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रंग प्राण या जीवन ऊर्जा के प्रकार;-

रंग प्राण या जीवन ऊर्जा के प्रकार;-


07 FACTS;-


1-सभी रंग के अलग- अलग गुण है जो हमारे शरीर के आंतरिक कामकाज को प्रभावित करते हैं. सभी चक्र के भिन्न भिन्न रंग है और उनके अर्थ और विशिष्ट कार्य है.भिन्न-भिन्न रंग, प्रेम, दिव्यता, सत्ता, क्रोध आदि के भी प्रतीक हैं। प्रत्येक रंग दूसरे से भिन्न है; इसलिए शरीर पर प्रत्येक का प्रभाव भी दूसरे से भिन्न होता है।इन रंगों के प्रयोग से एक आध्यात्मिक चिकित्सक


रोगी के सूक्ष्म कोशो में प्रवेश कर रोग के मूल कारणों में परिवर्तन करता है।सूर्य की किरणों में 3 रंग ही प्रमुख माने गए हैं।


यह है पीला ,लाल और नीला।


2-पीला रंग एयर एलिमेंट का ,लाल रंग फायर एलिमेंट का और नीला रंग वाटर एलिमेंट का प्रतिनिधित्व करता है।


आयुर्वेद में आयुर्वेद में चिकित्सा उपचार का मूलभूत आधार भी 3 एलिमेंट की स्थिति को ही माना गया है तीन एलिमेंट के दोष से ही विभिन्न रोग उत्पन्न होते हैं।एयर फायर के मिश्रण से नारंगी रंग;एयर और वाटर एलिमेंट के मिश्रण से हरा ;और फायर एवं वाटर एलिमेंट के मिलन से बैंगनी रंग उत्पन्न होता है।त्रिदोष जन्य विकार से सन्निपात की उत्पत्ति मानी जाती है जिससे शरीर सफेद दिखाई देने लगता है।सफेद यानी श्वेत दरअसल कोई रंग ही नहीं है। लेकिन साथ ही श्वेत रंग में सभी रंग होते हैं। सफेद प्रकाश को देखिए, उसमें सभी सात रंग होते हैं।


3-आप सफेद रंग को अपवर्तन (Refraction ) द्वारा सात रंगों में अलग-अलग कर सकते हैं अथार्त श्वेत में सब कुछ


समाहित है।जब आप आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ते हैं और कुछ खास तरह से जीवन के संपर्क में आते हैं, तो सफेद वस्त्र पहनना सबसे अच्छा होता है।श्वेत रंग सात रंगों का मिश्रण है। श्वेत रंग पवित्रता, शुद्धता, विद्या और शांति का प्रतीक है। इससे मानसिक, बौद्धिक और नैतिक स्वच्छेता प्रकट होती है। विद्या ज्ञान का रंग सफेद है। ज्ञान हमें सांसारिक संकुचित भावना से ऊपर उठाता है और पवित्रता की ओर अग्रसर करता है। श्वेत रंग चंद्ममा जैसी शीतलता प्रदान करता है । सूर्य के प्रकाश के केवल 7 रंगों का ही हमें ज्ञान है, परंतु उनके मिलन से 10 लाख रंग बन सकते हैं।


4-लाल प्राण ;-


रोगोपचार में विभिन्न रंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लाल रंग की मुख्य विशेषता यह है कि वह स्नायु और रक्त की क्रियाशीलता को बढ़ाता है। एड्रीनल ग्रंथि एवं संवेदी तंत्रिकाओं को उत्तेजित करने का काम तो लाल रंग का होता ही है। रक्त का रंग लाल होता है। उगते सूरज का रंग भी लाल होता है। मानवीय चेतना में सबसे अधिक कंपन लाल रंग ही पैदा करता है। जोश और उल्लास का रंग लाल ही है। लाल रंग गर्म है गर्मी, निर्माण या क्षतिग्रस्त ऊतकों की तेजी से मरम्मत , जीविका, उत्तेजना और प्राण शक्ति के साथ जुड़ा हुआ है,।


5-नारंगी प्राण; -


नारंगी रंग त्याग, संयम, तपस्या, साधुत्व और क्रिया का रंग है और नारंगी रंग Decongesting के साथ साथ सफाई प्रक्रियाओं के लिए है । ये रंग सफाई, बंटवारे, विस्फोट और विनाशकारी प्रक्रियाओं का प्रतीक है। नारंगी प्राण निष्कर्षण और अमूर्त के मूल रूप से संबंधित है। सुदृढ़ीकरण, विशाल, विस्फारित, वितरण, उत्तेजक, और रचनात्मकता को सक्रिय करने के साथ यह भौतिक शरीर भी सम्हालता है।


6-हरित प्राण;-


हरा रंग समस्त प्रकृति में व्याप्त है. यह पेड़-पौधे, खेतों-पर्वतीय प्रदेश को आच्छादित करने वाला मधुर रंग है। यह मन को शांति और हृदय को शीतलता प्रदान करता है। यह मनुष्य को सुख, शांति, स्फूर्ति देने वाला रंग है । संसार के महान ग्रंथ, मौलिक विचार, प्राचीन शास्त्र, वेद-पुराण आदि उत्तम ग्रंथ हरे शांत वातावरण में ही निर्मित हुए हैं। यह रंग प्राण decongesting , सफाई, detoxifying , संक्रमण और भंग का प्रतीक है । हरित प्राण deconstruction , टूट , detoxification और पाचन के साथ जुड़ा हुआ है।


7-पीला प्राण; -


यह रंग ज्ञान और विद्या का, सुख और शांति का, अध्ययन, विद्वता, योग्यता, एकाग्रता और मानसिक तथा बौद्धिक उन्नति का प्रतीक है। यह रंग मस्तिष्क को प्रफुल्लित और उत्तेजित करता है. भगवान विष्णु का पीत वस्त्र उनके असीम ज्ञान का द्योतक है।यह पीला प्राण एकता के गुण के साथ imbued /जोड़नेवाला है। यह तंत्रिका कोशिकाओं की उत्तेजना के साथ जुड़ा हुआ है और आत्मसात, गुणन विकास और शुरुआत का प्रतीक है।


8-नीले प्राण; -


नीला रंग सबको समाहित करके चलने का रंग है। आप देखेंगे कि इस जगत में जो कोई भी चीज बेहद विशाल और आपकी समझ से परे है, उसका रंग आमतौर पर नीला है, चाहे वह आकाश हो या समुंदर। जो कुछ भी आपकी समझ से बड़ा है, वह नीला होगा, क्योंकि नीला रंग सब को शामिल करने का आधार है।नीले प्राण में कीटाणुशोधन के गुण होते हैं, निषेध, शांत और शीतलता के लिए अच्छा है। यह रंग बाधा, करार, सुखदायक, कूलिंग और लचीलापन का प्रतीक है। इसे शुद्ध करना होता है।


9-वायलेट प्राण ;–


यह रंग राजसी वैभव का प्रतीक है, इसके साथ ही यह जादू और रहस्य के मिश्रित भावों को प्रतिबिंबित करता है। इस रंग में सभी गुण शामिल हैं .हल्का बैंगनी रंग /वायलेट उत्थान और उपचार के गुणों के साथ जुड़े रहे हैं। वायलेट प्राण के प्रभावी उपयोग गंभीर बीमारियों और संक्रमण का उपचार कर रहे हैं। हल्के जामुनी का एक regenerating प्रभाव पड़ता है।


10-इलेक्ट्रिक बैंगनी प्राणिक ऊर्जा; -


इलेक्ट्रिक बैंगनी प्राण उच्च से उच्चतर आत्मा द्वारा स्वयं प्राप्त किया जाता है और यह "परिधि पर हल्के जामुनी रंग के साथ सफेद" के रूप में प्रकट होता है। यह आध्यात्मिक ऊर्जा या दैवी शक्ति रूप में भी जाना जाता है। यह सामान्य वायलेट प्राण से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली है और इसमें अन्य रंग के सभी गुण है। एक चेतना अपनी खुद की इलेक्ट्रिक बैंगनी प्राणिक ऊर्जा है।


11-गोल्डन प्राणिक ऊर्जा; -


जब etheric शरीर इलेक्ट्रिक बैंगनी ऊर्जा के साथ संपर्क में आता है ,तो गोल्डन प्राणिक ऊर्जा के रूप में शरीर द्वारा अवशोषित हो जाता है। गोल्डन प्राण के गुण लगभग इलेक्ट्रिक बैंगनी ऊर्जा के समान होते हैं; परंतु यह कम fluidic है। यह ऊर्जा योग में 'स्वर्ग 'की', या प्रकाश स्तंभ / प्रकाश का आध्यात्मिक पुल के रूप में जाना जाती है।


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