हनुमान जी की उपासनाPART-01
हनुमान जी की उपासना;- 1-श्री राम भक्त हनुमान थोड़े से भक्ति भाव से ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा करते है | उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु सभी भक्तजन तरह – तरह से हनुमान जी को खुश करने का प्रयास करते है | ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी चिरंजीवी है और इन्हें कलयुग के सबसे प्रभावशाली देव माना जाता है | श्री रामचन्द्र जी की कृपा से हनुमान जी कलियुग में अपने भक्तों का उद्धार करने हेतु इसी धरा पर विद्यमान है | 2-मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की उपासना के लिए विशेष माना गया है | इस दिन की गयी हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायी होती है |हनुमान जी की पूजा में महिलाओं के लिए कुछ नियम हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि चूंकि हनुमान जी समस्त महिलाओं में अपनी माता का रूप देखते हैं अत: वे नहीं चाहते हैं कि महिलाएं उनके समक्ष मस्तक झुकाए, वे स्वयं महिलाओं के सामने अपना मस्तक झुकाते हैं।इसलिए महिलाओं को उन्हें पुत्र रूप में ही मानना/ पूजना चाहिए। 3-''ओम'' हर मंत्र का आधार है। यदि हमारा ओम मंत्र सिद्ध नहीं है तो इन मंत्रों से इतनी ऊर्जा उत्पन्न होती है कि हम बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं।शक्ति- शिव के बिना विनाशक हैं और शिव शक्ति के बिना शव।इसलिए हमें पहले ओम मंत्र सिद्ध करना चाहिए।उदाहरण के लिए बिजली के एक केबल में ढेर सारे पतले-पतले तार होते हैं ।बिजली के तार केबल के अंदर ही चलते हैं।अगर केबल छोटी होगी तो तार काम नहीं कर पाएंगे।वास्तव में,केबल हैं 'शिव' और पतले-पतले तार हैं बिजली के वाहक अथार्त 'शक्ति'।मंत्रजाप से उर्जा होती है लेकिन इसके लिए केबल मजबूत होना चाहिए वर्ना...।तो शक्ति प्राप्त करने के पहले हमें 'ओम' सिद्ध करना चाहिए।'ओम' सिद्ध करने से हमें 'शिव' का आधार मिल जाएगा अथार्त केबल मजबूत हो जाएगा।तभी हनुमान की पूजा/ उपासना करनी चाहिए। इसलिए शिवरूपी केबल मजबूत करिये .. वर्ना उर्जा असंतुलित हो पाएगी। ////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// बजरंग बाण की सिद्धि;- 03 FACTS;- श्री हनुमान मूल मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः॥ द्वादशाक्षर हनुमान मंत्र: ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्। 1-इस मंत्र के बारे शास्त्रो में वर्णित हैं की यह मंत्र स्वतंत शिवजी ने श्रीकृष्ण को बताया और श्रीकृष्ण नें यह मंत्र अर्जुन को सिद्ध करवाया था जिसे अर्जुन ने चर-अचर जगत् को जीत लिया था।रात्रि में की गयी बजरंग बाण की यह सिद्धि, तंत्र का काम करती है| आज के समय में हर मनुष्य किसी न किसी परेशानी से घिरा हुआ है |पूजा -पाठ करने के बाद भी अभिष्ठ फल की प्राप्ति नही हो पाती है | पूजा – पाठ की भी एक विधि होती है अगर पूजा-पाठ विधि अनुसार नही की जाती है तो उसका फल आपको मिलता तो है किन्तु बहुत प्रयत्न के बाद मिलता है | 2-वैसे तो बजरंग बाण का नियमित रूप से पाठ आपको हर संकट से दूर रखता है | किन्तु अगर रात्रि में बजरंग बाण को इस प्रकार से सिद्ध किया जाये तो इसके चमत्कारी प्रभाव तुरंत ही आपके सामने आने लगते है | अगर आप चाहते है अपने शत्रु को परास्त करना या फिर व्यापर में उन्नति या किसी भी प्रकार के अटके हुए कार्य में पूर्णता तो रात्रि में बजरंग बाण पाठ को अवश्य करें | 3-विधि इस प्रकार है : – 03 POINTS;- 1-किसी भी मंगलवार को रात्रि का 11 से रात्रि 1 बजे तक का समय सुनिश्चित कर ले | बजरंग बाण का पाठ आपको 11 से रात्रि 1 तक करना है | सबसे पहले आप एक चौकी को पूर्व दिशा की तरफ स्थापित करें अब इस चौकी पर एक पीला कपडा बिछा दे | अब आप इस मंत्र को एक कागज पर लिख कर इसे फोल्ड करके इस चौकी पर रख दे | 2-मंत्र : - “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ” || अब आप चौकी के दायें तरफ एक मिटटी के दिए में घी का दीपक जला दे | आपको इस चौकी के सामने आसन पर बैठ जाना है | इस प्रकार आपका मुख पूर्व दिशा कर तरफ हो जायेगा और दीपक आपके बाएं तरफ होगा | अब आप परमपिता परमेश्वर का ध्यान करते हुए इस प्रकार बोले : – हे परमपिता परमेश्वर मै(अपना नाम बोले ) गोत्र (अपना गोत्र बोले ) आपकी कृपा से बजरंग बाण का यह पाठ कर रहा हु इसमें मुझे पूर्णता प्रदान करें | अब आप ठीक 11 बजते ही इस मंत्र का जाप शुरू कर दे ” ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ” इस मंत्र को आप 5 मिनट तक जाप करें, ध्यान रहे मंत्र में जहाँ पर फट शब्द आता है वहा आप फट बोलने के साथ -साथ 2 उँगलियों से दुसरे हाथ की हथेली पर ताली बजानी है | 3-अब आप 11 बजकर 5 मिनट से और रात्रि 1 बजे तक लगातार बजरंग बाण का पाठ करना प्रारंभ कर दे | ध्यान रहे बजरंग बाण पाठ आपको याद होना चाहिए | किताब से पढ़कर बिलकुल न करें | जैसे ही 1 बजता है आप बजरंग बाण के पाठ को पूरा कर अब आप फिर से इस मंत्र ” ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ” का जाप 5 मिनट तक करें | अब आप कागज पर लिखे हुए मंत्र को जला दे | इस प्रकार आपका यह बजरंग बाण का पाठ एक ही रात्रि में सिद्ध हो जाता है |इस प्रकार सिद्ध किया गया यह बजरंग बाण पाठ आपके जीवन में चमत्कारिक प्रभाव दिखता है | /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// बजरंग बाण;- श्री हनुमान का एक प्रसिद्ध नाम बजरंगबली भी है। जिसका अर्थ है कि श्री हनुमान की देह का हर अंग वज्र के समान मजबूत है। शास्त्रों के मुताबिक बलवीर हनुमान की ऐसी शक्ति के पीछे विलक्षण ज्ञान, संयम और योग बल है।यही कारण है कि श्री हनुमान की उपासना भक्त को भी न केवल शरीर बल्कि मन और धन से संपन्न करने वाली भी मानी गई है।हनुमान उपासना की तंत्र शाखा में बजरंग बाण का ध्यान तो सारे दु:ख, भय, बाधा, कलह और अभाव का नाश करने वाला माना गया है। इसलिए अगर आप भी मुश्किलों से बचना चाहते हैं तो जानिए और करें यह बजरंग बाण का पाठ .... दोहा;- निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ सिया पति राम जय जय राम मेरे प्रभु राम जय जय राम।। चौपाई;- जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।। जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।। जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।। आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।। जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।। बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।। अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।। लाह समान लंक जरि गई। जय जय जय धुनि सुरपुर में भई।। अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।। जय जय लखन प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।। जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।। ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।। गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।। ऊँकार हुंकार महाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।। ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।। सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।। जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।। पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।। वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।। पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।। जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।। बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।। भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।। इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।। जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।। जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।। चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।। उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।। ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।। ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।। अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।। यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।। पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।। यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब कांपै।। धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।। दोहा;- प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। सिया पति राम जय जय राम मेरे प्रभु राम जय जय राम।। /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// हर काम में सफलता;- जब कभी भी आपका आत्मविश्वास खोने लगे, जीवन में हर तरफ निराशा ही निराशा का सामना होने लगे। तो ऐसी परिस्थिति में कलियुग में विचरण कर रहे महाबली हनुमान को याद करें। इनकी साधना करें। क्योंकि असफलताओं की सारी समस्याएं नकारात्मता से ही शुरू होती हैँ। लेकिन आप इस नकारात्मकता के प्रभाव से भी छुटकारा पा सकते हैं। इसका सीधा और सरल रास्ता है हनुमान जी उपासना।हनुमान की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का खात्मा होता है। इसके लिए मंगलवार के दिन सुबह-सवेरे स्नानादि से निवृत्त होकर मंदिर में लाल रंग का आसन बिछाकर उसपर बैठ जाएं। इसके बाद नीचे लिखे हनुमान के इन 6 मंत्रों में किसी एक मंत्र का जाप करें - 1. ॐ हुं हुं हनुमतये फट्, 2. ॐ पवन नन्दनाय स्वाहा 3. ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट - 4-ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा। - 5-ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसहांरणाय सर्वरोगाय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा। 6-ओम नमो हनुमते रुद्रावतराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रसुखाय वज्ररोम्णे वज्रनेत्राय वज्रदंताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा। /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// प्रेत बाधा दूर करे चमत्कारी हनुमान मंत्र:= 03 FACTS;- 1-हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हनुमानजी का नाम लेने से भूत-प्रेत आदि सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। यदि आप भी ऐसी ही किसी बाधा से पीडि़त हैं तो नीचे लिखे हनुमान मंत्र से इस समस्या का हल संभव है। यदि इस मंत्र का जप विधि-विधान से किया जाए तो कुछ ही समय में ऊपरी बाधा का निवारण हो सकता है। 2-यह हनुमान मंत्र इस प्रकार है- मंत्र :=हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल:। अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।। 3-जप विधि :- स्वच्छ अवस्था में यानी स्नान आदि करने के बाद हनुमानजी की पूजा करें और उन्हें सिंदूर तथा गुड़-चना चढ़ाएं। इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश का आसन ग्रहण करें। तत्पश्चात लाल चंदन की माला से ऊपर लिखे मंत्र का जप करें। इस मंत्र का प्रभाव आपको कुछ ही समय में दिखने लगेगा। /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// मुसीबतों को दूर करे हनुमान मंत्र ;- 03 FACTS;- 1-हिन्दू धर्म शास्त्रों श्री हनुमान की इसी शक्ति और महिमा का गान करते हुए उनको शक्ति स्वरूपा माता सीता के शोक का नाश करने वाले देवता बताकर जानकी शोक नाशनम् कहकर पुकारा गया है। संकेत है कि श्री हनुमान की उपासना जीवन से हर शोक दूर रखती है। चूंकि श्री हनुमान मंगलमूर्ति भगवान शिव के अवतार भी हैं। यही कारण है कि संकट और शोक नाश के लिए श्री हनुमान की उपासना परंपराओं में शिव भक्ति की तरह आसान उपाय भी बताए गए हैं। इनको श्री हनुमान की उपासना में आचरण व विचारों की पवित्रता के साथ अपनाना निर्भय और बेदाग जीवन का मंत्र भी माना गया है। 2-मंत्र := ऊँ हं हनुमंताय नम:। 3-जप विधि := स्नान के बाद श्री हनुमान मंदिर में जाकर श्री हनुमान की पूजा में केसर चंदन, अक्षत, लाल गुलाब के साथ अलावा विशेष रूप से चमेली का फूल आसान, किंतु अचूक हनुमान मंत्र के साथ अर्पित करें।इस मंत्र की 108 बार रुद्राक्ष की माला से जप भी संकटनाश में बहुत असरदार माने गए हैं। इसके साथ ही चमेली के तेल के साथ श्री हनुमान को सिंदूर चढ़ावें या चोला चढ़ाना भी शोक-पीड़ा मुक्ति की कामना के लिए मंगलकारी सिद्ध होगा। श्री हनुमान को यथाशक्ति भोग लगाकर गुग्गल धूप व गाय के घी के दीप से आरती करें व अक्षय सुख की कामना करें। /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// संकटों को दूर करे ये हनुमान मंत्र;- जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी कोई विरोधी परेशान करता है तो कभी घर के किसी सदस्य को बीमार घेर लेती है। इनके अलावा भी जीवन में परेशानियों का आना-जाना लगा ही रहता है। ऐसे में हनुमानजी की आराधना करना ही सबसे श्रेष्ठ है। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में कोई संकट न आए तो नीचे लिखे मंत्र का जप हनुमान जयंती व प्रति मंगलवार को कर सकते हैं। मंत्र := ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा जप विधि := सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद अपने माता-पिता, गुरु, इष्ट व कुल देवता को नमन कर कुश का आसन ग्रहण करें। पारद हनुमान प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जप करेंगे तो विशेष फल मिलता है। जप के लिए लाल हकीक की माला का प्रयोग करें। /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// मनोकामना पूरी करे ये हनुमान मंत्र ;- 03 FACTS;- 1-कलयुग में सबसे अधिक हनुमानजी की पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी ही कलयुग में जीवंत देवता है जो अपने भक्तों का हर कष्ट दूर करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। यदि आपकी भी कोई मनोकामना है तो नीचे लिखे हनुमान मंत्र का जप विधि-विधान से करने पर आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी। 2-मंत्र इस प्रकार है;- मंत्र :=महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते। हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।। 3-जप विधि := प्रति मंगलवार सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद हनुमानजी की पूजा करें और उन्हें सिंदूर तथा गुड़-चना चढ़ाएं। इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश का आसन ग्रहण करें। तत्पश्चात लाल चंदन की माला से ऊपर लिखे मंत्र का जप करें। इस मंत्र का प्रभाव आपको कुछ ही समय में दिखने लगेगा। /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// हौंसले बढ़ाये ये मंत्र ;- 04 FACTS;- 1-धन, स्वास्थ्य, सुविधा, साधन होने के साथ ही कामयाबी या विपरीत हालात से बाहर आने के लिए एक बात सबसे महत्वपूर्ण होती है। वह है - हौंसला, उत्साह या उमंग। किंतु उतार-चढ़ाव भी जीवन का हिस्सा है। इसलिए अचानक मिले दु:ख या जी-तोड़ मेहनत के बाद भी मिली नाकामयाबी इंसान के हौंसलों को कमजोर करती है। ऐसी हालात में हर कोई नई शुरुआत के लिए कुछ ऐसे उपाय की कामना करता है, जो फिर से नई ऊर्जा से भर दे। शास्त्रों में ऐसी ही मुश्किल हालातों से निपटने के लिए देव उपासना का महत्व बताया गया है। इसी क्रम में उत्साह, ऊर्जा और उमंग पाने और मुश्किलों से बाहर आने के लिए श्री हनुमान की भक्ति प्रभावी मानी जाती है। हनुमान की प्रसन्न्ता के लिए चालीसा, सुंदरकाण्ड, हनुमान स्त्रोत आदि का पाठ किया जाता है। 2-यहां श्री हनुमान स्मरण के ऐसे ही उपायों में छोटे, बोलने में सरल ग्यारह श्री हनुमान मंत्रों को बताया जा रहा है। जिनका शनिवार, मंगलवार या नियमित रूप से ध्यान धार्मिक दृष्टि से आपके कष्टों को दूर कर आपको निरोग और ऊर्जावान बनाए रखता है 3-मंत्र := ॐ हनुमते नमः ॐ वायु पुत्राय नमः ॐ रुद्राय नमः ॐ अजराय नमः ॐ अमृत्यवे नमः ॐ वीरवीराय नमः ॐ वीराय नमः ॐ निधिपतये नमः ॐ वरदाय नमः ॐ निरामयाय नमः ॐ आरोग्यकर्त्रे नमः 4-जप विधि :=सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें !उसके बाद श्री हनुमान की गंध, फूल, सिंदूर, नारियल, गुड़-चने, धूप, दीप से पूजा कर इन मंत्रों का यथाशक्ति जप करें। /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// संकटों को दूर करता है यह हनुमान मंत्र ;- 03 FACTS;- 1-जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी कोई विरोधी परेशान करता है तो कभी घर के किसी सदस्य को बीमार घेर लेती है। इनके अलावा भी जीवन में परेशानियों का आना-जाना लगा ही रहता है। ऐसे में हनुमानजी की आराधना करना ही सबसे श्रेष्ठ है। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में कोई संकट न आए तो नीचे लिखे मंत्र का जप हनुमान जयंती या प्रतियेक मंगलवार को भी इस मंत्र का जप कर सकते हैं। 2-मंत्र := ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा 3-जप विधि: सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद अपने माता-पिता, गुरु, इष्ट व कुल देवता को नमन कर कुश का आसन ग्रहण करें। पारद हनुमान प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जप करेंगे तो विशेष फल मिलता है। जप के लिए लाल हकीक की माला का प्रयोग करें। /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// भय का नाश करता है यह हनुमान मंत्र ;- 03 FACTS;- 1-क्या आप किसी अज्ञात भय से ग्रसित हैं या आपको हर समय किसी का डर सताता रहता है। कुछ लोगों को इस प्रकार की समस्या रहती है। उन्हें हर समय किसी न किसी बात का डर सताता रहता है। जब यह भय अधिक बढ़ जाता है तो एक रोग का रूप ले लेता है। यदि आपके साथ भी यही समस्या है तो नीचे लिखे मंत्र का विधि-विधान से जप करने से इसका निदान संभव है। 2-मंत्र := अंजनीर्ग सम्भूत कपीन्द्रसचिवोत्तम। राम प्रिय नमस्तुभ्यं हनुमते रक्ष सर्वदा।। 3-विधि := सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें उस के बाद अज्ञात भय से रक्षा के लिए इस हनुमान मंत्र का जप लगातार 7 दिनों तक प्रतिदिन 75 बार हनुमान यंत्र के सामने करें। यंत्र का धूप-दीप से पूजन भी करें, उसके बाद मंत्र का जप करें ! इसके बाद इस यंत्र को किसी हनुमान मंदिर में अर्पित कर दें। इससे मंत्र से सभी भयों का नाश हो जाता है। /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// रोग मुक्ति हेतु मंत्र ;- 03 FACTS;- 1-यदि प्रयासों के बावजूद भी रोगों से पीछा नहीं छुट रहा हो, डॉक्टर को बीमारी समझ में नहीं आ रही हो, दवा काम नहीं कर रही हो और किसी ने आपसे कहा है कि आपकी जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा आपको अवश्य लाभ देगी। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत मंगलवार के दिन हनुमान जी का ध्यान करते हुए पंचोपचार का पूजन करें। लाल कपड़े 700 ग्राम रेवडिय़ां बांधकर पोटली बनाकर अपने पूजा स्थान में रख दें। 2-घी का दीपक जलाकर संकटमोचन हनुमानष्टक के 11 पाठ करें। ततपश्चात यह पोटली अपने ऊपर से 7 बार उसार करके बहते पानी या सरोवर में प्रवाहित कर दें। पूजा के उपरांत गरीब बच्चों को मीठे परांठे खिलाना भी लाभयदायक रहेगा। यदि आप अनेकानेक रोग से परेशान रहते है। तो श्री हनुमान जी का तीव्र रोग हर मंत्र का जप करनें,जल,दवा अभिमंत्रित कर पीने से असाध्य रोग भी दूर होता है। तांबा के पात्र में जल भरकर सामने रख श्री हनुमान जी का ध्यान कर मंत्र जप कर जलपान करने से शीघ्र रोग दूर होता है।श्री हनुमान जी का सप्तमुखी ध्यान कर मंत्र जप करें। 3-मंत्र :=ॐ नमो भगवते सप्त वदनाय षष्ट गोमुखाय,सूर्य रुपाय सर्व रोग हराय मुक्तिदात्रे ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
अगर कोई व्यक्ति जटिल रोग से पीड़ित हों, तो उन्हें श्री हनुमानजी की शरण में जाना चाहिए, और रोगनाश के लिए श्री हनुमान चालीसा की इन चौपाइयों और दोहों को मंत्र की तरह जपने से रोगों से मुक्ति मिल जाती हैं।
4-दोहा मंत्र~
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार।
*बल बुधि बिद्या देहु मोहि हरहु कलेस बिकार।
4-1-चौपाई मंत्र~
''नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा''
NOTE;-
इन दोनों का श्रद्धा पूर्वक 108 बार जप करने से जटिल से जटिल रोग भी ठीक हो जाते हैं, एवं रोगी की शारीरिक दुर्बलता, मानसिक क्लेश आदि भी दूर हो जाते हैं । इन मंत्रों का जप कोई भी व्यक्ति दिन या रात में, जब कभी भी मौका मिले, हनुमानजी के मंदिर में, घर में या जहां मरीज हो उस जगह बैठकर श्री हनुमान जी का ध्यान करते हुए करने रोग ठीक हो जाता हैं
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कारोबार में लाभ हेतु मंत्र ;-
संपूर्ण प्रयासों के बावजूद भी कारोबार में लाभ नहीं मिल रहा हो, सारे प्रयास विफल हो रहे हो तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की यह आराधना प्रारंभ करें। और लगातार 40 दिन करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत सूर्योदय से पूर्व हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें। ततपश्चात शुद्घ चंदन का धूप जलाकर, घी का दीपक प्रज्जवलित कर एक पाठ सुंदरकांड का करें। पूजा के उपरांत मीठा भोजन गरीब व जरूरतमंद कन्याओं को कराएं। और साथ में'' गल खोलूं जल हल खोलूं बंल व्यापार आवे धन अपार। फरो मंत्रा ईश्वरोवाचा हनुमत बचन जुग जुग सांचा''... का जाप करे।
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कर्जें से मुक्ति हेतु मंत्र ;-
02 FACTS;-
1-लाख प्रयासों के बावजूद भी कर्जें से मुक्ति नहीं मिल पा रही हो और किसी ने आपसे कहा है कि आपकी जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल नहीं है, शनिदेव की वजह से कष्ट आ रहे हैं तो हनुमान जी की इस पूजा का करने से संपूर्ण कष्टों से छुटकारा मिलेगा। किसी भी मंगलवार के दिन लाल चंदन की हनुमान जी की प्रतिमा बनाकर, गंगाजल से पवित्र कर श्रद्घापूर्वक अपने पूजा स्थान में लाल वस्त्र पर स्थापित करें। हर रोज देसी घी का दीपक जलाकर 21 दिन तक 11 माला मंत्र का जाप करें। जाप के उपरांत 9 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को लाल वस्त्र का दान दें। संपूर्ण कष्टों से छुटकारा मिलेगा।
2-मंत्र :=ऊँ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
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कार्य बाधा निवारण हेतु मंत्र ;-
02 FACTS;-
1-चलते काम में अचानक बाधा आती हो, चलता-चलता काम अचानक रुक जाता हो, व्यवसाय में बिना वजह परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हो और लोगों ने आपसे कहा है कि आपकी जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की इस पूजा से संपूर्ण कष्टों का निवारण होता है। मंगलवार के दिन पूजा प्रारंभ करें। लगातार 40 दिन करें। हर रोज नित्यक्रम से निवृत्त हो स्नानोपरांत दक्षिणावर्ती हनुमान जी की मूर्ति के सामने तेल का दीपक जलाएं। ततपश्चात गुड़ के चूरमे का भोग लगाएं।इस मंत्र का 3 माला जाप करें। संपूर्ण कष्टों से छुटकारा मिलेगा।
2-मंत्र := ऊँ नम: हरीमरकटमरकटाय स्वाहा
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शत्रु कष्ट निवारण हेतु मंत्र ;-
02 FACTS;-
1-बिना वजह दुश्मनों का डर सताता हो, हमेशा मन भयभीत रहता हो, और लोगों ने आपको भयभीत किया हो कि कि आपकी जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा करने से दुश्मन आपका बुरा नहीं कर पाएगा। किसी भी मंगलवार के दिन यह पूजा प्रारंभ करें। प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत माता-पिता के चरण स्पर्श करें। पारद हनुमत प्रतिमा के सामने लाल हकीक की माला से हर रोजमंत्र का जाप करने से अवश्य लाभ मिलेगा।
2-मंत्र := ऊँ नमो हनुमते रुदावताराय सर्व शत्रु संहाराणाय सर्व रोग हराय, सर्व वशीकरणाय राम दूताय स्वाहा
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दुर्घटना निवारण हेतु मंत्र ;-
02 FACTS;-
1-यदि आपके साथ में बिना कारण ही दुर्घटना घट जाती है, बार-बार आपकी गाड़ी का एक्सीडेंट होता हो, अनावश्यक भय बना रहता हो, और किसी ने आपसे कहा है कि आपकी जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह प्रयोग आपको अवश्य लाभ देगा। मंगलवार के दिन यह पूजा प्रारंभ करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत हनुमान जी का ध्यान करते हुए अपने पूजा स्थान में चमेली के तेल का दीपक जलाएं। श्रद्घापूर्वक मंत्र का जाप करें। ततपश्चात 108 चमेली के पुष्प हनुमान जी के श्रीचरणों में अर्पित करें। ऐसा 11 मंगलवार करें।
2-मंत्र := ऊँ हं हनमते रुद्रआत्मकाय हुं फट्।
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दांपत्य सुख हेतु मंत्र ;-
02 FACTS;-
1-वैवाहिक रिश्तों में बिना मतलब कड़वाहट रहती हो, बात-बात पर पति-पत्नी में झगड़ा हो जाता हो, और किसी ने आपसे कहा है कि आप दोनों की जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा आपको अवश्य लाभ देगी। हर मंगलवार के दिन श्रद्घापूर्वक पंचोपचार पूजन करने के उपरांत मिट्टी के पात्र में शहद भरकर हनुमान जी के मंदिर में अर्पित करें। वहीं बैठकर शुद्घ लाल आसन पर मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा 21 मंगलवार करें। अवश्य लाभ मिलेगा।
2-मंत्र := ऊँ श्री हनुमते नम:
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कोर्ट-कचहरी के मसलें निवारण हेतु मंत्र ;-
02 FACTS;-
1-ईमानदारी, मेहनत, परिश्रम और सच्चाई से काम करने के बावजूद भी कोई न कोई अड़चनें आपको परेशान करती हो और किसी ने आपसे कहा है कि जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह आराधना कष्ट मिटायेगी। मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत हनुमान जी के श्रीचरणों में मंत्र का जाप करते हुए 108 चुटकी सिंदूर अर्पित करें। अवश्य लाभ मिलेगा। ऐसा नियमित 40 दिन करें। मंगलवार के दिन कन्याओं को श्रद्घानुसार चावल देना भी शुभ रहेगा।
2-मंत्र := ऊँ अग्निगर्भाय नम:
हं हनुमते रुद्रात्मकाय हूं फट।
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वाहन प्राप्ति हेतु मंत्र :=
02 FACTS;-
1-संपूर्ण आर्थिक संपन्नता के बावजूद भी वाहन प्राप्ति में तकलीफ आ रही हो, लोगों ने आपको डराया हो कि जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा आपके लिए रामबाण रहेगी। किसी भी मंगलवार के दिन यह पूजा प्रारंभ करें। लगातार 40 दिन करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत 400 ग्राम साबूत मसूर गंगाजल से धोकर अपने ऊपर से 7 बार उसारकर बहते पानी में प्रवाह करें। साथ ही हनुमान जी के मंत्र की 3 माला हर रोज करें।
2-मंत्र := ऊँ नमो भगवते आन्ञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा।
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पारिवारिक सुख हेतु मंत्र ;-
02 FACTS;-
1-संपूर्ण मेहनत और परिश्रम के बावजूद भी पारिवारिक सदस्य एक साथ नहीं रह पा रहे हो, घर में हमेशा कलाह रहता हो, बाहर सब कुछ ठीक है और घर में प्रवेश करते ही आपस में टकराव हो जाता है और लोगों ने आपको भयभीत किया है कि जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा आपको लाभ देगी। किसी भी मंगलवार के दिन यह पूजा प्रारंभ करें। लगातार 43 दिन तक करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नान करने वाले जल में हल्दी की गांठ डालकर स्नान करें। तत्पश्चात गीले वस्त्रों में भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। और मंत्र का 108 बार जाप करें !
2-मंत्र := ऊँ कपिराजाय नम:
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चल-अचल संपत्ति हेतु मंत्र ;-
02 FACTS;-
1-लाख कोशिशें के बावजूद भी आप भूमि-भवन और वाहन की प्राप्ति नहीं कर पा रहे हैं। आपके पास धन है उसके बाद बावजूद भी आप संपत्ति नहीं खरीद पा रहे हो और किसी ने आपसे कहा है कि जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा आपको लाभ देगी। किसी भी मंगलवार को यह पूजा प्रारंभ करें और लगातार 21 दिन तक करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत भगवान सूर्य को जल देने के बाद लाल कपड़े में श्रद्घानुसार मसूर की दाल बांधकर सुहागिन कर्मचारी महिला को दान में दे। हर रोज 9 माला इस मंत्र का जाप करें।
2-मंत्र := ऊँ राम भक्ताय नम:
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मान-सम्मान की प्राप्ति हेतु मंत्र ;-
02 FACTS;-
1-यदि संपूर्ण प्रयासों के बावजूद भी मान-सम्मान नहीं मिल रहा है, समाज में आप अपनी बात नहीं कह पा रहे हैं। करना जाते हैं अच्छा और बुरा हो जाता है। लोगों ने आपसे कहा है कि निजकृत कर्मों की वजह से आपका शनि अनुकूल नहीं है तो मंगलवार के दिन यह पूजा प्रारंभ करें और लगातार 40 दिन करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत गीले कपड़ों में 9, 11 या 21 श्वेतार्क के पुष्प हनुमान जी के श्रीचरणों में अर्पित करें। अवश्य लाभ मिलेगा। हर रोज मंत्र की 5 माला का जाप करें।
2-मंत्र := ऊँ हं पवननदनाय स्वाहा
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हनुमान मंत्र से कालसर्प दोष शांति ;-
03 FACTS;-
1- ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक कालसर्प योग भी जिंदगी में परेशानियां और पीड़ा देने वाले योग बनाता है। किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में यह योग दो छायाग्रहों राहु और केतु के कारण बनाता है। दोनों ग्रह क्रूर स्वभाव के भी माने जाते हैं। इन दोनों ग्रहों की चाल भी टेढ़ी होती है। इसलिए यह किसी व्यक्ति की कुण्डली में शत्रु राशियों में होने पर अन्य ग्रहों के शुभ फल पर भी बुरा असर डालते हैं। राहु और केतु के योग से बने कालसर्प दोष शांति के अनेक शास्त्रोक्त विधि विधान है। किंतु समयाभाव या आर्थिक परेशानियों के कारण अगर आप इन उपायों को न कर सके तो देव उपासना के ऐसे भी उपाय हैं, जो न केवल आपके समय की बचत करते है, बल्कि बिना किसी व्यय के अधिक से अधिक शुभ फल देते हैं।
2-हिन्दू धर्म में अनगिनत देवी-देवताओं को पूजा जाता है। किंतु जब भी इंसान संकट या कष्ट से गुजरता है तो रामभक्त हनुमान को ही स्मरण किया जाता है। श्री हनुमान संकटमोचक भी कहलाते हैं। इसलिए कालसर्प दोष शांति के लिए भी हनुमान उपासना बहुत ही शुभ मानी गई है। श्री हनुमान के कुछ ऐसे दिव्य मंत्र माने गए हैं, जिनके जप से कालसर्प दोष से मिल रहे तमाम दु:खों की काट होती है। इनमें से ही एक मंत्र है –
मंत्र := ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
3-जप विधि:= कुण्डली में कालसर्प की दशा में हर रोज पवित्र होकर श्री हनुमान की पूजा करें। पूजा में हनुमान को चमेली या कोई भी सुगंधित तेल के साथ सिंदूर चढ़ाए या चोला चढ़ाएं। लाल चंदन, लाल फूल भी पूजा में शामिल करें। भोग में चने-गुड़ का प्रसाद चढ़ाएं। इसके बाद इस हनुमान मंत्र का कम से कम पांच बार संभव हो तो 108 बार एक माला का जप करें। हर रोज संभव न हो मंगलवार और शनिवार के दिन इस मंत्र का जप करें। इस मंत्र के असर से शनि ग्रह की दोष शांति भी होती है।
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हर परेशानी दूर करे ये श्री हनुमान गायत्री मंत्र ;-
03 FACTS;-
1-हिन्दू धर्म में एक ही ईश्वर अलग-अलग देवशक्तियों के रूप में पूजनीय है। वैसे तो हर देव शक्ति कल्याणकारी ही होती है, लेकिन धर्मशास्त्रों में सांसारिक जीवन की कामना विशेष को पूरा करने या दोष-बाधाओं को दूर करने के लिए विशेष देव शक्तियों की उपासना विशेष फलदायी मानी गई है। मातृशक्ति गायत्री को भी परब्रह्म यानी सर्वशक्तिमान ईश्वर माना गया है। गायत्री साधना भी 24 देवशक्तियों से जोडऩे वाली मानी गई है यानी सिर्फ गायत्री उपासना से 24 अलग-अलग देवताओं की उपासना से मनचाहे फल पाए जा सकते हैं। जिसके लिए गायत्री मंत्र के साथ इन 24 देवताओं के अलग गायत्री मंत्र के स्मरण का महत्व बताया गया है।हर इंसान जीवन से जुड़ी विशेष कामनापूर्ति व समस्याओं, कमी या दोष से छुटकारे के लिए उसी गुण और शक्ति वाले देवता की गायत्री का स्मरण करे तो बहुत ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।
2-गायत्री की इन 24 देवशक्तियों में एक है - श्री हनुमान। जिनकी उपासना शक्ति और समर्पण का भाव जाग्रत करने वाली मानी गई है। जिसके लिए हनुमान गायत्री मंत्र असरदार
माना गयाहै।व्यावहारिक जीवन के नजरिए से श्री हनुमान गायत्री मंत्र का स्मरण इंसान को निडर, संयमी, धैर्यवान, जिम्मेदार, समर्पित, विश्वासपात्र और गुण संपन्न बना देता है।
3-गायत्री मंत्र और सरल पूजा विधि -
प्रात: स्नान कर देवालय में माता गायत्री व श्री हनुमान की लाल चंदन, अक्षत, लाल पुष्प अर्पित कर पूजा करें।इस सामान्य पूजा के बाद घी का दीप जलाकर पहले माता गायत्री का ध्यान गायत्री मंत्र की एक माला यानी 108 बार बोलकर करें।इसके बाद श्री हनुमान का ध्यान व अमंगल और अशुभ को टालने की कामना करते हुए श्री हनुमान गायत्री का नीचे लिखा मंत्र की एक माला यानी 108 बार बोलें।पूजा और मंत्र जप के बाद माता गायत्री और श्री हनुमान को मिठाई, फल या सूखे मेवों का भोग लगाकर गायत्री आरती और हनुमान आरती करें।इस दौरान हुए जाने-अनजाने दोषों की क्षमाप्रार्थना कर आरती और प्रसाद ग्रहण करें।समयाभाव से अगर उपरोक्त मंत्रों की एक माला संभव न हो तो कम से कम 11 बार श्रद्धा से मंत्र जप भी शुभ फल देता है।
मंत्र := ॐ अंजनीसुताय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुति: प्रयोचदयात्।।
...SHIVOHAM...
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