपको केसर का पाउडर मिलता है, आपको बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करना है क्योंकि बिल्कुल नकली होता है। यह तिलक प्रतिदिन त्राटक करते समय लगाना है।
2-धन की परेशानी के लिए घर के ईशान कोण में एक स्वास्तिक बनाना;-
आपको केवल इतना करना है कि केसर का पाउडर बनाकर रखिए। बस उसी से आपको अपने घर के ईशान कोण में एक स्वास्तिक बना देना है। अब यह भी बात ध्यान रखनी हैं कि स्वास्तिक बनाने में चार खाने होते हैं। उसमें आप एक बिंदी भी जरूर लगा दे। यह स्वास्तिक होता है लेकिन कितना कार्य करता है कि जिसके माध्यम से संपन्नता आपके घर की ओर आकर्षित होती हैं और स्वास्तिक के साथ अगर श्रीं बीज मंत्र लिख दिया जाए तो उस घर में निश्चित ही स्वर्ण बरसता है । और जितने भी लोग उस घर में रह रहे हैं ;सभी के कार्य बहुत अच्छी चलने लग जाते हैं। चाहे कुछ भी कर रहे हो, किसी भी कार्य में हाथ डालते हो। हर कार्य में उन्हें निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है। हर पूर्णिमा पर इस प्रयोग को आपको रिचार्ज करना है। यानी कि दोबारा से केसर का पाउडर बनाकर स्वास्तिक को और श्रीं बीज मंत्र को दोबारा से लिख देना है और यह केवल घर के ईशान कोण में ही करना है।
3-क्या चक्रों को कुछ पत्थर के इस्तेमाल से भी जागृत किया जा सकता है?
04 FACTS;-
1-हमारे शरीर में मूल रूप से 7 चक्र विद्यमान होते हैं। इन्हें सृष्टि की समस्त शक्तियों का केंद्र माना जाता है । इन सात चक्रों में किसी भी जीव की चेतना विद्यमान रहती है और चक्र जागृत होने से उस चक्र से संबंधित सारी शक्तियां सिद्धियों के रूप में मनुष्य को प्राप्त हो जाती हैं।कुछ खास पत्थर इतनी ज्यादा शक्ति अपने अंदर समेटे हुए होते हैं। यह सब कुछ करने में सक्षम होते हैं। इसी प्रकार कुछ जड़ी बूटियां होती है। ज्योतिष में तो कुछ खास पत्थर होते हैं। जैसे पुखराज होता है, मूंगा होता है । इन्हीं सब चीजों की वजह से संपूर्ण ग्रहों को कंट्रोल किया जाता है। उनके अच्छे प्रभाव शुरू किए जाते हैं। दूसरी ओर कुछ ऐसे पत्थर भी होती हैं जो ज्योतिष के आधार पर तो नहीं होते हैं, लेकिन इनकी शक्तियां इतनी प्रभावशाली होती है जो शरीर के चक्रों पर असर डालती हैं। अगर अनाहत चक्र को जागृत ना हो तो व्यक्ति आराम से किसी से बात तक नहीं कर पाता है। उसमें गुस्सा इतना अधिक बढ़ जाता है कि छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लग जाता है और गुस्सा तो हर एक व्यक्ति का शत्रु होता ही है। इसीलिए अनाहत चक्र को जागृत होना बेहद आवश्यक है।यह चक्र किस प्रकार कार्य करते हैं और कौन-कौन से कार्य संसार में इन चक्रों के माध्यम से होते हैं ।
2-उदाहरण के लिए वशीकरण, सम्मोहन ,आकर्षण शरीर के इन चक्रों का इस्तेमाल करते हुए किए जाते हैं।सम्मोहन आकर्षण और वशीकरण के केंद्र हैं-मूलाधार और स्वाधिष्ठान । यानी सिर्फ मूलाधार का इस्तेमाल करते हुए कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से वशीकरण कर सकता है और यह मूलाधार मां काली का स्थान बताया गया है। यहीं से संपूर्ण तंत्र की शुरुआत है।अगर आप चाहते हैं कि आप चक्र जागृत कर सके और जीवन में ध्यानाकर्षण कर सके। आपकी धन की परेशानी है कि कर्ज की समस्याएं हैं तो यह केवल मणिपुर चक्र को जागृत करने से दूर हो जाती हैं ।यानी कि जरा सा भी यह प्रभाव में आता है। वैसे ही यह स्थान धन को चुंबक की तरह खींचने का कार्य करता है।तंत्र में मणिपुर चक्र भगवान विष्णु का और माता लक्ष्मी का स्थान बताया गया है। जिस व्यक्ति का मणिपुर चक्र सोया हुआ होता है, ऐसा व्यक्ति चाहे कितनी भी मेहनत ही क्यों ना कर ले -निर्धन का निर्धन हीं रहता है। इसी प्रकार अनाहत चक्र है यानी हृदय स्थान है ।यह प्यार का ,मान का, सम्मान का ,सुख का, आनंद का और शांति का अनुभव कराने वाला स्थान है,चक्र है।इसीलिए केवल अनाहत चक्र ही संपूर्ण चक्रों में सबसे ज्यादा अधिक महत्वपूर्ण बताया गया है क्योंकि यह एक चक्र गुरु की तरह कार्य करता है।जिसका यह चक्र जागृत होता है या जो व्यक्ति इस चक्र पर ध्यान लगाना जानता है और रोजाना ध्यान करता है तो वह अदृश्य शक्तियों से संपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति करता है। यानी कि उसे कोई भी किताब पढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जितना भी ज्ञान है जितना भी इस सृष्टि में मौजूद है ..बस संपूर्ण इस चक्र के माध्यम से जान लेता है।
3-लेकिन काफी बार चक्र पर ध्यान लगाने से कुंडलनी सो जाती है जो कि अच्छे अनुभव नहीं कराती है। इसीलिए बिना गुरु के यह सब तंत्र साधनाएं, मंत्र साधना आदि बगैरा बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि काफी बार कुंडलनी जाग्रत हो जाती है तो ऐसे व्यक्ति को बहुत अधिक चिंता घबराहट होने लग जाती है।नकारात्मक शक्तियां बहुत तेजी से उस व्यक्ति पर अटैक करती है। इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि तंत्र साधनाएं बिना गुरु के कभी भी बिल्कुल भी ना करें क्योंकि मंत्र साधना व्यक्तिगत हो सकती है। लेकिन जो तंत्र क्रियाएं होती है, तंत्र साधनाएं होती है डायरेक्ट उस व्यक्ति के शरीर पर कार्य करती हैं जिससे उसे सोचने का, कुछ करने का समय ही नहीं ता है ।तुरंत नेगेटिव एनर्जी उसे पकड़ लेती है, लेकिन यह करना किस प्रकार है।अगर आप अपने मणिपुर चक्र को प्रभावित करना चाहते हैं तो केवल अनाहत चक्र के इस्तेमाल से इस चक्र को बैलेंस किया जा सकता है। अगर आपके जीवन में प्यार की कमी है और बिल्कुल भी आप चक्र पर ध्यान नहीं लगा पाते हैं।तो इस प्रयोग को करने से मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र तुरंत ही प्रभाव में आते हैं और आकर्षण बहुत ही तेजी से शुरू हो जाता है। इससे प्रेम की प्राप्ति अधिक होने लग जाती है। जब अनाहत चक्र प्रभाव में आता है तो आप के संपर्क में ऐसे लोग आते हैं जो बिल्कुल आपको प्रेम देते हैं। सुख शांति अनुभव होता है और आपके सभी कार्य निर्विघ्न बिल्कुल होते चले जाते हैं, बल्कि अगर आपका अनाहत चक्र प्रभाव में है तो आपके खिलाफ बुरा सोचने वाला व्यक्ति बिल्कुल भी चैन की नींद नहीं सो सकता है।इसके लिए आपको ना किसी मंत्र जाप करने की आवश्यकता है न हीं कुछ करने की ।
4-अनाहत चक्र के प्रभाव में आने से आपके शत्रु इस प्रकार एक एक करके प्रभावहीन होने लग जाते हैं कि कुछ समझ में नहीं आता है। यह संपूर्ण तंत्र की जानकारी है, लेकिन चक्रों को कुछ पत्थर के इस्तेमाल से भी जागृत किया जा सकता है । उसके लिए आपको एक पत्थर लेना है जिसे पेरिडॉट पत्थर कहा जाता है।यह संपूर्ण शरीर की हीलिंग को तेजी से बढ़ावा देता है। यह आपको कई ऐसे स्थान पर बड़ी आसानी से मिल जाएगा जहां पर पूजा-पाठ आदि का सामान मिलता है। ग्रीन कलर का होता है और इस पर अद्भुत चमक होती है। बस इस पत्थर को दाहिने हाथ में पकड़ते हुए ओम नमः शिवाय का 1 घंटे जाप अगर आप करते हैं तो इससे आप को देखेंगे कि आपका अनाहत चक्र बड़ी तेजी से जागृत होने लग जाएगा और पूर्ण प्रभाव में। पूर्ण रूप से जागृत करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि थोड़ा प्रभाव भी अद्भुत प्राप्ति कराता है । आप इसी प्रकार पुखराज रत्न होता है।पुखराज रत्न मणिपुर चक्र को जागृत करता है। यानी प्रभाव में लेकर आता है। काफी लोग ऐसा सोचते हैं कि पुखराज सूट नहीं करता है। उन्हें इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। लेकिन आपको बता दें कि छोटा सा पुखराज पत्थर लेकर आपको पहनने की आवश्यकता नहीं है।आपको केवल इतना करना है कि पुखराज को दाहिने हाथ में पकड़ कर श्रीं बीज मंत्र का अगर आप जाप करते हैं तो इससे मणिपुर चक्र पर प्रभाव पड़ता है। चाहे आपकी कुंडली के अनुसार आपका पुखराज सूट करता हो या नहीं करता हो, ..कोई फर्क नहीं पड़ता है। केवल हाथ में पकड़ते हुए रोजाना श्रीं बीज मंत्र का जाप करने से धन की सभी समस्याएं इतनी तेजी से गायब हो जाएंगे कि आप खुद भी हैरान रह जाएंगे।इस प्रकार पुखराज रत्न मणिपुर चक्र को और पेरिडॉट पत्थर अनाहत चक्र को जागृत करता हैं।
4-भगवान नृसिंह का मणिपूरक चक्र जागरण मंत्र;-
03 FACTS;-
1-'ॐ श्रौं महानृसिंहाय नमः, ।श्रौं बीज में श्री = देवि लक्ष्मी +नृसिंह, र् = ब्रह्म, औ = दि व्यतेजस्वी , एवं बिंदु = दुखहरण है।नाभि का जो केंद्र होता है, धन का स्थान माना जाता है। तंत्र में कहा जाता है कि वही पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी विराजमान रहते हैं और जिस भी व्यक्ति का यह केंद्र खराब हो जाता है तो ऐसे व्यक्ति को धन की परेशानी का सामना करना पड़ता है। हर समय बस में धन के बारे में सोचता रहता है। जितना सोचता है उतना ही धन बिल्कुल दूर हो जाता है।तो इस केंद्र को जागृत करना बेहद आवश्यक है। नाभि का जो केंद्र होता है, यहीं से ब्रह्मा जी भी उत्पन्न हुए हैं। यानी कि जिस व्यक्ति का यह केंद्र जागृत होता है उसकी संपूर्ण इच्छाएं अपने आप ऑटोमेटिक पूरी होती चली जाती है। उसके चेहरे पर एक गजब की मुस्कान होती है और वह किसी भी चीज से जरा भी विचलित नहीं होता है।
2-इस केंद्र को जागृत करने के लिए सबसे पहली चीज तो यह है कि आपको नाभि पर सूरजमुखी के फूलों के तेल को रोजाना लगाना है। केवल तेल को लगाने मात्र ही यह केंद्र जागृत होने लग जाता है। सूरजमुखी के फूलों का तेल पीला होता है। भगवान विष्णु का जो रंग है, पीला ही है।संपूर्ण कर्ज की समाप्ति का जो रंग है, पीला ही होता है तो सूरजमुखी के फूलों के तेल को रोजाना आपको अपनी नाभि पर लगाना है और इसी के साथ भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप आपको रोजाना रात को सोने से पहले करना है और सुबह उठते ही जैसे ही आपकी आंखें खुलती हैं। तुरंत आपको भगवान श्री नरसिंह के मंत्रों का जाप करना है। भगवान विष्णु का केवल एक ही स्वरूप है जो बड़े ही ज्यादा तीव्र है।इसीलिए कर्ज जैसे शत्रु से बचने के लिए भगवान नरसिंह से उत्तम उपाय कोई भी नहीं होता है क्योंकि यह विष्णु का स्वरूप है तो जब भगवान नरसिंह की कृपा होती है तो माता लक्ष्मी की कृपा अपने आप ही प्राप्त हो जाती है। कर्ज जब समाप्त हो जाएगा तो धन आगमन होना बिल्कुल निश्चित है।
3- दसों दिशाओं से रास्ते खुलते हैं तो आप इस खास क्रिया को जान लें ।आप सूरजमुखी के फूलों के तेल ले और उसको भगवान नरसिंह के मंत्रों से अभिमंत्रित कर दें। अभिमंत्रित करने के लिए आपको केवल इतना करना है कि किसी भी गुरुवार किसी भी पूर्णिमा किसी भी अमावस्या को सूरजमुखी के फूलों के तेल को अपने सीधे हाथ के सामने रखकर आपको मंत्र 51 माला जाप करना है और इसके बाद आपको इस तेल को अपने घर रख लेना है। 'ॐ श्रौं महानृसिंहाय नमः, भगवान नरसिंह का बीज मंत्र है जिसमें माता लक्ष्मी भी नरसिंह भगवान के साथ विराजमान होती हैं। इस तेल को रोज रात को सोने से पहले अपनी नाभि पर लगाने मात्र से और इस मंत्र का जाप करने से मणिपूरक चक्र जागरण होता है।यह प्रयोग एक रामबाण है ।
....SHIVOHAM....
////////////////////////////////////////////////
पदार्थ का जो परमाणु है, वह तीन हिस्सों में टूट जाता है। ऐसा काम करते हैं, वही काम करते हैं जो हम बहुत पुराने कर्मों से सत्व रज और तम शब्दों से लादे चुनरिया अमरूद का अर्थ।
Comments